Streemughal
Author:
Pawan KaranPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
स्त्रीमुग़ल की कविताएँ इस अर्थ में विशेष हैं क्योंकि इन्हें लिखने के क्रम में हिन्दी के किसी कवि के द्वारा दो सौ वर्षों के साम्राज्य-इतिहास का विस्तृत और वेधक शोध-अध्ययन किया गया है। कवि ने इसके लिए मुग़ल इतिहास का प्रतिनिधित्व करती पुस्तकों, उपन्यासों, टीपों, लेखों और समीक्षाओं को संवेदित मानस से पढ़ा। दुनिया-भर के साम्राज्यों में उल्लिखित स्त्रियों की तरह मुग़ल इतिहास में भी स्त्रियों की विशेषता कमतर नहीं।
अध्ययन के दौरान मुग़ल स्त्रियों में से किसी-किसी स्त्री का कविता में ढलते जाना रोचक रहा। बरास्ते-कवि कई महत्त्वपूर्ण मुग़ल स्त्रियाँ इस वजह से स्वयं को कविता में नहीं बदल सकीं, क्योंकि वहाँ उनसे जुड़ी कोई घटना अथवा कहानी मौजूद नहीं थी। किंतु कई साधारण आनुषंगिक स्त्रियाँ स्वयं को कविता में बदलने में इसलिए कामयाब हो गईं क्योंकि मुग़ल इतिहास में वे किसी ख़ास घटना की गवाह थीं।
दो सौ से अधिक वर्षों के मुग़लकाल में मुग़ल स्त्रियों ने मुग़ल बादशाहों, शहज़ादों, सेनापतियों और सूबेदारों के साथ उत्तर और दक्षिण की कठिनतम यात्राएँ कीं। क़िलों के साथ-साथ उनका जीवन यात्रा-शिविरों में शहज़ादों और शहज़ादियों को जनते, उनके निकाह-विवाह होते देखते बीत गया। कोई मुग़ल बेगम अपनी छाप छोड़ने में सफल हो सकी तो कई बेगमें बादशाहों के हरम में खोकर रह गईं। कोई शहज़ादी अपने मन की कर सकी, तो कोई शहज़ादी मात्र सत्ता के सूत्र छूने में कामयाब हो सकी। मगर किसी मुग़ल स्त्री को सुल्तान रज़िया की तरह हिन्दुस्तान की बादशाहत नहीं मिली।
क़िलों की अभेद्य और ऊँची दीवारें, हाथियों की चिंघाड़, नक़्क़ारों की आवाज़ें, बादशाहों की रत्नजड़ित पोशाकें-टोपियाँ, तोप-तलवारें, मुग़ल स्त्रियों को हरम और हरम के भीतर पलते षड्यंत्रों तक सीमित रखने में कामयाब हो गईं। मुग़ल स्त्रियों की बिजली-सी कौंध से हमारा परिचय इस संग्रह की कविताओं में होता है। मुग़ल स्त्रियों की पीड़ा, रुदन, तड़प, बेचैनी और समझ जो मुग़ल इतिहास से एक हद तक ग़ायब है, स्त्रीमुग़ल की कविताएँ उससे हमारा परिचय कराने की कोशिश करती हैं।
पवन करण इससे पहले भी प्राचीन भारतीय साहित्य से खोजकर स्त्रीशतक (खंड-एक एवं दो) में भी दो सौ स्त्रियों के परिचय, पीड़ा और प्रतिरोध का अद्यतन आख्यान रच चुके हैं, इन कविताओं में मुग़ल इतिहास की एक सौ मुग़ल स्त्रियों ने नवजीवन पाया है।
ISBN: 9788119092697
Pages: 216
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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गोस्वामी तुलसीदास का सम्पूर्ण जीवन और कृतित्व राम के प्रति समर्पित और राममय था। यद्यपि ‘कवितावली’ तुलसी के मुक्तक पदों का संग्रह है, किन्तु इसमें राम के बालरूप से लेकर राम के सभी रूपों की झाँकी है। तुलसी के अतिप्रिय राम सम्बन्धित मार्मिक प्रसंग भी इन मुक्तकों में मिलते हैं। ‘कवितावली’ तुलसीदास की ऐसी कृति है जिसमें उनका व्यक्तित्व राम-महिमा के साथ देश-काल से तादात्म्य करता हुआ एक संघर्षशील सर्जनात्मक, लोकमंगलाकांक्षी भक्त के रूप में प्रकट होता है। इस काव्य में रामचरित और उनसे सम्बद्ध चरित्रों की तथा उनके चरित्र की महिमा का आख्यान तो है ही, इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उन स्थानों, उन तत्त्वों के भी सम्बन्ध में तुलसीदास स्पष्ट प्रकट होते हैं जो उनके जीवन में गुण-धर्म के समान समा गए हैं और जो उनके व्यक्तित्व को प्रकट करते हैं। तुलसीदास के महान व्यक्तित्व के पीछे देश-काल को देखने की उनकी जो सर्जनात्मक दृष्टि है, उसका भी हमें इसमें ज्ञान प्राप्त होता है।
