Mr. Kanoonwalla's Chamber
Author:
Apoorv AgarwalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Unavailable
कहीं सत्य और न्याय की जीत, कहीं चरमराई हुई व्यवस्था की हार! जुर्म, जुल्म, क़ानून और सज़ा की आग धधकती आँधी में झूलती-झुलसती ज़िन्दगियाँ! हुस्न, आशिकी, प्रेम, सेक्स, दोस्ती, वैर-वैमनस्य, षड्यंत्र, पश्चात्ताप, आइडेंटिटी-थैप्ट, मर्डर के अस्त्रों और बेड़ियों से बँधी क्रिमिनल लॉ और जस्टिस की क्लासिकल रहस्यमयी-रोमांचक कहानियाँ, जिनमें न्याय-तंत्र की बीते सौ सालों की तस्वीरें हमारे सामने ख़ुद-ब-ख़ुद ज़िन्दा खड़ी हो जाती हैं।
ISBN: 9788126728626
Pages: 189
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Kotigalu
- Author Name:
Vasudhendra
- Book Type:

- Description: ವಸುಧೇಂದ್ರ ಅವರು ಬರೆದ ಸುಲಲಿತ ಪ್ರಬಂಧಗಳ ಸಂಕಲನ-ಕೋತಿಗಳು. ಕತೆ-ಕಾದಂಬರಿಗಳನ್ನು ಪರಿಣಾಮಕಾರಿಯಾಗಿ ಬರೆಯುವ ವಸುಧೇಂದ್ರ ಅವರು ಕೋತಿಗಳು ಸಂಕಲನದಲ್ಲಿ ತಾವು ಒಬ್ಬ ಉತ್ತಮ ಪ್ರಬಂಧಕಾರರೂ ಎಂಬುದನ್ನು ನಿರೂಪಿಸಿದ್ದಾರೆ. ವಿಷಯ ವಸ್ತುವಿನ ಆಯ್ಕೆ, ಅದು ನಂತರ ಪಡೆಯುತ್ತಾ ಹೋಗುವ ರೂಪು, ನಿರೂಪಣಾ ಶೈಲಿ, ಸನ್ನಿವೇಶಗಳ ಜೋಡಣೆ ಎಲ್ಲವೂ ಓದುಗರ ಗಮನ ಸೆಳೆಯುತ್ತವೆ.
Sapne Mein Kabeer
- Author Name:
Premkumar mani
- Book Type:

- Description: हिन्दी कथा-साहित्य को जिन चुने हुए रचनाकारों ने उसकी जड़ता और अपठनीयता से मुक्ति दिलाई, उनमें प्रेमकुमार मणि प्रमुख हैं। पिछली सदी के सातवें दशक के आख़िर से उन्होंने लिखना आरम्भ किया और आठवें दशक में कथाकार के रूप में पहचान बनाई। मणि ने कहानियों को जनसरोकारों और समकालीनता की धड़कन से नत्थी किया और सहज भाव से भाषा व मिज़ाज के नए आयाम उद्घाटित किये। उनकी कहानियों में उत्तर भारतीय जनजीवन के ऐसे अनछुए परिदृश्य उभरते हैं, जो हमें आंतरिक स्तर तक आश्वस्त और कभी-कभार उद्वेलित करते हैं। प्रचलित अर्थों में न वह गाँव के कथाकार हैं और न ही शहर के। उन पर साहित्यिक आंदोलनों का भी कोई चंदोवा कभी प्रभावी नहीं हुआ। बदलते हुए सामाजिक-राजनीतिक जीवन के अंतर राग और उसमें व्याप्त विविध किस्म के मिथ्याचार उनकी कहानियों में हम पा सकते हैं। सबसे बढ़ कर यह कि इन्हें पढ़ते हुए हम ज्ञानात्मक संवेदना से स्वत: निमज्जित और संस्कारित अनुभव करते हैं। इस संकलन में उनकी कुछ ऐसी कहानियाँ भी हैं, जिन्हें आमतौर पर लघु कथा कहने का प्रचलन है। लेखक का आग्रह उन्हें कथा मानने का है। इनका एक अलग आस्वाद और बुनावट है। बहुत हौले-से हमारी संवेदना को ये गहरे स्तर पर प्रभावित करती हैं। इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में बीसवीं सदी के उत्तराद्र्ध में उभरे एक कथाकार की कहानियों का पढऩा एक अलग अनुभव दे सकता है।
Tamasha Tatha Anya Kahaniyan
- Author Name:
Manzoor Ehtesham
- Book Type:

