Pratinidhi Kavitayen : Suryakant Tripathi 'Nirala'
Author:
Suryakant Tripathi 'Nirala'Publisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
<span style="font-weight: 400;">दुर्धर्ष भाग्य और क्षुद्र समय से आजीवन घिरे रहे महा-कवि और महा-प्राण मनुष्य निराला ने हिन्दी कविता को अपने ही हाथों वह दे दिया जिसे अर्जित करने में युगों की प्रतिभा और शक्ति व्यय हो जाती है। छायावाद के दौर में ही उन्होंने एक कदम बढ़कर मुक्त छन्द में यथार्थवादी कविता को सम्भव किया तो स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान और आजादी के बाद भारतीय राजनीति तथा समाज की स्थितियों को लक्षित कर कविताएँ और उपन्यासों की रचना भी की। ‘सरोज स्मृति’ और ‘राम की शक्तिपूजा’ जैसी कविताओं से उन्होंने कविता की सामर्थ्य के नए मानक गढ़े, तो गीतों में परम्परा, प्रयोग और लोकचेतना के असंख्य अर्थसघन बिम्ब अगली पीढ़ियों के लिए छोड़े। लेकिन यह नवीनता और प्रयोगधर्मिता किसी मामूली चमत्कार-प्रियता का परिणाम नहीं थी, यह निश्चय ही दुख के ताप से नित नूतन होते उनके मन का स्वाभाविक प्रवाह रहा होगा जो क्षणों की अवधि में वर्षों-दशकों को लाँघता चलता है।</span></p>
<p><span style="font-weight: 400;">उनकी प्रतिनिधि कविताओं के इस संकलन में प्रयास किया गया है कि पाठक निराला के विराट कृतित्व के कुछ सबसे दीप्तिमान शिखरों का साक्षात्कार कर सके।</span>
ISBN: 9789390971695
Pages: 136
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Ant Anant
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

-
Description:
यह संकलन सम्पूर्ण निराला-काव्य का परिचय देने के लिए नहीं, बल्कि इस उद्देश्य से तैयार किया गया है कि इससे पाठकों को उसकी मनोहर तथा उदात्त झाँकी-भर प्राप्त हो, जिससे वे उसकी ओर आकृष्ट हों और आगे बढ़ें।
निराला की ख़ासियत क्या है? वे प्रचंड रूमानी होते हुए भी क्लासिकी हैं, भावुक होते हुए भी बौद्धिक, क्रान्तिकारी होते हुए भी परम्परावादी तथा जहाँ सरल हैं, वहाँ भी एक हद तक कठिन। उनकी अपनी शैली है, अपनी काव्य-भाषा। अभिव्यक्ति की अपनी भंगिमाएँ और मुद्राएँ।
यह सर्वथा स्वाभाविक है कि उनके निकट जानेवाले पाठकों से यह अपेक्षा की जाए कि उनका काव्यानुभव बच्चन, दिनकर या मैथिलीशरण गुप्त तक ही सीमित न हो। जब वे किंचित् प्रयासपूर्वक उक्त कवियों से हटकर उनके काव्य-लोक में प्रवेश करेंगे, तो पाएँगे कि उनकी तुलना में वे उनके ज़्यादा आत्मीय हैं।
निराला के प्रसंग में सरलता का यह मतलब क़तई नहीं है कि उनकी कविताएँ पाठकों के मन में बेरोक-टोक उतर जाएँ। कारण यह है कि उनके लिए काव्य-राचन सशक्त भावनाओं का मात्र अनायास विस्फोट नहीं था, बल्कि वे अपनी प्रत्येक कविता को किंचित् आयासपूर्वक पूरी बौद्धिक सजगता के साथ गढ़ते थे। स्वभावतः उनकी सम्पूर्ण अभिव्यकि कलात्मक अवरोध से युक्त है, जिसे ग्रहण करने के लिए थोड़ा धैर्य और श्रम आवश्यक है।
इस पुस्तक में निराला के काव्य-विकास की तीनों अवस्थाओं—पूर्ववर्ती, मध्यवर्ती और परवर्ती—की सौ चुनी हुई सरल कविताएँ संकलित की गई हैं, प्राय रचना-क्रम से। आरम्भिक दोनों अवस्थाओं में सृजन के कई-कई दौर रहे हैं, कविता और गीत के, जिसकी सूचना अनुक्रम से लेकर पुस्तक के भीतर सामग्री-संयोजन तक में दी गई है।
पाठक मानेंगे कि यह कविता की एक नई दुनिया है, अधिक आत्मीय और प्रत्यक्ष, जिसे भाषा सजाती नहीं बल्कि अपनी भीतरी शक्ति से खड़ी करती है।
Prakritik Sundartam Hastakshar
- Author Name:
Meena Jha
- Book Type:

- Description: Collection of Maithili Poems
Tokri Mein Digant
- Author Name:
Anamika
- Book Type:

-
Description:
अनामिका के नए संग्रह ‘टोकरी में दिगन्त—थेरी गाथा : 2014’ को पूरा पढ़ जाने के बाद मेरे मन पर जो पहला प्रभाव पड़ा, वो यह कि यह पूरी काव्य-कृति एक लम्बी कविता है, जिसमें अनेक छोटे-छोटे दृश्य, प्रसंग और थेरियों के रूपक में लिपटी हुई हमारे समय की सामान्य स्त्रियाँ आती हैं। संग्रह के नाम में 2014 का जो तिथि-संकेत दिया गया है, मुझे लगता है कि पूरे संग्रह का बलाघात थेरी गाथा के बजाय इस समय-सन्दर्भ पर ही है। संग्रह के शुरू में एक छोटी-सी भूमिका है, जिसे कविताओं के साथ जोड़कर देखना चाहिए। बुद्ध अनेक कविताओं के केन्द्र में हैं, जो बार-बार प्रश्नांकित भी होते हैं और बेशक एक रोशनी के रूप में स्वीकार्य भी। इस नए संकलन में अनेक उद्धरणीय काव्यांश या पंक्तियाँ मिल सकती हैं, जो पाठक के मन में टिकी रह जाती हैं।
बिना किसी तार्किक संयोजन के यह पूरा संग्रह एक ऐसे काव्य-फलक की तरह है, जिसके अन्त को खुला छोड़ दिया गया है। स्वयं इसकी रचयिता के अनुसार “वर्तमान और अतीत, इतिहास और किंवदन्तियाँ, कल्पना और यथार्थ यहाँ साथ-साथ घुमरी परैया-सा नाचते दीख सकते हैं।” आज के स्त्री-लेखन की सुपरिचित धारा से अलग यह एक नई कल्पनात्मक सृष्टि है, जो अपनी पंक्तियों को पाठक पर बलात् थोपने के बजाय उससे बोलती-बतियाती है, और ऐसा करते हुए वह चुपके से अपना आशय भी उसकी स्मृति में दर्ज करा देती है। शायद यह एक नई काव्य-विधा है, जिसकी ओर काव्य-प्रेमियों का ध्यान जाएगा। समकालीन कविता के एक पाठक के रूप में मुझे लगा कि यह काव्य-कृति एक नई काव्य-भाषा की प्रस्तावना है, जो व्यंजना के कई बन्द पड़े दरवाज़ों को खोलती है और यह सब कुछ घटित होता है एक स्थानीय केन्द्र के चारों ओर। कविता की जानी-पहचानी दुनिया में यह सबाल्टर्न भावबोध का हस्तक्षेप है, जो अलक्षित नहीं जाएगा।
—केदारनाथ सिंह
Himalaya Ne Pukara
- Author Name:
Gopal Singh 'Nepali'
- Book Type:

- Description: गहरी और सक्रिय राजनीतिक चेतना से सम्पन्न ‘हिमालय ने पुकारा’ की कविताएँ उस भारतीय जन का आह्वान करती हैं जिसके पास साहस भी है और शौर्य का इतिहास भी, लेकिन वह कभी अध्यात्म तो कभी अतिरिक्त सहिष्णु भाव के चलते सम्मुख मौजूद परिस्थितियों को अनदेखा कर जाता है। पुस्तक की भूमिका में नेपाली जी एक कथा के माध्यम से इस ओर इशारा भी करते हैं और तत्कालीन राजनीतिक हालात का हवाला देते हुए सच्चे सैनिक की तरह आम जन-गण को संगठित होकर उठ खड़े होने के लिए प्रेरित करते हैं।कह दो कि हिमालय तो क्या पत्थर भी न देंगे| लद्दाख की क्या बात है बंजर भी न देंगे आसाम हमारा है रे मर कर भी न देंगे जिस दौर की ये कविताएँ हैं, उसकी पृष्ठभूमि में चीन और भारत का संघर्ष है, इसलिए कई कविताओं-गीतों में उसकी स्पष्ट छवियाँ दिखाई देती हैं। लेकिन जो चीज इन्हें आज भी पुनः-पुनः पठनीय बनाती है, वह है कवि की मनीषा और काव्यात्मक सामर्थ्य। वे छन्द को एक शस्त्र की तरह इस्तेमाल करते हैं, और अपने भावों को भी कहीं अस्पष्ट नहीं होने देते। यह सन्तुलन आज के कवियों के लिए खास तौर पर अनुकरणीय है।
Hindostan Hamara : Vols. 1-2
- Author Name:
Jaan Nisar Akhtar
- Book Type:

-
Description:
सुविख्यात शायर जाँ निसार अख़्तर द्वारा दो खंडों में सम्पादित पुस्तक ‘हिन्दोस्ताँ हमारा’ में उर्दू कविता का वह रूप सामने आया है जिसकी ओर इसके पहले लोगों का ध्यान कम ही गया था। प्रायः ऐसा माना जाता है कि उर्दू की शायरी व्यक्ति के प्रेम, करुणा और संघर्ष तक ही सीमित है और समय, समाज, राष्ट्र, प्रकृति तथा इतिहास से उसे कुछ लेना-देना नहीं है। परन्तु यह पूरी तरह एक भ्रान्त धारणा है, इसकी पुष्टि इस पुस्तक के दोनों खंडों में संकलित सैकड़ों कविताओं से होती है। इनमें देश-प्रेम के साथ-साथ भारत की प्रकृति, परम्परा और इतिहास को उजागर करनेवाली कविताएँ भी हैं। हिमालय, गंगा, यमुना, संगम आदि पर कोई दर्जन भर कविताएँ हैं, तो राजहंस, चरवाहे की बंसी और धान के खेत भी अछूत नहीं हैं। होली और वसंतोत्सव जैसे त्योहारों पर भी उर्दू शायरों ने बड़ी संख्या में कविताएँ लिखी हैं। इनमें ‘मीर’ और ‘नज़ीर’ की रचनाएँ तो काफ़ी लोकप्रिय रही हैं।
ताजमहल ही नहीं अजंता, एलोरा और नालन्दा के खँडहर पर भी शायरों की नज़र है। देश के विभिन्न शहरों और आज़ादी के रहनुमाओं के साथ-साथ राम, कृष्ण, शिव जैसे देवताओं पर भी कविताएँ लिखी गई हैं। साथ ही ‘कुमार सम्भव’, ‘अभिज्ञान शाकुन्तल’, ‘मेघदूत’ जैसे महान संस्कृत काव्यों का अनुवाद भी उर्दू में हुआ है जिसकी झलक इस संकलन में मिलती है।
कुल मिलाकर उर्दू कविता का यह एक ऐसा चेहरा है जो इस संकलन के पहले तक लगभग छुपा हुआ था। भारत की सामासिक संस्कृति में उर्दू कविता के योगदान को रेखांकित करनेवाले इस संकलन का ऐतिहासिक महत्त्व है। पहली बार 1965 में इसका प्रकाशन हुआ था। उर्दू कविता की दूसरी परम्परा, जो वास्तव में मुख्य परम्परा है, को रेखांकित करनेवाला यह संकलन पिछले कई वर्षों से अनुपलब्ध रहा है। अब राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा इसे नई साज-सज्जा के साथ अविकल रूप में प्रकाशित किया जा रहा है।
Aapai Aapan Paar
- Author Name:
Anamika
- Book Type:

- Description: हूँ न मैं हूँ धीरे-से इतना बस / थकी हुई चिड़िया से कहता है / पानी में फूला हुआ दाना।अनुभूति के बहुस्तरीय सच को कविता में पूरा-पूरा कह सकने वाली, हमारे समय की समर्थ कवि अनामिका की प्रेम कविताओं का यह संग्रह ‘आपै आपन पार’ प्रेम का जैसे एक सम्पूर्ण पाठ है। ‘लरिकाई को प्रेम’ से चलकर ‘वार्धक्य में प्रेम की दस्तक’ और घनानंद से लेकर आज के तकनीक-समृद्ध समय तक फैला प्रेम का यह आख्यान प्रेम के अनेक पड़ावों से गुज़रता है और जीवन के इस आधारभूत तत्त्व को हिंसाओं और अतिक्रमणों की दलदल से निथारकर हमारे सामने मूर्त करता है, जिस दलदल और जिस शोर को हमने शायद प्रेम की चुनौती से भागने के लिए ही रचा है। प्रेम जो अगर बुलाता है, तो परीक्षा भी लेता है, कसौटी भी बनता है प्रेमी के समर्पण की, उसकी; सीमाओं को बताते हुए, कहते हुए कि और बड़े होकर आओ; और परिष्कृत, और ज्यादा मनुष्य। वह चाहता है कि मनुष्य विभाजनों से ऊपर उठे, समाज के भी और मन के भी। इन कविताओं में प्रेम की पीड़ा भी है, आकांक्षा भी है, लोक और साहित्य में रची-बसी प्रेम की छवियाँ भी हैं, परम्परा और आधुनिकता के बीच जो पुल प्रेम बनाता है, वह भी है। कहना अतिशयोक्ति न होगी कि ‘आपै आपन पार’ से गुज़रना प्रेम के एक समूचे अनुभव से गुज़रना है और उसके विमर्श से भी। कविताओं के साथ इस पुस्तक में प्रेम-कविता को लेकर एक ‘उपरान्त कथन’ भी है जो हिन्दी और विश्व-साहित्य में प्रेम की अभिव्यक्ति पर विहगावलोकन करते हुए प्रेम के सूक्ष्म का अन्वेषण समय और भूगोल के एक बड़े वृत्त में करता है|
Aiwan-E- Ghazal
- Author Name:
Zilani Bano
- Book Type:

- Description: ‘ऐवाने ग़ज़ल’ की फ़िज़ा परम्परा से शायराना चली आई है, लेकिन वक़्त, बदला, ज़मींदारी की पुख़्ता ज़मीनें खिसकने लगीं, सबकी बराबरी के नारे हवा में गूँजने लगे तो ऐवाने ग़ज़ल के आख़िरी शायर वाहिद हुसैन के पास दिल की बातें करने के लिए रंगीन परों वाली एक नन्ही-सी चिड़िया ही बच गई जो रोज़ उनके बाग़ में उनके पास आकर बैठती। ख़त्म होने पर आमादा इस कहानी को नई रफ़्तार बख़्शती है चाँद। बड़ी हवेली की नन्ही-मुन्नी खिलंदड़ी नवासी चाँद बड़ी होकर स्टेज पर पहुँचती है और एक असम्भव मुहब्बत में तपेदिक के हत्थे चढ़ जाती है। लेकिन जाते-जाते अपने पीछे छोड़ जाती है ग़ज़ल को। ग़ज़ल जिसने पैदा होने के बाद से प्यार और दुलार क्या होता है, नहीं जाना; बड़ी हुई तो ज़िन्दगी से उसने सिर्फ़ एक चीज़ माँगी—प्यार। जो आख़िरकार उसे नहीं मिला और उसने अपना ख़ाली आँचल क्रान्ति के ऊपर फैला दिया। और नक्सली माँ-बाप की जंगलों में जन्मी इकलौती औलाद क्रान्ति ने जैसे ‘ऐवाने ग़ज़ल’ की पूरी परम्परा को ही उलटकर रख दिया। उसके कमरे में बम थे, जेब में पिस्तौल, हाथ में सिगरेट और चेहरे पर वह तेज़ जिसके सामने ऐवाने ग़ज़ल की दीवारों पर चस्पाँ तमाम हुस्नपरस्त शायर हक-दक रह गए। छोटी-छोटी तफ़सीलों से लबरेज़ एक बड़ी कहानी।
Jab Aadivasi Gata Hai
- Author Name:
Jamuna Bini
- Book Type:

- Description: जब आदिवासी गाता है की कविताओं में आदिम और आधुनिक, परम्परा और परिवर्तन, प्यार और प्रतिरोध तथा संगीत और सिसकी एक साथ उपस्थित हैं। पूर्वोत्तर के अरुणाचली-आदिवासी समाज और संस्कृति की नैसर्गिक धड़कन इन कविताओं में आसानी से महसूस की जा सकती है, साथ ही वह सोच भी जो कथित मुख्यधारा से परे, अब तक अलक्षित-उपेक्षित पड़े हाशिये के समाजों में अस्मिता की बढ़ती चेतना के साथ मुखर होती गई है। इन कविताओं का एक छोर प्रकृति से सुदीर्घ साहचर्य, और सहस्राब्दियों के अनुभव और यत्न से निर्मित संस्कृति के प्रति कवि के सहज गौरवबोध से बना है, जबकि दूसरा छोर उन सवालों से जो पूरी दुनिया को केवल मुनाफ़े की नज़र से देखने वाली शक्तियों को सम्बोधित हैं। जमुना बीनी की रचनात्मकता का यह वितान, वस्तुतः समकालीन हिन्दी कविता का एक नया प्रस्थान है।
Udhav Satak
- Author Name:
Jagannath Das Ratnakar
- Book Type:

- Description: This book dont have a description.
Dararon Mein Ugi Doob
- Author Name:
Chitra Desai
- Book Type:

-
Description:
छोटी और कुछ बहुत ही छोटी इन कविताओं का उत्स जीवन के हाशियों पर दूब की तरह उगते, पलते और झड़ जाते दु:खों के भीतर है—इसका अहसास आपको एक-एक कविता से गुज़रते हुए धीरे-धीरे होता है। धीरे-धीरे आप जानने लगते हैं कि किस कविता की किस पंक्ति में दरअसल कितनी बड़ी एक टीस को छिपाकर गूँथ दिया गया है।
'घर की उम्र के लिए/एक पूरा आदमी/टुकड़े-टुकड़े बँटकर/थामता है/हर कोना/...घर की उम्र के लिए/बिखर कर मर जाता है/एक पूरा आदमी।’ घर यहाँ दरअसल एक व्यवस्था का, एक स्थिर सुरक्षा का और सरल शब्दों में कहें तो उस दुनियादारी का प्रतीक है, जिसकी तरफ़ एक व्यक्ति जीवन-भर खिंचकर आता है तो उतने ही वेग से उससे दूर भी जाता है। भीतर और बाहर की इसी खींचतान के अलग-अलग बिन्दुओं से उपजी बेचैन मगर बहुत गहरे में हमें अपनी पीड़ा की अभिव्यक्ति का शान्त आधार उपलब्ध करानेवाली ये कविताएँ इसी अर्थ में विशिष्ट हैं कि ये हमें अपनी सादगी से अपने बहुत नज़दीक बुलाकर हमारा दु:ख सोखती हैं। भाव-बोध के आधार पर संग्रह की कविताओं को चार खंडों में समायोजित किया गया है। पहला है 'पगडंडी’ जिसमें ग्रामीण जीवन और परिवेश में बसे, बनते-बिगड़ते-बदलते रिश्तों और रूपाकारों को सहेजने-समेटने की संवेदन-यात्रा समाहित है। दूसरे खंड 'अलाव’ में अपने अस्तित्व के इर्द-गिर्द बुनी आँच और उसकी लपटों को पकडऩे, चित्रित करने की बारीक लेकिन सुदृढ़ बुनाई है। 'आरोह-अवरोह’ में घर, रिश्तों और कचहरी में फैले आहत तन्तुओं को गहरी-तीखी रंगत में उकेरा गया है। और, चौथे खंड 'मध्यान्तर के बाद’ में पुन: जीवन की जड़ों को खोलकर- खोदकर देखने की कोशिश की गई है जो हमारी सवंदेना-यात्रा को वापस जीवन में आरम्भ से जोड़ देती है।
'पत्थरों को संवेदना देती है/उनकी दरारों में दबी मिट्टी/जहाँ उग आती है दूब/चट्टानों के अस्तित्व को ललकारती।’ ये कविताएँ दरअसल जीवन की कठोर, पथरीली चट्टानों के बीच बची मिट्टी में उगी कविताएँ हैं; जिनमें हम अपने दग्ध वजूद को कुछ देर भीनी-भीनी ठंडक से भर सकते हैं।
Swair
- Author Name:
Ram Prakash
- Book Type:

-
Description:
अत्याचार का एक रूप स्वैराचार है। हम यह भी कह सकते हैं कि स्वैराचार ही अत्याचार की राह है। स्वैराचार का अर्थ है—व्यक्ति-मन का लोक-मन और लोक-मत से सर्वथा विलगाव। सामान्य भाषा में कहें तो मनमानापन। अपनी इच्छा इतनी प्रबल हो जाए कि समाज के सारे अनुशासन उसके समक्ष बौने हो जाएँ तो इसे ही स्वैराचार कहते हैं।
स्वैर-भाव दूषित मनोवृत्ति है। इसके परिणाम भयंकर होते हैं। पूरी मानवीय सभ्यता पर यह प्रश्नचिन्ह है। आज तमाम सामाजिक विकृतियों, दूषित पर्यावरण ने समाज में स्वैर-भाव को बढ़ावा दिया है, और कामेच्छा सड़कों पर नृत्य कर रही है। दैनंदिन की घटनाओं में इसका प्राधान्य है और ऐसे में कोई कवि-मन शिक्षाविद् इससे विचलित-विगलित न हो, यह सम्भव नहीं है।
कवि-हृदय श्री रामप्रकाश ‘प्रकाश’ ने इसी चिन्ता को पूरे ऐतिहासिक-पौराणिक परिप्रेक्ष्य में अपनी काव्यकृति ‘स्वैर’ में विस्तार से वर्णन किया है। समाचार-पत्रों में प्रकाशित तमाम घटनाओं ने प्रसिद्ध शिक्षाविद्, शिक्षा विभाग से जुड़े प्रशासकीय दायित्व से संपृक्त तथा प्रकृत्या कवि रामप्रकाश ‘प्रकाश’ को उद्वेलित किया और उनकी वेदना कविता के रूप में प्रवाहित हो उठी। अन्तर केवल इतना है कि उन्होंने स्वैरियों को निषाद की भाँति केवल अप्रतिष्ठा का शाप न देकर सुधरने का सन्देश दिया है।
सुधार की यह अपेक्षा कवि ने मानव स्वभाववश की है। उन्हें मानवता पर अटूट विश्वास है। ‘स्वैर’ निश्चित रूप से वेदना का काव्य है। मिट्टी को मान माननेवाले देश में नारी के विरुद्ध स्वराचार कितना जघन्य है, इसका मार्मिक चित्र कवि ने प्रस्तुत किया है।
Dhoop Se Roothi Chandni
- Author Name:
Sudha Om Dhingra
- Rating:
- Book Type:

- Description: This book has no description
Suraj Ko Angootha
- Author Name:
Jitendra Srivastava
- Book Type:

- Description: सूरज को अँगूठा दिखाते हुए ठहाके लगाने का साहस करती जितेन्द्र श्रीवास्तव की कविताओं का प्राणतत्त्व राजनीति और समाजनीति—दोनों के समान योग से निर्मित है। यही कारण है कि जितेन्द्र की कविताएँ इकहरी नहीं, बहुस्तरीय हैं। मनुष्य और मनुष्यता की चिन्ता करने के क्रम में यह कवि सत्ताकांक्षी राजनीति और वर्चस्ववादी सामाजिक संरचना की गहरी पड़ताल करता है। यह अकारण नहीं है कि वह बात करता है सपनों की, इच्छाओं की और चुप्पी के समाजशास्त्र की। पिछले तीन दशकों से हिन्दी कविता में निरन्तर सक्रिय, स्वीकृत और सम्मानित जितेन्द्र श्रीवास्तव गृहस्थ जीवन के सिद्ध और अद्वितीय कवि हैं। उनकी कविता से ही एक शब्द लेकर कहें तो पारिवारिक विन्यास के रास्ते जीवन की विविधता को प्रकट करने का कौशल उनकी कविताओं का जीवद्रव्य है। जितेन्द्र श्रीवास्तव की भाषा में अपूर्व और दुर्लभ आत्मीयता है। चिन्तन करते हुए, समस्याओं पर विचार करते हुए, दुःख बतियाते हुए, पत्नी से कुछ कहते हुए, छोटे भाई की शादी में माँ की चर्चा करते हुए, पिता को याद करते हुए, पुराने मित्र से मिलते हुए, बहुत दिनों के बाद अपनी पुश्तैनी खेती-बारी को निहारते हुए, आत्मबल को बटोरते हुए—आप कविताओं में विन्यस्त इन सभी रंगों से गुज़रते हुए पाएँगे कि जितेन्द्र की काव्य-भाषा में 'आत्मीयता' आश्चर्यजनक रूप से बनी रहती है। न कोई दिखावे की तल्खी, न नफ़रत का अतिरिक्त प्रदर्शन—फिर भी पक्षधरता में कोई विचलन नहीं। यह रक्त और विवेक में समाई हुई पक्षधरता है जिसे व्यक्त करने के लिए कवि को अलग से कोई उद्यम नहीं करना पड़ता। उम्मीद है उनका यह नया संग्रह हिन्दी कविता के पाठकों को एक नया आस्वाद देगा।
Bandi Jeevan Aur Anya Kavitayen
- Author Name:
Sachchidananda Hirananda Vatsyayan 'Ajneya'
- Book Type:

-
Description:
कई महीनों से इन कविताओं की पाण्डुलिपि मुझे लगातार अपने वादे की याद दिलाती हुई मेरे पास थी कि मुझे भूमिका के रूप में कुछ लिखना है। इस दौरान मैंने कई विषयों पर लिखा है, लेकिन यह भूमिका लिखना मेरे लिए अजीब तरह से मुश्किल रहा। मैं कविता का निर्णायक अथवा आलोचक नहीं हूँ, इसलिए कुछ हिचकिचाहट थी। लेकिन मैं कविता से प्यार करता हूँ और इन छोटी कविताओं में से कई ने मुझे बहुत प्रभावित किया। वे मेरी स्मृति में अटक गईं और उन्होंने मेरे जेल-जीवन की यादें ताज़ा कर दीं—और उस अजीब और भुतही दुनिया की भी, जिसमें समाज द्वारा अपराधी मानकर बहिष्कृत लोग अपनी तंग और सीमित ज़िन्दगी को प्यार करते थे। वहाँ हत्यारे थे, डाकू और चोर भी थे, लेकिन हम सब जेल की उस दु:ख-भरी दुनिया में साथ-साथ थे, हमारे बीच एक जज़्बाती रिश्ता था। अपनी एकाकी कोठरियों में ही हम चहलक़दमी करते—पाँच नपे-तुले क़दम इस तरफ़ और पाँच नपे-तुले क़दम वापस, और दु:ख से संवाद करते रहते। दोस्त-अहबाब और आसरा ख़यालों में ही मिलता और कल्पना के जादुई कालीन पर ही हम अपने माहौल से उड़ पाते। हम दोहरी ज़िन्दगी जी रहे थे—जेल की ज़ेरेहुक्म और तंग, बन्द और वर्जित ज़िन्दगी और जज़्बात की, अपने सपनों और कल्पनाओं, उम्मीदों और अरमानों की आज़ाद दुनिया। उन सपनों का बहुत-सा इन कविताओं में है, उस ललक का जब बाँहें उसके लिए फैलती हैं जो नहीं है और एक ख़ालीपन हाथ आता है। कुछ वह शान्ति और तसल्ली जिन्हें हम उस दु:ख-भरी दुनिया में भी किसी तरह पा लेते थे। कल की उम्मीद हमेशा थी, कल जो शायद हमें आज़ादी दे। इसलिए मैं इन कविताओं को पढ़ने की सलाह देता हूँ और शायद वे मेरी ही तरह दूसरों को भी प्रभावित करेंगी।
—जवाहरलाल नेहरू
Karmanasha
- Author Name:
Sidhheshwar Singh
- Book Type:

- Description: Hindi Poems Karmnasha written by Sidheshwar Singh
Adhoore Swangon Ke Darmiyan
- Author Name:
Sudhanshu Firdaus
- Book Type:

- Description: नई पीढ़ी के अनिवार्य कवि सुधांशु फ़िरदौस की कविताओं की दुनिया ने अपने बनने के लिए जो रंग चुने हैं, उनमें प्रतीक्षा का रंग सबसे गहरा है। ‘अधूरे स्वाँगों के दरमियान’ में समाई कविताओं में प्रतीक्षा और धैर्य के अमर बिम्ब हैं, प्रेम और स्वप्न के भी। इन कविताओं की आधुनिकता एक चिन्तित नागरिक के अकेलेपन, अपराध-बोध और उदासियों से जुड़ी है। इनमें लोक तथा परम्परा की नव-निर्मितियाँ हैं और एक उम्र से एक उम्र की तरफ़ बढ़ती हुई यात्राएँ। चूँकि यह संग्रह तब आ रहा है, जब कवि ने अपना स्वर पा लिया है—इसलिए इसमें वे सारी उधेड़बुनें और बेचैनियाँ; वे सारे सरोकार और इन्तज़ार पाए जा सकते हैं जो एक जगह से दूसरी जगह जाने के सफ़र में सामने आए। इस कविता-संग्रह में कवि ने अपना अब तक का कुछ भी छोड़ा नहीं है, बल्कि वह सब कुछ जोड़ दिया है जिससे हमारा आज का कवि और कवि-समय बनता है।
Raswanti
- Author Name:
Ramdhari Singh Diwakar
- Book Type:

-
Description:
सौन्दर्य, संवेदना और प्रतिरोध के अद्वितीय कवि हैं रामधारी सिंह ‘दिनकर’, और इस बात को उनके आरम्भिक आत्ममंथन युग की रचना ‘रसवन्ती’ में भी लक्षित किया जा सकता है। इस संग्रह में प्रकृति या ऋतुओं का सौन्दर्य हो; स्त्री-पुरुष का प्रेम हो, पीड़ा का आरोह हो; संघर्ष-सरोकारों की छटपटाहट हो, सामाजिक मूल्य-ह्रास या आगत की रहस्यमयता हो—दिनकर एक साधक के रूप में सभी को निम्नतम से उच्चतम स्तर तक बग़ैर किसी दृष्टिबन्ध के साधते दृष्टिगत होते हैं। यह राष्ट्रकवि की उदात्त अन्तश्चेतना ही है कि वे अपनी परम्परा से विलग नहीं होते और कालिदास के जीवन को साक्षात् करते अपने रचना-लोक में उन्हें ‘कविगुरु’ कहते हैं।
उल्लेखनीय है कि ‘गीत-शिशु’, ‘रसवन्ती’, ‘बालिका से वधू’, ‘प्रीति’, ‘दाह की कोयल’, ‘नारी’, ‘अगुरु-धूम’, ‘पुरुष-प्रिया’, ‘पावस-गीत’, ‘कत्तिन का गीत’, ‘कालिदास’, ‘सावन में’, ‘भ्रमरी’, ‘रहस्य’, ‘शेष गान’ आदि रचनाएँ अपनी प्रांजल प्रवाहमयी भाषा, उच्चकोटि के छन्द विधान और सहज भाव-सम्प्रेषण के कारण इस संग्रह के प्राण-तत्त्व की तरह हैं, जो पढ़नेवाले की स्मृति में रच-बस जाती हैं।
वस्तुत: ‘रसवन्ती’ दिनकर के अन्वेषी मन की विशिष्ट और अविस्मरणीय कृति है।
Punarvasu
- Author Name:
Ashok Vajpeyi
- Book Type:

-
Description:
जब भी हम अनुवाद, विशेषकर कविता का अनुवाद पढ़ते हैं, हम संशय में होते हैं। यह संशय तब तो और भी ज़्यादा होता है जब वह कविता, मसलन, फ़्रेंच या स्वीडिश से अंग्रेज़ी और अंग्रेज़ी से हिन्दी जैसे तिर्यक रास्ते से भटकती आती हम तक पहुँचती है। “क्या वह ठीक वही कविता रह पाती है, जैसी वह मूल में है?” —यह संशय अनुवाद से ज़्यादा, अनुवाद की ओट में वस्तुतः कविता को लेकर संशय है जो इस विश्वास से जनमता है कि कविता का एक ‘स्थिर’, ‘मूल’ रूप होता है जो उस भाषा, शैली और ढाँचे में सुरक्षित होता है जिसमें वह लिखी गई है; और यह विश्वास भी कि जब हम उसे उसके ‘मूल रूप’ में पढ़ रहे होते हैं तब हम उसे यथा—अर्थतः ग्रहण कर रहे होते हैं। प्रस्तुत चयन हमें इस अन्धविश्वास से मुक्त करता हुआ उस विस्मयकारी प्रक्रिया के क़रीब ले जाता है जिसमें कविता भाषा, शैली और संरचना का निरन्तर उत्सर्जन करती हुई उस ‘एजेंसी’ की पकड़ से बाहर जाती रहती है जिसे हम ‘कवि’ या ‘रचयिता’ या ‘मूल’ कहते हैं।
इस चयन को पढ़ते हुए हम अनुभव करते हैं कि कविता निरन्तर रूपान्तरित और परिशोधित होती ऊर्जा है (जैसाकि इस चयन में शामिल स्वीडिश कवि टोमास ट्रान्सट्रोमर भी मानते हैं) और वह तभी तक ऊर्जा है जब तक वह रूपान्तरण और परिशोधन की प्रक्रिया में है। वह या तो मूल का निषेध है या वे तमाम पाठक उसका मूल हैं जो उसे अपनी सृजनात्मकता के भीतर से परिशोधित, रूपान्तरित और मुक्त होने देते हैं। वह किसी विशिष्ट देश, विशिष्ट भाषा या विशिष्ट कवि का सृजन नहीं, पाठक का सृजन है और इसी अर्थ में वह देश, भाषा और कवि का सृजन है। इस चयन में शामिल सारे अनुवादक ऐसे ही पाठक हैं और इसीलिए इन अनुवादों को पढ़ना, अपने भीतर निहित पाठक को उद्दीप्त कर उसे कविता के ‘होने’ की सतत प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाना है; उसे उसकी ‘कर्मवाचक’ स्थिति से मुक्त कर कर्त्तृवाचक स्थिति में ले जाना है और अन्ततः उसे यह बोध कराना है कि कम से कम कविता की दुनिया में कर्तृत्त्व, स्वत्त्व का साधन नहीं है, वह स्वत्त्व का निषेध है।
कहना न होगा कि पाठक को उसकी इस गम्भीर और सृजनात्मक स्थिति का बोध करानेवाली यह एक अद्वितीय पुस्तक है। मनुष्यों के छह महाद्वीपों के बीच छुपा हुआ एक सातवाँ महाद्वीप है। जहाँ और जब भी कोई कविता लिखी (और पढ़ी) जाती है, यह महाद्वीप मूर्त और स्पन्दित होता है। इस महाद्वीप पर अस्तित्व का पुनर्वास होता है। हम इस महाद्वीप को ‘पुनर्वसु’ कहकर पुकार सकते हैं।
Prem Politics
- Author Name:
Prasanna Soni
- Book Type:

- Description: Book
Khudgarziyan Poems
- Author Name:
Vaishali
- Book Type:

- Description: "वैशाली, इनकी अलमारी में अंग्रेज़ी साहित्य और मास कम्यूनिकेशन की दो—दो स्नातकोत्तर उपाध्यि इठला रही थीं, तभी ढेर सारे आलेखनों और कविताओं के पन्नों ने इन्हें झुके रहना सिखाया… पिछले एक दशक से कॉपी राइटिंग क्षेत्र में सक्रिय हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के लिए कई सारे चुनावी और अन्य प्रचार अभियान भी लिख चुकी हैं… विषय कोई भी हो, उसमें जान डालने की कला को इन्होंने वक्त के साथ निखारा… प्रखर राष्ट्रवादी विचारधारा रखती हैं ये, और राष्ट्रवाद पर कई गाने और टीवी व सोशल मीडिया की फिलमे भी लिख चुकी हैं… और हर सृजन ने इन्हें देशभक्ति का एक नया मतलब समझाया… मघ्यमवर्गीय गुजराती परिवार में इनका जन्म हुआ… कर्म ही र्घम इनके जीवन का मूल—मंत्र है… इसी मंत्र ने उनको एक छोटे से शहर से राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाया… कविता लिखने की इनकी शैली मे सरलता है। हल्के—फल्के शब्दों के प्रयोग से ये अपनी बात ईमानदारी स कह जाती हैं। यही सरलता और सहजता से आगे भी लिखते रहना है, और भी बहुत कुछ सीखते रहना है… जय हिंद…
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.