Dastangoi–2
Author:
Mahmood FarooquiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 319.2
₹
399
Available
महमूद फ़ारूक़ी, अनुषा रिजवी और उनके मुटूठी-भर साथियों ने दुनिया को दिखा दिया कि दास्तान अब भी ज़िन्दा है, या ज़िन्दा की जा सकती है। लेकिन उसके लिए दो चीज़ों की ज़रूरत थी; एक तो कोई ऐसा शख़्स जो दास्तान को बख़ूबी जानता हो और उससे मोहब्बत करता हो। ऐसा शख़्स आज बिलकुल मादूम नहीं तो बहुत ही कामयाब ज़रूर है। दूसरी चीज़ जो अहिया-ए-दास्तान के लिए लाजिम थी, वह था ऐसा शख़्स जो उर्दू ख़ूब जानता हो, फ़ारसी बकदरे-ज़रूरत जानता हो, और उसे अदाकारी में भी ख़ूब दर्क हो, यानी उसे बयानिया और मकालमा को ड्रामाई तीर पर अदा करने पर कुदरत हो। उसे उर्दू अदब की, दास्तान की, और ख़ास कर के हमारी ख़ुशनसीबी तसव्वुर करना चाहिए कि दास्तानगोई के दुबारा जन्म की दास्तान के लिए नागुज़िर मोतज़क्किरह वाला किरदार एक वक़्त में और एक जगह जमा हो गए। महमूद फ़ारूक़ी और मोहम्मद काजिम अपनी कही हुई दास्तानों पर मुश्तमिल एक और किताब बाज़ार में ला रहे हैं तो दास्तानगोई का एक जदीद रूप भी सामने आ चुका है। </p>
<p>–शम्मुर्रहमान फ़ारूकी</p>
<p> </p>
<p>वक़्त का तक़ाज़ा था कि अमीर हमज़ा के मिज़ाज के अलावा और भी तरह की दास्तानें लोगों को सुनाई जाएँ। इसकी शुरुआत तो 2007 में ही हो गई थी जब मैं और अनुषा ने मिलकर तक़सीम-ए-हिन्द पे एक दास्तान मुरत्तब की थी जो पहली जिल्द में शामिल है। अमीर हमज़ा की दास्तानों का जादू हमेशा सर चढ़कर बोला है और आगे भी बोलता रहेगा। मगर आज के ज़माने में उन दास्तानों के अलावा भी बहुत से ऐसे अफ़साने हैं जो सुनाए जाने का तक़ाज़ा करते हैं। इसलिए रवायती दास्तानों को इख़्तियार करने के साथ-साथ मैंने और ऐसी चीज़ें तशकील दी हैं जिन्हें दास्तानजादियाँ कहें तो नामुनासिब ना होगा। ये दास्तानजादियाँ बिलवासता हमारे अहद को और दीगर सच्चाइयों और पहलुओं पर रोशनी डालती हैं जिन्हें हमारे सामईन और नाज़िरीन बेतकल्लुफ़ समझ सकते हैं।</p>
<p>–महमूद फ़ारूकी
ISBN: 9789388753487
Pages: 318
Avg Reading Time: 11 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Taana Baana
- Author Name:
Ushakiran Khan
- Book Type:

- Description: Book
Vipralabdha
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

-
Description:
महिला कथाकारों में जितनी ख्याति और लोकप्रियता शिवानी ने प्राप्त की है, वह एक उदाहरण है श्रेष्ठ लेखन के लोकप्रिय होने का। शिवानी लोकप्रियता के शिखर को छू लेनेवाली ऐसी हस्ती हैं, जिनकी लेखनी से उपजी कहानियाँ कलात्मक और मर्मस्पर्शी होती हैं। अन्तर्मन की गहरी पर्तें उघाड़नेवाली ये मार्मिक कहानियाँ शिवानी की अपनी मौलिक पहचान हैं जिसके कारण उनका अपना एक व्यापक पाठक वर्ग तैयार हुआ।
इनकी कहानियाँ न केवल श्रेष्ठ साहित्यिक उपलब्धियाँ हैं, बल्कि रोचक भी इतनी अधिक हैं कि आप एक बार शुरू करके पूरी पढ़े बिना छोड़ ही न सकेंगे। प्रस्तुत संग्रह में ‘दो स्मृति-चिह्न’, ‘विप्रलब्धा’, ‘शायद’, ‘ज्येष्ठा’, ‘शपथ’, ‘घंटा’, ‘के’ एवं ’पुष्पहार’ कहानियाँ संकलित हैं। हर कथा अपनी मोहक शैली में अभिभूत कर देने की अपार क्षमता रखती है। कलात्मक कौशल के साथ रची गई ये कहानियाँ हमारी धरोहर हैं जिन्हें आज की नई पीढ़ी अवश्य पढ़ना चाहेगी।
Sawar Aur Doosari Kahaniyan
- Author Name:
Shamsurrahman Farooqui
- Book Type:

-
Description:
‘सवार और दूसरी कहानियाँ’ शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी का पहला कहानी–संग्रह है। इस संग्रह की कहानियों का विषय 18वीं सदी की दिल्ली के माध्यम से उस समय की भारतीय संस्कृति है।
भारत के पिछले हज़ार साल के इतिहास में 18वीं सदी सम्भवत: सबसे ज़्यादा विवादास्पद रही है। आधुनिक भारत की चेतना को निर्मित करनेवाले इतिहास–बोध के मुताबिक़ यह पतन और अहंकार का युग था जिसमें कविता, कला, संस्कृति और राजनीति सबको महलों के राग–रंग और षड्यंत्रों ने तत्त्वहीन बना दिया था। अंग्रेज़ों के साथ आई हुई चेतना से ही फिर भारतीय सभ्यता का उद्धार हो सका। इसके विपरीत शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी अपनी रचनाओं में विस्तार से इस बात का चित्रण करते हैं कि भारतीय समाज 18वीं सदी में मिली–जुली हिन्दू–मुस्लिम तहज़ीब का सबसे विकसित नज़ारा पेश कर रहा था। प्रेम जैसे बुनियादी इंसानी रिश्तों से लेकर सामाजिक–राजनीतिक–सांस्कृतिक हर क्षेत्र में यह सामासिक संस्कृति नायाब कारनामे कर रही थी। लेकिन अंग्रेज़ों ने सुनियोजित ढंग से इस संस्कृति पर कुठाराघात किया। आधुनिकता के आवरण में आई इस औपनिवेशिक चेतना ने हमें हर उस चीज़ पर शर्म करना सिखाया जो गर्व के क़ाबिल थी। उन्नीसवीं और बीसवीं सदी में इस चेतना का विजय अभियान जारी रहा और इसका मूल्यबोध हमारे सर चढ़कर बोलता रहा।
इस संग्रह की कहानियों में 18वीं सदी का दिल्ली शहर मुख्य पात्र की तरह मौजूद है। ग़ालिब और मीर जैसे शायरों पर केन्द्रित कहानियाँ न केवल उस युग की तहज़ीब को आँखों के सामने लाती हैं बल्कि इस औपनिवेशिक भ्रम का निवारण भी करती हैं कि उस युग के कवि, कलाकार अपनी दुनिया में खोए रहनेवाले दरबारी मुसाहिब क़िस्म के लोग थे। इन कहानियों से पता चलता है कि दुनिया को अपने रचना–कर्म से सम्मोहित कर देनेवाले इन महान रचनाकारों का दख़ल जीवन के तमाम क्षेत्रों में था। उनका जीवन और परिवेश ही उनकी विराट रचनाशीलता का स्रोत था। अन्तत: इन कहानियों से हमारे समाज की एक ऐसी झाँकी प्रकट होती है जो जीवन की बहुआयामी धड़कनों से भरा हुआ था और कविता, कला तथा संस्कृति जिसकी शिराओं में ख़ून बनकर दौड़ती थीं।
Barik Baat
- Author Name:
Ramswarup Kisan +1
- Rating:
- Book Type:

- Description: बारीक बात पुरस्कृत राजस्थानी कहानी-संग्रह बारीक बात का हिन्दी अनुवाद है। इस संग्रह की कहानियाँ राजस्थानी साहित्य की विशिष्ट चेतना का प्रतिनिधित्व करते हुए लोक संस्कृति और आधुनिकता के द्वन्द को चिह्नित करती है और नये साहित्यिक प्रतिमान स्थापित करने के लिए आगे बढ़ती है। लेखक ने प्रयोगात्मक, अपरंपरागत कहानी कहने की कला एवं मुहावरेदार भाषा के उत्कृष्ट उपयोग ने कहानियों को श्रेष्ठ बना दिया है।
Meri Didi
- Author Name:
Oka Shuzo
- Book Type:

-
Description:
जापान के सुप्रसिद्ध साहित्यकार ओका शूज़ो की पुस्तक ‘मेरी दीदी’ और ‘वाशिंगटन पोस्टमार्च’ का हिन्दी अनुवाद मानसिक और शारीरिक रूप से अविकसित बच्चों के सामाजिक परिवेश का एक संवेदनशील संग्रह है जिसे डॉ. उनीता सच्चिदानन्द और जापान की योशिको ओकागुची ने मिलकर सम्पन्न किया है। दो भागों में प्रकाशित इस कथा-संग्रह में
मानसिक रूप से कमज़ोर बच्चों की सहज इच्छाओं और अनुभूतियों का संवेदनशील चित्रण है।
‘मेरी दीदी’ और ‘वाशिंगटन पोस्टमार्च’ पर फ़िल्म भी बन चुकी है।
Gaind Aur Goal
- Author Name:
Radhakrishna
- Book Type:

-
Description:
राधाकृष्ण की पहचान प्रेमचन्द-धारा के लेखक के रूप में प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही बन चुकी थी। ‘गेंद और गोल’ उनकी सहज कहानियों का संकलन है। आम लोगों के आम दिनों की कुछ ख़ास बातें इन कहानियों में सहज ही दर्ज हो गई हैं।
ये कहानियाँ ‘फ़ॉर्मूला’ कहानी नहीं हैं, जिन्हें एक सुनिश्चित प्लॉट के तहत गढ़ा गया हो। ये बहते जीवन से कुछ पल सँजोकर पेश की गई हैं। इनमें आर्थिक तंगी है तो व्यावहारिकता भी। उद्दंडता है तो आदर्श भी। फ़रेब है, तो सच्चा प्रेम भी। शीर्षक कहानी 'गेंद और गोल’ बहुत कम शब्दों में ज़िन्दगी के लक्ष्य को बयाँ कर देती है।
‘गठरी का भेद’ पंचतंत्र की कहानी की तरह सहज सीख देते हुए तीव्र प्रहार करती है।
'कोयले की ज़िन्दगी’, 'कलाकार का मास्टरपीस’, 'मूल्य’, 'रसायन की पुड़िया’ हर रंग की कहानी इस संकलन में आपको मिल जाएगी।
70 के दशक में लिखी गई ये कहानियाँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक और हृदयस्पर्शी हैं।
Nirvasan Aur Aadhipatya
- Author Name:
Albert Camus
- Book Type:

-
Description:
अल्बैर कामू की छह कहानियों का संग्रह है ‘निर्वासन और आधिपत्य’। ये कहानियाँ कामू की रचनाओं में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं क्योंकि इन छोटे वृत्तान्तों में उनकी महान विचारधारा के सभी मूल तत्त्व निहित हैं। वस्तुतः यह संग्रह उनके चिन्तन को समझने के लिए आदर्श स्रोत है।
तकनीक की दृष्टि से इन कहानियों की शैली उनके उपन्यासों से एकदम विपरीत है। एक कहानी को छोड़कर कामू ने इनमें सीधे, निरपेक्ष कथन का प्रयोग किया है। दृश्य-सज्जा किसी विशेष गरिमा का प्रतीक होने का कोई संकेत नहीं देती। ‘वर्द्धमान पत्थर’ के अलावा बाकी सभी कहानियों का कथानक करीब-करीब रूढ़िगत है। प्रत्येक कहानी बिना कोई गूढ़ अभिप्राय छिपाए हुए, तेज़ और सरल गति से अपने चरम बिन्दु तक निपुणतापूर्वक विकसित होती है।
‘जोनास’ में कलाकारों के जीवन पर हल्का-सा व्यंग्य किया गया है। बाकी चार कहानियाँ, ‘व्यभिचारिणी पत्नी’, ‘मौन रोष’, ‘अतिथि’ और ‘वर्द्धमान पत्थर’, ‘धर्म परिवर्तक’ के कटु आक्षेप को प्रति-संतुलित करती हैं। सभी कहानियों की थीम करीब-करीब एक ही है : मनुष्य का किसी भी कारणवश अपनी सामंजस्यपूर्ण स्थिति से निर्वासन और फिर ज्ञान-प्रदायक अनुभव के बाद, उसी में पुनः संघटन। प्रत्येक कहानी एक तथ्योद्घाटन प्रस्तुत करती है।
Bhookh Ke Teen Din
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
यशपाल के लेखकीय सरोकारों का उत्स सामाजिक परिवर्तन की उनकी आकांक्षा, वैचारिक प्रतिबद्धता और परिष्कृत न्याय-बुद्धि है। यह आधारभूत प्रस्थान बिन्दु उनके उपन्यासों में जितनी स्पष्टता के साथ व्यक्त हुए हैं, उनकी कहानियों में वह ज़्यादा तरल रूप में, ज़्यादा गहराई के साथ कथानक की शिल्प और शैली में न्यस्त होकर आते हैं। उनकी कहानियों का रचनाकाल चालीस वर्षों में फैला हुआ है। प्रेमचन्द के जीवनकाल में ही वे कथा-यात्रा आरम्भ कर चुके थे, यह अलग बात है कि उनकी कहानियों का प्रकाशन किंचित् विलम्ब से आरम्भ हुआ। कहानीकार के रूप में उनकी विशिष्टता यह है कि उन्होंने प्रेमचन्द के प्रभाव से मुक्त और अछूते रहते हुए अपनी कहानी-कला का विकास किया। उनकी कहानियों में संस्कारगत जड़ता और नए विचारों का द्वन्द्व जितनी प्रखरता के साथ उभरकर आता है, उसने भविष्य के कथाकारों के लिए एक नई लीक बनाई, जो आज तक चली आ रही है। वैचारिक निष्ठा, निषेधों और वर्जनाओं से मुक्त न्याय तथा तर्क की कसौटियों पर खरा जीवन—ये कुछ ऐसे मूल्य हैं जिनके लिए हिन्दी कहानी यशपाल की ऋणी है।
‘भूख के तीन दिन’ कहानी-संग्रह में उनकी ये कहानियाँ शामिल हैं : ‘भूख के तीन दिन’, ‘शुरफा’, ‘समय’, ‘दीनता का प्रायश्चित्त’, ‘भली लड़कियाँ’, ‘दाग़ ही दाग़’ ‘मॉडर्न’, ‘सीख’, ‘ख़ूब बचे!’, ‘पागल है!’ और ‘आशीर्वाद’।
Kahaniyan Rishton Ki : Parivar
- Author Name:
Akhilesh
- Book Type:

-
Description:
भारतीय जीवन में परिवार का वही है, जो किसी भी धर्म या सम्प्रदाय में पूजागृह का होता है। परिवार नामक संस्था ही भारतीय जीवन और समाज-व्यवस्था का मूल है। पिछले सौ सालों में चौतरफ़ा बदलाव के बीच भारतीय समाज में परिवार की संरचना, उसमें अन्तर्निहित तरलता और सम्बन्धों की तीव्रता में क्या और कैसे बदलाव आए हैं, इस संकलन की कहानियों में साफ़-साफ़ दीखता है। संयुक्त परिवार से एकल परिवार और फिर लिव-इन रिलेशनशिप का चलन, इनके भाव-दुष्प्रभाव सबकी पड़ताल इस संकलन की कहानियों में है और अन्त में एक छुपा सन्देश भी कि यहाँ रिश्ते जीवन से बड़े और ज़्यादा मूल्यवान हैं।
Prapti
- Author Name:
Paramita Satpathy +1
- Book Type:

- Description: Hindi translation of award winning Odia short story collection Prapti of Paramita Satpathy by Rajendra prasad Mishra.
Pachchis Baras Pachchis Kahaniyan
- Author Name:
Rajendra Yadav
- Book Type:

-
Description:
पच्चीस साल। एक सदी का चौथाई हिस्सा। हर साल में बारह अंक। हर अंक में औसतन छह या सात कहानियाँ।
मानकर चलें कि ‘हंस’ में छपने के लिए चुने जाने का मतलब ही किसी भी कहानी के लिए संकलन योग्य होना है और क़ायदे से बारह-पन्द्रह कहानियों का एक सालाना संकलन हर बरस छापा जा सकता है।
कुल मिलाकर तकरीबन 2100 कहानियों में से बार-बार के सोच-विचार के बाद 136 कहानियाँ सूचीबद्ध की गईं।
‘हंस’ के भीतर से साथियों के सुझाव भी तरह-तरह के थे। पाठकों की वोटिंग से, सुधी पाठकों या लेखकों के सुझाव से, लेखकों के अपने अनुरोध की रक्षा से, एक चयन-समिति की नियुक्ति और सम्मिलित चयन से, वग़ैरह। लेकिन ये सभी चुनाव एक निश्चित परियोजना के बजाय यादृच्छिक क़िस्म का घालमेल ही बनकर रह जा सकते थे।
यहाँ अनुसूचित लगभग हर कहानी अपने आप में एक प्रतिमान कही जा सकती है।
—भूमिका से
Boski Ka Panchtantra
- Author Name:
Gulzar
- Book Type:

- Description: ‘बोसकी का पंचतंत्र’ की पाँच किताबों में, नीति के पाँच हिसाबों में जो पंचतंत्र आरम्भ हुआ, उसे बच्चों के प्यारे फ़िल्मकार-शायर गुलज़ार ने बोसकी को सुनाया। दुनिया-भर के बच्चों के लिए सुनाया। ‘बोसकी का पंचतंत्र’ उसी की एक कड़ी है। इसकी पठनीयता भी पूर्व की तरह आकर्षित करती है। इसमें क़िस्सागोई की भारतीय परम्परा का ख़ास आकर्षण है। किताब के चित्र और रेखांकन बच्चों के लिए और अधिक रोचकता पैदा करते हैं।
Dekha Sa Manzar
- Author Name:
Govind Sen
- Book Type:

- Description: This book has no description
Ek Shravni Dophari Ki Dhoop
- Author Name:
Phanishwarnath Renu
- Book Type:

-
Description:
एक श्रावणी दोपहरी की धूप प्रख्यात कथाकार फणीश्वरनाथ 'रेणु’ की असंकलित कहानियों का संग्रह है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित ये प्राय: उनकी प्रारम्भिक रचनाएँ हैं, इसलिए इनका दोहरा महत्त्व है। एक ओर ये हमें उनकी रचनात्मक प्रतिभा के शैशव तक ले जाती हैं, तो दूसरी ओर समकालीन कथा-साहित्य में उस नई कथा-प्रवृत्ति का उदयाभास कराती हैं जो बाद में उनकी अन्य महत्त्वपूर्ण कहानियों और उपन्यासों में परिपक्व हुई और जिसने एक समूचे कथायुग को प्रभावित किया।
रेणु की कहानियाँ मानव-जीवन के प्रति गहन रागात्मकता का परिणाम हैं। वे उनके यथार्थ को समग्रता में पकडऩे और उसकी तरल भावनात्मक अभिव्यक्ति में विश्वास रखते हैं। हम उनके पात्रों के साथ-साथ उदास और उल्लसित हो उठते हैं। उनमें जो लोक-मानस का विस्तार है, जो रस और संगीत है, वह हमारे मानवीय संवेगों को गहराता है।
इन कहानियों के माध्यम से वस्तुत: रेणु एक बार फिर हमें उस रचना-भूमि तक ले जाते हैं, जिसमें पहली बार नहाई धरती के सोंधेपन, बसन्त की मादकता और पसीने की अम्लीय गन्ध का अहसास होने लगता है
Curfew Ki Raat
- Author Name:
Shahadat
- Book Type:

-
Description:
शहादत की कहानियाँ हिन्दुस्तान के ज़मीनी यथार्थ का वो चेहरा पेश करती हैं, जो निरन्तर बदल रहा है। हिन्दुस्तान, जिसका सांस्कृतिक बोध एक तरफ़ बहुसंस्कृति के सौन्दर्य को प्रकट करता है तो दूसरी तरफ़ साम्प्रदायिक विद्वेष की उस कुरूपता की शिनाख़्त भी करता चलता है, जो हिन्दुस्तान को एक विभाजित जनसंख्या और धार्मिक पहचान के आधार पर प्रताड़ित मनुष्यता में तब्दील करना चाहता है। मानवीय समाज की धड़कन सुनते इस कथाकार के क़िस्सों में मुस्लिम समुदाय के कई सवाल अंडरकरंट की तरह पाठक को झकझोरते हैं। उन्हें पेश करता कहानीकार मुस्लिम समुदाय की रूढ़िवादिता का भी खुलकर बयान करता है।
कहानीकार के रचना संसार में आम जीवन ख़ूब धड़कता है, जिसे रचनाकार बहुत बारीकी से सामने ले आता है। इसमें वे तमाम पूर्वाग्रह भी आ जाते हैं, जो इनसान को किन्हीं ख़ास पहचानों में सीमित करके उनकी सहजता ख़त्म कर देते हैं। ग़ौरतलब है कि पूर्वाग्रही व्यक्ति तो पहले ही असहज है और वह जिनके प्रति पूर्वाग्रही है उनकी दुनिया को भी असहज कर देता है। इस तरह अनेक असहजताएँ दुनिया के बड़े हिस्से में विस्तार पाकर इनसान को बौना कर देती हैं। यह बौनापन सब तरफ के लोगों से उनका इनसान होना छीन रहा है। ‘कर्फ़्यू की रात’ संग्रह की कहानियाँ इस बात की तस्दीक़ करती हैं।
— प्रज्ञा रोहिणी
Sakshi Hai Peepal
- Author Name:
Joram Yalam Nabam
- Book Type:

-
Description:
साक्षी है पीपल की कहानियाँ बिना किसी लाग-लपेट या दाब-ढाँक के जीवन के यथार्थ और त्रासदियों को अभिव्यक्त करती हैं। किसी में पापुमपारे नदी क्षेत्र का वातावरण है, किसी में जोराम गाँव, किसी में जीरो नामक जगह। स्त्रियाँ सभी कहानियों के केन्द्र में हैं। भिन्न-भिन्न भूमिकाएँ निभाती हुई, सबसे बड़ी पत्नी के रूप में भारी-भरकम जिम्मेदारी उठाती हुई, अपनी मर्जी दर्शाते हुए पति की एक के बाद एक शादियाँ करवाती हुई, दोनों वक़्त भोजन पकाती हुई, खेत-जंगल में हाड़तोड़ काम करती हुई, समूह-उत्सव में स्थानीय दारू का प्रबन्ध करती हुई, बार-बार छली जाकर टूटती हुई, सबसे छोटी पत्नी के रूप में अपमान सहती हुई और जीती हुई, कभी-कभी किसी सौत के हमउम्र पुत्र की ओर आकृष्ट होती हुई। यही स्त्री अपने होने का अर्थ खोजती हुई भी यालाम की कहानियों में मौजूद है।
इन कहानियों के बच्चे भी विलक्षण हैं। अनेक माँओं, किन्तु एक ही पुरुष की सन्तान होकर साथ-साथ रहते, सोते, खाते, शिकार करते, खेती में सहायता करते, शैतानी और मनोरंजन करते तथा अपनी ज़रूरतें ख़ुद पूरी करने को आतुर।
बाह्य संरचना की दृष्टि से ये कहानियाँ बतकही के काफ़ी क़रीब हैं। रचना के ढाँचे के बारे में कोई ख़ास सावधानी दिखाई नहीं देती–ऐसी तो बिल्कुल नहीं, जो किसी लेखक को आशंका से भरे रखती है कि कहीं कोई उसकी कलात्मकता में कोई कमज़ोरी न खोज ले। यालाम को इसकी चिन्ता नहीं है।
बिना किसी बनाव-सिंगार के जीवन और जीजिविषा के जो विविध चित्र इन कहानियों में उपस्थित हैं वे अविस्मरणीय हैं।
Panchtantra Ki Kahaniyan
- Author Name:
Rampratap Tripathi Shastri
- Book Type:

- Description: पंचतंत्र की कहानियों में पांडित्य और हास्यरस का जो अपूर्व समन्वय देखने को मिलता है, उससे ज्ञात होता है कि इसका रचयिता कितना मधुर कथाकार तथा निपुण लेखक था। उसकी तीक्ष्ण बुद्धि राजनीति और कूटनीति की गुत्थियों में जितनी रमती थी, उतनी ही पाठकों तथा श्रोताओं की सहानुभूति, अभिरुचि, कल्पना एवं मनोरंजन की भावना को तुष्ट करने के लिए प्रयत्नशील रहती थी। उसने एक ऐसी कथाशैली का आविष्कार किया, जो आज के युग में भी अनुकरणीय बनी हुई है। उसकी प्रत्येक कहानी स्वयं कहानी के रूप में जितनी मनोहारिणी तथा लोकरंजक है, उतनी ही किसी धर्म-कथा, राजनीति, कूटनीति अथवा सामाजिक हित-चिन्ता का मनोहर दृष्टान्त उपस्थित करनेवाली भी है।
Badlon Ke Ghere
- Author Name:
Krishna Sobti
- Book Type:

- Description: आधुनिक हिन्दी कथा-जगत में अपने संवेदनशील गद्य और अमर पात्रों के लिए जानी जानेवाली कथाकार कृष्णा सोबती की प्रारम्भिक कहानियाँ इस पुस्तक में संकलित हैं। शब्दों की आत्मा से साक्षात्कार करनेवाली कृष्णा सोबती ने अपनी रचना-यात्रा के हर पड़ाव पर किसी-न-किसी सुखद विस्मय से हिन्दी-जगत को रू-ब-रू कराया है। ये कहानियाँ कथ्य और शिल्प, दोनों दृष्टियों से कृष्णा जी के रचनात्मक वैविध्य को रेखांकित करती हैं। इनमें जीवन के विविध रंग और चेहरे अपनी जीवन्त उपस्थिति से समकालीन समाज के सच को प्रकट करते हैं। समय का सच इन कहानियों में इतनी व्यापकता के साथ अभिव्यक्त हुआ है कि आज के बदलते परिवेश में भी इनकी प्रासंगिकता बनी हुई है। अनुभव की तटस्थता और सामाजिक परिवर्तन के द्वन्द्व से उपजी ये कहानियाँ अपने समय और समाज को जिस आन्तरिकता और अन्तरंगता से रेखांकित करती हैं, वह निश्चय ही दुर्लभ है।
Zoya Desai Cottege
- Author Name:
Pankaj Subeer
- Rating:
- Book Type:


- Description: ११ कहानियों का बेहतरीन संग्रह। ‘जोया देसाई कॉटेज’ कथाकार, ग़ज़लकार, व्यंग्यकार और संपादक पंकज सुबीर का सद्य: प्रकाशित कहानी संग्रह है। ‘जोया देसाई कॉटेज’ में उनकी ग्यारह लंबी कहानियाँ संकलित हैं– ‘स्थगित समय गुफा के फलाने आदमी’, ‘ढोंड़ चले जै हैं काहू के संगे’, ‘डायरी में नीलकुसुम’, खजुराहो’, ‘जाल फेंक रे मछेरे’, ‘जोया देसाई कॉटेज’, ‘जुली और कालू की प्रेमकथा में गोबर’, ‘रामसरूप अकेला नहीं जाएगा’, ‘उजियारी काकी हंस रही है’, ‘नोटा जान’, ‘हराम का अंडा’। इन कहानियों में अपनों का परायापन और परायों की संवेदनशीलता/ मानवीयता है। मशीनीकरण, मित्रों और आभासी दुनिया से पगलाया, विसंगति का शिकार आम आदमी है। दलित विमर्श और प्रथम किशोर प्रेम है, किन्नर की वेदना है। देहात्मबोधों की, प्रेम की प्यासी आत्माओं की, निरंकुश यौनाकांक्षाओं की चर्चा हैं। अफसरशाही की दरिंदगी है। निरंकुश और वस्तुवादी पितृसताक है।
Sandigdh
- Author Name:
Tejendra Sharma
- Rating:
- Book Type:


- Description: पंद्रह बेहतरीन कहानियों का संग्रह।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...