-
Description:
पिछले दो दशकों में ‘सूखा बरगद’ और ‘दास्तान-ए-लापता’ जैसे श्रेष्ठ उपन्यासों के लिए चर्चित मंज़ूर एहतेशाम ने एक महत्त्वपूर्ण कथाकार के रूप में भी अलग पहचान अर्जित की है। यह कहना कि उनकी कहानियाँ मध्यवर्गीय (मुस्लिम) वर्ग के बारे में हैं, उनके कथानक का अति-सरलीकरण होगा। दरअसल मंज़ूर एहतेशाम उन थोड़े-से कथाकारों में हैं, जिन्होंने इधर की साहित्यिक बहसों के बुनियादी मुद्दे ही बदल दिए हैं।
प्रस्तुत कहानी-संग्रह ‘तमाशा तथा अन्य कहानियाँ’ में शामिल कहानियाँ, विषयों की नहीं, एक व्यक्ति के होने-न-होने की कहानियाँ हैं। अक्सर इनके केन्द्र में एक संस्कारवान, संवेदनशील व्यक्ति है। और उसे बनाता-ढहाता एक परिवेश। कुछ इस तरह कि कभी काँच के हाथ में पत्थर और कभी पत्थर के हाथ में काँच होने का अहसास बराबर बना रहता है। मध्यवर्गीय अस्तित्व की विडम्बना की ये कहानियाँ कभी शोर और कभी सन्नाटे से स्वयं को बुनती-उधेड़ती हैं। यूँ इनका कथानक बहुत बारीक़ी से अपना उपकथन, अपना सब-टेक्स्ट बनाता-मिटाता चलता है। अपने अल्पकथन के बावजूद ये आश्चर्यजनक रूप से मार्मिक कथाएँ हैं। यहाँ प्रस्तुत बहुचर्चित ‘रमजान में मौत’ से लेकर ‘तमाशा’ तक ये कहानियाँ अपनी यात्रा भी हैं, और पड़ाव भी।
Zara Si Roshani
- Author Name:
Ravindra Kaliya
- Book Type:

-
Description:
रवीन्द्र कालिया ने साठ के दशक में ‘सिर्फ़ एक दिन’, ‘नौ साल छोटी पत्नी’, ‘गड़े शहर का आदमी’ और ‘काला रजिस्टर’ जैसी कहानियों से शिल्प और संवेदना दोनों स्तरों पर हिन्दी कहानी की परम्परा को रूमान और भावुकता के दलदल से बाहर निकालकर उसे यथार्थ की ठोस ज़मीन पर खड़ा होने में मदद की थी। इसका सबूत इस संग्रह की कहानियाँ हैं।
रवीन्द्र कालिया की ये कहानियाँ मनुष्य की जिजीविषा, उसके संकल्प और अदम्य विसंगतिबोध को अपना विषय बनाती हैं और विलक्षण कलात्मकता और अचूक राजनीतिक दृष्टि के साथ उनका निर्वाह करती हैं। इन कहानियों के बच्चे, बूढ़े, युवक, युवतियाँ यहाँ तक कि पशु-पक्षी और पौधे भी कथाकार की आत्मा का स्पर्श पाकर मानवीय उद्यम और नियति में साझा करनेवाले प्रतिनिधि चरित्र बन जाते हैं। इस नज़रिए से सबसे उल्लेखनीय कहानी ‘सुन्दरी’ है। सुन्दरी नाम की घोड़ी एक दुर्घटना में अपनी एक आँख गँवा देने के बाद विवाह जैसे मांगलिक अवसर पर नाचने की पात्रता खो देती है, लेकिन इसे अपनी नियति मानने से इनकार कर देती है। शुभ और अशुभ में यक़ीन करनेवाला मानव समुदाय और उसे बेहद प्यार करनेवाला उसका मालिक जहीर जो ख़ुद भी उसी दुर्घटना में एक आँख गँवा बैठा है, अपनी व्यावहारिकता के चलते उसके हठ का कारण नहीं समझ पाता, लेकिन जहीर के बच्चे अपनी अन्तश्चेतना में सुन्दरी के निकट होने के कारण इसे समझ जाते हैं। अनेक स्तरों पर बुनी गई यह कहानी सहज ही पशु-पक्षियों पर लिखी गई, विश्व साहित्य की अविस्मरणीय कहानियों में रखी जा सकती है।
एक और कहानी ‘गौरैया’ है जो कथाकार के सहज मानवीय राग-विराग से गुज़रती हुई अचानक हमारे दौर की साम्प्रदायिक कुटिलता का पर्दाफ़ाश करनेवाली सशक्त कहानी बन जाती है। ‘बोगेनविलिया’ शीर्षक कहानी का नन्हा सा पौधा आज़ाद हिन्दुस्तान के अमानवीय विकास के शिकार करोड़ों लोगों की पीड़ा को हमारी संवेदना तक पहुँचाने का माध्यम बनता है। दूसरी तरफ़ ‘एक होम्योपैथी कहानी', ‘बुढ़वा मंगल' और ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ जैसी कहानियाँ हैं। इनमें पहली कहानी एक उपभोक्तावादी समाज में ठीक-ठाक कमाई कर रहे एक युवक और युवती की है जो परिस्थितिवश अपने स्वाभाविक आवेगों का गला घोंटने पर विवश हैं। ‘डाक्टर और मरीज़’ की भूमिका को अनेक कोणों में दिखानेवाली इस कहानी को हमारे दौर की एक यथार्थवादी प्रेम कहानी भी कहा जा सकता है। ‘बुढ़वा मंगल’ सिर्फ़ एक साधारण बूढ़े की असाधारण जीवनाकांक्षा की कहानी नहीं है, बल्कि इसमें स्वाधीनता पूर्व की तथाकथित त्यागी और बलिदानी पीढ़ी का रहस्य भी उजागर हुआ है। जबकि ‘रूप की रानी चोरों का राजा' में बिलकुल ताज़ा सामाजिक-राजनीतिक हालात का जायजा लिया गया
है।रवीन्द्र कालिया की ये कहानियाँ साधारण स्थितियों, घटनाओं और चरित्रों की असाधारणता को रेखांकित करती हैं और हमारी संवेदना पर दस्तक देने के साथ हमारी विचार शक्ति और कल्पना को उकसाकर उन्हें हल्की सी चुनौती भी देती हैं। इसी प्रक्रिया में ये हमें संस्कारित करती हैं और मनुष्य की ताक़त पर हमारे विश्वास को और मज़बूत करती हैं।
—कृष्णा मोहन
Gokharoo
- Author Name:
Pushpita Awasthi
- Book Type:

-
Description:
पुष्पिता की ये कहानियाँ बौद्धिक आडम्बर के बग़ैर एक मानवीय संसार का अन्वेषण करती हैं और बहुत सफलतापूर्वक अपने कथ्य और सहज गद्य के माध्यम से पढ़नेवाले के भीतर तक उतर जाती हैं। यह इनकी काव्यात्मकता ही है जो उन घटनाओं, परिस्थितियों से सवाल करती है जिन्हें ज़रूरी नहीं समझा जाता पर जिनके मानी बहुत बड़े होते हैं।
‘ठंडे बस्ते में पिघलता लावा’ में सुधा के कर्मठ जीवन के बावजूद उसकी हत्या, प्रशासनिक उदासीनता और सुधा के पी.एफ़. से अपनी जेबें भरने के बाद उसके पति की चुप्पी। प्रेम-विवाह की यह परिणति और व्याप्त भ्रष्टाचार का तांडव यदि इस कहानी में दिखता है तो दूसरी ओर ‘दो शब्द’ में अंकिता का प्रेम के अभाव में ठूँठ-सा व्यक्तित्व।
इस संग्रह की कहानियाँ उन चीज़ों की ज़रूरत की कहानियाँ हैं जो हवा, पानी, रोटी, कपड़े की तरह और उससे भी ज़्यादा ज़रूरी लगती हैं।
Aadhi Duniya
- Author Name:
Rashmi Gaur
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत कहानी-संग्रह की कहानियों में जीवन के विभिन्न रंग दृष्टिगत होते हैं। ‘आधी दुनिया’ में रत्ना की समाज-सेवा की लगन, एक मजबूर औरत की अरथी उठने का दर्द उन समाज-सेवी संस्थानों पर व्यंग्य है, जो एक विशेष आभिजात्य वर्ग की महिलाओं के लिए केवल फैशन परेड और विदेशों में घूमने का साधन बनी हुई हैं। जहाँ ‘कान खिंचाई’ में बच्चे बहादुरी का मीठा फल चख पाएँगे वहीं ‘लगन’ में विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य-प्राप्ति का संकल्प। ‘घोंसला’ में टूटते समाज में एकाकीपन का दर्द है तो ‘औलाद’ में अपने वतन में बसने की हौंस। इस प्रकार, नव रंगों में रची ये कहानियाँ अपनी कारुणिकता, मार्मिकता व रोचकता से पाठकों को एक नई दृष्टि देती हैं।
Holi
- Author Name:
Pankaj Subeer
- Book Type:

- Description: Book
Sarla Madam Ke Missed Call
- Author Name:
Dr. Kamal Chaturvedi
- Book Type:

- Description: Book
Pratinidhi Kahaniyan : Usha Priyamvada
- Author Name:
Usha Priyamvada
- Rating:
- Book Type:

- Description: उषा प्रियम्वदा को पढ़ना एक साथ बहुत से बिम्बों में घिर जाना है। बिम्ब जो घुमड़ते बादलों की तरह अनायास तैरते चले आते हैं और एक सार्थक संगति में गुँथकर पहले दृश्य का रूप लेते हैं। कहानियों में परम्परा के निर्वहण की अभ्यस्तता और उसे तोड़ देने की सजगता एक साथ गुँथी हुई मिलती है। 1952 से 1989 तक के कालखंड में फैली उषा प्रियम्वदा की कहानियों का अधिकांश साठ के दशक में उनके विदेश प्रवास के बाद आया है। ज़ाहिर है, डायस्पोरा मनोविज्ञान रिवर्स कल्चरल शॉक से उबरने की क्रमिक प्रक्रिया को नॉस्टेल्जिया में तब्दील कर देता है। इसलिए उषा जी की कहानियों की ज़मीन भले ही विदेशी हो गई हो, वहाँ की खुली संस्कृति और उदार वर्जनामुक्त माहौल से सम्बन्धों में सहजता और कुंठाहीनता पनपी हो, लेकिन उनकी नायिका स्वयं को भारतीयता के संस्कारों से मुक्त नहीं कर पाई है। यही वजह है कि दाम्पत्येतर प्रेम सम्बन्ध बनाते हुए भी वह अपराध-बोध और लोकापवाद के भय से ग्रस्त रहती है। सरपट दौड़ते हुए अचानक ठिठककर खड़े हो जाना, और फिर बिना कुछ कहे अपनी खोह में दुबक जाना उनकी स्त्री की विशेषता है। उषा जी बेहद महीन और कलात्मक पच्चीकारी के साथ उसके चारों ओर रहस्यात्मकता का वातावरण बुनती हैं, जो एक सम्मोहक तिलिस्म का रूप धरकर पाठक के भीतर सीढ़ी-दर-सीढ़ी उतरता चला जाता है, ठीक कृष्णा सोबती की लम्बी कहानी 'तिन पहाड़' की जया की तरह।
Zikre Yaar Chale : Love Notes
- Author Name:
Pallavi Trivedi
- Book Type:

-
Description:
इन लव-नोट्स के तल में प्रेम का समूचा संसार है! ये वैसे ही हैं, जैसे पानी की आण्विक संरचना H2O ही रहती है, चाहे वह जो रूप-रंग ले ले। प्रेम की संरचना वही है—दो अणु मोह—एक अणु समर्पण, एक अणु पीड़ा।
ज़िक्रे यार चले में अतीत, वर्तमान और भविष्य—तीनों कालों में स्पन्दित दो लोगों के बीच का प्रेम रोलरकोस्टर बना हुआ है। कहीं बेचैनी ऐसी है कि सीने में पुराना दर्द जाग उठे! कहीं राहत है प्रेम की अति साँकरी गली से निकल आने की, कहीं समय के उस टुकड़े में बन्द होकर रह जाने की ललक है, कहीं आगत के सपन सलोने हैं। प्रेम के अनगिन रंगों का यह वितान इन्द्रधनुषी भी है। कड़ी धूप का सफ़र भी है तो धारासार बरसात भी है। घुटी-घुटी उमस है, सर्दियों की मीठी गुनगुनी धूप भी है। प्रेम के हर कोण से लेकर हर चाप तक 360 डिग्री का पूरा सर्कल इस छोटी-सी किताब में है।
यही वजह है कि ये लव नोट्स छोटे-छोटे आईने की तरह सामने आते हैं! इनमें आप भी ख़ुद को पाकर चौंक सकते हैं। मुस्कुराइए कि आपके हाथों में पल्लवी त्रिवेदी के लोकप्रिय लव नोट्स हैं—ज़िक्रे यार चले!
—मनीषा कुलश्रेष्ठ
Do Sakhiyan
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

