Koi Hai Jo : Aur Anya Kahaniyan
Author:
Devi Prasad MishraPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
एक बड़े सामाजिक-राजनीतिक विज़न के साथ लिखी जाती कोई है जो की कहानियाँ भारतीय उजाड़ से गुज़रने की यातना देती हैं जिसमें एक प्रलम्बित आलाप की साँसहीनता होती है जो एक मन्द्र भाषिक नितान्तता और सांगीतिकता में ढलती जाती है : इसमें ढलती और अकेला छोड़ जाती साँझ का नागरिक अवसाद होता है और फैलते तिमिर का संशय। पात्र-प्रमुख और अन्तर्वस्तुमयी कथाएँ कहते हुए देवी प्रसाद मिश्र दुविधा और द्वन्द्व की अन्तर्यात्रा को रुकने नहीं देते और किसी भी पॉपुलिस्ट अन्त का निषेध करते हैं। देवी अपनी कहानियों में प्रकट और अप्रकट हिंसा को और हवाओं में घूमती भय और संशय की थरथराहट को और उजाले को ग्रसती अँधेरे की छायाओं को विचलित करनेवाले मर्म के साथ बुनते हैं कि जैसे भारतीय हताशा को कहने वाली किसी फ़िल्म को वह फ़्रेम-दर-फ़्रेम विनिर्मित कर रहे हों। कहन की प्रविधि में प्राय: आत्मकथात्मक होते देवी क्षत-विक्षत होती भारतीय नागरिकता के अनन्य प्रवक्ता हैं। तमाम तरह की त्रासदियों और ख़ून में लिथड़ते नैरेटिव के बावजूद देवी की कहानियों को ट्रैजिक विज़न में परिघटित करना सरलीकरण होगा। उन्हीं की कहानी सुलेमान कहाँ है की तर्ज़ पर कहा जा सकता है कि देवी की कहानियाँ पूछती हैं कि कहाँ हैं न्यायसम्मत, विवेकसम्मत, समतामूलक, भयमुक्त और अहिंसक संरचनाएँ। कवि देवी प्रसाद मिश्र की कहानियाँ कविता और उसके कारोबार से दूर नहीं हो पातीं—यह कथाओं की अन्तर्लय में ही नहीं, उनकी वस्तु और काव्योन्मुख भाषा में भी विपुलता के साथ उपस्थित रहता है। इस संधि को देवी ने अपनी किताब मनुष्य होने के संस्मरण में बहुधा प्रकट कर दिया था जो इन लम्बी कहानियों में विदीर्ण करने वाली आयामिता, प्रवेग, आवेश और अफ़सुर्दगी के साथ मौजूद है। हिन्दी कहानी के प्रतिष्ठानों और उसके हो-हल्ले, समीकरण-गणित से बाहर बैठे अदूषित देवी की कथाओं को पढ़ना उत्पीड़न ही नहीं, अवरुद्ध परिवर्तन से उठती विकलता को जानना-समझना भी है।
ISBN: 9789360861803
Pages: 176
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Gopalram Gahmari
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- Description: "मूर्धन्य साहित्यकार गोपालराम गहमरी हिंदी साहित्य में उपेक्षित हैं। कई विधाओं में उन्होंने प्रचुर साहित्य लिखा, लेकिन अपने देश के कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में वे कहीं नहीं हैं। न उनके संस्मरण, न कहानियाँ, न कविताएँ, न उपन्यास, न अनुवाद। उन पर एक जासूसी लेखक का ठप्पा लगाकर उनके पूरे रचनाकर्म से ही हमारे कथित आलोचकों ने किनारा कर लिया, जैसे ये जासूसी उपन्यास घोर पाप हों। फिर धीरे-धीरे उन्हें जान-बूझकर बिसरा दिया गया; लेकिन अब फिर उनके साहित्य की खोज होने लगी है। फिर से लोग अब गहमरीजी की रचनाओं से परिचित होने को बेताब दिख रहे हैं। यह अच्छी बात है। राख के भीतर छिपी आग अब बाहर आ रही है। साहित्य पाठकों के भरोसे जिंदा रहता है, आलोचकों के भरोसे नहीं। कबीर, तुलसी, रैदास अपनी रचनाओं के बूते जिंदा हैं, आलोचकों के भरोसे नहीं। गोपालराम गहमरी अब पुस्तकालयों से बाहर आ रहे हैं। उनकी जासूसी कहानियों में रहस्य और रोमांच है; गुत्थियाँ हैं, जिन्हें सुलझाने के रोचक प्रसंग भी हैं, जो पाठक को बाँध लेंगे। "
