Abhilasha
Author:
Panna JhaPublisher:
Antika Prakashan Pvt. Ltd.Language:
MaithiliCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 188.6
₹
230
Available
Collection of Short stories
ISBN: 9789388799966
Pages: 96
Avg Reading Time: 3 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Maati
- Author Name:
Shivshankar Shrinivas
- Book Type:

- Description: मैथिली कहानी को युगीन, प्रगतिशील और चेतना-सम्पन्न बनाने में कहानीकार शिवशंकर श्रीनिवास महत्त्वपूर्ण हैं। वे एक साथ गंवई और शहरी जीवन यथार्थ को अपनी कहानियों में मूत्र्त करते हैं। मिथिला समाज का एक बड़ा भूभाग इनकी कहानियों में अनूठे रूप में चित्रित हुआ है तो वहीं महानगरीय जीवन की विद्रूपता-विरूपता भी विभिन्न रूपों और छवियों में बेधक ढंग से व्यंजित हुई है। पीडि़त-वंचित और विपन्न स्त्री-समाज का एक बड़ा और अर्थपूर्ण कैनवास भी इनकी कहानियों की आधारभूमि रहा है। अपने रागात्मक और बहुरंगी जीवन की मार्मिक अभिव्यक्ति के कारण इनकी कहानियाँ चर्चित-बहुपठित रही हैं। कहानियों की सघन बुनावट, उनका आंतरिक सौंदर्य, भाषा-प्रवाह की सहजता, कथ्यों के दुर्लभ प्रयोग, संवादों की गतिमयता, जीवन यथार्थ की विश्वसनीयता इन्हें विरल कहानीकार के रूप में स्थापित करते हैं।
Mystery of the Missing Cap and Others - Award Winning Stories
- Author Name:
Manoj Das
- Rating:
- Book Type:

- Description: Mystery of the Missing Cap and Others Stories, originally published as Manoj Dasanka Katha O Kahini was the first collection of short stories in Odia to receive the Sahitya Akademi Award (1972). The collection spans twenty-two years of the writer's contribution to Odia short story. While Sri Das has won wider recognitions through his subsequently written stories, roping into the circle of his admires writers like Graham Greene and H.R.F. Keating, this collection marks a mile stone in the evolution of Odia fiction, infusing into the genre of short stories a neew vitality through a combination of deep psychological insight into characters and situations and a remarkable precision in sytle. The translation is by the author himself whoalso occupies a special places in Indian writing in English.
Shoonya
- Author Name:
Chitra Mudgal
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Indian Stories Vol 1
- Author Name:
K. Sreenivassarao
- Rating:
- Book Type:

- Description: Volume 1 of Indian Stories is a curated selection of short stories translated into English from various Indian languages. This volume goes beyond being a simple collection; it captures the evolving social conditions and value systems over the past sixty years. The diverse stories showcase the richness of Indian culture and tradition, while also featuring universal elements that resonate with contemporary audiences and other cultures. The narratives within this anthology reflect the essence of India over time, weaving in mystical elements as they bridge the past and present. The dynamism, wisdom, and human qualities present in these tales ensure their relevance for generations. This is the first volume in a series, with each installment designed to highlight different aspects of Indian culture.
Kavita Ka Ganit
- Author Name:
Prakash Thapliyal
- Book Type:

