Pattharbaaz
Author:
Neerja MadhavPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 100
₹
125
Available
1947 में भारत की आज़ादी के बाद से ही आतंकवाद, अलगाववाद, कश्मीर समस्या, सीमा-तनाव, शरणार्थी समस्या आदि से जूझता हुआ भारत देश कैसे हमारे वीर सैनिकों के कारण सुरक्षित बना हुआ है, यह भारतीय जनता के लिए गौरव और आश्वस्ति का कारण है तो पूरे विश्व के लिये स्पृहा का। शायद ही विश्व के किसी देश के सैनिकों में यह अदम्य साहस और शौर्य हो, जो माइनस टेम्परेचर और कठिन जीवनचर्या के बीच अपने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान देने का ऊर्जस्वी भाव रखते हों।
इस संग्रह की कुछ कहानियाँ सीधे-सीधे भारतीय सैनिकों के शौर्य और सहनशीलता दोनों से संवाद करती हैं तो कुछ कहानियाँ सामाजिक ताने-बाने को रूपायित करती है
ISBN: 9789389243482
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Bipin Kumar Sharma
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- Description: विपिन हमारे समय की विडंबनाओं के सजग पर्यवेक्षक और भोक्ता हैं। उनकी कहानियों को पढऩा अपने समय की तल्ख सचाइयों से रू-ब-रू होना है। एक तरफ नव-उदारवादी हमले के शिकार मनुष्य का लहूलुहान अंतर-बाह्य व्यक्तित्व उनकी कहानियों में उभरा हुआ है, तो दूसरी तरफ परंपरागत समाज की सूक्ष्म, और कई बार स्थूल, हिंसा के भी विचलित कर देने वाले चित्र हैं। इस कहानीकार के तसव्वुर में कहानियाँ ठोस घटनाक्रम के रूप में उभरती हैं, जहाँ प्रस्तुति के मुकाबले कथा-स्थितियाँ, चरित्र और उनके बीच से आकार लेते मुद्दे ज़्यादा अहमियत रखते हैं। वे व्यवस्था की मानवविरोधी चालों को बेनकाब कर रहे हों ('गिलोटीन’) या निगरानी और अनुशासन के नाम पर बच्चे को मनोवैज्ञानिक स्तर पर तबाह कर देने वाले शिक्षाशास्त्र की आलोचना कर रहे हों ('जाग तुझको दूर जाना’), व्यवस्थागत ना-इंसाफी के शिकार बेरोज़गार युवाओं की विडंबना चित्रित कर रहे हों ('शुतुरमुर्ग’) या बिना किसी गलती के सज़ा भुगतने वाली स्त्री की अकथ पीड़ा का एक बच्चे की निगाह से साक्षात्कार करा रहे हों ('दिन ढले की धूप’)— अपने अंदाज़े बयां से पाठक को गिरफ्त में लेने की कोशिश वे नहीं करते, बल्कि समस्या को परत-दर-परत उधेड़ते हुए पाठक को उन पहलुओं की शिनाख्त के लायक बनाते हैं जिनकी ओर उसकी निगाह नहीं गई थी। वे कथा-कथन में ऐसी सादगी और सहजता के साधक हैं जो एक छल-योजना की तरह उनकी हिकमतों को अदृश्य बनाए रखती है। मिसाल के लिए, इस संग्रह की शीर्षक कहानी में बच्चे की निगाह से कहानी की प्रस्तुति को आप किसी युक्ति की तरह महसूस नहीं करते... सादगी की इसी साधना के कारण विपिन को पढ़ते हुए आपको ऐसा लगता है कि आप लेखक को नहीं, सिर्फ उसकी कहानी को पढ़ रहे हैं। —संजीव कुमार
Pratinidhi Kahaniyan: Manzoor Ehtesham
- Author Name:
Manzoor Ehtesham
- Book Type:

- Description: बड़े मानवीय विज़न और अपने परिवेश में धड़कते जीवन की सूक्ष्म हरकतों को एक सहज भाषा में पकड़ने वाले कथाकार मंज़ूर एहतेशाम की ये कहानियाँ हमें उनकी कथा-विधियों और विश्व दृष्टि, दोनों से परिचित कराती हैं। अपने यादगार उपन्यासों से जाने जानेवाले मंज़ूर अपनी कहानियों के छोटे फलक में बड़े सवाल उठाते हैं, जिनके दायरे में राजनीति, समाज, मनुष्य निर्मित आपदाओं से लेकर धार्मिक जड़ताओं से उपजी अमानवीयता तक आ जाती है। शिल्प के स्तर पर जोखिम उठाते हुए वे कैसे अपने समय के सत्य के पीछे दूर तक चले जाते हैं, इस संचयन में शामिल कहानियों से हमें यह भी पता चलता है। इस प्रस्तुति की सम्पादक वन्दना राग की यह टिप्पणी ठीक ही है कि ‘अपनी ख़ूबसूरत भाषा और बिम्बों के साथ-साथ मुलायम अहसासों का ऐसा ताना-बाना रचनेवाले’ कथाकार कम ही होंगे।
Pali
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

- Description: भीष्म साहनी का यथार्थबोध यद्यपि समाज को कई बार बहुत वेधक दृष्टि से देखता है, लेकिन करुणा से परहेज करते वे कहीं दिखाई नहीं देते। करुणा का उछाल यहाँ इतने स्वाभाविक रूप में आता है कि पाठक गहरी आन्तरिक वेदना से भर उठता है और समाज की न्यायसंगत पुनर्रचना उसे अनिवार्य लगने लगती है। विभाजन की यादों को ताजा करानेवाली कुछ कहानियाँ इस संग्रह (प्रथम प्रकाशन, 1989) में भी हैं जिनमें सबसे प्रमुख है 'पाली’। इस कहानी में करुणा का परिपाक अद्भुत ढंग से मर्मस्पर्शी है। एक छोटा-सा बच्चा पाकिस्तान से भारत आते समय अपने माता-पिता से बिछुड़कर वहीं रह गया, और एक मुस्लिम माँ-बाप का लाड़ला हो गया। पाँच-छह साल बाद उसे वापस अपने माता-पिता के पास भारत ले आया गया। हिन्दू-मुसलमान आदि पहचानों के खोखलेपन को उजागर करती यह कहानी हृदयवान पाठक को बार-बार भिगो जाती है। 'आवाजें’ इस संग्रह की एक और महत्त्वपूर्ण कहानी है जिसमें विभाजन के बाद भारत आए शरणार्थियों के बसने-बढ़ने की प्रक्रिया का वर्णन बहुत दिलचस्प ढंग से किया गया है। घरों की नींव पड़ने से लेकर उनके बहुमंजिला होकर किराए पर चढ़ने तक। संग्रह में कुछ ग्यारह कहानियाँ हैं जो अलग-अलग कोणों से मन और मनुष्य का उत्खनन करती हैं।
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