Pratinidhi Kahaniyan : Rangeya Raghav
Author:
Rangeya RaghavPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
रांगेय राघव के कहानी-लेखन का मुख्य दौर भारतीय इतिहास की दृष्टि से बहुत हलचल-भरा विरल कालखंड है, कम मौक़ों पर भारतीय जनता ने इतने स्वप्न और दुःस्वप्न एक साथ देखे थे—आशा और हताशा ऐसे अड़ोस-पड़ोस में खड़ी देखी थी। और रांगेय राघव की कहानियों की विशेषता यह है कि उस पूरे समय की शायद ही कोई घटना हो, जिसकी गूँजें-अनुगूँजें उनमें न सुनी जा सकें। सच तो यह है कि रांगेय राघव ने हिन्दी-कहानी को भारतीय समाज के उन धूल-काँटों-भरे रास्तों, आवारे-लफंडरों-परजीवियों की फक्कड़ ज़िन्दगी, भारतीय गाँवों की कच्ची और कीचड़-भरी पगडंडियों की गश्त करवाई, जिनसे वह भले ही अब तक पूर्णतः अपरिचित न रही हो पर इस तरह हिली-मिली भी नहीं थी; और इन ‘दुनियाओं’ में से जीवन से लबलबाते ऐसे-ऐसे क़द्दावर चरित्र प्रकट किए, जिन्हें हम विस्मृत नहीं कर सकेंगे। ‘गदल’ को क्या कोई भूल सकता है...?
ISBN: 9788126700479
Pages: 155
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: Fifty vignettes showcase the myriad shades of human nature A man dumps his aged father in an old-age home after declaring him to be a homeless stranger, a tribal chief in the Sahyadri hills teaches the author that there is humility in receiving too, and a sick woman remembers to thank her benefactor even from her deathbed. These are just some of the poignant and eye-opening stories about people from all over the country that Sudha Murty recounts in this book. From incredible examples of generosity to the meanest acts one can expect from men and women, she records everything with wry humour and a directness that touches the heart. First published in 2002, Wise and Otherwise has sold over 30,000 copies in English and has been translated into all the major Indian languages. This revised new edition is sure to charm many more readers and encourage them to explore their inner selves and the PBI – World around us with new eyes.
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