-
Description:
महिला कथाकारों में जितनी ख्याति और लोकप्रियता शिवानी ने प्राप्त की है, वह एक उदाहरण है श्रेष्ठ लेखन के लोकप्रिय होने का। शिवानी लोकप्रियता के शिखर को छू लेनेवाली ऐसी हस्ती हैं, जिनकी लेखनी से उपजी कहानियाँ कलात्मक भी होती हैं और मर्मस्पर्शी भी।
अन्तर्मन की गहरी पर्तें उघाड़नेवाली ये मार्मिक कहानियाँ शिवानी की अपनी मौलिक पहचान हैं जिनके कारण उनका अपना एक व्यापक पाठक वर्ग तैयार हुआ।
इनकी कहानियाँ न केवल श्रेष्ठ साहित्यिक उपलब्धियाँ हैं, बल्कि रोचक भी इतनी हैं कि आप एक बार शुरू करके पूरी पढ़े बिना छोड़ ही न सकेंगे।
प्रस्तुत संग्रह में ‘उपप्रेती’, ‘दो सखियाँ’, ‘चाँचरी’, ‘पाथेय’ एवं ‘बन्द घड़ी’ कहानियाँ संकलित हैं। हर कथा अपनी मोहक शैली में अभिभूत कर देने की अपार क्षमता रखती है।
कलात्मक कौशल के साथ रची गईं ये कहानियाँ हमारी धरोहर हैं जिन्हें आज की नई पीढ़ी अवश्य पढ़ना चाहेगी।
Nanga
- Author Name:
Srinjay
- Book Type:

-
Description:
अपने पहले कथा-संकलन ‘कामरेड का कोट’ से ही चर्चित कथाकार सृंजय ने स्पष्ट कर दिया था कि वे ‘महाजनों’ की पिटी-पिटाई लीक पर नहीं चलेंगे, कि उनकी प्रतिबद्धता ‘जन’ के साथ होगी, जन के सिवा किसी अन्य के साथ नहीं। इस प्रतिज्ञा को और भी पुख़्ता करता है उनका यह दूसरा कथा-संकलन—‘नंगा’।
दृश्य, अदृश्य कितनी ही बेड़िया और कितने-कितने दबाव हैं इस ‘जन’ पर, इनके बीच उसकी आकांक्षाएँ हैं, सपने हैं, दुर्निवार संकल्प हैं, जीवट है, जिजीविषा है, साथ ही क़दम-क़दम पर स्खलन और भटकाव भी। अतीत की धुँधली परछाइयों से लेकर अनागत की आहटों तक फैले सृंजय के कथा-संसार में एक और लोककथाओं का परम्परा-प्रवाह है तो दूसरी ओर लोक-शत्रुओं को पहचानने की अधुनातन दृष्टि भी। इस तरह राष्ट्रीय से लेकर अन्तरराष्ट्रीय साज़िशों को नंगा करती हैं ‘नंगा’ की कहानियाँ।
एकरसता से दूर सृंजय की इन कहानियों का रचना-संसार अलग-अलग बुनावटों और बनावटों, अलग-अलग मिज़ाज और तेवरों से लैस है। इस तरह इनके व्यापक फलक में अगर सामन्तवाद का पूँजीवाद के आगे आत्मसमर्पण कराती ֹ‘मूँछ’ है, तो विश्व बाज़ार के नवऔपनिवेशिक जाल में गुड़प होता स्वदेशी ‘बुद्धिभोजी’ भी, असमान विकास को एक्सपोज करती ‘खल्ली छुलाई’ है, तो धर्म के पाखंड को एक्सपोज करती ‘हममज़हब’ भी...स्वप्नों और आग्रहों की स्वनिर्मित ग़ुलामी की शिनाख़्त करती ‘बैल’ और तमाम अशुभ छायाओं के दंश के बीच आदमी की आदमियत को बचाए रखने की कोशिश के रूप में ‘डमर’ भी...साथ ही सत्ता-समीकरण के प्रलोभन और दबाव के अन्तर्गत जनप्रतिबद्धता के अपचय की प्रक्रिया को दर्शाती अतीत के मिथक के माध्यम से अपने समय को व्यंजित करती ‘राजमार्ग पर’ भी।
इन कहानियों की एक विरल विशेषता यह है कि इनकी व्यंजना ऊपर से कम, मगर अन्दर गहरे, बहुत गहरे उतरती जाती है और अपने परिवृत्त में कितने ही प्रत्ययों को समेटती चलती है। कलात्मकता की सर्वथा नूतन बानगी प्रस्तुत करती ये कहानियाँ एक बार पुन: बलपूर्वक प्रमाणित करती हैं कि कला का आरोपण ऊपर से नहीं होता, बल्कि जीवन में गहरे धँसकर ही उसका अवगाहन होता है।
Antaheen
- Author Name:
Ramesh Pokhariyal 'Nishank'
- Book Type:

