Listen to a Sample
Sandigdh
Author:
Tejendra SharmaPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections1 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
पंद्रह बेहतरीन कहानियों का संग्रह।
ISBN: 9788119018901
Pages: 184
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Do Khirkiyan
- Author Name:
Amrita Preetam
- Book Type:

- Description: ‘दो खिड़कियाँ’ में पंजाबी की सुप्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम की मर्मस्पर्शी रचनाएँ संग्रहीत हैं। इनमें सात कहानियाँ, एक लघु उपन्यास और सबसे अन्त में एक ऐसा प्रयोग है जिसमें दुनिया के नौ उपन्यासों में से नौ पात्र चुनकर उनकी मनोदशा को समझने की कोशिश की गई है—हर पात्र की आत्मा में पैठकर। ‘दो खिड़कियाँ’ जिसके आधार पर इस संग्रह का नामकरण हुआ है, दुनिया के निज़ाम पर भयानक व्यंग्य करती हुई कहानी है। इसकी नायिका के शब्द उसके कमरे की सामनेवाली खिड़की में से निकलकर बाहर सड़क पर चले गए हैं और अर्थ पिछली खिड़की में से निकलकर जंगल में खो गए हैं। छह अन्य कहानियों में स्त्री और स्त्री के रिश्ते का विश्लेषण है। इन छहों कहानियों का शीर्षक एक ही है—‘दो औरतें’। ‘पक्की हवेली’ शीर्षक लघु उपन्यास में भूत-प्रेतों वाली एक हवेली का दर्द एक छोटी-सी बच्ची की ज़बानी है जो मनुष्य के मन की गुत्थियों को समझने में असमर्थ है पर डरती-काँपती और रोती उसको समझने का प्रयत्न करती है। संग्रह की सारी रचनाएँ अमृता प्रीतम की स्वभावगत भावुकता से ओत-प्रोत हैं और मन पर बड़ा कवित्वमय प्रभाव छोड़ती हैं।
Pahad Katha
- Author Name:
Dinesh Pathak
- Book Type:

- Description: Collection of Hindi Short Stories
Atha katha Bajrang bali
- Author Name:
Avadhesh Preet
- Book Type:

-
Description:
अवधेश प्रीत आठवें दशक के उन चर्चित कथाकारों में हैं, जिनकी कहानियों को शीर्ष आलोचकों से लेकर सुधी पाठकों तक ने खुले दिल से सराहा है। वह अपने समय और समाज के ज़रूरी सवालों से टकराते हैं और उनमें न्यस्त स्याह-सफ़ेद की शिनाख़्त करते हुए पाठकों को उन सच्चाइयों तक ले जाते हैं, जो अक्सर अदीठ रह जाती हैं। अवधेश प्रीत की ‘नृशंस’, ‘अलीमंज़िल’, ‘बाबू जी की छतरी’, ‘तालीम’, ‘तीसरी औरत’, ‘हमज़मीन’, ‘चाँद के पार एक चाभी’ जैसी अनेक कहानियाँ हैं,जो अपने कथ्य-वैविध्य, कथा-भाषा और शिल्पगत प्रयोगों के कारण सुधीजनों का ध्यान आकर्षित करती रही हैं। अवधेश प्रीत अपनी कहानियों के ज़रिये उन संवेदनशील प्रान्तरों में भी पहुँचने से नहीं हिचकते, जहाँ रूढ़ियों को तोड़ने के अनेक जोखिम फन काढ़े खड़े हैं।
अवधेश प्रीत के इस संग्रह की कहानियाँ अपने बेबाकपन और कहन की विशिष्टता के कारण चर्चित-प्रशंसित रही हैं। अपनी प्रवाहमयी भाषा, किस्सागोई के दिलचस्प अन्दाज़, यथार्थ, अनुभव और फैंटेसी के प्रयोग से अपने कथा अभीष्ट को उद्घाटित करती ये कहानियाँ मनुष्य की विडम्बना,समाज की संवेदना, साम्प्रदायिकता के रूपान्तरण और राजनीति की जटिलताओं का आख्यान हैं। अनायास नहीं कि इस संग्रह की कहानी 'कजरी' को पढ़कर वरिष्ठ समालोचक विश्वनाथ त्रिपाठी अपनी निजी प्रतिक्रिया में कहते हैं, यह प्रेमचन्द के रंग-ढंग की अद्भुत कहानी है।
अवधेश प्रीत की कहानियाँ जितनी पठनीय होती हैं, उतनी ही चाक्षुष भी। यही कारण है कि उनकी अनेक कहानियों के देश की कई रंग-संस्थाओं ने नाट्य-मंचन किये हैं। अपनी पठनीयता और दृश्यात्मकता के संयोग से अवधेश प्रीत अपनी कहानियों में जो जादू जगाते हैं, वो उन्हें अपने समकालीन लेखकों में पृथक पहचान देती हैं। दरअसल, इस संग्रह की कहानियाँ जादुई यथार्थ की नहीं, यथार्थ में निहित जादुई-शक्ति की कहानियाँ हैं।
Pratinidhi Kahaniyan : Manoj Rupada
- Author Name:
Manoj Rupada
- Book Type:

- Description: मनोज रूपड़ा हमारे समय के ऐसे विलक्षण कथाकार हैं जिनकी कहानियाँ अतीत और वर्तमान के घातक टकराव के बीच किसी घटना की तरह सामने आती हैं। यथार्थ की जड़ता को ध्वस्त करने के लिए अमूमन वे अपने चरित्रों को किसी खास क्षण या मनःस्थिति में फ्रीज कर देते हैं और इसके बरक्स यथार्थ की गतिशीलता को बढ़ा देते हैं। कई बार यथार्थ और चरित्र दोनों ही गतिशील होते हैं पर परस्पर भिन्न दिशाओं में। वे अपने कथा-चरित्रों के बाहरी और भीतरी यथार्थ के बीच एक तनाव भरा गुंजलक रचते हैं जहाँ सब कुछ गुँथकर एक विस्फोट की तरह प्रकट होता है और तब ‘दफ़न’, ‘साज़-नासाज़’, ‘टॉवर ऑफ सायलेंस’ या ‘सेकेंड लाइफ’ जैसी कहानियाँ सामने आती हैं। स्मृति, स्वप्न, कल्पना और यथार्थ के सघन और मार्मिक तंतुओं से बुनी हुई उनकी कहानियों में दृश्य इतने चाक्षुस होकर सामने आते हैं कि पाठ के समय ये कहानियाँ कहीं भीतर दृश्यमान होकर अपने लिए एक नई ही अर्थवत्ता की तलाश करने लगती हैं।
Beech Dhar Mein
- Author Name:
Vinod Das
- Book Type:

- Description: 'बीच धार में' पढ़ी। आपकी यह पहली गद्य रचना है जिससे मैं रूबरू हुआ। यह रचना आपकी अन्य रचनाओं के प्रति गहरी दिलचस्पी जगाती है। एक मामूली विषय को लेकर आपने जिस तरह घटनाओं, स्थितियों और मन:स्थितियों का वितान रचा है, काफी मुकम्मल लगता है। लगता है, गहरे तक महसूस कर, देर तक जीकर यह रचना नि:सृत हुई है। —ओमा शर्मा, कथाकार कहानी 'बार-बार' दो दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। एक, बात मनोविज्ञान का सूक्ष्म चित्रण जिसकी परंपरा लुप्त हो रही है। दूसरी विशेषता है—राजनीति में भागीदारी के प्रति औसत औरत की लालसा जिसे राजनीति के प्रति स्त्री की उदासीनता का विपरीत नाम देकर मीडिया और तथ्यों द्वारा नज़रंदाज़ करने का जतन किया जाता है या जो स्त्रियाँ राजनीति में हैं, उन्हें मायावती और जयललिता के खाते में डाल बदनाम करने की कुत्सित कोशिश की जाती है। कहानी के भीतरी तहों में चुपके से पैठा पुरुष वर्ग का यह दंभ भर दुष्चक्र स्त्री के चरित्र हनन की कोशिशों, लोकापवादों और घरेलू सम्बन्धों को विषाक्त करने में प्रामाणिक ढंग से उभारा है। कहानी यह प्रसंग भी उठाती है कि अपनी महत्वाकांक्षाओं को साकार करने के लिए पुरुष सी कूटनीति और राह का सहारा लेती स्त्री तिरस्कृत क्यों समझी जाती। —रोहिणी अग्रवाल, आलोचक दरअसल विनोद दास की कहानियाँ विषयवस्तु और रूप के उस एकत्व का भी उदाहरण हैं जिसे हासिल करना हर कहानीकार का लक्ष्य होता है और जिसके बिना एक कहानी अच्छी भले ही हो, मुकम्मल नहीं हो सकती। —रश्मि रावत, आलोचक
Shobha Yatra
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