-
Description:
‘कविता का गणित’ प्रकाश थपलियाल का दूसरा कहानी-संग्रह है। इसमें जहाँ कई वाकयों को कथाकार नये नजरिये के साथ पेश करता है वहीं उनका व्यंग्य भी पाठक को अन्दर तक उद्वेलित करता है। जीविका और श्रद्धा के बीच का द्वन्द्व ‘लाल सलाम’ जैसी कहानियों में खुलकर उभरता है तो ‘बोरी’ और ‘मजमा’ जैसी कहानियों में राजनीति और बाजार की सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते पात्र दिखाई देते हैं। ‘कीड़ा-जड़ी की खोज में’ कहानी कथाकार की किस्सागोई की अपनी ही तकनीक और बुनावट सामने लाती है। कुल मिलाकर इस कथा-संग्रह में हर कहानी का अपना ही सलीका और रंग है।
‘गाली’ कहानी को पढ़कर पाठक सोचने को मजबूर हो जाता है कि ऐसा क्यों है कि गाली हमेशा औरत को केन्द्र में रखकर ही दी जाती है। ‘लाल सलाम’ कहानी विचार को श्रेष्ठतम और अक्षुण्ण बताने वालों से सवाल करती है तो ‘भगवान इनसान’ में लेखक भगवान और इनसान के बीच का फर्क आसानी से सामने रख जाता है।
‘मजमा’ पैसे की ताकत की तरफ इंगित करती है और बताती है कि बाजार में कीमती वह चीज नहीं है जो ज्यादा काम की है बल्कि वह है जिसे ज्यादा काम की बताया जाता है। मुकाबला इसमें है कि बताने के इस फन में कौन कितना माहिर है।
थपलियाल का कहानी कहने का भी अपना भिन्न तरीका है जिसमें वे जब-तब प्रयोग करते दिखाई देते हैं। अपनी कहानियों के बारे में स्वयं उनकी धारणा है कि हिन्दी मुख्यधारा में पर्वतीय परिवेश के शब्दों की बहुत कमी है और पर्वतीय बोली-भाषा से अधिक से अधिक संवाद द्वारा यह कमी दूर की जा सकती है। इन कहानियों में उन्होंने यह संवाद बनाने की भी कोशिश की है। वे घटनाधर्मिता को कहानी की आत्मा मानते हैं और उनकी कहानियों की पठनीयता इसी घटनाधर्मिता से बनती है जिसे वे बिना हिंसा और मार-धाड़ के, मासूमियत से निभा जाते हैं और पाठक को नई दिशा में सोचने को प्रेरित करते हैं।
Rajdhani Kab Aayegi
- Author Name:
Martin John
- Book Type:

- Description: सामाजिक ताने-बाने में तेज़ी से हो रहे परिवर्तन, भगवान बनते जा रहे बाज़ार का दबाव, लगातार ज़्यादा ही मसरूफ होते जा रहे इन्सान की निरंतर भोथरी होती जा रहीं संवेदनाओं, हवस और रुतबे की अकड़ में अमानवीय होते जा रहे लोगों के अवैध नैक्सस जैसे मसलों को लेकर मार्टिन जॉन की चिंताएँ उनकी इस संग्रह की कहानियों में अलहदा ढंग से अभिव्यक्त हुई हैं। रेलकर्मी होने का उनका अनुभव और निजी जीवन-रुचियों के आत्मिक संस्पर्श इन चिंताओं को और ज़्यादा विश्वसनीय, ऐंद्रिक लगाव से भरपूर, जीवंत, चाक्षुष और विशिष्ट बनाकर परोसने में काफी मददगार साबित होते हैं। रेल-जीवन और रेलवे क्वार्टर हिंदी में कुछ ही कहानीकारों की रचनाओं में विश्वसनीय ढंग से आए हैं। इस रूप में रामदेव सिंह के बाद मार्टिन जॉन ही फिलहाल याद आ रहे हैं। 'राजधानी कब आएगी' की इंक्वायरी काउंटर पर काम कर रही तरुलता, उसके सीनियर सी.बी.एस. अंकल, मनचले पसेंजरों की बेहूदगी और रेलवे महकमे में व्याप्त अफसर-नेता नैक्सस आदि के चित्रण इतने विश्वसनीय और प्रभावशाली बन पड़े हैं कि यह कहानी लंबे समय तक पाठकों के जेहन में टिकी रहेगी। कहानीकार मार्टिन जॉन की कलम का कमाल है कि बाग-बागवानी और पक्षी-प्रेम यहाँ पर्यावरण चिंता मात्र न रहकर सामाजिक ताने-बाने के अंग बनकर सामने आते हैं। कोविड के दौर में गुलाब के फूल मात्र ही मज़हबी नफरतों के शिकार नहीं होते (रौंदे हुए फूल) मानवीय विश्वास भी दरकता है। 15 अगस्त के दिन शांतिदूत कबूतर के खून बहाने वाले और गांधी-नेहरू की तस्वीर पर पत्थर फेंकने वाले लोग हमारे समाज में किस तरह पैठ बना चुके हैं; बिना लाउड हुए लेखक बता देता है। —गौरीनाथ
Mithuna
- Author Name:
Vasudhendra
- Book Type:

