Shri Ramayana Mahanveshanam : Vols.1-2
Author:
M. Veerappa MoilyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Religion-spirituality0 Reviews
Price: ₹ 1280
₹
1600
Available
अतीत के दीपक से वर्तमान को प्रकाशित करने का प्रयत्न है ‘श्रीरामायण महान्वेषणम्’।</p>
<p>—नीरज जैन प्रतिष्ठित हिन्दी कवि, सतना (म.प्र.)</p>
<p>“I have no doubt that ‘Sri Ramayana Mahanveshanam’ will remain a milestone not only in the history of Kannada literature or Hindi literature, but in the history of Indian literature also. It is his distinct contribution to Ramayana literature.”</p>
<p>—Indira Goswami Professor, Modern Indian Languages & Literary Studies, Delhi University</p>
<p>‘‘मोइली जी को इतनी बड़ी साहित्यिक परियोजना पर सोचने के लिए, उसे पूरा करने के लिए, और भारतीय परम्परा में उसके उचित सन्निवेश के हेतु प्रयास करने के लिए बधाई देना चाहता हूँ...।</p>
<p>—डॉ. वागीश शुक्ल कवि, दार्शनिक, समालोचक तथा प्रोफ़ेसर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
ISBN: 9788126726264
Pages: 1576
Avg Reading Time: 53 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Colombo Se Almora Tak "कोलंबो से अल्मोड़ा तक" | Inspirational Talks on Dharma & Philosophy | Swami Vivekananda Book in Hindi
- Author Name:
Swami Vivekanand
- Book Type:

- Description: "उन्तालिश वर्ष के संक्षिप्त जीवनकाल में स्वामी विवेकानंद जो काम कर गए, वे आनेवाली अनेक शताब्दियों तक पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। उनका विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहाँ बड़े-बड़े महात्माओं तथा ऋषियों का जन्म हुआ यही संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं, केवल यहीं आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिए जीवन के सर्वोच्च आदर्श अवस्थित हैं एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है। उनके कथन—'उठो, जागो, स्वयं जगकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक रुको नहीं, जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।' पर अमल करके व्यक्ति अपना ही नहीं, सार्वभौमिक कल्याण कर सकता है। ‘कोलंबो से अल्मोड़ा' तक इस पुस्तक में स्वामीजी ने भारत सहित देश-विदेश में वेदांत धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु देश भर के युवकों का आह्वान किया है। उन्होंने भारतीय समाज में गहरे पैठी असमानता की भावना के प्रति लोगों को सचेत किया है। आत्मिक उन्नयन का पथ प्रशस्त करके मानव जीवन की सार्थकता को सिद्ध करने की प्रेरणा देती पठनीय पुस्तक ।"
Kurma Purana
- Author Name:
Bibek Debroy
- Rating:
- Book Type:

- Description: To save the world from cosmic annihilation, Lord Vishnu takes on his second avatar, the Kurma, or tortoise. The Kurma Purana is one of the eighteen classic Hindu texts known collectively as the Puranas. Its origins can be traced back to 600 to 900 CE. In this text, we encounter Indradyumna, Varaha, Devi, Vyasa, and Shiva's divine presence as we delve into the deep and nuanced tale of one of the greatest Hindu legends. This translation of the Kurma Purana by Bibek Debroy, the seventh book in the Purana series, attempts to bring readers the rich and layered history of our myths and classics. Previous books in the series include the Bhagavata Purana, Brahma Purana, Markandeya Purana, Brahmanda Purana, Vishnu Purana and the Shiva Purana.
Ganeshgita
- Author Name:
Ashok Kumar Sharma
- Book Type:

- Description: सिद्धि और बुद्धि के स्वामी तथा जीवन की विघ्न-बाधाओं को दूर करनेवाले शुभकर्ता दुःखहर्ता श्रीगणेश ने द्वापर युग में हुए अपने अवतार में जो शिक्षाएँ दीं वे ही गणेशगीता कहलाती हैं। इस गीता में अन्य सभी गीताओं से भिन्न आधुनिक युग में उपयोगी शिक्षाएँ हैं। अन्य गीताओं में आत्मा, भक्ति, और मोक्ष जैसे विषयों पर जोर दिया गया है। गणेशगीता में ज्ञान, विवेक, आध्यात्मिक सिद्धान्तों से लक्ष्य प्राप्ति और साधना-उपासना से मानसिक सामर्थ्य विकसित करने के सूत्र समझाए गए हैं। इस ग्रंथ में सहज गणेश-कृपा प्राप्त करने के नितान्त व्यावहारिक अभ्यासों और विधियों का ज्ञान है। पारिवारिक, सामाजिक तथा निजी जीवन में सन्तुलन बनाए रखने की उपयोगी शिक्षा इस ग्रंथ में है। नई पीढ़ी को बुद्धिमत्ता, ज्ञान, और सफल जीवन जीने के मार्ग पर चलने की प्रेरणा यह ग्रंथ देता है।
Kashmir 370 Ke Sath Aur Baad (Hindi Translation of Valley of Red Snow)
- Author Name:
Jitendra Dixit
- Book Type:

- Description: 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाले भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था। जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश है। कश्मीर की इस ऐतिहासिक घटना से पहले आजादी के बाद के सात दशकों में सिलसिलेवार अनेक राजनीतिक और सामाजिक घटनाएँ हुई थीं। किन ताकतों की वजह से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की यह प्रक्रिया हुई? जम्मू-कश्मीर के लोगों पर इसके क्या परिणाम हुए? इस पर उनकी क्या प्रतिक्रिया थी? और सबसे महत्त्वपूर्ण बात, उनका भविष्य क्या है? वरिष्ठ पत्रकार जीतेंद्र दीक्षित लिखित ‘कश्मीर : 370 के साथ और बाद’ में इन सवालों के जवाब देने की कोशिश की गई है। साथ ही एक निष्पक्ष, सही-गलत का फैसला सुनाए बिना तमाम पहलुओं को शामिल करनेवाली कहानी पेश करने का प्रयास भी किया गया है। यह पुस्तक अनुच्छेद 370 हटने की ऐतिहासिक घटना से पहले के वर्षों की घटनाओं, अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के समय कश्मीर की तात्कालिक स्थिति का वर्णन करती है और अनेक साक्षात्कारों के जरिए घाटी में विभिन्न हितधारकों की आवाज आप तक पहुँचाती है। यह पिछले दशक के दौरान घाटी में होनेवाली महत्त्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन करती है, जिन्हें लेखक ने कश्मीर की धरती पर जाकर देखा। यही नहीं, यह ‘न्यू कश्मीर’ पर गहरी जानकारी भी देती है। जम्मू-कश्मीर के भविष्य में रुचि रखनेवाले इसे अवश्य पढ़ें।
Sachchi Ramayan
- Author Name:
Periyar E.V. Ramasamy
- Book Type:

-
Description:
‘सच्ची रामायण’ ई.वी. रामासामी नायकर 'पेरियार' की बहुचर्चित और सबसे विवादास्पद कृति रही है। पेरियार रामायण को एक राजनीतिक ग्रन्थ मानते थे। उनका कहना था कि इसे दक्षिणवासी अनार्यों पर उत्तर के आर्यों की विजय और प्रभुत्व को जायज़ ठहराने के लिए लिखा गया और यह ग़ैर-ब्राह्मणों पर ब्राह्मणों और महिलाओं पर पुरुषों के वर्चस्व का उपकरण है।
‘रामायण’ की मूल अन्तर्वस्तु को उजागर करने के लिए पेरियार ने 'वाल्मीकि रामायण' के अनुवादों सहित; अन्य राम कथाओं, जैसे—'कंब रामायण', 'तुलसीदास की रामायण' (रामचरितमानस), ‘बौद्ध रामायण’, ‘जैन रामायण’ आदि के अनुवादों तथा उनसे सम्बन्धित ग्रन्थों का चालीस वर्षों तक अध्ययन किया और 'रामायण पादीरंगल' (रामायण के पात्र) में उसका निचोड़ प्रस्तुत किया। यह पुस्तक 1944 में तमिल भाषा में प्रकाशित हुई। इसका अंग्रेज़ी अनुवाद ‘द रामायण : अ ट्रू रीडिंग' नाम से 1959 में प्रकाशित हुआ।
यह किताब हिन्दी में 1968 में ‘सच्ची रामायण' नाम से प्रकाशित हुई थी, जिसके प्रकाशक लोकप्रिय बहुजन कार्यकर्ता ललई सिंह थे। 9 दिसम्बर, 1969 को तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया और पुस्तक की सभी प्रतियों को ज़ब्त कर लिया। ललई सिंह यादव ने इस प्रतिबन्ध और ज़ब्ती को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। वे हाईकोर्ट में मुक़दमा जीत गए। सरकार ने हाईकोर्ट के निर्णय के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 16 सितम्बर, 1976 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सर्वसम्मति से फ़ैसला देते हुए राज्य सरकार की अपील को ख़ारिज कर दिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में निर्णय सुनाया।
प्रस्तुत किताब में ‘द रामायण : अ ट्रू रीडिंग' का नया, सटीक, सुपाठ्य और अविकल हिन्दी अनुवाद दिया गया है। साथ ही इसमें 'सच्ची रामायण' पर केन्द्रित लेख व पेरियार का जीवनचरित भी दिया गया है, जिससे इसकी महत्ता बहुत बढ़ गई है। यह भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक आन्दोलन के इतिहास को समझने के इच्छुक हर व्यक्ति के लिए एक आवश्यक पुस्तक है।
Hindutva Evam Rashtriya Punarutthan
- Author Name:
Subramaniam Swamy
- Book Type:

- Description: This Book Doesn't have any Description
Mrityu Kaise Hoti Hai? Phir Kya Hota Hai?
- Author Name:
Rajendra Tiwari
- Book Type:

- Description: मृत्यु जीवन का अटल सत्य है; यह अवश्यंभावी है। काल को जीतना लगभग दुर्लभ एवं असंभव है। इसलिए जीव मृत्यु के भय में रहता है। अनगिनत-अनजाने प्रश्न और शंकाएँ उसके मन-मस्तिष्क को जकड़े रहती हैं। विज्ञान लेखक श्री राजेंद्र तिवारी ने गहन शोध और अध्ययन करके जटिल व दुरूह ‘मृत्यु’ के बारे में विवेचना की है। प्रस्तुत पुस्तक उनकी अब तक के प्रयासों से प्राप्त तथ्यों और उनसे निसृत निष्कर्षों की अभिव्यक्ति है। शरीर के अंदर कुछ रहता अवश्य है, जिसके बाहर जाते ही शरीर मृत हो जाता है। वह कुछ क्या है? प्राणों के निष्क्रमण की प्रकिया कष्टदायी है अथवा वस्त्र बदलने की भाँति एक सहज क्रिया? मृत्यु के उपरांत नया परिवेश प्राप्त होने तक आत्मा कहाँ विचरण करती है? क्या पुनर्जन्म होता है? क्या लोक और परलोक हैं? कर्म का सिद्धांत क्या है? क्या सद्कर्म-दुष्कर्म अर्थात् कर्म के रूप भाग्य और भविष्य की रचना करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं? क्या स्वर्ग और नरक हैं? यदि हैं तो कहीं और हैं अथवा इसी पृथ्वी पर? पुस्तक में मृत्यु के समय एवं मृत्युपर्यंत के अनुभव प्रमाण सहित प्रस्तुत किए गए हैं। संदेश यह है कि ‘सुधर जाओ अन्यथा मृत्यु के समय व पश्चात् कष्ट-ही-कष्ट हैं।’ मृत्यु से भयभीत नहीं होना है, बल्कि जिसने भी मृत्यु के रहस्य को जान लिया, अज्ञात व अंधकारमय प्रश्नों से परदा हटकर ज्ञान के प्रकाश से अवगत हो गया, उसे मृत्यु से कभी भी भय नहीं लगेगा|
Ashtavakra Geeta
- Author Name:
Swami Prakhar Pragyanand
- Book Type:

- Description: "भारतीय पौराणिक साहित्य-भंडार में एक-से-एक अप्रतिम बहुमूल्य रत्न भरे पड़े हैं। अष्टावक्र गीता अध्यात्म का शिरोमणि गं्रथ है। इसकी तुलना किसी अन्य गं्रथ से नहीं की जा सकती। अष्टावक्रजी बुद्धपुरुष थे, जिनका नाम अध्यात्म-जगत् में आदर एवं सम्मान के साथ लिया जाता है। कहा जाता है कि जब वे अपनी माता के गर्भ में थे, उस समय उनके पिताजी वेद-पाठ कर रहे थे, तब उन्होंने गर्भ से ही पिता को टोक दिया था—‘शास्त्रों में ज्ञान कहाँ है? ज्ञान तो स्वयं के भीतर है! सत्य शास्त्रों में नहीं, स्वयं में है।’ यह सुनकर पिता ने गर्भस्थ शिशु को शाप दे दिया, ‘तू आठ अंगों से टेढ़ा-मेढ़ा एवं कुरूप होगा।’ इसीलिए उनका नाम ‘अष्टावक्र’ पड़ा। ‘अष्टावक्र गीता’ में अष्टावक्रजी के एक-से-एक अनूठे वक्तव्य हैं। ये कोई सैद्धांतिक वक्तव्य नहीं हैं, बल्कि प्रयोगसिद्ध वैज्ञानिक सत्य हैं, जिनको उन्होंने विदेह जनक पर प्रयोग करके सत्य सिद्ध कर दिखाया था। राजा जनक ने बारह वर्षीय अष्टावक्रजी को अपने सिंहासन पर बैठाया और स्वयं उनके चरणों में बैठकर शिष्य-भाव से अपनी जिज्ञासाओं का शमन कराया। यही शंका-समाधान अष्टावक्र संवाद रूप में ‘अष्टावक्र गीता’ में समाहित है। ज्ञान-पिपासु एवं अध्यात्म-जिज्ञासु पाठकों के लिए एक श्रेष्ठ, पठनीय एवं संग्रहणीय आध्यात्मिक ग्रंथ। "
AMAZING ALLOY HEALING
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: This is the book that you need. It is a must read for anyone who is interested in Healing and Health. They can make this book your source of information about how to heal themselves physically and mentally."
Molige Maarayya : Molige Mahadevi
- Author Name:
Kashinath Ambalge
- Book Type:

-
Description:
महिलाएँ इस दुनिया में सदैव ही उपेक्षित रही हैं। उनको सामाजिक भागीदारी से दूर रखा गया, अतः वे साहित्य एवं सांस्कृतिक लोक में हाशिए पर रही हैं। पर इस वचन साहित्य के सन्दर्भ में महिला अपने व्यक्तित्व विकास की बुलंदी पर पहुँच चुकी थी, ऐसा लगता है।
घास-फूस, झाड़ निकाले बिना खेत स्वच्छ न होता/अशुद्धि और मल को स्वच्छ किए बिना मन शुद्ध न होता/जीव का मूल जाने बिना तन शुद्ध न होता/काय जीव का सम्बन्ध जाने बिना ज्ञानलेपी नहीं होता/इस प्रकार जो भाव भ्रमित हैं उन्हें क्यों ज्ञान प्राप्ति/निष्कळंक मल्लिकार्जुन?॥ भक्त भगवान का सम्बन्ध, जल कमल की रीति के समान/भक्त भगवान सम्बन्ध, क्षीर-नीर की रीति के समान/तुम्हारे और मेरे लिए अलग-अलग ठाँव है क्या/निष्कळंक मल्लिकार्जुन?॥
—मोळिगे मारय्या
Bhagwan Mahavir Swami
- Author Name:
M.A. Sameer
- Book Type:

- Description: विश्व का कल्याण करने वाले महापुरुषों में भगवान् महावीर का नाम बड़े सम्मान एवं श्रद्धा के साथ लिया जाता है। उनका संपूर्ण जीवन मानव-समाज के लिए आदर्श है। राजवंशी होकर भी उन्होंने समस्त सांसारिक यश-वैभव का परित्याग कर अत्यंत साधारण जीवन व्यतीत करने का संकल्प लिया। भगवान् महावीर ने कठिन साधना व तप के बल पर समस्त इंद्रियों को विजित कर लिया था। इसी कारण उन्हें 'जितेंद्रिय' कहा गया। वे धैर्य, क्षमा, संयम और सहनशीलता की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। भगवान् महावीर आजीवन लोगों को सत्य, अहिंसा और सदाचरण का उपदेश देते रहे। उनके जीवन का प्रमुख उद्देश्य ही 'अहिंसा परमो धर्मः' था। आज भी उनका जीवन-दर्शन संपूर्ण विश्व-समाज के कल्याण हेतु अनुकरणीय है। भगवान् महावीर स्वामी की प्रेरक व पठनीय जीवनी।
MadhyaKalin Dharm-Sadhna
- Author Name:
Hazariprasad Dwivedi
- Book Type:

- Description: ्यकालीन धर्म-साधना' यद्यपि भिन्न-भिन्न अवसर पर लिखे गये निबन्धों का संग्रह ही है, तथापि आचार्य द्विवेदी जी ने प्रयत्न किया है कि ये लेख परस्पर विच्छिन और असम्बद्ध न रहें और पाठकों को मध्यकालीन धर्म-साधनाओं का संक्षिप्त और धारावाहिक परिचय प्राप्त हो जाए। दो प्रकार के साहित्य से इन धर्म-सानाओं का परिचय संग्रह किया गया है— (1) विभिन्न सम्प्रदायों के साधना-विषयक और सिद्धान्त-विषयक ग्रन्थ; और (2) साधारण काव्य-साहित्य। इस प्रकार पुस्तक में आलोचित अधिकांश धर्म-साधनाएँ शास्त्रीय रूप में ही आई हैं। जिन सम्प्रदायों के कोई धर्म-ग्रन्थ प्राप्त नहीं हैं या जो धर्म-साधनाएँ साधारण काव्य-साहित्य में नहीं आ सकी हैं, वे छूट गई हैं। हमारे देश की धर्म-साधना का इतिहास बहुत विपुल है। विभिन्न युग की सामाजिक स्थितियों से भी इसका सम्बन्ध है। फलस्वरूप इस पुस्तक में प्रयत्न किया गया है कि उत्तर भारत की प्रधान धर्म-साधनाएँ यथासम्भव विवेचित हो जाएँ और उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि का भी सामान्य परिचय पाठक को मिल जा
Sai Vachan
- Author Name:
Sumit Ponda Bhaijee
- Book Type:

- Description: This Books doesn’t have a description
Ramayan Ki Kahani, Vigyan Ki Zubani
- Author Name:
Saroj Bala
- Book Type:

- Description: This Book Doesn't have a Description.
Prayagraj: Ardhkumbh, Kumbh, Mahakumbh
- Author Name:
Kumar Nirmalendu
- Book Type:

- Description: भक्ति, तीर्थ, धर्म, ब्रह्म और मोक्ष की अवधारणा को समझे बिना भारत और उसकी चेतना को समझ पाना सम्भव नहीं है। भारत में जहाँ कहीं भी देवनदी के एक से अधिक प्रवाह एक साथ मिलकर बहने लगते हैं, धाराओं का वह मिलन-स्थान ‘प्रयाग’ बन जाता है। हिमालय क्षेत्र में पंचप्रयाग तीर्थ ऐसे ही बने हैं। परन्तु जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती की तीन धाराओं का मिलन होता है, उस स्थान को प्रयागराज कहा गया है। यहाँ प्रतिवर्ष माघ स्नान के लिए, प्रति 6 वर्ष पर अर्धकुम्भ स्नान के लिए, प्रति 12 वर्ष पर कुम्भ स्नान के लिए और प्रति 144 वर्ष पर महाकुम्भ स्नान के लिए असंख्य लोग आते हैं। भाषा, जाति, प्रान्त आदि के भेदों को भुलाकर एक जन-समुद्र उमड़ आता है। भारतीय जीवन पद्धति में अमृतत्त्व का अनुसन्धान मानव जीवन का चरम लक्ष्य रहा है। अर्धकुम्भ, कुम्भ या महाकुम्भ के अवसर पर एकत्र होने वाला अपार जनसमुदाय सम्भवतः अमृत से भरे कुम्भ की अपनी अव्यक्त अभिलाषा को लेकर ही यहाँ पहुँचता है। प्रयागराज भारत का प्रमुख सांस्कृतिक केन्द्र होने के साथ ही भारतीय सात्विकता का सर्वोत्तम प्रतीक भी है। कुम्भ सम्बन्धी पौराणिक मान्यता का सर्वाधिक प्रचार शंकराचार्य ने किया था। लेकिन आदि शंकराचार्य के पूर्व भी प्रयाग में कुम्भ का आयोजन होता रहा है। इसका सबसे पुराना ऐतिहासिक वर्णन ह्वेनत्सांग (7वीं सदी ई.) ने किया था। उस समय प्रयाग के त्रिवेणी संगम पर दुनिया भर से ऋषि-मुनि, राजा-महाराजा, सामन्त, कलाविद् और धर्मप्राण लोग लाखों की संख्या में एकत्र हुए थे। कुम्भ के दौरान संगम तीर्थ पर एक स्नान दिवस पर भक्तिभाव से कई बार इतने लोग जमा हो जाते हैं कि उनकी संख्या दुनिया के कई देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक होती है। श्रद्धालु श्रद्धा और भक्ति की एक अदृश्य डोर में बँधकर खिंचे चले आते हैं। श्रद्धा और आस्था का यह आवेग सदियों से चली आ रही हमारी परम्परा का हिस्सा है। प्रयागराज और कुम्भ की गौरवशाली परम्परा के बारे में जानना एक सुखद अनुभूति है।
Udar Islam Ka Soophi Chehara
- Author Name:
Kanhaiya Singh
- Book Type:

- Description: सूफ़ियों का प्रेम-दर्शन मानवीय प्रेम से लेकर ईश्वरीय प्रेम तक प्रसार पाता है। जायसी के अनुसार ‘मानुस प्रेम भएउ बैकुंठी। नाहिंत काह छार एक मूठी।’ इस उदात्त प्रेम और उसकी आभा से आलोकित इन कवियों की प्रेम-गाथाओं का मर्म समझने के लिए उनके सिद्दान्तों के क्रमिक विकास और उनकी सैद्धान्तिक प्रेम-दृष्टि को समझना आवश्यक होता है। इस पुस्तक में सूफ़ी दर्शन का क्रमिक विकास दिखाया गया है। इस क्रम में देखा गया है कि सूफ़ी दर्शन (तसव्वुफ़) पर भारतीय वेदान्त दर्शन का प्रभाव है। मुसूर-अल-इलाज, इब्बुल अरबी, अब्दुल करीम-अल-जिली के विचार तो पुर्णतः वेदान्त सम्मन थे। इसे उनके कथनों के उद्धरण द्वारा प्रतिपादित किया गया है। अहं ब्रह्मास्मि के वेदान्तिक सूत्र का अनुवाद ही अनलहक है। ईश्वर-जीव की एकता के सिद्दान्त की सूफ़ियों ने ‘वहदतुल वजूद’ कहा था। इसका विरोध कर परवर्ती सूफ़ियों ने ‘वहदतुल शहूद’ का सिद्धान्त प्रतिपादित किया। यह एक रोचक अध्ययन इस पुस्तक में सर्वप्रथम मूल स्रोतों के आधार पर प्रस्तुत हुआ है। साथ ही ‘सूफ़ीमत’ के सिद्धान्तों, सम्प्रदायों तथा विशेषताओं को हिन्दी के सूफ़ी कवियों के उद्धरणों के साथ प्रस्तुत किया गया है। ‘सूफ़ीमत’ को समझने के लिए यह पुस्तक विद्वानों और विद्यार्थियों दोनों के लिए उपयोगी है।
Andhshraddha Ki Gutthi
- Author Name:
Narendra Dabholkar
- Book Type:

-
Description:
विश्वास और अंधविश्वास में अंतर समझते समय मूल दिक्कत यह आती है कि एक समय में जिस विश्वास को सराहा जाता था वही दूसरे समय में अंधविश्वास बन जाता है। समाज का एक हिस्सा जिसे अंधविश्वास मानता है, वही किसी दूसरे समूह को पवित्र लगता है। सती प्रथा और मेलों में दी जानेवाली बलि ऐसी ही परंपराएँ थीं। एक सदी पूर्व का यह विश्वास आज नृशंस अंधविश्वास की श्रेणी में आ गया है।
इसीलिए श्रद्धाओं की जाँच करनी पड़ती है। विज्ञान के विकास का इतिहास ऐसी ही श्रद्धाओं की जाँच करने का इतिहास है। कोपर्निकस, गैलिलियो ने इन श्रद्धाओं को जाँचा, और जो पाया, उसे व्यक्त करने पर यातना भी सही। क्या समाज सुधार का इतिहास भी ऐसा ही नहीं है? इस पर गौर करें तो हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि श्रद्धा की जाँच करना और जिन्हें वह श्रद्धा सामाजिक जीवन के लिए अनिष्ट व अनुचित लगती है, उन्हें उन श्रद्धाओं के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष के लिए संगठित करने की आजादी आज की बड़ी जरूरत है।
अंधविश्वास उन्मूलन के बारे में सुधीजन एक सलाह और देते हैं कि असहमति जताओ लेकिन विरोध मत करो। लेकिन सामाजिक परिवर्तन के लिए असहमति तक सीमित रहना संभव नहीं है। उसके लिए सक्रिय आंदोलन की जरूरत होती है। सचेत संघर्ष की जरूरत होती है। इस पुस्तक में ऐसे ही संघर्षों का विवरण डॉ. नरेंद्र दाभोलकर ने अपने शब्दों में दिया है। ‘बोलता पत्थर’, ‘लंगर का चमत्कार’, ‘कमर अली दरवेश की पुकार’, ‘अनुराधा देवी की बंद मुट्ठी’ और अन्य ऐसी ही अंधविश्वास-पूर्ण गतिविधियों के विरुद्ध डॉ. नरेंद्र दाभोलकर और उनके संगठन के ये आंदोलन निस्संदेह पठनीय है।
Hindutwa Aur Uttar-Aadhunikta
- Author Name:
Sudhish Pachauri
- Book Type:

-
Description:
किसी दैनिक कमेंट्री की तरह लिखी गई ये टिप्पणियाँ उत्तर-औपनिवेशिक विमर्श का रेखांकन करने और उसके समस्या-बिन्दुओं को खोलने की प्रक्रिया में लिखी जाती रही हैं। उत्तर-आधुनिक विमर्श और उत्तर-संरचनावादी पाठ-प्रविधि के बिना उत्तर-औपनिवेशिकता की इस गुत्थी को नहीं खोला जा सकता। यहाँ हिन्दुत्व के द्वारा चयनित और सक्रिय किए गए नाना प्रकार के धार्मिक और सांस्कृतिक चिन्हों को पढ़ा गया है। वे इस लेखक के लिए ‘षड्यंत्र’ नहीं हैं, उत्तर-औपनिवेशिक एजेंडे और सत्तामूलक विमर्श के परिणाम हैं जिनकी कुल माँग आधुनिकता का एक सकलतावादी एजेंडा है। सती-दहन से लेकर अणुबम फोड़ने तक, मस्जिद के विध्वंस से लेकर मन्दिर निर्माण तक हर बात पर स्वदेशी एजेंडे की वकालत, पिछले दशकों के वे राजनीतिक-सांस्कृतिक समुच्चय हैं जो प्रचलित सेकुलर समीक्षा की मुठभेड़ों से परे और महफ़ूज़ ही रहे आए हैं। इसका कारण हिन्दुत्व शक्तियों द्वारा पैदा किए गए ‘प्रस्थापना परिवर्तन’ हैं, सेकुलर विमर्श जिन्हें समझने में कई बार नाकाम रहता है। उसे अगर कोई प्रस्थापनाएँ समस्याग्रस्त करती हैं तो लेट-कैपिटलिज़्म के द्वारा पैदा की गई उत्तर-आधुनिक प्रस्थापनाएँ हैं। उत्तर-आधुनिकता के समय में हिन्दुत्व एक ‘अ-सम्भावना’ ही है।
भारत जैसे समाजों के सन्दर्भ में उत्तर-आधुनिकता की भूमिका नए पूँजीवाद की भूमिका की तरह द्वन्द्वात्मकता से युक्त है क्योंकि उसमें लेट-कैपिटलिज़्म का द्वन्द्ववाद सक्रिय है। यही इस लेखक की उत्तर-आधुनिकता की अपने ढंग की उत्तर-मार्क्सवादी पाठ-प्रविधि है जो उत्तर-औपनिवेशिक एजेंडे के आगे उत्तर-आधुनिकता से फिर-फिर टकराती है और हिन्दुत्व के सकलतावाद के एकार्थवादी तत्त्व के बरक्स उत्तर-आधुनिकता के बहुलवाद के तत्त्व को अल्पवाद के हाशियावाद के विमर्श में उपयोगी पाती है और साथ ही एक समकालीन ‘कल्चर टर्न’ को पढ़ते हुए उपभोक्तावाद और पॉपुलर कल्चर में इस उत्तर-औपनिवेशिक तत्त्ववाद के सकंट को गहराता देखती है।
यह किताब हिन्दुत्व के अन्तरंग संकटों के इशारे देती है। यह हिन्दुत्व की समकालीन मार्केटिंग में निहित है। यह उत्तर-औपनिवेशिक विमर्श का उत्तर-आधुनिक ग्लोबल मंडली में बैठना भर है। इस मार्केटिंग के खेल को पुराने सेकुलर विमर्श की प्रस्थापनाओं से नहीं समझा जा सकता। बिन लादेनी ब्रांड का इस्लाम पहले इसी बाज़ार के लिए बना था, अब उसे उसी बाज़ार ने तोड़ा है। हिन्दुत्व की अन्तिम हद अगर कुछ है तो तालिबानीकरण है और वही उसकी समाधि भी है।
Hindu Dharma And Sanskriti
- Author Name:
Dr. Sadanand Damodar Sapre
- Book Type:

- Description: DHARMA and RELIGION are altogether different conceptions. Even as per the Oxford dictionary, ‘DHARMA’ means “eternal law of Universe” whereas ‘RELIGION’ means “a particular way of worship and faith.” All of these rules, laws etc. [pertaining to Dharma] have been observed, understood and realised by the people known as Hindu and hence Dharma is known as Hindu Dharma. However, these rules-laws etc. are applicable to every human being (Manav) all over the world (Vishwa), not confined only to Hindus. Hence, Hindu Dharma is Manav Dharma or Vishwa Dharma – the global ethics applicable to the entire humankind. If we look at the things which are considered as very sacred/pious in Hindu Dharma, it can be seen that each one of them possesses special qualities which are quite unique and useful for humankind. The Hindu Sanskriti has a special feature of wishing the well-being of ALL human beings (not just Hindus).
Bhagavadgeethe Kannada Kavya
- Author Name:
Prof V Narahari
- Book Type:

- Description: DESCRIPTION AWAITED
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...