- Description: सीधी सरल शब्दावली और सहज बिम्बों में सामाजिक यथार्थ की जटिल विडम्बनाओं को अभिव्यक्त करनेवाली भीष्म साहनी की कहानियाँ आज क्लासिक रचनाओं की श्रेणी में आती हैं। 1981 में पहली बार प्रकाशित उनका यह कहानी-संग्रह अपनी मूल्यपरक अर्थवत्ता और वैचारिक निष्ठा के चलते विशेष तौर पर सराहा गया था। ‘शोभायात्रा’ की इन कहानियों में 'फ़ैसला' के जज शुक्ला जी हों या 'रामचन्दानी' के रिटायर्ड अफ़सर रामचन्दानी—सही आदमी इस व्यवस्था में बराबर अव्यावहारिक और उपहास का विषय है। 'निमित्त' में यदि भाग्य और भगवान को ही कारण माननेवाले 'निमित्त मात्रों' की क्रूरता और चालाकी का कलात्मक खुलासा हुआ है तो 'शोभायात्रा' सत्ता के 'अहिंसा परमो धर्म' रूपी ढोंग को उघाड़ती है। दूसरी ओर 'खिलौने' जैसी कहानी है, जिसमें बच्चे और खिलौने के माध्यम से आधुनिक जीवन की भयावह कैरियरिस्ट संवेदनहीनता का मार्मिक चित्रण हुआ है। वस्तुगत यथार्थ और उसका दृष्टि-सम्पन्न चित्रण, यही इस संग्रह की कहानियों की विशेषता है जिसके कारण इन्हें दशकों से एक ही लगाव के साथ पढ़ा जाता रहा है।
Shreshth Kahaniyan : Mannu Bhandari
- Author Name:
Mannu Bhandari
- Book Type:

-
Description:
“कथा-साहित्य में अक्सर ही नारी का चित्रण पुरुष की आकांक्षाओं (दमित आकांक्षाओं) में प्रेरित होकर किया गया है।” मन्नू भंडारी ने कहीं लिखा है। लेखकों ने या तो नारी की मूर्ति को अपनी कुंठाओं के अनुसार विकृतियों से तोड़-मरोड़ दिया है, या अपनी स्वप्न-नारी की तस्वीर उतारी है। वह देवी और दानवी के दो छोरों के बीच टकराती ‘पहेली’ नहीं, हाड़-मांस की मानवी भी है, इसे प्रायः सभी एक सिरे नज़रअन्दाज़ करते रहे हैं। साहित्य की युगों पुरानी कथा-रूढ़ियों के मलबे के नीचे से नारी के मौलिक व्यक्तित्व का अन्वेषण, उसके चरित्र का यथार्थ निरूपण-जैसी गहरी अन्तर्दृष्टि और निस्संग विश्लेषण की अपेक्षा रखता है।
वह मन्नू के पास है या नहीं—यह अभी कह पाना बहुत कठिन है। लेकिन मन्नू की कहानियों की दो विशेषताएँ उसे अपने समकालीनों से अलग करती हैं...व्यर्थ के भावोच्छ् वास में नारी के आँचल का दूध और आँखों का पानी दिखाकर उसने पाठकों की दया नहीं वसूली...वह एकदम यथार्थ के धरातल पर नारी का नारी की दृष्टि से अंकन करती है...लेकिन अन्य ‘यथार्थवादियों' की तरह शिल्पगत परिमार्जन या कहानी के आधारभूत कलात्मक संयम को भी हाथ से नहीं जाने देती...वे ‘परफ़ेक्ट’ कहानियाँ हैं...आधुनिक पाठक की कला-रुचि पर खरी उतर सकनेवाली कहानियाँ हैं, पुराने पाठक के लिए रोचक और सहज...
भ्रम और सेक्स के दुहरे जटिल-शोषण के संस्कारों के जाल से नारी के मौलिक और स्वतंत्र व्यक्तित्व को खोज निकालने के लिए जिस साहस और निर्भीकता की आवश्यकता है, वे ही मन्नू के सबसे सशक्त हथियार हैं...‘भारतीय नारी’ और ‘नारी की एकनिष्ठ गरिमा’ के नाम पर कुछ झूठे सन्तोष आख़िर उसे कब तक दबाए रहेंगे? क्या ‘यह भी सच’ नहीं है कि अपनी पूरी ईमानदारी से भावना के धरातल पर दो पुरुषों को भी नारी प्यार करती है! क्या यह आवश्यक ही है कि एक प्यार की स्वीकृति स्वयं को झूठा सिद्ध करके ही सम्भव हो? क्यों नारी एक की भोग्या बनकर दूसरे हर व्यक्ति के लिए जूठी हो जाती है, नीचे गिर जाती है? एक ऐसी ऊँचाई भी तो हो सकती है जहाँ शरीर का एक से अधिक सम्बन्ध बहुत नगण्य होकर दीखे...जहाँ नारी के शील को लेकर काठ की हाँडी की तरह एक बार शेष हो जाने की धारणाएँ प्रचलित हों, उस समाज में ये साहसिक प्रयोग कम ख़तरनाक नहीं हैं...और इन लांछनाओं का प्रारम्भ उसकी ‘गीत का चुम्बन’ कहानी से ही शुरू हो गया था...
लेकिन नारी-अस्तित्व के पारिवारिक और सामाजिक पक्ष के प्रति भी मन्नू पूर्ण सजग है... नागरिक सभ्यता की मशीनी ज़िन्दगी में ‘क्षय’ होती युवती, खुला आकाश खोजने वह भागे भले ही प्रकृति की गोद में, परन्तु शीघ्र ही यह भी महसूस करती है कि जिसे उसने उलझनों, घुटन से दूर खुला विस्तार समझा था, वह वास्तव में रुँधे पानी की मच्छर-पोषित काहिया सतह है... आकाश वहीं खोजना होगा जहाँ प्रवाह है...भँवर है तो क्या हुआ?
रूढ़िविद्रोही कथानकों, भावधरातलों का चयन, स्वानुभूति की प्रामाणिक सहजता मन्नू की शक्ति भी है, और सीमा भी...
Sardiyon Ka Neela Akash
- Author Name:
Jaishankar
- Book Type:

-
Description:
हमारा जीवन घटनाओं की स्थूल शृंखला भर नहीं होता। क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं के मशीनी क्रम के समानांतर मन की भित्ति पर घटित होने वाला एक और जीवन हम जीते रहते हैं। आशा, आकांक्षा, हताशा, पश्चाताप, प्रेम और स्मृतियों का जीवन जिससे हम अपने एकांत में संवाद करते हैं। होने के दायित्व तले दबी हमारे आत्मबोध की एक बाँह जो हमें अपने होने के प्रति सचेत भी रखती है, हमें वापस स्थूल संसार में जाने का हौसला भी देती है, हमें सँभालती भी है।
हिंदी में जिन कुछ कहानीकारों ने मनुष्य के आस्तित्विक यथार्थ के इस पक्ष को प्रकाशित किया है उनमें जयशंकर भी शामिल हैं। जयशंकर की कहानियों में मनःस्थितियों के स्ट्रोक्स एक चित्रकथा की सी बिम्बावली बनाते हैं, जिनके बीच से गुज़रते हुए हमें अपना अतीत, बीते हुए वे क्षण जिन्हें रोज़मर्रा की भागदौड़ में हम अनदेखा किए रहते हैं, स्मृति की कौंध में झिलमिलाते दिखने लगते हैं।
प्रकृति का सजीव, साँस लेता सुदीर्घ लैंडस्केप, हल्की गर्द की तरह धूप में तैरती उदासी, ज़िन्दगी का ठहराव, दिनों का दोहराव, नासूर की तरह दुखता व्यर्थता बोध और एक सूक्ष्म दुख जो आत्मा के ख़ालीपन से, अस्तित्व की अपूर्णता से उपजता है, उनकी इन कहानियों का भूगोल है।
सर्दियों का नीला आकाश जयशंकर का नया कहानी संग्रह है। अपने अलग-अलग परिवेश में अपने-अपने जीवन के अर्थान्वेषण में डूबे इन कहानियों के पात्र हम पाठकों को मनुष्य के रूप में अपनी इयत्ता के प्रति नए सिरे से सजग और संवेदनशील बनाते हैं।
Nadi Ab Nahin Gati
- Author Name:
Mukesh Dubey
- Book Type:

- Description: Book
Tales of Wisdom: Stories to Motivate & Inspire
- Author Name:
Motilal Oswal
- Book Type:

- Description: This handy book of motivational stories contains short stories and anecdotes available on the internet. This book is a collection of either actual incidents of great thinkers and leaders or fictional stories with deep meaning and learnings. This simple yet profound collection will provide you with a sense of inspiration and guidance. Creative caricatures have been included to make the stories come alive.
Dastkhat
- Author Name:
Ramkumar Atrey
- Book Type:

- Description: 'दस्तखत' राम कुमार आत्रेय रचित लघुकथाओं का संकलन है जिसमें 64 कहानियाँ हैं। आत्रेय जी की लघुकथाएँ 'गागर में सागर' लोकोक्ति को चरितार्थ करती हुई प्रतीत होती हैं। चंद पंक्तियों के माध्यम से ही उनकी प्रत्येक कथा एक गहरा सन्देश दे जाती है। उनकी कथाओं में विषयों की गहन व्यापकता पायी जाती है। यह कथा संकलन भी एक ऐसी ही बगिया के समान है जिसमें लगभग हर रंग का फूल उपस्थित है। 'हनीट्रैप', 'आशीर्वाद', 'धर्मगुरु और तीन चोर' जैसी लघुकथाएँ समसामयिक सामजिक मुद्दों का तीखा विश्लेषण करती हैं। 'कोयल की कूक' तथा 'और वह' कथा प्रकृति के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती हैं। उनकी कथाएँ मानवीय संवेदनाओं की गहराई को बहुत सहज सरल शब्दों में पाठकों के समक्ष रखती हैं। 'जिद', 'सलाम रिश्ता', 'पूर्णिमा का चाँद' इसका जीवंत उदाहरण हैं। 'पिताजी सीरियस हैं', 'फर्क', 'मुर्दाखोर मोबाइल', 'बूढ़ा चौकीदार' कथाएँ वर्तमान समाज में बढ़ती हुई संवेदनहीनता को दर्शाती हैं। आज के युग में मानवीय मूल्यों के पतन और भावहीन प्राणहीन मानवीय संबंधों को आत्रेय जी ने सरल से शब्दों में गंभीर कथा का रूप दिया है। हास्य बोध को प्रकट करते हुए आत्रेय जी कुछ कथाओं में समाज पर व्यंग भी करते हैं जैसे 'पैसा', 'दस्तखत', 'हनुमानजी कहाँ हैं'। आत्रेयजी की कथाएँ अपने लघु रूप में ही हमारे तथाकथित सभ्य मानव समाज के समक्ष एक विशाल प्रश्नचिह्नï प्रस्तुत करती हैं। इन कथाओं को पढऩे के लिए आपको अलग से समय की व्यवस्था करने की आवश्यकता नहीं है। कुछ पल अगर आपके पास हैं तो आप कोई एक लघु कथा पढ़ सकते हैं। वे कुछ पल आपको उस कथानक पर सोचने पर विवश कर देंगे, आपके मानस पर एक गहरा दस्तखत कर देंगे। आईये पढ़ते हैं—'दस्तखत' —आयाम मेहता (अभिनेता)
Katha Saptak Alpana Mishr
- Author Name:
Alpana Mishr
- Book Type:

- Description: Collection of 7 brilliant stories: - छावनी में बेघर - मुक्ति - प्रसंग - मिड डे मील - उपस्थिति - बेतरतीब - अंधेरी सुरंग में टेढ़े मेढ़े अक्षर - कथा के ग़ैरज़रूरी प्रदेश में
Sukh Aur Dukh Ka Sath
- Author Name:
Amarkant
- Book Type:

-
Description:
सामाजिक बाधाग्रस्त स्थितियों के प्रति प्रगीतात्मक दिलचस्पी अमरकान्त की कहानियों में प्रायः नहीं मिलेगी, इसके बावजूद भावनात्मक दुनिया की छोटी-बड़ी हलचलें हमें उद्वेलित करती रहती हैं। नाटकीयता घटना में भी होती है और रचनाकार के दृष्टिकोण में भी, और अमरकान्त ने घटना और दृष्टिकोण के सामंजस्य के द्वारा कुछ बेहद सार्थक परिस्थितियाँ गढ़ी हैं।
अमरकान्त के इस कथा-संसार को एक जीवित जाति की सम्पत्ति की तरह देखकर ही इस सम्भावना को बल मिलता है कि उनके कथाकार ने भय और त्रास के साथ ही जीवन की सम्भावनाओं के लिए अपने संघर्ष को जीवित रखा है। राष्ट्रीय जीवन की पहचान में इन कहानियों के संसार की एक केन्द्रीय भूमिका है। जीवित जाति अपनी लड़ाई रचना की सरहदों के भीतर लड़कर भी तय करती है, इसका विश्वास इन कहानियों को पढ़कर दृढ़ होता है।
Uf! Ye Student Life
- Author Name:
Harminder Singh
- Book Type:

- Description: "जब दसवीं पास की, उस वक्त मेरे पास अनगिनत किस्से और कहानियों का खजाना था। करीब दो साल बाद उन्हें सहेजना शुरू किया। गरमी की एक दोपहर को पहली कहानी लिखी। फिर रोज लिखने का सिलसिला शुरू हो गया। एक महीने बाद करीब 17 कहानियाँ थीं। उसके बाद जिंदगी बहुत तेज भागी। मैंने उन पन्नों को भुला दिया, जो कभी लिखे गए थे। जब उनका ध्यान आया तो आज-कल चलता रहा। फिर आया 2020, जिसमें कोरोना की एंट्री हुई। यह वक्त मुश्किल था, जब लॉकडाउन ने जिंदगी को थाम दिया। वक्त मानो ठहर गया। मैंने दशकों पुराने पन्नों को निकाला। उन्हें पढ़ा, फिर पढ़ा, दोबारा लिखा, पढ़वाया, किस्सों को नया फ्लेवर दिया। इस तरह ‘उफ! ये स्टूडेंट लाइफ’ ने एक किताब की शक्ल ली। छात्र जीवन की अनेक रोचक-रोमांचक किस्सों व घटनाओं का ऐसा संकलन, जो पाठकों को आकर्षित करेगा, प्रेरित करेगा और वे उनसे अपनी निकटता अनुभव करेंगे। "
Donon Asmanon Ke Rang
- Author Name:
Zakiya Zubairee
- Book Type:

-
Description:
दोनों आसमानों के रंग में संकलित कहानियाँ हैं—परायी धरती पर मुरझाते रिश्तों की, और स्त्री-विरोधी परम्पराओं में जकड़ी अपनी ज़मीन पर मुरझाने पर मजबूर कर दी गईं उम्मीदों की। ज़किया जुबैरी प्रवासी हिन्दी कथाकार हैं। इन कहानियों में उन्होंने एक तरफ लंदन और दूसरी तरफ भारत-पाकिस्तान की ज़मीन से अपने कथानक उठाए हैं।
लंदन या कह सकते हैं, यूरोप-अमेरिका के समृद्ध देशों में भारतीय उपमहाद्वीप के कितने ही लोग कभी सपनों और कभी मजबूरियों के हाथों बेबस हो बसने और कमाने-खाने जाते हैं। इसके लिए जो संघर्ष अपेक्षित है, वह करते, वे जो चाहते हैं, हासिल भी कर लेते हैं, लेकिन फिर भी कुछ होता है जो उनसे खो जाता है—रिश्ते, रिश्तों की गरमाहट और अपने आपको अपनों के भरोसे छोड़ निश्चिन्त हो जाने का भारतीय दुस्साहस। वह वहाँ उन्हें नहीं मिल पाता। ज़किया ज़ुबैरी अपने सुदीर्घ प्रवासी अनुभवों के आधार पर इन परिस्थितियों को एक स्त्री की निगाह से देखती हैं।
बाकी जिन कहानियों की पृष्ठभूमि भारतीय उपमहाद्वीप हैं उनमें पाकिस्तान से ली गईं दो कहानियाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं—‘दोनों आसमानों के रंग’ जिसमें भारत के प्रति घृणा को आधार बनाकर एक दिलचस्प कथानक बुना गया है, और दूसरी ‘दस्तक’ जिसमें पाकिस्तान के कुछ पिछड़े हिस्सों में आज भी प्रचलित ‘वानी’ की प्रथा के हवाले से एक रोंगटे खड़े करनेवाला घटनाक्रम हमारे सामने आता है।
Barish, Dhuaan Aur Dost
- Author Name:
Priyadarshan
- Book Type:

-
Description:
प्रियदर्शन की इन कहानियों में एक धड़कता हुआ समाज दिखता है—वह समाज जो हमारी तेज़ दिनचर्या में अनदेखा-सा, पीछे छूटता हुआ-सा रह जाता है। इनमें घरों और दफ़्तरों की चौकीदारी करते वे दरबान हैं जो अपने बच्चों के लिए बेहतर और सुन्दर भविष्य की कल्पना करते हैं, ऐसे मामूली सिपाही हैं जो भीड़ पर डंडे चलाते-चलाते किसी बच्चे के ऊपर पंखा झलने लगते हैं, ऐसी लड़कियाँ हैं जो हर बार नई लगती हैं और अपनी रेशमी खिलखिलाहटों के बीच दु:ख का एक धागा बचाए रखती हैं और ऐसा संसार है जो कुचला जाकर भी क़ायम रहता है।
ज़िन्दगी से रोज़ दो-दो हाथ करते और अपने हिस्से के सुख-दु:ख बाँटते-छाँटते इन चरित्रों की कहानियाँ एक विरल पठनीयता के साथ लिखी गई हैं—ऐसी क़िस्सागोई के साथ जिसमें नाटकीयता नहीं, लेकिन गहरी संलग्नता है जो अपने पाठक का हाथ थामकर उसे दूर तक साथ चलने को मजबूर करती हैं। निहायत तरल और पारदर्शी भाषा में लिखी गईं ये कहानियाँ दरअसल पाठक और किरदार का फ़ासला लगातार कम करती चलती हैं और यहाँ से लौटता हुआ पाठक अपने-आप को ख़ाली हाथ महसूस नहीं करता।
शुष्क और निरे यथार्थ की इकहरी राजनीतिक कहानियों या फिर वायवीय और रूमानी शब्दजाल में खोई मूलत: भाववादी कहानियों से अलग प्रियदर्शन की ये कहानियाँ अपने समय को पूरी संवेदनशीलता के साथ समझने और पकड़ने की कोशिश की वजह से विशिष्ट हो उठती हैं। इनमें राजनीति भी दिखती है, अर्थनीति भी, प्रेम भी दिखता है, दुविधा भी, सत्ता के समीकरण भी दिखते हैं, प्रतिरोध की विवशता भी, लेकिन इन सबसे ज़्यादा वह मनुष्यता दिखती है जिसकी चादर तमाम धूल-मिट्टी के बाद भी जस की तस है।
निस्सन्देह, ‘उसके हिस्से का जादू’ के बाद प्रियदर्शन का यह दूसरा कथा-संग्रह उन्हें समकालीन कथा-लेखकों के बीच एक अलग पहचान देता है।
Ratna-Kangan Tatha Anya Kahaniyan
- Author Name:
Aleksandr Kuprin
- Book Type:

- Description: कुप्रिन के पास समाज के हर तबक़े के पात्र के लिए अचूक अन्तर्दृष्टि थी और था एक स्पष्ट उद्देश्य—यथार्थ का अविकल अंकन और अन्याय का प्रतिरोध। वे अपनी कहानियों में हर तरह की विषमता को बड़ी संवेदनशीलता से रेखांकित करते हैं। प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ इसका मुकम्मल उदाहरण है। इसकी शीर्षक-कथा ‘रत्न-कंगन’ एक क्लर्क के एक राजसी महिला से एकतरफा प्रेम की कहानी है जो धीरे-धीरे उदात्त प्रेम पर लम्बे चिन्तन के आख्यान में बदल जाती है।
Keshar Kasturi
- Author Name:
Shivmurti
- Book Type:

-
Description:
शिवमूर्ति को पढ़ने का अर्थ है—उत्तर भारत के गाँवों को समग्रता में जानना। गाँव
ही शिवमूर्ति की प्रकृत लीला-भूमि है। इसी पर केन्द्रित होकर उनका कथाकार दूर-दूर तक मँडराता है।
गाँव के रीति-रिवाज, ईर्ष्या-द्वेष, राग-विराग, जड़ों में धँसे संस्कार, प्रकृत यौन-बुभुक्षा, परत-दर-परत
उजागर होता वर्णवादी-वर्गवादी शोषण, मूल्यहीन राजनीति और उनके बीच भटकती लाचार
ज़िन्दगियाँ...
प्रकृतिवाद में शिवमूर्ति जोला के आस-पास दीखते हैं तो पात्रों के जीवन्त चित्रण में गोर्की के समीप।
संवादों की ध्वन्यात्मकता से वे सतीनाथ भादुड़ी और रेणु की याद दिलाते हैं तो बिम्ब-विधान में जैक
लंडन की। पर इन सबके बावजूद शिवमूर्ति का जो ‘अपना’ है, वह कहीं और नहीं।
लोग हैरान रह जाते हैं यह देखकर कि जब स्वयं जनवादियों की कहानियों से ‘जन’ दिनों-दिन दूर
होते जा रहे हैं, बिना घोषित जनवादी हुए शिवमूर्ति की कहानियाँ जन के इतने क़रीब कैसे हैं?
शिवमूर्ति के साथ ही हिन्दी कहानी में पुनः कथारस की वापसी हुई है। आज जब कहानी में
पठनीयता के संकट का सवाल उठा हुआ है, शिवमूर्ति इस सवाल का मुकम्मल जवाब हैं।0.
Taki Sanad Rahe
- Author Name:
Abdul Bismillah
- Book Type:

-
Description:
अब्दुल बिस्मिल्लाह उस जीवन-यथार्थ के कहानीकार हैं, जहाँ छोटी-से-छोटी इच्छा पूरी करने के लिए अथक संघर्ष करना पड़ता है। इस जीवन को व्यापक सामाजिकता के कुलीन विवरणों के बीच पहचानना एक दृष्टि-सम्पन्न रचनाकार का ही काम है। हाशिए पर चल रही सक्रियताओं को रचनाशीलता के केन्द्र में प्रतिष्ठित करते हुए अब्दुल बिस्मिल्लाह ने अपनी कहानियों को आकार दिया है।
‘ताकि सनद रहे’ अब्दुल बिस्मिल्लाह के चार कहानी-संग्रहों—'रैन बसेरा', ‘कितने-कितने सवाल’, ‘टूटा हुआ पंख’ और ‘ज़ीनिया के फूल’ में शामिल रचनाओं का समग्र है। इनमें से बहुत सारी कहानियाँ पाठकों व आलोचकों के बीच चर्चित हो चुकी हैं।
यदि हम मध्य वर्ग और निम्न वर्ग के जीवन का समकालीन यथार्थ पहचानना चाहते हैं तो इन कहानियों में क़दम-क़दम पर ठहरकर हमें ग़ौर से देखना होगा। लेखक ने सामाजिक विकास की आलोचना इस तरह की है कि स्थितियों को जीनेवाले चरित्र पाठक की संवेदना का हिस्सा बन जाते हैं। अलग से यह घोषित करने की ज़रूरत नहीं कि लेखक की प्रतिबद्धता क्या है और उसके सरोकार क्या हैं।
अब्दुल बिस्मिल्लाह की भाषा पारदर्शी है। सहज और अर्थ की त्वरा से भरी। इस सहजता की अन्विति कई बार ऐसे होती है, ‘नाले के इस पार सड़क थी और उस पार जंगल। उन दिनों जंगल का रंग इस क़दर हरा हो गया था कि वह हमेशा काले बादलों में डूबा हुआ नज़र आता था। वहाँ जो एक छोटी-सी, ऊँची-नुकीली पहाड़ी थी, वह घास के ताजिए की तरह लगती थी। उस जंगल में शाजा, सलई, धवा, हर्रा, पलाश, कुसुम और जामुन के पेड़ कसरत से भरे हुए थे। उन दिनों कुसुम के फल तो झड़कर ख़तम हो गए थे, पर जामुन अभी बचे हुए थे। हवा चलती तो काले-काले जामुन भद-भद नीचे गिरते और ऐसा लगता मानो प्यार के रस में डूबी हुई आँखें टपकी पड़ रही हों।'
वस्तुतः इन कहानियों को समग्रता में पढ़ना परिचित परिवेश में भी अप्रत्याशित यथार्थ से साक्षात्कार करने सरीखा है।
Ansuni Aawazen
- Author Name:
Harsh Mander
- Rating:
- Book Type:

- Description: भोपाल का गैस कांड, 1984 में दिल्ली और 1989 में भागलपुर में हुए दंगे, ओड़िसा का चक्रवात—ये कुछ घटनाएँ हैं जो हमारी सामूहिक स्मृति का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन उन लोगों को हम अक्सर भूल जाते हैं जिन्हें वास्तव में इनका शिकार होना पड़ा था। इनके अलावा अन्य लोग भी हैं, मसलन—यौनकर्मी, दलित, सड़कों पर ज़िन्दगी गुज़ारनेवाले बच्चे, एचआईवी और कोढ़ जैसे रोगों के मरीज़ तथा अकालपीड़ित लोग—ये सब भी हमारी स्मृति में अक्सर दाख़िल नहीं हो पाते। ये लोग उस जनसंख्या का हिस्सा हैं जिसे विकास और प्रगति के नाम पर समाज के सबसे बाहरी हाशिये पर धकेल दिया गया है। इस पुस्तक में सामाजिक कार्यकर्ता और प्रशासक हर्ष मन्दर अपने और अपने साथियों के अनुभवों के आधार पर ऐसे ही बीस लोगों की ज़िन्दगियों का लेखा–जोखा पेश करते हैं—उनके संघर्ष का जो उन्होंने जीवित रहने, अपनी जिजीविषा को बचाए रखने के लिए किया। मिसाल के तौर पर बंगलौर के फुटपाथों पर भटकनेवाला वह बच्चा जो अब अपने जैसे दूसरे बच्चों को शिक्षा और रोज़गार पाने के मामले में मार्गदर्शन देता है, या फिर भोपाल गैस कांड में अनाथ हुआ वह ग्यारह वर्षीय किशोर जिसने अपने से छोटे दो बच्चों को पाला, एक युवा यौनकर्मी जिसने हैदराबाद की एचआईवी–पोजिटिव यौनकर्मी महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, या फिर वह कुष्ठरोगी जिसने आशाग्राम में कुष्ठ कालोनी की स्थापना में सहायता देकर कोढ़ के कलंक से मुक्ति पाई। ये कहानियाँ सिर्फ़ ज़िन्दा–भर रहने के बारे में नहीं हैं, बल्कि ये सबूत के साथ बताती हैं कि इन लोगों ने किस तरह अपने विनम्र साहस, सहनशीलता और मानवीयता के बल पर परिस्थितियों पर फ़तह हासिल की। अनुभव की उष्ण अन्तर्धारा से सम्पन्न ये कहानियाँ जनसाधारण में निहित रचनात्मकता और जीवट को उजागर करती हैं और उन लोगों को चुनौती देती हैं जो भारत के भविष्य को लेकर निराश हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Performance
5 out of 5
Book
Be the first to write a review...