Ansuni Aawazen
Author:
Harsh ManderPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections1 Reviews
Price: ₹ 76
₹
95
Unavailable
भोपाल का गैस कांड, 1984 में दिल्ली और 1989 में भागलपुर में हुए दंगे, ओड़िसा का चक्रवात—ये कुछ घटनाएँ हैं जो हमारी सामूहिक स्मृति का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन उन लोगों को हम अक्सर भूल जाते हैं जिन्हें वास्तव में इनका शिकार होना पड़ा था। इनके अलावा अन्य लोग भी हैं, मसलन—यौनकर्मी, दलित, सड़कों पर ज़िन्दगी गुज़ारनेवाले बच्चे, एचआईवी और कोढ़ जैसे रोगों के मरीज़ तथा अकालपीड़ित लोग—ये सब भी हमारी स्मृति में अक्सर दाख़िल नहीं हो पाते। ये लोग उस जनसंख्या का हिस्सा हैं जिसे विकास और प्रगति के नाम पर समाज के सबसे बाहरी हाशिये पर धकेल दिया गया है। इस पुस्तक में सामाजिक कार्यकर्ता और प्रशासक हर्ष मन्दर अपने और अपने साथियों के अनुभवों के आधार पर ऐसे ही बीस लोगों की ज़िन्दगियों का लेखा–जोखा पेश करते हैं—उनके संघर्ष का जो उन्होंने जीवित रहने, अपनी जिजीविषा को बचाए रखने के लिए किया। मिसाल के तौर पर बंगलौर के फुटपाथों पर भटकनेवाला वह बच्चा जो अब अपने जैसे दूसरे बच्चों को शिक्षा और रोज़गार पाने के मामले में मार्गदर्शन देता है, या फिर भोपाल गैस कांड में अनाथ हुआ वह ग्यारह वर्षीय किशोर जिसने अपने से छोटे दो बच्चों को पाला, एक युवा यौनकर्मी जिसने हैदराबाद की एचआईवी–पोजिटिव यौनकर्मी महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया, या फिर वह कुष्ठरोगी जिसने आशाग्राम में कुष्ठ कालोनी की स्थापना में सहायता देकर कोढ़ के कलंक से मुक्ति पाई। ये कहानियाँ सिर्फ़ ज़िन्दा–भर रहने के बारे में नहीं हैं, बल्कि ये सबूत के साथ बताती हैं कि इन लोगों ने किस तरह अपने विनम्र साहस, सहनशीलता और मानवीयता के बल पर परिस्थितियों पर फ़तह हासिल की। अनुभव की उष्ण अन्तर्धारा से सम्पन्न ये कहानियाँ जनसाधारण में निहित रचनात्मकता और जीवट को उजागर करती हैं और उन लोगों को चुनौती देती हैं जो भारत के भविष्य को लेकर निराश हैं।
ISBN: 9788126706426
Pages: 174
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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