- Description: कहानियाँ हमारे आसपास बिखरी होती हैं। उन्हें तलाशने के लिए दूर की कौड़ी नहीं लानी पड़ती। एक पारखी निगाह और संवेदनशील मन इनकी शिनाख़्त कर लेता है। ‘अन्तहीन’ कहानी-संग्रह में शामिल रचनाएँ इस बात को साबित करती हैं। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने ज़िन्दगी के खुरदुरे धरातल पर खड़ी सच्चाइयों को अपनी कहानियों में आवाज़ दी है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि ‘निशंक’ की अनेक कहानियाँ हाशिये का जीवन जी रहे लोगों की व्यथा-कथा हैं। ग़रीबी, रिश्तों में घुसता बाज़ारवाद, स्त्रियों से जुड़े कई प्रश्न, परिस्थितियों की विडम्बना आदि से ‘निशंक’ ने कथा-सूत्र एकत्र किए हैं। सूत्रों का विस्तार करते हुए वे पाठकों को कल्पना की भूलभुलैया में भटकाते नहीं। सीधी सरल सादगी से भरी भाषा शैली में अपनी बात कह जाते हैं। ‘गेहूँ के दाने’ इस सन्दर्भ में पठनीय है। मध्यवर्गीय कश-म-कश को भी लेखक ने लक्षित किया है। ‘कैसे सम्बन्ध’ और ‘दहलीज़’ सरीखी कहानियों से पता चलता है कि अभी तक जाने कितनी वर्जनाएँ प्रगति का रास्ता रोककर खड़ी हैं। ‘फिर ज़िन्दा कैसे' कहानी के नायक सुनील का पागलपन अन्दर तक झकझोर देता है। ‘अन्तहीन’ की कहानियाँ जीवन के अँधेरे और उजाले की गवाहियाँ हैं।
Kala Shukravar
- Author Name:
Sudha Arora
- Book Type:

-
Description:
समकालीन कहानी में कृष्णा सोबती, मन्नू भंडारी और उषा प्रियम्वदा के एकदम बाद की पीढ़ी में सुधा अरोड़ा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। चार दशकों की विशिष्ट कथा-यात्रा में एक लम्बे अन्तराल के बाद सुधा अरोड़ा का यह कहानी-संग्रह ‘काला शुक्रवार’ न सिर्फ़ उनके पाठकों को उत्साहित करता है, बल्कि समकालीन महिला-लेखन की एक सार्थक और संवेदनशील पहचान बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सुधा अरोड़ा की कहानियाँ ‘स्व’ से प्रारम्भ कर समाज की पेचीदा समस्याओं और समय के बड़े सवालों से जूझती हैं। ‘काला शुक्रवार’ और ‘बलवा’ में प्रकटतम रूप में तो ‘दमनचक्र’ और ‘भ्रष्टाचार की जय’ में तीखे रूप में उस राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था की विद्रूपताओं, भ्रष्टाचार के घिनौने रूप और आपराधिक चरित्रों के राजनीतिक संरक्षण की बखिया उधेड़ी गई है जिसने सामान्य आदमी के सुख-चैन को छीनकर जीने लायक़ नहीं रहने दिया है। आदमी के निरन्तर अमानवीय होते चले जाने की प्रक्रिया को सन् सैंतालीस के साम्प्रदायिक दंगों से लेकर अब तक के राजनीतिक सन्दर्भों में विश्लेषित करती उनकी चिन्ता बेहतर मानवीय मूल्यों को बचाने की है।
सुधा अरोड़ा की कहानियाँ एक व्यापक फलक पर बदलती हुई दुनिया में स्त्री के सतत और परिवर्तनकारी संघर्ष को सार्थक स्वर और दिशा देती भी दिखाई देती हैं। ‘रहोगी तुम वही’ से लेकर ‘अन्नपूर्णा मंडल की आख़िरी चिट्ठी’ तक सुधा अरोड़ा की कहानियाँ स्त्री-सुलभ सीमित संसार की वैयक्तिक अभिव्यक्तियाँ नहीं हैं, बल्कि इनमें पुरुषशासित समाज में स्त्री के लिए जायज़ और सम्मानजनक ‘स्पेस’ बनाने की उद्दाम लालसा पूरी गहराई के साथ महसूस की जा सकती है। आज के समय और परिवेश की गहरी पहचान, कथा-शैली में एक अन्तरंग निजता का सम्मोहक प्रभाव एवं गद्य में सरलीकरण का सौन्दर्य और इन सबके बीच व्यंग्य की तिक्तता सुधा अरोड़ा की इन बहुचर्चित कहानियों को एक विशिष्ट कथा-रस प्रदान करती है और पाठक को आद्यन्त बाँधे रखने में सक्षम सिद्ध होती है।
इन कहानियों के ज़रिए आज की जटिल महानगरीय विसंगतियों में एक सार्थक और साहसिक हस्तक्षेप की महत्त्वपूर्ण सम्भावना भी बनती दिखाई देती है।
Kise Salaam Karoon
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

