Beech Bahas Mein
Author:
Nirmal VermaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
बीच बहस में निर्मल वर्मा की चार चर्चित कहानियों का संकलन है। इन चारों ही कहानियों में वे सम्बन्धों की पारम्परिक भारतीय अवधारणा और पश्चिम में इन सम्बन्धों के बदलते स्वरूप का चित्रण करते हैं।</p>
<p>व्यक्ति की स्वतंत्रता, जीने के अपने ढंग को चुनने की आजादी, नैतिक वर्जनाओं से टकराहट, मानवीय जवाबदेही का गहरा बोध और इन सबका परस्पर संघर्ष इन कहानियों की आधारभूत भाव-भूमि है।</p>
<p>यह निर्मल जी का चौथा संग्रह है जिसका प्रथम प्रकाशन 1973 में हुआ था। इसमें भूमिका की तरह उनका एक संक्षिप्त आलेख भी शामिल है—‘अपने देश वापसी’। विदेश-प्रवास के उपरान्त भारत वापसी पर वे जैसे अपने समाज और परिवेश को देखते हैं उसका अत्यन्त विचारोत्तेजक विवेचन वे इसमें करते हैं। मिसाल के तौर पर ये पंक्तियाँ—“ग़रीबी और दरिद्रता में गहरा अन्तर है। भारत लौटने पर जो चीज़ सबसे तीखे ढंग से आँखों में चुभती है, वह ग़रीबी नहीं (ग़रीबी पश्चिम में भी है), बल्कि सुसंस्कृत वर्ग की दरिद्रता। एक अजीब छिछेरापन, जिसका ग़रीबी के आत्मसम्मान से दूर का भी रिश्ता नहीं।”</p>
<p>‘बीच बहस में’ शीर्षक कहानी पारिवारिक रिश्तों के भीतर फैलती सम्बन्धहीनता को जितनी तीव्रता के साथ रेखांकित करती है, वह विस्मयकारी है। इसी तरह अन्य कहानियाँ भी अपने-अपने परिवेश में सामाजिक यथार्थ के उस पक्ष पर प्रकाश डालती हैं, जिसका सामना तो कुछ व्यक्ति कर रहे होते हैं, लेकिन उसकी जड़ें समाज में दूर तक फैली होती है।
ISBN: 9789360862145
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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