Nirvasan Aur Aadhipatya
Author:
Albert CamusPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
अल्बैर कामू की छह कहानियों का संग्रह है ‘निर्वासन और आधिपत्य’। ये कहानियाँ कामू की रचनाओं में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं क्योंकि इन छोटे वृत्तान्तों में उनकी महान विचारधारा के सभी मूल तत्त्व निहित हैं। वस्तुतः यह संग्रह उनके चिन्तन को समझने के लिए आदर्श स्रोत है।</p>
<p>तकनीक की दृष्टि से इन कहानियों की शैली उनके उपन्यासों से एकदम विपरीत है। एक कहानी को छोड़कर कामू ने इनमें सीधे, निरपेक्ष कथन का प्रयोग किया है। दृश्य-सज्जा किसी विशेष गरिमा का प्रतीक होने का कोई संकेत नहीं देती। ‘वर्द्धमान पत्थर’ के अलावा बाकी सभी कहानियों का कथानक करीब-करीब रूढ़िगत है। प्रत्येक कहानी बिना कोई गूढ़ अभिप्राय छिपाए हुए, तेज़ और सरल गति से अपने चरम बिन्दु तक निपुणतापूर्वक विकसित होती है।</p>
<p>‘जोनास’ में कलाकारों के जीवन पर हल्का-सा व्यंग्य किया गया है। बाकी चार कहानियाँ, ‘व्यभिचारिणी पत्नी’, ‘मौन रोष’, ‘अतिथि’ और ‘वर्द्धमान पत्थर’, ‘धर्म परिवर्तक’ के कटु आक्षेप को प्रति-संतुलित करती हैं। सभी कहानियों की थीम करीब-करीब एक ही है : मनुष्य का किसी भी कारणवश अपनी सामंजस्यपूर्ण स्थिति से निर्वासन और फिर ज्ञान-प्रदायक अनुभव के बाद, उसी में पुनः संघटन। प्रत्येक कहानी एक तथ्योद्घाटन प्रस्तुत करती है।
ISBN: 9788119835041
Pages: 208
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Aayenge Achche Din Bhi
- Author Name:
Swayam Prakash
- Book Type:

-
Description:
कथाकार स्वयं प्रकाश के पास वर्तमान भारतीय समाज—खासकर मध्यवर्ग—को आर-पार देखने वाली दृष्टि तो है ही, अर्थपूर्ण कथा-स्थितियों के चयन और भाषा के सृजनात्मक उपयोग के लिए भी उनका लेखन अलग से पहचाना जाता है। आकस्मिक नहीं कि पाठक स्वयं उनकी कहानी में शामिल हो जाता है अथवा उनके कथा-चरित्र उससे सीधे संवाद करने लगते हैं।
‘आएँगे अच्छे दिन भी’ संग्रह में लेखक की ग्यारह कहानियाँ संगृहीत हैं। इनमें ‘पार्टीशन’ और ‘आलेख’ जैसी मूल्यवान कहानियाँ यदि धर्मांधता और साम्प्रदायिक घृणा को बढ़ाने वाली ताकतों के अमानवीय क्रिया-कलाप को उघाड़ती हैं तो ‘बेमकान’ शीर्षक कहानी हमारे जीवन-व्यवहार में जड़ीभूत सामन्ती संस्कारों पर प्रहार करती है। ‘अफसर की मौत’ अफसरशाही पर चढ़ी चिकनाई और आभिजात्य की धज्जियाँ उड़ाती है तो ‘गुमशुदा’ भी प्रायः उसी जमीन पर एक गहरी विडम्बना को उजागर करती है। ‘संहारकर्ता’ और ‘चोर की माँ’ शीर्षक कहानियाँ पाठक को एक नैतिक समस्या के रू-ब-रू ला खड़ा करती हैं। ‘नैनसी का धूड़ा’ हमारे अपने दैन्य और दुर्भाग्य की अविस्मरणीय दास्तान है और ‘अशोक और रेनु की असली कहनी’ मेल शॉवनिज्म की बारीकियों पर विचार करते हुए एक सजग व्यक्ति के चेतना-सम्पन्न व्यक्ति में बदलने के आत्मसंघर्ष को रेखांकित करती है। ‘झक्की’ में वृद्धावस्था की ऊब और एकरसता की दिलचस्प प्रस्तुति है तो ‘मरनेवाले की जगह’ रोजगार से जुड़ी त्रासद जीवन-स्थितियों पर व्यंग्य करती है ।
संक्षेप में कहा जाए तो स्वयं प्रकाश की इन कहानियों ने अपने समय और समाज को जैसी रचनात्मक ईमानदारी, लोकोन्मुख दृष्टिमयता और कलात्मक सहजता से प्रस्तुत किया है, समकालीन हिन्दी कहानी इससे अनेक स्तरों पर समृद्ध हुई है।
Din Dhale Ki Dhoop
- Author Name:
Bipin Kumar Sharma
- Book Type:

- Description: विपिन हमारे समय की विडंबनाओं के सजग पर्यवेक्षक और भोक्ता हैं। उनकी कहानियों को पढऩा अपने समय की तल्ख सचाइयों से रू-ब-रू होना है। एक तरफ नव-उदारवादी हमले के शिकार मनुष्य का लहूलुहान अंतर-बाह्य व्यक्तित्व उनकी कहानियों में उभरा हुआ है, तो दूसरी तरफ परंपरागत समाज की सूक्ष्म, और कई बार स्थूल, हिंसा के भी विचलित कर देने वाले चित्र हैं। इस कहानीकार के तसव्वुर में कहानियाँ ठोस घटनाक्रम के रूप में उभरती हैं, जहाँ प्रस्तुति के मुकाबले कथा-स्थितियाँ, चरित्र और उनके बीच से आकार लेते मुद्दे ज़्यादा अहमियत रखते हैं। वे व्यवस्था की मानवविरोधी चालों को बेनकाब कर रहे हों ('गिलोटीन’) या निगरानी और अनुशासन के नाम पर बच्चे को मनोवैज्ञानिक स्तर पर तबाह कर देने वाले शिक्षाशास्त्र की आलोचना कर रहे हों ('जाग तुझको दूर जाना’), व्यवस्थागत ना-इंसाफी के शिकार बेरोज़गार युवाओं की विडंबना चित्रित कर रहे हों ('शुतुरमुर्ग’) या बिना किसी गलती के सज़ा भुगतने वाली स्त्री की अकथ पीड़ा का एक बच्चे की निगाह से साक्षात्कार करा रहे हों ('दिन ढले की धूप’)— अपने अंदाज़े बयां से पाठक को गिरफ्त में लेने की कोशिश वे नहीं करते, बल्कि समस्या को परत-दर-परत उधेड़ते हुए पाठक को उन पहलुओं की शिनाख्त के लायक बनाते हैं जिनकी ओर उसकी निगाह नहीं गई थी। वे कथा-कथन में ऐसी सादगी और सहजता के साधक हैं जो एक छल-योजना की तरह उनकी हिकमतों को अदृश्य बनाए रखती है। मिसाल के लिए, इस संग्रह की शीर्षक कहानी में बच्चे की निगाह से कहानी की प्रस्तुति को आप किसी युक्ति की तरह महसूस नहीं करते... सादगी की इसी साधना के कारण विपिन को पढ़ते हुए आपको ऐसा लगता है कि आप लेखक को नहीं, सिर्फ उसकी कहानी को पढ़ रहे हैं। —संजीव कुमार
Kamre Aur Anya Kahaniyan
- Author Name:
Olga Tokarczuk
- Book Type:

- Description: इस संग्रह में तीन कहानियाँ संकलित हैं—‘अलमारी’, ‘कमरे’ और ‘ऊपरवाले का हाथ’। तीनों कहानियाँ अपने पात्रों के रहस्यमय आन्तरिक मनोजगत का दिलकश उद्घाटन करती हैं। अपने लिए एक सुरक्षित जगह तलाश करने की मनुष्य की आदिम इच्छा का वर्णन ‘अलमारी’ में बेहद ख़ूबसूरती के साथ किया गया है। वहीं ‘कमरे’ कहानी में एक होटल के विभिन्न कमरों के बहाने इनसानी जीवन के स्याह-सफ़ेद को बहुत दिलचस्प ढंग से रेखांकित किया गया है। ‘ऊपरवाले का हाथ’ में कम्प्यूटर का माहिर नायक मनुष्य और सभ्यता की कुछ नियतिबद्ध अपरिहार्यताओं की तरफ इशारा करता है। अत्यन्त पठनीय कहानियाँ।
Colorblind Balam
- Author Name:
Mohit Sharma
- Book Type:

- Description: अक्सर कुछ बातें छूट जाती हैं... कब? जब काम की जल्दबाजी में किसी अपने के साथ चल रही चाय... थोड़ी छोड़नी पड़ती है। जब किसी खूबसूरत अनजान राह पर उतरने के ख्याल भर को दुनिया की बंदिशें रोक देती हैं। जब किसी के पास रहने की आदत के बीच एक दिन वह हमेशा के लिए चला जाता है। जब बरसों किसी से बताने को मन के किसी कोने में संभाल के रखी बातों से ज़रूरी कुछ आन पड़ता है... बड़ी बातों का लिहाज कर छोटी बातें घूंघट कर लेती हैं। समय के साथ... यूं ये कुछ बातें कई बन जाती हैं। बस इन्हीं कुछ या कई बातों को 'कलरब्लाइंड बालम' संग्रह में पिरोया है। ज़रा ठहर कर पढ़े शायद इससे कोई छूटी बात आपको भी याद आ जाए...
Sampurna Kahaniyan : Mridula Garg
- Author Name:
Mridula Garg
- Book Type:

-
Description:
मृदुला गर्ग ने लगभग आधी सदी से अपनी निरंतर ऊर्जस्वित रचनात्मकता के कारण, हिन्दी कथा-साहित्य में अनोखा मुक़ाम हासिल किया है। जीवन के किसी एक पहलू तक ही सीमित रहने के बजाय उन्होंने कथ्य और शिल्प दोनों में लगातार नवोन्मेष किए हैं। ये नवोन्मेष सायास साधी गई और प्रदर्शनप्रिय चमत्कारिकता के रूप में नहीं हैं। ये तो सहज विकास के तौर उनके विषयों के चुनाव और निर्वाह में रच-बस गए हैं। आरंभिक दौर में लिखी गई कितनी क़ैदें और 2014 में लिखी गई सितम के फ़नकार को साथ-साथ पढ़ने से यह बात स्पष्ट हो जाती है।
स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर केन्द्रित कहानियाँ हों या अन्य सम्बन्धों और सरोकारों पर केन्द्रित; मृदुला गर्ग की कहानियों में मन के भीतर और बाहर का संवाद निरंतर लक्ष्य किया जा सकता है। उनकी बहुचर्चित बोल्डनेस केवल स्त्री-पुरुष सम्बन्ध की जटिलता के अनुसंधान तक सीमित नहीं, बल्कि “अपनी मौत के लिए वक़्त और जगह ख़ुद चुनने” तक व्याप्त है। उनकी कहानियों में जीवन का उत्सव है तो इसकी अनिवार्य परिणति का सहज स्वीकार भी। किसी एक पल में किए गए छोटे से काम के अप्रत्याशित रूप से विडंबनापूर्ण परिणामों की पुनर्रचना है तो बदलते सामाजिक पर्यावरण की परिणतियों का अनुसंधान भी।
मृदुला गर्ग की कहानियों में भौगोलिक विस्तार, वर्गीय विविधता और तरह-तरह के पात्रों से मुखामुखम तो है ही कहानी के लिए चुने गए विषयों, पात्रों और स्थितियों और उन्हें कहने के ढंग में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण नवोन्मेष भी हैं। ऐसे नवोन्मेष सघन संवेदना, सूक्ष्म विडम्बना बोध और प्रखर विचारशीलता के ही कारण सम्भव हो पाते हैं। अनोखी बात यह कि इन विशेषताओं का अहसास पाठक के मन में लगभग नामालूम सहजता के साथ उतरता चला जाता है।
हिन्दी कथा-संसार को समृद्ध करने वाला यह अनोखापन ही मृदुला गर्ग के लेखन की विशिष्ट पहचान है।
—पुरुषोत्तम अग्रवाल
Dwipantar
- Author Name:
Yashodhara Mishra
- Book Type:

-
Description:
ओड़िया की चर्चित कथाकार यशोधारा मिश्र की ये कहानियाँ जीवन के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं के विषय में हमें अनोखी अन्तर्दृष्टि देती हैं। सामान्यतः उच्च मध्यवर्ग की पृष्ठभूमि में स्थित इन कहानियों में हमें समाज, परिवार और मनुष्य-मन के वे कोने दिखाई देते हैं, जिन्हें हम आमतौर पर नहीं देख पाते।
कहानी को बयान करने की उनकी प्रवहमान शैली, परिवेश का विस्तृत चित्रण और अपने पात्रों को बेहद नज़दीक से जानने-समझने का उनका कौशल उनकी कहानियों को निरन्तर पठनीय बनाए रखता है। पात्रों के भूगोल को वे इस बारीकी से चित्रित करती है कि हम अनायास ही कहीं और होने की यात्रावृत्त जैसी अनुभूति से भर उठते हैं।
संग्रह की शीर्षक कथा ‘द्वीपांतर’ स्त्री-मन के एक अनछुए प्रान्तर के संधान की कहानी है जिसमें प्रौढ़वय नायिका को घर-परिवार को समर्पित अपने अब तक के लम्बे जीवन के बाद अचानक अपने होने का अहसास होना शुरू होता है, वह भी सुबह की सैर शुरू करने से। डॉक्टर के कहने पर हर सुबह बाहर निकलना उसके लिए ऐसा अनुभव बन जाता है जो सिर्फ़ उसका है, अपना; और, डेढ़-दो किलोमीटर के इस विस्तार में ही जैसे उसे अपना एक अलग द्वीप मिलने लगता है।
संग्रह में शामिल अन्य कहानियाँ भी सुख और संतृप्ति के अन्तस में छिपी किसी न किसी टीस का अवगाहन करती हैं। ‘सूर्यास्त के आसपास’ के अतनू और कल्लोला की ज़िन्दगी की दबी-ढँकी कामनाएँ हों, ‘मनोकामना’ के नीलेश और सीमा-सुरेश का ‘सेंस ऑफ़ लॉस’ हो या ‘अपना-अपना प्रेम’ की बढ़ती-बदलती प्रेमकथाएँ, हर कहानी एक टूटन की कथा है जिसे कथाकार ने गहरी संवेदना के साथ लिखा है। संग्रह में कुल दस कहानियाँ शामिल हैं और ये सभी सुख और दुःख के बीच गुम्फित कई विरोधाभासों को हमारे सामने खोलती हैं।
Shankh-Nad
- Author Name:
Jagdish Prasad Singh
- Book Type:

-
Description:
‘शंख-नाद’ संग्रह की कहानियों की रचना किसी एक काल-खंड में नहीं हुई। लेकिन कतिपय विशेषताएँ इनमें समान रूप से विद्यमान हैं, और ये विशेषताएँ इन्हें हिन्दी के अन्य कथाकारों की कहानियों से अलग करती हैं। इनकी एक विशेषता यह है कि यद्यपि इनमें भारतीय समाज के एक युग की तसवीर है, यह तसवीर देश और काल की सीमाओं को पार कर सार्वभौमिक और सर्वयुगीन हो जाती है। हर कहानी का एक अलग कथ्य है, जो पूरी तरह से भारतीय समाज के यथार्थ को प्रतिच्छवित करता है; लेकिन पात्रों का जो व्यक्तित्व उभरता है, वह मानव-चरित्र के उस यथार्थ को प्रतिच्छवित करता है जो हर भूमि और हर काल में अपरिवर्तित रहता है।
इन पात्रों के चित्रण में कहानीकार उतना ही तथ्यपरक है जितना ईश्वर अपनी सृष्टि में है। इससे पाठक पर स्वयमेव एक दायित्व आ जाता है; वह अपने-आपको आनन्द की तलाश करने वाले एक दर्शक के साथ-साथ उचित-अनुचित में भेद करने वाले न्यायाधीश की भूमिका में पाता है। हिन्दी में ऐसी कहानियाँ कम हैं, और यह संग्रह कहानीकारों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
Jamuni
- Author Name:
Mithileshwar
- Book Type:

- Description: मिथिलेश्वर ग्रामीण परिवेश के सशक्त कथाकार हैं। उनकी लम्बी कहानी ‘जमुनी’ को कृषक-जीवन की महागाथा कहा जा सकता है, जिसमें एक सामान्य भारतीय कृषक परिवार के प्रेम-घृणा, आस्था-विश्वास, आशा-निराशा, हर्ष-विषाद, सम्पत्ति-विपत्ति और उत्थान-पतन का मार्मिक एवं सजीव चित्र प्रस्तुत किया गया है...। शिल्प का रचाव निश्चय ही कहानी को महत्त्वपूर्ण बना देता है, किन्तु कहीं-कहीं अनायास सादगी ही शिल्प का शृंगार बन जाती है। प्रेमचन्द का कथाशिल्प ऐसा ही था। वर्तमान कथाकारों में मिथिलेश्वर का कथाशिल्प भी इसी प्रकार का है।’’ —डॉ. राकेश गुप्त एवं डॉ. ऋषिकुमार चतुर्वेदी ‘हिन्दी कहानी 1991-95’, खंड-2 का भूमिकांश शीर्षक कथा ‘जमुनी’ एक लम्बी कहानी है जिसमें एक कृषक परिवार का संघर्ष जीवन्त हो उठता है और जहाँ अपनी भूख-प्यास और नींद-आराम को दरकिनार करते हुए हर एक की चिन्ता बीमार भैंस को मृत्यु के मुख में जाने से बचाने की है, क्योंकि वह भैंस ही उनकी सुख-समृद्धि का केन्द्र है। ‘जमुनी’ के अतिरिक्त इस संग्रह की अन्य कहानियाँ भी जीवन और जगत के जरूरी सवालों के जवाब तलाशती अमिट प्रभाव क़ायम करनेवाली कहानियाँ हैं। निःसन्देह, यह कहानी-संग्रह समर्थ कथाशिल्पी मिथिलेश्वर के प्रौढ़ कथा-लेखन की सार्थक यात्रा का द्योतक है। ‘बाबूजी’ के कथाकार ने अपने लेखकीय नैरन्तैर्य और श्रेष्ठ कथा-लेखन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट मौजूदगी का एहसास कराते हुए हिन्दी कथा-जगत को और अधिक ऊर्जस्वित और विकसित किया है...।
Chand Ke Paar Ek Chabhi
- Author Name:
Avadhesh Preet
- Book Type:

-
Description:
कोई भी विधा जितना कथ्य होती है, उससे कुछ ज़्यादा फ़ॉर्म होती है। फ़ॉर्म से ही पता चलता है कि रचनाकार ने सामाजिक के रूप में अपने समय में ख़ुद को कहाँ स्थित किया है। अवधेश प्रीत का कहानीकार अपने कथ्य को एक सन्तुलित दूरी से देखता और उसका अंकन करता है जिसके बल ही शायद उनकी कहानी भी पाठक को अपने आनन्द में डुबो लेने के बजाय एक ख़ास दूरी पर खड़ा रखकर अपने कथ्य को वस्तुगत ढंग से देखने को बाध्य करती है। इसी संग्रह में शामिल शीर्षक कहानी 'चाँद के पार एक चाभी' जाति की जड़ और विकट संरचना, उसके सम्मुख प्रेम की असहायता और असम्भवता, और साथ ही आधुनिकता के साथ जगती उम्मीदों के नए अंकुरों की कहानी है। यह कहानी आँसुओं की बाढ़ ला सकती थी, लेकिन अगर नहीं लाती और पढ़ने के बाद डूबने के बजाय चिन्ता में डाल देती तो यह उसके शिल्प के चलते है।
शिल्प का यह जादू वे भाषा के प्रयोग में ख़ास तौर पर साधते हैं। उनका क़िस्सागो दृश्य को बखानने की प्रक्रिया में चीज़ों को देखने का एक नज़रिया पाठक को देता चलता है जो गुदगुदाता भी है और कहानी के साथ-साथ पात्रों के चरित्र की रेखाओं को भी उभारना चलता है।
अवधेश प्रीत जाने-माने कथाकार हैं। लगातार पढ़े जाते रहे हैं। मनुष्यता के हामी किसी भी लेखक को समाज में जिन चीज़ों से विचलित होना चाहिए, उन सबको ईमानदारी से देखने के साक्ष्य इन कहानियों में भरे पड़े हैं।
Pratinidhi Kahaniyan : Rajkamal Choudhary
- Author Name:
Rajkamal Chaudhary
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत संकलन की कहानियाँ रोटी, सेक्स एवं सुरक्षा के जटिल व्याकरण से जूझते आम जनजीवन की त्रासदी की कथा कहती हैं। राजकमल की मैथिली कहानियों के पात्र जहाँ सामाजिक मान्यताओं के व्यूह में फँसकर भी अपनी परम्पराओं के मानदंड में परहेज़ से रहते हैं, वहाँ इनकी हिन्दी कहानियों के पात्र महानगरीय जीवन के कशमकश में टूट-बिखर जाते हैं। यौन-विकृतियाँ इनकी मैथिली एवं हिन्दी—दोनों भाषाओं की कहानियों का प्रमुख विषय है और दोनों जगह यह अर्थतंत्र द्वारा ही संचालित होती हैं। ये कहानियाँ कहानीकार की गहन जीवनानुभूति और तीक्ष्णतम अभिव्यक्ति का सबूत पेश करती हैं। राजकमल की कहानियाँ न केवल विषय के स्तर पर, बल्कि भाषा एवं शिल्प की अन्यान्य प्रविधियों के स्तर पर भी एक चुनौती है जो कई मायने में सराहनीय भी है और ग्रहणीय भी। इनकी कहानियों का सबसे बड़ा सच है कि जहाँ इनकी कहानी ख़त्म होती है, उसकी असली शुरुआत वहीं से होती है।
Tales of Wisdom: Stories to Motivate & Inspire
- Author Name:
Motilal Oswal
- Book Type:

- Description: This handy book of motivational stories contains short stories and anecdotes available on the internet. This book is a collection of either actual incidents of great thinkers and leaders or fictional stories with deep meaning and learnings. This simple yet profound collection will provide you with a sense of inspiration and guidance. Creative caricatures have been included to make the stories come alive.
Log Bistron Per
- Author Name:
Kashinath Singh
- Book Type:

- Description: खाँटी माटी के कथाकार हैं काशीनाथ सिंह। कथा साहित्य में ‘अकहानी’, ‘सचेतन कहानी’, ‘समान्तर कहानी’ आदि आन्दोलनों के काल से गुज़रे काशीनाथ सिंह ने भीड़ में होते हुए अपनी लीक स्वयं बनाई है। जो लोक रचा है उसका यथार्थ अपनी भाषा, शिल्प, कथ्य और दृष्टि में विश्वसनीय तो है ही, विलक्षण भी है। एक सेवानिवृत्त व्यक्ति की नज़र से देखी-लिखी गई कहानी ‘सुख’ सामाजिक यथार्थ को व्यक्त करनेवाली एक अलग कहानी है तो ‘संकट’ एक ऐसे फौजी चरित्र की कथा जो अपनी वासना की पूर्ति न होने पर कई मानसिक तनावों में घिरता और घेरते चला जाता है। ‘एक बूढ़े की कहानी’ एक नाबालिग लडक़ी से बलात्कार की बेहद मार्मिक कथा है। ‘चोट’ में जाति के अहं को जिस पैनी दृष्टि के साथ रचा गया है, वह बदलते युग में वर्ण से जुड़ी कई गिरहों को खोलने में मदद करती है। जबकि ‘सुबह का डर’ मनुष्यता और पुलिसिया आतंक के बीच फँसे लोगों के डर के संजाल की कहानी है। देखें तो, काशीनाथ सिंह के दो संग्रहों ‘लोग बिस्तरों पर’ और ‘सुबह का डर’ से शामिल कहानियों की इस एक जिल्द में ‘बैलून’ जैसी प्रेम कहानी है तो मौत के प्रति चिन्ता और चिन्तन के खोखलेपन से पर्दा हटाती ‘चायघर में मृत्यु’ जैसी कहानी भी। ‘आखिरी रात’ में दाम्पत्य जीवन के आर्थिक तनाव की कथा है, ‘अपने घर का देश’ में बदलते मूल्यों का गहन अंकन तो निरन्तर छीजती संवेदना का एक त्रासद रूप रचती पुस्तक की शीर्षक कहानी ‘लोग बिस्तरों पर’। निस्सन्देह, काशीनाथ सिंह का यह कहानी-संग्रह महत्त्वपूर्ण ही नहीं, अपने समय की एक दस्तावेज़ भी है।
Pattharbaaz
- Author Name:
Neerja Madhav
- Book Type:

- Description: 1947 में भारत की आज़ादी के बाद से ही आतंकवाद, अलगाववाद, कश्मीर समस्या, सीमा-तनाव, शरणार्थी समस्या आदि से जूझता हुआ भारत देश कैसे हमारे वीर सैनिकों के कारण सुरक्षित बना हुआ है, यह भारतीय जनता के लिए गौरव और आश्वस्ति का कारण है तो पूरे विश्व के लिये स्पृहा का। शायद ही विश्व के किसी देश के सैनिकों में यह अदम्य साहस और शौर्य हो, जो माइनस टेम्परेचर और कठिन जीवनचर्या के बीच अपने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने का ऊर्जस्वी भाव रखते हों। इस संग्रह की कुछ कहानियाँ सीधे-सीधे भारतीय सैनिकों के शौर्य और सहनशीलता दोनों से संवाद करती हैं तो कुछ कहानियाँ सामाजिक ताने-बाने को रूपायित करती है
Jungle Ki Baten
- Author Name:
Ramesh Bedi
- Book Type:

- Description: जंगल के जीव-जन्तुओं की छियासठ घटनाओं का इन कहानियों में वर्णन है। इनसान के समान ये जीव संवेदनशील होते हैं। सुख-दु:ख की अनुभूति, ममता, स्नेह, अनुराग, वात्सल्य जैसी कोमल भावनाएँ इनमें इनसान के समान ही देखी जाती हैं। इनमें जीवनसंगिनी और भाई-बहनों का रिश्ता सुखमय होता है। अपने-पराए में भेदभाव के बिना मौसियाँ एक दूसरे के बच्चों को अपना स्तनपान कराके पाल लेती हैं। बीमार, असहाय की जीवन-रक्षा के लिए भाई-बन्धु शिकार मारकर उसे खिलाते हैं। संकट में फँसे साथी की और सन्तान की जी-जान से रक्षा करते हैं। प्रिय के वियोग में या उसके मर जाने पर शोकाकुल साथी खाना छोड़ देते हैं और प्राण त्याग देते हैं। क़ुदरत के ओपन एअर थिएटर में नीले आसमान को चूमते हुए पहाड़ों और गहरी नदियों में अविराम बहती चंचल सरिताओं के बैकड्रॉप में गूँजते हुए दिलकश संगीत के साथ प्यार-मुहब्बत, प्रेयसी के लिए जानलेवा युद्ध, आहार जुटाने के लिए कड़ा संघर्ष करनेवाले जीवों की इन मर्मस्पर्शी कहानियों में शेर, सिंह, लकड़बग्घा, गीदड़ जैसे मांसाहारियों; हाथी, गैंडे, चीतल, साँभर जैसे शाकाहारियों; जलचरों, सरीसृपों; मोर, कबूतर जैसे शान्तिप्रिय पक्षियों ने सशक्त किरदार निभाए हैं।
Khel-Khel Mein
- Author Name:
Nirmal Verma
- Book Type:

- Description: पहले विश्वयुद्ध के बाद जब पूर्वी एशिया के अनेक देश स्वतंत्र होने के बावजूद प्रतिगामी रास्तों पर मुड़ गए, उस समय भी चेकोस्लोवाकिया ने अपनी लोकतांत्रिक और मानववादी मनोभूमि को सुरक्षित बनाए रखा। बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में चेकोस्लोवाकिया की राजधानी प्राग यहूदी विद्वानों, जर्मन लेखकों और रूसी क्रान्तिकारियों की शरण-स्थली बन गई थी। प्राग की अनूठी गरिमा और संवेदनशीलता ने वहाँ बसने वाले जर्मन और यहूदी लेखकों की मनीषा को एक बिरले रंग और लय में ढाला था। निर्मल वर्मा ने अपने युवा वर्ष प्राग में गुज़ारे थे। उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ़ ओरिएंटल स्टडीज के निमन्त्रण पर वहाँ रहकर न केवल चेक भाषा सीखी, बल्कि तत्कालीन चेक साहित्य से हिन्दी जगत को सीधे परिचित करवाया। उन्हीं की पहल पर चेक साहित्य के मूर्धन्य लेखकों—कारेल चापेक, बोहुमिल हराबाल—के अलावा तब के युवा लेखकों, मिलान कुन्देरा और जोसेफ़ श्कवोरस्की की रचनाएँ हिन्दी में आईं, वह भी उस समय जब यूरोप में भी वे अभी अल्पज्ञात ही थे। यही इस संग्रह की ऐतिहासिक भूमिका है।
Bisat
- Author Name:
Rakesh Bihari
- Book Type:

- Description: This book has no description
Gandasa Guru Ki Shapath
- Author Name:
Kundan Yadav
- Book Type:

-
Description:
कुन्दन यादव की इन कहानियों में बनारस बोलता है। ये कहानियाँ लिखी ही इसलिए और इस तरह गई हैं कि आप इन्हें सनें। कुन्दन को बनारस की ज़िन्दगी के कुछ पहलुओं की, वहाँ के कुछ लोगों की दास्तान कहनी है। इरादा सुनाने का ही है, लिखे को खामखाह चमकाने या सजाने का नहीं।
ठेठ बनारसी ठाठ के हँसमुख अन्दाज़ में कही गई ये कहानियाँ गुदगुदाती ज़रूर हैं, लेकिन केवल गुदगुदाने या मन बहलाने के लिए कही नहीं गई हैं। इन कहानियों में आप बनारस को तो ‘सुनेंगे’ ही, मानव स्वभाव और सम्बन्धों के उन पहलुओं को ‘देख’ भी सकेंगे जो रोज़मर्रा के जीवन में सामने आते हैं, लेकिन हमारी निगाह उन पर नहीं पड़ती। जिन लोगों को ये कहानियाँ आपके सामने लाती हैं, उनमें बेगुनाह लोगों की ‘प्रापर फ़िज़ियोथेरैपी’ करनेवाले पुलिसवाले भी हैं, हर हाल में जुआ खेलाने की सौगन्ध निभानेवाले गँड़ासा गुरु भी। लेकिन इस दास्तान में और लोग भी हैं—बड़ी-बड़ी बातें किए बिना ही, बच्चों को संवेदनशील संस्कार देनेवाले डॉक्टर साहब। धंधे में नुक़सान उठाकर भी पड़ोसी धर्म निभानेवाले टेलर मास्टर, सारे मोहल्ले को घर माननेवाले लोग, और ‘मज़बूती का नाम महात्मा गांधी’ पर असली ज़िन्दगी में अमल करनेवाले चौधरी साहब।
ऐसे चरित्रों के ज़रिए, ये कहानियाँ साधारण व्यक्तित्वों की असाधारण क्षमता और मानवीय सम्बन्धों की मार्मिकता के साथ-साथ ताक़त के गुमान और दैनिक जीवन के पाखंडों को भी बहुत ही रोचक अन्दाज़ में रेखांकित करती हैं।
Kitne Sharon Mein Kitni Baar
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

-
Description:
‘बेघर’, ‘नरक-दर-नरक’, ‘दौड़’ जैसे अविस्मरणीय उपन्यासों एवं कई उत्कृष्ट कहानियों की रचनाकार ममता कालिया गद्य-लेखन की नई भूमिका में हैं। वे उन शहरों को याद कर रही हैं जहाँ वह रहीं और जहाँ की छवियों को कोई हस्ती मिटा नहीं सकी। ज़ाहिर है कि यह महज़ याद नहीं है, यह है—जीवन्त गद्य द्वारा अपने ही छिपे हुए जीवन की खोज और उसका उत्सव। इस गद्य-शृंखला ने अपनी हर अगली क़िस्त में ज़्यादा पाठक, सम्मान और लोकप्रियता अर्जित की। ‘कितने शहरों में कितनी बार’ ने निश्चय ही हिन्दी गद्य को समृद्धि, गरिमा और ऊँचाई दी है।
—अखिलेश
‘कितने शहरों में कितनी बार’ में दिल्ली को जाना। इसमें रवि सचमुच नायक हैं और आपके लिखने का ढंग इतना नायाब कि उदासी और वियोग की बात आते ही दिल्ली में पीली, मैली धूल उड़ना शुरू हो जाती है—हर चीज़ को किसकिसा बनाती हुई। इतने शेड्स हैं और जीवन की इतनी तस्वीरें कि यह आपका वृत्तान्त-भर नहीं, हमारे समय की कथा, गल्प और कहानी होने लगती है। मेरे लिए आपकी यह सृजनात्मकता बहुत प्रिय और मूल्यवान सिद्ध हुई है।
—कुमार अम्बुज
आपके संस्मरण ‘कितने शहरों में कितनी बार’—दिल्ली से पता चला कि रवीन्द्र जी कितने साहसी हैं। ट्रेन के नीचे से अँगूठी उठा लाए। यह पूरी लेखमाला आपकी आत्मकथा बन जाएगी जैसे ‘ग़ालिब छुटी शराब’ है। इन लेखों की रोचकता इनकी सच्चाई में निहित है। इनमें आपका संघर्ष भी भरा हुआ है। बधाई लें।
—सरजूप्रसाद मिश्र
अभी-अभी ‘तद्भव’ में ‘कितने शहरों में कितनी बार’ पढ़कर ख़त्म किया। आपकी बेबाकी और वह अनायास फक्कड़पन, न केवल ज़िन्दगी की खानाबदोशी बल्कि उसको उकेरने का ढंग—आपके इस सृजनात्मक रिपोर्ताज़ ने मेरा मन मोह लिया।
—सुदर्शन प्रियदर्शिनी
‘तद्भव’ के नए अंक में आपका संस्मरणात्मक लेख पढ़ा। आपका लेख अद्भुत है। आपकी शैली और भाषा पूरे समय बाँधे रहती है।
—अनन्त विजय
Whatsappia Romance
- Author Name:
Sameer Yadav
- Book Type:

- Description: प्रेम के नये रूप का प्रस्तुत करती हुई इन कहानियों के लेखक हैं Sameer Yadav । इन कहानियों में नये युग का प्रेम है। नाम 'व्हाट्स-एपिया रोमांस' व्हाट्स अप पर जन्म लेनी वाली प्रेम कहानियाँ। लेकिन इन कहानियों में भी वही बेकरारी है, वही इंतज़ार है जो प्रेम में हमेशा से रहता है। पुस्तक में शामिल कहानियाँ 1) समझे बस वो... 2) एबाउट टू डाय 3) बट लीव इट 4) व्हाट्स-एपिया परवाने 5) पुरजा-पुरजा प्रेम पर्चियाँ 6) क्या यही प्यार है 7) WiFi Zone में लौट आओ 8) ग्रैंड सेल्यूट.. 9) इंद्रधनुषी और इंस्टेंट 10) आर यू देअर ? 11) दो काली टिक 12) मुहब्बत वाली जगह 13) आज मिल न.. 14) आख़िरी कश 15) नो स्टेटस 16) न सूखने देती हो, न भीगने 17) पिछली सदी का मैसेज 18) दोनों टिक नीली 19) गोल्डन रिट्रीवर 20) तारीख़ 21) उसे भी मालूम है .. 22) चपटी तिकोने वाली प्लेट 23) तुम बेवजह याद रहती भी कहाँ हो 24) इसमें मैं कहाँ ... 25) जा कुलच्छनी...... सब बरी हो गए
Sampoorna Kahaniyan : Omprakash Valmiki
- Author Name:
Omprakash Valmiki
- Book Type:

- Description: ओमप्रकाश वाल्मीकि अपनी कहानियों को अपने अनुभव-जगत की त्रासदियों और दुखों से उपजी सामाजिक संवेदना का प्रतिबिम्ब कहते थे। वे उनके भोगे हुए यथार्थ से उपजी हैं और उस यथार्थ को बदलने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं। उनके किरदारों को हम आज भी अपने आसपास देख सकते हैं। ये किरदार अपने स्वाभिमान और आत्मविश्वास के लिए संघर्ष करते हैं, अपने हीनताबोध से लड़ते हुए समाज में मनुष्यता की आधारभूत भावना को भी स्थापित करते हैं। दलित समाज के अपने अन्तर्विरोधों और कमज़ोरियों को भी उन्होंने अनदेखा नहीं किया। अपनी कहानियों के ज़रिये उन्होंने इस विडम्बना की तरफ़ भी ध्यान खींचा कि सवर्ण समाज की व्यवस्था थोड़े बदले हुए रूप में दलितों के भीतर भी मौजूद है जिससे मुक्ति के लिए भीतर और बाहर दोनों जगह संघर्ष करने की ज़रूरत है। उल्लेखनीय है कि आदिवासी विमर्श के मुख्यधारा में आने से कई वर्ष पूर्व उनकी कहानियों में आदिवासी पात्र और उनका जीवन देखने को मिलने लगा। इसी तरह मुस्लिम पात्र भी उनकी कथा-संरचना से कभी तिरोहित नहीं हुए। उनकी कहानियाँ दरअसल शोषित और दमित के साथ खड़ी होती हैं। सवर्ण स्त्रियाँ भी अपने परिवार के पुरुषों के अत्याचार का शिकार कैसे बनती हैं, इसे भी उनकी कहानियों में देखा जा सकता है। ओमप्रकाश वाल्मीकि की सम्पूर्ण कहानियों की यह प्रस्तुति, आशा है, उनकी साहित्य-संवेदना और विचार-दृष्टि की व्यापकता को समझने में मददगार साबित होगी।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...