Kahaniyan Rishton Ki : Maa
Author:
AkhileshPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
माँ यानी दुनिया से पहली पहचान, पहला रिश्ता। एक ऐसा रिश्ता जो जन्म के पहले से ही शुरू हो जाता है। बाद में सन्तान जैसे-जैसे बड़ी होने लगती है, उसकी दुनिया का विस्तार होने लगता है, उसके जीवन में माँ की केन्द्रीयता ख़त्म हो जाती है पर माँ के समूचे व्यक्तित्व और सद् भावना के केन्द्र में उसकी सन्तान ही रहती है। इस संकलन में लगभग सभी महत्त्वपूर्ण कहानियों को चयनित किया गया है, जिससे ‘माँ’ का कोई भी जाना-अनजाना चेहरा छूट न सके। यक़ीनन इसे पढ़ते हुए पाठकों की अपने जीवन से जुड़ी बहुत सारी छवियाँ और स्मृतियाँ कुछ और चटख होंगी।
ISBN: 9788126725519
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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निर्विवाद रूप से यह स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी-कहानी का बेजोड़ संकलन और प्रामाणिक ‘हैंड-बुक’ है। यह सिर्फ़ कुछ कहानियों का ढेर या बंडल नहीं है, बल्कि इनके चुनाव के पीछे एक विशेष जागरूक दृष्टि और कलात्मक आग्रह है।
इसीलिए आज की सम्पूर्ण रचनात्मक चेतना को समझने के लिए ‘एक दुनिया : समानान्तर’ अपरिहार्य और अनुपेक्षणीय संकलन है, ऐतिहासिक और समकालीन लेखन का प्रतिनिधि सन्दर्भ ग्रन्थ...
‘एक दुनिया : समानान्तर’ की भूमिका ने कथा-समीक्षा में भीषण उथल-पुथल मचाई है, मूल्यांकन को नए धरातल दिए हैं। यह समीक्षा अपने आप में हिन्दी के विचार-साहित्य की एक उपलब्धि है।
यह नया संस्करण इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है।
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