Chaku, Aine Aur Bhool - Bhulaiya

Chaku, Aine Aur Bhool - Bhulaiya

Language:

Hindi

Category:

Short-story-collections

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Book Details

बोर्खेज़ ने एक भी उपन्यास नहीं लिखा। नाटक भी नहीं, कोई ‘बड़ी’ कविता नहीं, कोई आत्मकथात्मक या आलोचना-पुस्तक नहीं, कोई दार्शनिक प्रबन्ध भी नहीं। उन्होंने</p>
<p>बड़े गर्व के साथ आधुनिक साहित्य की समस्त विषय-वस्तुओं की उपेक्षा की। यौन सम्बन्ध के बारे में कुछ नहीं लिखा, सामाजिक अतिरेक के विषय में भी नहीं, राजनीतिक विचारधाराओं या यथार्थ जीवन के टेक्सचर पर भी कुछ नहीं। उन्होंने प्रकृति में भी कोई रुचि नहीं ली, उनकी सेटिंग्स इतनी उजाड़ और बेहलचल है जितनी डि शिरिका की चित्रकला। बोर्खेज़ किसी ऐसी साहित्यिक परम्परा के रचनाकार हैं जो आज तक अज्ञात है, जो उस परम्परा से बिलकुल भिन्न है जिससे हम परिचित हैं और जिसमें अपना बौद्धिक जीवन जी रहे हैं। ...लेकिन बोर्खेज़ को ऐसा ‘आदिम’ नहीं कह सकते जो अनभिज्ञता की वजह से मौलिकता की ओर आकृष्ट हुआ हो। वे अपनी पीढ़ी के किसी भी व्यक्ति की तरह अनेक साहित्यिक परम्पराओं के ज्ञाता थे। जॉयस, सूरत, काफ़्का, वर्जीनिया वुल्‍फ़ (जिसका उन्होंने अनुवाद किया) से वे बख़ूबी परिचित थे, फिर भी उनके अपने समूचे जीवनकाल में यूरोप और अमेरिका में जो कुछ लिखा गया। उसके अधिकांश की उन्होंने अपेक्षा की। वे ज़्यादातर उन्हीं लेखकों से प्रभावित रहे जिनकी पुस्तकें उनके पिता की निजी, समृद्ध लाइब्रेरी में सजी हुई थीं : ब्राउने. डी. क्विंसी कॉलरिज, स्पेंसर, शॉ, वेल, किपलिंग, स्टीवेंसन, और वे विद्वान् जिन्होंने एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के लिए लेख लिखे। ये सभी उनकी दुर्नामी (नटोरियस) विद्वत्ता का स्रोत हैं।</p>
<p>जेम्स नेल्सन की नज़रों में बोइंग के समूचे काम में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कृति एक ‘एलोक्वेंट’ है, शब्द-चातुर्य, जो अनोखा है और अकादमीय मतों के खंडन में किए गए अपने सारे प्रयास की पुष्टि करता है फिर भी, फिर भी...।</p>
<p>कालिक क्रम को नकारना, स्व को नकारना, खगोलीय ब्रह्मांड को नकारना—बेशक हताशा है, मन को गुपचुप ढांढ़स देना है। हमारी नियति (अगर उसे स्वीडनबर्ग के नर्क के और तिब्बती पुराण के नर्क के कंट्रास्ट में देखें तो) भ्रामक बनी होकर भयावह नहीं है। वह इसलिए भयावह है, क्योंकि वह अनुत्क्रमणीय और लौहकवचबद्ध है। समय कोई नदी है जो मुझे साथ बहाती है, लेकिन मैं ही नदी हूँ। शेर मेरा विनाश करता है, लेकिन मैं ही शेर हूँ। अग्नि मुझे भस्म करती है, लेकिन मैं ही अग्नि हूँ। संसार, दुर्भाग्यवश, वास्तविक है; मैं, दुर्भाग्यवश, बोर्खेज़ हूँ।

ISBN: 9788171787456

Pages: 187

Avg Reading Time: 6 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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