- Description: बीते दिनों ईरान की महिलाओं ने अपने मुल्क में अपनी अस्मिता, अपनी पहचान और आज़ादी के लिए आवाज़ उठाकर पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। उनके साहस के लिए उन्हें दुनिया के स्वाधीनचेता लोगों की प्रशंसा भी मिली। ‘किसे सलाम करूँ’ शीर्षक इस कहानी-संग्रह में ईरानी लेखिकाओं द्वारा लिखी गई फ़ारसी कहानियों का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया जा रहा है। अनुवाद किया है हिन्दी की वरिष्ठ कथाकार नासिरा शर्मा ने जो लम्बे समय से ईरानी समाज, साहित्य और राजनीति को नज़दीक से देखती और उनके बारे में लिखती रही हैं। इन कहानियों से गुज़रते हुए हमें न सिर्फ़ ये पता चलता है कि भारतीय और ईरानी समाज के मसले, वहाँ पर स्त्री की स्थिति और पुरुष का वर्चस्व काफ़ी मिलते-जुलते हैं, बल्कि ये कहानियाँ यह भी बताती हैं कि स्त्रियों की संवेदना, उनके विचार और उनके ख़्वाब भी दोनों जगह काफ़ी कुछ एक जैसे ही हैं। लेकिन यह भी सच है कि धर्म और राजनीति के चलते उन्होंने जो झेला है, वह हमारे हिस्से में उस तरह और उतना नहीं आया। यही वजह है कि उनकी रचनाओं में उनकी बेबसी, उनका प्रतिरोध और उनकी ख़ुशियाँ अपेक्षाकृत ज़्यादा सूक्ष्म और इसीलिए ज़्यादा तीक्ष्ण रूप में प्रकट होती हैं। जिन कथाकारों की रचनाएँ इस पुस्तक में शामिल हैं, वे सभी ईरान और फ़ारसी भाषा की स्थापित और लोकप्रिय रचनाकार हैं और साहित्य में उनके योगदान को व्यापक स्वीकृति मिली है। हिन्दी के पाठकों को ये कहानियाँ अपनी-सी भी लगेंगी और नई भी।
Beech Dhar Mein
- Author Name:
Vinod Das
- Book Type:

- Description: 'बीच धार में' पढ़ी। आपकी यह पहली गद्य रचना है जिससे मैं रूबरू हुआ। यह रचना आपकी अन्य रचनाओं के प्रति गहरी दिलचस्पी जगाती है। एक मामूली विषय को लेकर आपने जिस तरह घटनाओं, स्थितियों और मन:स्थितियों का वितान रचा है, काफी मुकम्मल लगता है। लगता है, गहरे तक महसूस कर, देर तक जीकर यह रचना नि:सृत हुई है। —ओमा शर्मा, कथाकार कहानी 'बार-बार' दो दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। एक, बात मनोविज्ञान का सूक्ष्म चित्रण जिसकी परंपरा लुप्त हो रही है। दूसरी विशेषता है—राजनीति में भागीदारी के प्रति औसत औरत की लालसा जिसे राजनीति के प्रति स्त्री की उदासीनता का विपरीत नाम देकर मीडिया और तथ्यों द्वारा नज़रंदाज़ करने का जतन किया जाता है या जो स्त्रियाँ राजनीति में हैं, उन्हें मायावती और जयललिता के खाते में डाल बदनाम करने की कुत्सित कोशिश की जाती है। कहानी के भीतरी तहों में चुपके से पैठा पुरुष वर्ग का यह दंभ भर दुष्चक्र स्त्री के चरित्र हनन की कोशिशों, लोकापवादों और घरेलू सम्बन्धों को विषाक्त करने में प्रामाणिक ढंग से उभारा है। कहानी यह प्रसंग भी उठाती है कि अपनी महत्वाकांक्षाओं को साकार करने के लिए पुरुष सी कूटनीति और राह का सहारा लेती स्त्री तिरस्कृत क्यों समझी जाती। —रोहिणी अग्रवाल, आलोचक दरअसल विनोद दास की कहानियाँ विषयवस्तु और रूप के उस एकत्व का भी उदाहरण हैं जिसे हासिल करना हर कहानीकार का लक्ष्य होता है और जिसके बिना एक कहानी अच्छी भले ही हो, मुकम्मल नहीं हो सकती। —रश्मि रावत, आलोचक
Is Hamam mein
- Author Name:
Chitra Mudgal
- Rating:
- Book Type:

- Description: कहानी को लेकर होनेवाली तमाम चर्चाओं को ध्यान में रखा जाए तो यह विश्वास करना पड़ेगा कि किसी के लिए कहानी केवल भाषा है, किसी के लिए केवल स्थिति चित्रण, कुछ के लिए केवल विचार है तो कुछ के लिए सिर्फ संवेदनाओं का अभिलेख। हरेक के अपने-अपने प्रवर्तक और समर्थक हैं, जो कभी इसे तो कभी उसे कहानी का शिखर घोषित करते रहते हैं। अपने उत्साह में वे यह भुला देते हैं कि कथा साहित्य के व्यापक कैनवस पर अलग-अलग रंगों के रूप में तो उनका कुछ महत्त्व हो सकता है, लेकिन किसी एक को ही कहानी का सर्वोच्च पैमाना नहीं बनाया जा सकता। अर्थरहित भाषा का झुनझुना कब तक बज सकता है, या जीवन-स्थितियों से रहित संवेदना का या संवेदनाविहीन जीवन-स्थितियों का क्या अर्थ है? बहुत से रचनाकार ऐसे हैं, जो प्रचलित मुहावरों और फैशनों से अप्रभावित रहते हुए इस बात के प्रति सचेत हैं कि कहानी वह सबकुछ है और इन सबसे मिलकर बनती है। चित्रा मुद्गल इन्हीं सचेत दृष्टि सम्पन्न रचनाकारों में हैं। उनकी कहानियों का मुख्य सरोकार समकालीन जीवन-स्थितियों में मनुष्य के भीतरी संसार का उद्घाटन है। लेकिन यह भीतरी कशमकश भी बदलते जीवन-परिवेश का आत्मीय ब्योरों और कलात्मक नजर के साथ अंकन भी करती चलती है। इस तरह ये इकहरी अभिव्यक्ति की कहानियाँ न होकर कई स्तरों पर प्रभावित करनेवाली कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ मानवीय सम्बन्धों की आन्तरिक जटिलताओं का अंकन पात्रों को उनके परिवेश से काटकर शिमला या कश्मीर के डाकबँगलों में ले जाकर नहीं, बल्कि उनके दैनन्दिन जीवन के संघर्षों के बीच, सामाजिक व्यवस्था की पृष्ठभूमि में करती हैं, जहाँ रोजी-रोटी का संघर्ष भी है और पारिवारिक परम्पराओं तथा जीवन की रूढ़ स्थितियों से टकराव भी।
Sanatan Buddha, Shashvat Yogi
- Author Name:
Shashank Mahalwal
- Book Type:

- Description: यह कहानी चेतना की रहस्यमयी विशेषताओं पर आधारित है। इस कहानी में लेखक ने चेतना की एक ऐसी विशेषता पर प्रकाश डाला है, जिसे साधारणत: आज तक चेतना की लीला में अनदेखा किया गया है और चेतना की उस विशेषता का नाम है जिज्ञासा । इस कहानी में लेखक ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि जिज्ञासा ही वह शक्ति थी, जिसने क्रम- विकास को दिशा प्रदान की और जिज्ञासा ही वह शक्ति थी, जिसने सिद्धार्थ गौतम को समाधि को प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान की । जिज्ञासा चेतना की एक ऐसी शक्ति है, जिसकी कार्यप्रणाली को अभी तक पूर्ण रूप से समझा नहीं गया है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने जिज्ञासा की ऐसी ही रहस्यमयी विशेषताओं पर प्रकाश डाला है, जो जीवन का भी मार्गदर्शन करती हैं तथा अपनी भूमिका पदार्थ एवं ऊर्जा-जगतृ में भी निभाती हैं। ब्रह्मांड और जीवन में जिज्ञासा की भूमिका को समझाने के साथ- साथ लेखक ने इस कहानी में यह भी समझाने का प्रयास किया है कि योग और ध्यान वास्तविकता में जीवन को लीला में क्या भूमिका निभाते हैं तथा किस प्रकार मानव इनकी सहायता से बुद्ध के आयाम को प्राप्त कर सकता है।
Shahar Ki Aakhiri Chidiya
- Author Name:
Prakash Kant
- Book Type:

- Description: Short Stories
Rekhayen Bolti Hain
- Author Name:
Geetashree
- Book Type:

- Description: Book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...