तुलसीदास जी केवल द्रष्टा ही नहीं कर्मजयी स्रष्टा भी हैं और उनकी जीवन-गति में जो अवरोध समाज के सम्मुख आते हैं, उनसे संघर्षकर्ता तथा अजेय योद्धा के रूप में भी ‘कवितावली’ में अपने को प्रकट करते हैं। जाति-पाति के बन्धन से मनुष्य के व्यक्तित्व को ऊँचा उठाने का आह्वान भी ‘कवितावली’ में है। ‘कवितावली’ के भीतर उनकी उन मान्यताओं की भी प्रभा है, जिनके कारण उन्हें लोग समवन्यवादी मानते हैं। लोक में प्रचलित और प्रिय कवित्त, सवैया और छप्पय की पद्धति अपनाकर तुलसी ने राम के विभिन्न रूपों की राममय रचना की है। उनके आदर्श राम थे और उनका सम्पूर्ण कृतित्व राममय था। उन्होंने मुक्तक मणि के रूप में इसे प्रचारित किया। ‘कवितावली’ में रामचरित के स्फुट मुक्तक संगृहीत हैं। इनका संयोजन और सम्पादन तुलसी के समय में ही हो चुका था। बालकांड से लेकर उत्तरकांड तक के रामचरितमानस के अनुरूप सातों कांड कवितावली में भी हैं। इन चार सौ पचीस पदों की विशेषता और रामचरितमानस से इनकी विभिन्नता यही है कि ये सभी मूलक छन्द हैं। कवितावली में ‘हनुमान बाहुक’ स्वतंत्र रूट-रचना है। तुलसी के जीवन से सम्बद्ध अनेक रचनाएँ भी कवितावली में हैं। उन्होंने हनुमान की अपनी आराधना को भी इस रचना में स्थान दिया है।
तुलसी के सम्पूर्ण जीवन-काल की स्फुट रचनाओं को सुधाकर पाण्डेय जी ने इस ग्रन्थ में संगृहीत किया है। छात्रों की सुविधा के लिए शब्दार्थ, भावार्थ और पदों की विशिष्टता और विशेषता को भी उन्होंने इस ग्रन्थ में प्रस्तुत किया है। इससे यह ग्रन्थ छात्रों के लिए अतिमहत्त्वपूर्ण तथा उपयोगी बन गया है।
Aiwan-E- Ghazal
- Author Name:
Zilani Bano
- Book Type:

- Description: ‘ऐवाने ग़ज़ल’ की फ़िज़ा परम्परा से शायराना चली आई है, लेकिन वक़्त, बदला, ज़मींदारी की पुख़्ता ज़मीनें खिसकने लगीं, सबकी बराबरी के नारे हवा में गूँजने लगे तो ऐवाने ग़ज़ल के आख़िरी शायर वाहिद हुसैन के पास दिल की बातें करने के लिए रंगीन परों वाली एक नन्ही-सी चिड़िया ही बच गई जो रोज़ उनके बाग़ में उनके पास आकर बैठती। ख़त्म होने पर आमादा इस कहानी को नई रफ़्तार बख़्शती है चाँद। बड़ी हवेली की नन्ही-मुन्नी खिलंदड़ी नवासी चाँद बड़ी होकर स्टेज पर पहुँचती है और एक असम्भव मुहब्बत में तपेदिक के हत्थे चढ़ जाती है। लेकिन जाते-जाते अपने पीछे छोड़ जाती है ग़ज़ल को। ग़ज़ल जिसने पैदा होने के बाद से प्यार और दुलार क्या होता है, नहीं जाना; बड़ी हुई तो ज़िन्दगी से उसने सिर्फ़ एक चीज़ माँगी—प्यार। जो आख़िरकार उसे नहीं मिला और उसने अपना ख़ाली आँचल क्रान्ति के ऊपर फैला दिया। और नक्सली माँ-बाप की जंगलों में जन्मी इकलौती औलाद क्रान्ति ने जैसे ‘ऐवाने ग़ज़ल’ की पूरी परम्परा को ही उलटकर रख दिया। उसके कमरे में बम थे, जेब में पिस्तौल, हाथ में सिगरेट और चेहरे पर वह तेज़ जिसके सामने ऐवाने ग़ज़ल की दीवारों पर चस्पाँ तमाम हुस्नपरस्त शायर हक-दक रह गए। छोटी-छोटी तफ़सीलों से लबरेज़ एक बड़ी कहानी।
Nigahbani Mein Phool
- Author Name:
Vasant Sakargaye
- Book Type:

- Description: Hindi poems by Vasnt Sakargaye
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