- Description: ತೆಲುಗುನಲ್ಲಿ ಶ್ರೀರಮಣ ಬರೆದ ಈ ಕಥಾಸಂಕಲನ ಬಹಳ ಪ್ರಸಿದ್ಧಿಯನ್ನು ಪಡೆದಿದೆ. ಸುಮಾರು ಮೂರು ಲಕ್ಷಕ್ಕೂ ಹೆಚ್ಚು ಪ್ರತಿಗಳು ಆಂಧ್ರದಲ್ಲಿ ಮಾರಾಟವಾಗಿವೆ. ’ಮಿಥುನ’ ಕತೆಯನ್ನು ಆಧರಿಸಿ ಹಲವಾರು ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಸಿನಿಮಾ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ. ಕನ್ನಡದ ಓದುಗರು ಇದನ್ನು ಅತ್ಯಂತ ಪ್ರೀತಿಯಿಂದ ತಮ್ಮ ನಾಡಿನ ಕತೆಗಳೆನ್ನುವಂತೆ ಸ್ವೀಕರಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಸುಮಾರು ನಾಲ್ಕು ತಂಡಗಳು ಈ ಕತೆಗಳನ್ನು ಆಧರಿಸಿ ನಾಟಕವನ್ನು ರಂಗಭೂಮಿಗೆ ತಂದಿವೆ. ಕೊಡವ ಭಾಷೆಯಲ್ಲಿಯೂ ’ಮಿಥುನ’ ಕತೆಯನ್ನು ಆಧರಿಸಿ ನಾಟಕ ಮಾಡಿಸಿದ್ದು ಈ ಕತೆಯ ಹೆಗ್ಗಳಿಕೆ ಮತ್ತು ಜನಪ್ರೀತಿಗೆ ಧ್ಯೋತಕವಾಗಿದೆ.
Sampurna Balrachanayen
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