Something Unspoken Too - Award Winning Short Stories
- Author Name:
Prem Parkash +1
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- Description: Something Unspoken Too, Kujjh Ankeha Vi, which won Prem Parkash the prestigious Sahitya Akademi Award in 1992, is now being rendered into English as Something Unspoken Too. Most of the stories iun this collection bear testimony to this unique facet of Prem Parkash's art and craft, through which he searches for the hidden, the unrevealed, the mysterious and the unspoken, all in an effort to understand the complexities of human motives and actions. Thestories in this collection move precariously across the spectruuum of words and silences, giving rise to spaces in which the unarticulated can aesthetically be located. Prem Parkash is a 'poet' of the twilight zone, a wanderer of forbidden territories and a cartographer of complex human relationships.
Vishwa Ki Shreshtha Kahaniya : Vol. 2
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

- Description: भारतीय भाषा परिषद ने भारतीय भाषाओं की कई चुनी हुई रचनाओं के संकलन पहले भी प्रकाशित किए हैं। अब इसी क्रम को बढ़ाते हुए, इसी शृंखला में विश्व की श्रेष्ठ कहानियाँ प्रकाशित की जा रही हैं। उम्र के हर मोड़ पर ये कहानियाँ पाठकों के जेहन से टकराई होंगी, कभी लिखित रूप में, कभी वाचिक। सुदूर देशों के भूगोल और इतिहास को उलाक कर इन रचनाओं ने हमारे स्मृति-कोष को समृद्ध किया है। इनकी गहरी मानवीय दृष्टि, मार्मिक सृष्टि और वृहत्तर अभिप्रायों ने हमें ऐसा छुआ है कि हमने इन्हें अपना पाथेय समझा। विश्व कथा साहित्य से परिचित होने की राह में भारतीय भाषा परिषद का यह विनम्र प्रयास है। —ममता कालिया
Shreshtha Bal Kahaniyan part 4
- Author Name:
Prakash Manu
- Book Type:

- Description: A Collection of Hindi short stories for children, compiled and edited by Prakash Manu.
Pratinidhi Kahaniyan : Geetanjali Shree
- Author Name:
Geetanjali Shree
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- Description: यह गीतांजलि श्री की कहानियों का प्रतिनिधि संचयन है। गीतांजलि की लगभग हर कहानी अपनी टोन की कहानी है और विचलन उनके यहाँ लगभग नहीं के बराबर है और यह बात अपने आपमें आश्चर्यजनक है क्योंकि बड़े-से-बड़े लेखक कई बार बाहरी दबावों और वक़्ती ज़रूरतों के चलते अपनी मूल टोन से विचलित हुए हैं। यह अच्छी बात है कि गीतांजलि श्री ने अपनी लगभग हर कहानी में अपनी सिग्नेचर ट्यून को बरकरार रखा है। लेकिन सवाल यह है कि गीतांजलि की कहानियों की यह मूल टोन आख़िर है क्या? एक अजीब तरह का फक्कड़पन, एक अजीब तरह की दार्शनिकता, एक अजीब तरह की भाषा और एक अजीब तरह की रवानी। लेकिन ये सारी अजीबियतें ही उनके कथाकार को एक व्यक्तित्व प्रदान करती हैं। यहाँ यह कहना ज़रूरी है कि यह सब परम्परा से हटकर है और परम्परा में समाहित भी।
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