-
Description:
निराला जी ने सन् 1942 के बाद गद्य लिखना बन्द कर दिया था। ऐसे में उनका बाल-साहित्य भी पहले का ही है। वह समय साम्राज्यवाद की औपनिवेशिक सत्ता के विरुद्ध इस महादेश के विशाल स्वाधीनता आन्दोलन का भी था। ऐसे समय में अतीत के गौरव की, महापुरुषों के जीवन की गाथाएँ प्रकाश में लाई जा रही थीं, क्योंकि औपनिवेशिक सत्ता बार-बार भारत को यही अहसास दिला रही थी कि यहाँ गर्व करने योग्य कुछ भी नहीं है। निराला अपने साहित्य में पौराणिक रूपकों को नया अर्थ दे रहे थे, प्रतीक रूप में देवी का इस्तेमाल कर रहे थे, साथ ही, पुरानी आस्थाओं और विश्वासों पर प्रहार भी कर रहे थे क्योंकि वह जनसाधारण को रूढ़ियों से मुक्त करना चाहते थे। उस दौर के लगभग सभी रचनाकारों के द्वारा बच्चों के लिए महत्त्वपूर्ण लेखन इसलिए भी सम्भव हुआ क्योंकि इन रचनाकारों ने देश के भविष्य के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी का गहरा अहसास किया था।
निराला ‘भक्त ध्रुव', ‘भक्त प्रह्लाद' और ‘भीष्म' के पौराणिक आख्यानों का पुनर्सृजन इसीलिए करते हैं, क्योंकि इन चरित्रों से सत्य और दृढ़प्रतिज्ञ रहने की प्रेरणा मिलती है। निराला महसूस कर रहे थे कि अतीत के गौरवशाली बच्चों की जीवनी इस समय के बच्चों के लिए बेहद उपयोगी होगी, क्योंकि इनसे वे सहज ही अन्याय और अत्याचारों के प्रतिरोध की प्रेरणा ग्रहण कर सकेंगे।
इस ग्रन्थ में पौराणिक कथाओं के अलावा, पाठक बच्चों के लिए लिखी उनकी किताब ‘सीख भरी कहानियाँ’ की उन कहानियों को भी पढ़ पाएँगे, जिनके बारे में निराला का यह मानना था कि, “मैं कितना बड़ा साहित्यकार क्यों न माना जाऊँ पर मेरी लेखनी तभी सार्थक होगी जब इस देश में बाल-गोपाल मेरी कोई कृति पढ़कर आनन्द-विभोर होंगे। इन कथाओं को सुनने का केवल ढंग मेरा है, बाक़ी सब कुछ हमारे पूर्वजों का है। नन्हे-मुन्ने इन कहानियों में जितना अधिक रस पाएँगे, उतनी ही मेरी कहानीगोई की सफलता होगी।”
Bhoot Bhai Sahab Aur Any Kahaniyan
- Author Name:
Priyanka Kaushal
- Book Type:

- Description: This book has no description
Bhaiya Express
- Author Name:
Arun Prakash
- Book Type:

- Description: Short Stories
Mansarovar Vol. 1 : Idgaah Aur Anya kahaniyan
- Author Name:
Premchand
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Teesari Hatheli
- Author Name:
Rajee Seth
- Book Type:

-
Description:
राजी के कथा-संसार में आदमी के अस्तित्व के सांस्कृतिक आयामों और मूल्यात्मक विरोधाभासों की पड़ताल के ज़्यादा बड़े सवालों से जूझने के लिए परिवार भारतीय समाज की केन्द्रीय इकाई की हैसियत से प्रतिष्ठित है। राजी की कहानियों के सन्दर्भ में यह सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्य संवेदना का पारिवारिक देहान्तर है। कभी इस बदलाव के पीछे इतिहास या रणनीति या अर्थ की तत्काल अनुपस्थित और अदृश्य व्यवस्थाएँ हैं तो कभी सम्बन्धों में शक्ति के सन्तुलन का बदला हुआ समीकरण। लेकिन इस सुबकते संसार में मौजूद आदमी की सोच और संवेदना के बहाव और मोड़ में इतिहास, राजनीति या अर्थ के हस्तक्षेप को पहचान लेना भर इन कहानियों के लिए काफ़ी नहीं है। इस हस्तक्षेप के साथ जूझते हुए आदमी का लहूलुहान मर्म और फिर भी किसी मूल्य को खोजने, खोदने या दुह लेने की ज़िद और जूझ इन कहानियों को वहाँ तक ले जाना चाहती है, जहाँ परिवर्तन की प्रक्रिया वैचारिक मीमांसाओं और बौद्धिक विश्लेषणों की पकड़ और पहुँच से बाहर रह जाया करती है।
देखने में ये बहुत शान्त और स्थिर कहानियाँ हैं। फेन और फिचकुर उगलती, मुट्ठियाँ लहराती, उगते हुए सूरज के साथ समापन की ओर जानेवाली प्रसिद्ध रूप में जुझारू कहानियों के विपरीत यहाँ संरचना की सुस्पष्ट चौहद्दियों के बीच एक सुपरिभाषित भाव-संसार है जिसे किसी परिचित मिथक मूल्य से विचलन के क्षण में पकड़ा गया है। सधे हाथों की तराश के अधीन संरचना एक संयत, सन्तुलित सुसम्बद्ध आकार बनकर उभरती है। अहसास के फैलाव को एक बिन्दु पर केन्द्रित और सघन करते जाने की घोर तन्मयता कथा को उद्घाटित करती है। ऊपर से राजी का अनूठा शब्दशिल्प। शब्द को जो एक विशिष्ट विलक्षण अस्तित्व राजी दे पाती हैं, उसके प्रति एक सजग विस्मय का भाव पैदा होता है। कथा यही प्राय: कथ्य का एक रूपकीय समतोल होती है। कथा की मूल्य-चेतना इस परिष्कार को अनिवार्य कर देती है क्योंकि वह राजी के लिए शायद सृजनकर्म की सार्थकता से जुड़ी हुई बात है।
—अर्चना वर्मा
Sanjhak Gaachh : Maithili Kathak sangrha
- Author Name:
Rajkamal Chaudhary
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Katha Saptak Manisha Kulshreshtha
- Author Name:
Manisha Kulshreshtha
- Rating:
- Book Type:


- Description: स्त्री जीवन के विभिन्न रंगों को उकेरी ७ कहानियाँ, हरेक कहानी अपने आप में भावनाओं के अनूठे अनुभवों को समेटे हुए। - कठपुतलियाँ - स्वाँग - एडोनिस और लिली के फूल - क़सुमल रंग - आर्किड - एक थी लिलन - ज़मीन
Fatikchand
- Author Name:
Satyajit Ray
- Book Type:

- Description: फटिकचन्द महान फिल्मकार और बांग्ला साहित्य के अप्रतिम लेखक सत्यजित राय का अत्यन्त लोकप्रिय उपन्यास है। बांग्ला भाषा-भाषी समाज का शायद ही कोई व्यक्ति होगा, जो अपने किशोरवय में इस उपन्यास से न गुजरा हो। कोलकाता के एक सम्पन्न परिवार के लड़के के अपहरण की कहानी उस वक्त नया मोड़ ले लेती जब अपहर्ताओं की कार दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है और वे लड़के को सड़क किनारे बेहोश छोड़कर भाग जाते हैं। बाद में, होश में आने पर लड़के को कुछ याद नहीं आता—न घर का पता, न माता-पिता का नाम। दरअसल दुर्घटना में चोट लगने से उसकी याददाश्त चली जाती है। फिर तो अपने आसपास के हरेक शख्स से एकदम नए सिरे से परिचित होने वाले उस किशोर के सामने एक बिलकुल नई दुनिया खुलती है, जिसमें कोलकाता महानगर की झुग्गी बस्ती का अनदेखा संसार भी शामिल है। अन्तत: याददाश्त बहाल होने और सकुशल घर लौटने तक फटिकचन्द जो कुछ देखता-जानता है, वह उसको ही नहीं, इस उपन्यास के पाठक को भी हमेशा के याद रह जाता है।
Hatya Ki Pawan Ichchhayen
- Author Name:
Bhalchandra Joshi
- Book Type:

-
Description:
भालचन्द्र जोशी की इन कहानियों में हमारा समय अपनी इतिहास-गति के साथ कुछ इस तरह से अवस्थित है कि यथार्थ की उत्कंठ तात्कालिकता मुकम्मल तौर पर आधुनिक कहानी के सार्वदेशिक रूपाकार में स्वायत्त हो उठती है।
भालचन्द्र जोशी के यहाँ यथार्थ भी है, और कहानी भी—अपनी सुकुमार काया में सुगठित, सुघड़ और सुचिन्तित जो यथार्थ की निपट यथार्थता को भाषा की सृजनात्मक उठान से प्रतिसन्तुलित करती है। भालचन्द्र सामाजिक वास्तविकता को उसके ऊपरी लक्षणों के आधार पर पहचानने के बजाय उसके मूलवर्ती चरित्र में रेखांकित करते हैं।
यथावसर भालचन्द्र फंतासी का प्रयोग या कल्पना का स्वैर संचरण सम्भव करते हैं। लेकिन ऐसे प्रयोग वे शिल्प-युक्ति के रूप में नहीं, बल्कि यथार्थ को यथातथ्यता से मुक्त करने के उद्देश्य से कथ्य की संश्लिष्ट अन्विति के भीतर, और उसके स्वाभाविक प्रतिफलन के रूप में करते हैं। ‘हत्या की पावन इच्छाएँ’ और ‘नदी के तहख़ाने में’ जैसी कहानियाँ दरअसल कथात्मक यथार्थ के अनूठे विन्यास को चरितार्थ करती हैं। लेकिन ज़रा ग़ौर से देखें तो सहज ही अनुभव किया जा सकता है कि इन कहानियों में आख्यानात्मक कल्पना यथार्थ के सिमटते परिसर में विलक्षण ढंग से मुक्त होती है। इस प्रक्रिया में कथा-भाषा यथार्थ की लय के साथ तरंगित होने लगती है और एक जादुई असर पैदा करती है। प्रत्येक कहानी का अपना अलग स्वाद और स्वतंत्र कथात्मक ‘डिक्शन’ है। यहाँ ब्योरों की अनलंकारिक और तथ्यात्मक भाषा से लेकर लोक-कथा की मुहावरेदार भाषा या स्वैर-सृष्टि को साकार करने में समर्थ कल्पना-प्रवण भाषा अथवा अत्यन्त सौष्ठव सर्जनात्मक गद्य की अनेक छवियाँ
हैं।इन कहानियों में नैरेटर यथार्थ को आत्मगत ढंग से नहीं, वस्तुगत तरीक़े से पेश करता है। यह कथाकार की सर्जनात्मक अन्तर्निष्ठा है जो कहानियों के पाठ की प्रक्रिया में सहज ही महसूस की जा सकती है।
Jalmurgiyon ka shikar
- Author Name:
Doodhnath Singh
- Book Type:

-
Description:
हिन्दी कथा-साहित्य में दूधनाथ सिंह ने इतिहास और यथार्थ से टकराते हुए समाज, सत्ता और संस्कृति के बीच निम्न व मध्यवर्गीय अन्तर्गुम्फन को तलछट पर देखने और रचने का जो कलम-कार्य किया, उसे आज भी दूर से देखा और पढ़ा जा सकता है—एक सच की तरह, एक सबूत की तरह...और एक विकल्प की तरह।
यह कथा-संग्रह 'जलमुर्गियों का शिकार’ भारतीय पृष्ठभूमि में कथ्य की वह यात्रा है, जहाँ दु:ख अपनी प्रक्रिया में चौंकाने के बजाय उद्वेलित करता है; सुख सँजोने के बजाय भ्रम तोड़ता है; और संघर्ष सदियों के 'अवशेषों’ को देखने की वह दृष्टि देता है, जिससे हो कोई, नि:शब्द नहीं रह जाता। कथा में कला की ऐसी भूमिका दूधनाथ सिंह के यहाँ है और यह विरल है।
इस संग्रह से गुज़रते पाठक यह भी अनुभव करेंगे कि दूधनाथ सिंह अपने भाष्य में उन पात्रों या मनुष्यों का सृजन करते हैं, जिनके बिना कोई कथा तो सम्भव है, कोई मुक्ति सम्भव नहीं। दूधनाथ सिंह के लिए लेखन मुक्ति-सृजन के लिए मनुष्य-सृजन का लेखन है।
उनका यह कथा-संग्रह अपने कथ्य की भाषा में हमारी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का एक दुर्लभ दस्तावेज़ जैसा है।
Vasant Ke Hatyare
- Author Name:
Hrishikesh Sulabh
- Book Type:

-
Description:
हृषीकेश सुलभ के कथा-संकलन ‘वसंत के हत्यारे’ की कहानियाँ हिन्दी की यथार्थवादी कथा-परम्परा का विकास प्रस्तुत करती हैं। इन कहानियों में भारतीय समाज की परम्परा, जीवन-दृष्टि, समसामयिक यथार्थ और चिन्ताओं की अभिव्यक्ति के साथ-साथ विकृतियों और विसंगतियों का भी चित्रण है। मनुष्य की सत्ता और प्रवृत्ति की भीतरी दुर्गम राहों से गुज़रते हुए भविष्य के पूर्वाभासों और संकेतों को रेखांकित करने की कलात्मक कोशिश इन कहानियों की अलग पहचान बनाती है। यथार्थ के अन्तःस्तरों के बीच से ढेरों ऐसे प्रसंग स्वतःस्फूर्त उगते चलते हैं, जो हमारे जीवन की मार्मिकता को विस्तार देते हैं। संचित अतीत की ध्वनियाँ यहाँ संवेदन का विस्तार करती हैं और इसी अतीत की समयबद्धता लाँघकर यथार्थ जीवन की विराटता को रचता है।
हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ भाषा और शिल्प के स्तर पर नए भावबोधों के सम्प्रेषण की नई प्रविधि विकसित करती हैं। नई अर्थच्छवियों को उकेरने के क्रम में इन कहानियों का शिल्प पाठको को कहीं आलाप की गहराई में उतारता है, तो कहीं लोकलय की मार्मिकता से सहज ही जड़ देता है। जीवन के स्पन्दन को कथा-प्रसंगों में ढालती और जीवन की संवेदना को विस्तारित करती ये कहानियाँ पाठकों से आत्मीय और सघन रिश्ता बनाती हैं।
हृषीकेश सुलभ के कथा-संसार में एकान्त के साथ-साथ भीड़ की हलचल भी है। सपनों की कोमल छवियों के साथ चिलचिलाती धूप का सफ़र है। पसीजती हथेलियों की थरथराहट है, तो विश्वास से लहराते हाथों की भव्यता भी है। भावनाओं और संवेदनाओं के माध्यम से अपना आत्यन्तिक अर्थ अर्जित करती इन कहानियों में क्रूरता और प्रपंच के बीच भी जीवन का बिरवा उग आता है, जो मनुष्य की संवेदना के उत्कर्ष और जिजीविषा की उत्कटता को रेखांकित करता है।
Kahna Hai Kuchh
- Author Name:
Renu 'Anshul'
- Book Type:

-
Description:
मानवीय रिश्तों, भावनाओं, संवेदनाओं और समाज के किन्ही सुने-अनसुने, कहे-अनकहे वह सारे किरदार जो हमारे आसपास ही हैं—कभी बग़ल में रहनेवाले साहनी जी के यहाँ काम करनेवाला माली, कभी गुप्ता जी के यहाँ कामवाली मेड, तो कभी कहीं कॉलेज में पढ़नेवाला युवा वर्ग।
कभी ख़ुशी, कभी ग़म तो कभी धूप, कहीं छाँव के अनगिनत अहसासों के साथ, हर पात्र को, हर किरदार को, चाहे वह 'होम डिलीवरी वाला लड़का' का ज़िम्मेदार किशोर हो, ‘इच्छा’ का किशन हो, ‘कसूर’ का निर्दोष माधव हो या 'वो आ रहे है के' मजबूर नेता चाचा जी हों, उन सब को कहना है कुछ...।
तो फिर देर किस बात की है! इन सबसे आप हम सब एक जगह ही मुलाक़ात कर लेते हैं। सुन लेते हैं कि क्या कुछ कहना है इन्हें सरेआम आपसे, हमसे, सबसे...!
Holi
- Author Name:
Pankaj Subeer
- Book Type:

- Description: Book
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.