Jashn-E-Deewangi
Author:
Rahul Ranjan MahiwalPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Poetry0 Reviews
Price: ₹ 556
₹
695
Available
कहने की शैली जितनी पठनीय बन पाती है उतनी की लयात्मकता के साथ शायर अपने शब्दों को शायराना गीतों में आबद्ध कर पाता है। उल्लेखनीय है कि राहुल रंजन महिवाल की शायरी पर भी इस उक्ति का प्रभाव दिखाई देता है।</p>
<p>शायरी, गीत और नज़्म की रचनात्मकता में पनपती शाब्दिक अनुभूतियों का आश्रय शायर को पहले-पहल मोहम्मद रफ़ी साहब के गाए शायराना गीतों को सुनकर मिला था। जो यह कहने के लिए पर्याप्त अवसर देता है कि इस संग्रह की शायरी भी फ़िल्मी अन्दाज़ की निश्छलता से लबालब भरी हुई है।</p>
<p>‘जश्न-ए-दीवानगी’ में शामिल सौ से अधिक ग़ज़लों, गीतों और नज़्मों का विषय क्षेत्र पर्याप्त विविधता और आस्वाद से परिपूर्ण है। शायर न केवल इश्क़िया मनोभावों को इनमें रचने में सफल हुआ है बल्कि सामाजिक सरोकारों की लयात्मकता को चिह्नित करने का कार्य भी बख़ूबी करता है।</p>
<p>कोई भी शायर जब अपने शब्दों को गढ़ रहा होता है तो वह अनुभूति के स्तर पर अपने पाठकों को झकझोरने और उनकी चेतना में नए अनुभवों की संरचना का दायित्व जगाने का कार्य करता ही है। उर्दू शायरी में यह कार्य जिस तत्परता से होता रहा है वह उल्लेखनीय है। इधर हिन्दी शायरी में भी यह प्रयास मुक़म्मल ढंग से होने लगा है। राहुल रंजन महिवाल अपनी पुस्तक ‘जश्न-ए-दीवानगी’ में शायरी विधा और उसकी पसंदगी का वही अनुभव पैदा करते हैं। जो अवश्य ही शायरी के रसिकों और सुधि पाठकों को सुरुचिपूर्ण लगेगा।
ISBN: 9788119989874
Pages: 200
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Jaldhaar
- Author Name:
Ushakiran Khan
- Book Type:

- Description: Book
Magadh
- Author Name:
Shrikant Verma
- Book Type:

- Description: मगध में संगृहीत कविताएँ इतिहास नहीं हैं, इतिहास का सम्मोहन हैं, मायालोक हैं; जिनमें नगर एवं गणराज्य, ‘मगध’, ‘अवन्ती’, ‘कोसल’, ‘काशी’, ‘श्रावस्ती’, ‘चम्पा’, ‘मिथिला’, ‘कोसाम्बी’ धूल में आकार लेते और धूल में निराकार हो जाते हैं बवंडर की तरह। इन कविताओं के नायक और नायिकाएँ हैं, इतिहास के निर्माता और गवाह, चन्द्रगुप्त, अशोक, बिंबिसार, अजातशत्रु, कालिदास, शकटार, वसंतसेना, वासवदत्ता, अम्बपाली...जिनका नाम लेते ही न जाने कितनी कहानियाँ जाग उठती हैं, कितने संस्मरण कौंध जाते हैं। जरा, मरण, रोग, शोक, पतन, उत्थान, युद्ध, हत्या, जय, पराजय! मनुष्य की समग्र गाथा में महाकाव्यत्व होता है। ये कविताएँ उसी समग्रता और उसी महाकाव्यत्व को प्रस्तुत करने का एक उपक्रम हैं। ये पाठक को स्तब्ध करती हैं, चौंकाती हैं, भयभीत करती हैं, शोक-सन्देश की तरह उन पर छा जाती हैं, अनहोनी की तरह मँडराती हैं और होनी की तरह आकर बैठ जाती हैं। ये बिना चेतावनी दिए पाठक को अपनी गिरफ़्त में ले लेती हैं। इनका असर जादुई है। जैन और बौद्ध दर्शन का स्मरण दिलाती हुई मगध में संगृहीत कविताएँ काल की एक झाँकी हैं और महाकाल की स्तुति! ये अतीत का स्मरण हैं, वर्तमान से मुठभेड़ और भविष्य की झलक! मगध श्रीकान्त वर्मा की कविताओं में एक नया मोड़ है।
Javednama
- Author Name:
Mohd. Ikbal
- Book Type:

-
Description:
‘जावेदनामा’ मुहम्मद इक़बाल का ऐसा महाकाव्य है जिसमें पहली बार विश्व के सभी प्रमुख धर्मों के महान व्यक्तित्वों को सम्मानजनक स्थान देकर उन्हें मानवता की विरासत के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस्लाम के अन्तिम पैग़म्बर मुहम्मद के मे’राज के बहाने यह काव्यकृति हिन्दुत्व, बौद्ध, ज़रतुश्त और इस्लाम समेत ईसाई धर्म की समेकित अभिव्यक्ति है।
मूल फ़ारसी में सन् 1932 में प्रकाशित इस काव्यकृति ने क्लासिक का दर्जा पा लिया था। इसे ‘शाहनामा’, ‘गुलिस्ताँ’, ‘दीवान’, ‘डिवाइन कॉमेडी’ और ‘फ़ाउस्ट’ की क़तार में शुमार किया जाने लगा। एशिया का ‘डिवाइन कॉमेडी’ कहे गए इस महाकाव्य के सभी मुख्य पात्र, यथा—मौलाना रूमी, विश्वामित्र, ज़रतुश्त, गौतमबुद्ध, टॉल्स्टाय, ग़ालिब, ताहिरा, हल्लाज, अब्दाली, नादिरशाह, टीपू सुल्तान, जमालउद्दीन अफ़ग़ानी, सईद हलीम पाशा और संस्कृत कवि भर्तृहरि सभी एशिया के हैं। गोएटे की तरह इक़बाल में भी अन्य परम्पराओं एवं संस्कृतियों के प्रति सहिष्णुता और आदर की भावना है। ‘जावेदनामा’ के माध्यम से इक़बाल का मक़सद सम्बन्धित क़ौमों को पाश्चात्य साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए उत्प्रेरित भी करना था।
हिन्दी में पहली बार तथा विश्व की लगभग तमाम प्रमुख भाषाओं में अनूदित इस महाकाव्य में इक़बाल तत्त्व मीमांसात्मक विमर्शों से मुठभेड़ करने के साथ बीसवीं सदी की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, नैतिक और धार्मिक पेचीदगियों के परिप्रेक्ष्य में अपनी महान कलात्मक क्षमताओं का इस्तेमाल मूलतः एक भविष्योन्मुख विश्वदृष्टि की स्थापना के लिए करते हैं। अपने ढंग की अपूर्व और अनूठी कृति जिसकी मिसाल विश्व साहित्य में नहीं मिलती।
Sapne Mein Piya Pani
- Author Name:
Samartha Vashishtha
- Book Type:

-
Description:
समर्थ वाशिष्ठ की अंग्रेज़ी कविताओं के संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। यह उनकी हिन्दी कविताओं का पहला संग्रह है। जब एक कवि दो भाषाओं में लिखता है, तो कई बार यह देखना बहुत दिलचस्प होता है कि वे कौन-से क्षण या भाव हैं, जो बार-बार उसकी कविताओं में आते हैं, और अगर आते हैं, तो कवि अपनी भाषा के तईं उन भावों के साथ कैसा व्यवहार करता है। समर्थ की कई कविताओं को पढ़कर यह सहज ही कहा जा सकता है कि यह एक ऐसा समर्थ कवि है, जो दोनों भाषिक परम्पराओं से प्राप्त व्याकरण के गलियारों में बड़ी सहजता से तफ़रीह करता है।
—गीत चतुर्वेदी
Thodi Si Jagah
- Author Name:
Ashok Vajpeyi
- Book Type:

-
Description:
अशोक वाजपेयी हिन्दी के समकालीन कवियों में उन थोड़े-से लोगों में से हैं जिन्होंने अपने समय में प्रेम की सघनता, उत्कृष्टता और महिमा को लगातार अपनी कविता के केन्द्र में बनाए रखा है। एक ऐसे समय में जब रति और शृंगार के पारम्परिक सौन्दर्य-मूल्य कविता के दृश्य से ग़ायब ही हो गए हैं, अशोक वाजपेयी ने उन्हीं को अपनी कविता में सबसे अधिक जगह दी है। उनकी प्रेम कविता में जो ऐन्द्रिकता है, वह परम्परा को पुनराविष्कृत करती है और साथ ही उसे समकालीन आँच और लपक भी देती है। प्रेम की अनेक सूक्ष्मताएँ खड़ी बोली में इन कविताओं के माध्यम से पहली बार कविता के परिसर में प्रवेश करती हैं।
प्रेम में, अशोक वाजपेयी के कविता-संसार में भरा-पूरापन है, रसिकता और प्रयास है। उसमें जीवन से भागकर कहीं और नहीं, बल्कि इसी अच्छी-बुरी दुनिया में अपने लिए थोड़ी-सी जगह पाने की दुर्लभ ज़िद है।
कविता में प्रेम करना या कि प्रेम की कविता करना अशोक वाजपेयी की अदम्य जिजीविषा का ही प्रमाण है। यह स्पन्दन और ऊष्मा की पुस्तक है : प्रेम के स्पन्दन, जीवन और भाषा की ऊष्मा की पुस्तक।
Nayee Ankhen
- Author Name:
Ravindra Kumar
- Book Type:

- Description: श्री रविन्द्र कुमार के द्वारा प्रणीत 'नई आँखें कविता संग्रह की कविताएँ काव्य के संसार में अपना एक पृथक स्थान निर्मित करती हैं और विभिन्न कोणों से तथा अपनी काव्यमयी अनुभूतियों से मस्तिष्क की अनेक खिड़कियाँ खोल देती हैं। सद्विचारों के लिए भी स्वच्छ और ताजा हवा का आना आवश्यक है। ये कविताएँ भी स्वच्छ और ताजा हवा की तरह साहित्य को एक नया रूप देने में सक्षम हैं। बिम्बों-प्रतीकों का हारा हुआ विधान इन कविताओं में एक नया कलेवर लेकर आया है तथा ये कविताएँ एक नए क्षितिज का द्वार खोलती हैं। इन कविताओं में कवि एक नई भाव-भंगिमा से संसार को देखने की दृष्टि सृजित करता है। प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ संसार की गतिमयता को अत्यंत सूक्ष्मता से अभिव्यंजित करती हैं। एक आलोकमयी दृष्टि का प्रक्षेपण करते हुए कवि यथार्थ के दृश्यों का उद्घाटन करता है। एक सामाजिक यथार्थ जो बहुधा दर्शन से समझा जा सकता है, उसे कवि ने कविता के माध्यम से समझाने की चेष्टा की है। बहुत कुछ चिरंतन सत्य की परिभाषा में लिखे हुए शब्द समय से पार देखने को विवश करते हैं। अदृश्य को देखने की जिजीविषा का एक अनूठा प्रयास इन कविताओं में है। स्वच्छ प्रकृति की स्वच्छ मानसिकता की इस काव्यमयी सृष्टि के लिए कवि श्री रविन्द्र्र कुमार जी की इन कविताओं का स्वागत होना ही चाहिए। —डा. अनूप सिंह
Jeene Ke Liye Zamin
- Author Name:
Atma Ranjan
- Book Type:

- Description: आत्मा रंजन की ये कविताएं जीवन की उन लुकी छिपी संभावनाओं को बचाने की कविताएँ हैं जिनमें उड़ाने हैं, बीज के छतनार वट–वृक्ष में बदलने की संभावनाएं हैं। यह एक ऐसी आग की कविता है जिससे जलने की नहीं पकने की गंध आती है। जो मनुष्य की रोटी और रोशनी से जुड़ी है। आत्मा रंजन की कविता वस्तुतः जीवन की बहुत साधारण चीज़ों और बहुत साधारण और सामान्य लगती क्रियाओं में नये अर्थ तलाश करती है। वह साधारणता में छिपी असाधारणता को ढूंढ लेती है। वह स्पर्श और थपकी में लड़ने के हौसले को देख लेती है, क्योंकि वह थपकी के बीच आटे की लोई के रोटी के आकार में बदलने की क्रिया को लक्ष्य कर सकती है। यही कारण है कि वह जड़ों के जड़ हो गये या मान लिए गये अर्थ से अलग उसमें छिपी ऊर्जा को देख भी सकती है और समझ भी सकती है। यह एक ऐसी कविता है जो बार बार कुचले जाने के ख़िलाफ़ उठ खड़े होने वाली घास को पहचानती है। इस कविता को किसी भी चीज़ के किसी अन्य चीज़ में होने की आकांक्षा नहीं है, वह अपने होने में ही चीज़ों के सुंदर होने को देख सकती है। यह कविता बंद पड़े दरवाज़ो पर साँकल की तरह दस्तक देती है। यह हमारे समय की विडंबनाओं और विद्रूपों के ख़िलाफ़ न केवल प्रतिरोध की बल्कि एक लगातार जूझते व्यक्ति की कविता है। यह कविता सबके जीने के लिए ज़मीन की आकांक्षा की कविता है। इसमें अपनी ज़मीन और अपनी भाषा की गंध है। झूंंब, हूल, कुटुवा, गाडका, बियूल की टहनियां जैसे अनेक स्थानीय संदर्भ हमारी भाषा में कुछ नया जोड़ते हैं। इन कविताओं में हमारे समय के बहुत सारे सवाल, महामारी से उपजे संकट और नफ़रत की राजनीति से बढ़ रही हिंसा, बाज़ारवाद और यूज़ एंड थ्रो की संस्कृति के अनेक चेहरे उजागर होते हैं। ये कविताएं न होने में होने की संभावनाओं को देखने की कविताएं हैं। – राजेश जोशी
Dark Night of My Soul
- Author Name:
Joe King
- Rating:
- Book Type:


- Description: When your soul is feeling dark, And you’ve lost your inner spark, Then this book might be for you, Since I’ve felt this feeling, too. When your heart is all but broken, And it’s too hard to be open, Open this, and take a look, Here’s my soul inside a book. Dark – Night – Of – My – Soul Even the most beautiful of skies has to let go of the sunshine each night to experience the darkness, but without that darkness, we cannot appreciate the moon and the stars. Every human being is no exception. Just like the sky, we all go through our dark stages, but without that darkness, we would not appreciate the light in our lives as much. To those of you who are experiencing that darkness from within you right now, I hope my book of rhyming poetry can reach out to you and relate to how you are feeling and bring some light back into your life. Remember, the most amazing of fireworks cannot be appreciated without the darkness, so don’t you ever let go of your inner spark.
Kahin Bahut Door Se Sun Raha Hoon
- Author Name:
Shamsher Bahadur Singh
- Book Type:

-
Description:
शमशेर की कविता का स्थायी मूल्य है, स्वच्छ और निर्मल कविता की परख। इसी नाते शमशेर रूपवादी आलोचकों की तरह, परम्परावादी या यथास्थितिशील नहीं हैं। आधुनिक कविता की स्थायी मूल्यदृष्टि की खोज वह कवि के अनुभव और काव्य के उपकरणों की ज़रूरत के अनुसार करते हैं। इस कसौटी पर वे बड़े कड़े हैं। वे परम्परा की श्रेष्ठतम कविता, कला और सौन्दर्य की ‘प्राचीन या आधुनिक’ हार्दिकताओं को विकसित करते हैं। विकास की उनकी ज़मीन व्यापक है। शमशेर हिन्दी-उर्दू के दोआब के कवि हैं।
ग़ालिब और निराला की मार्मिक भाषाओं के स्वरूप और नाद को शमशेर ने अपनी कविता में आत्मसात् कर लिया है। शमशेर का कलाकार कवि अपनी कला-प्रयोगशाला में तल्लीन रहनेवाला एक वैज्ञानिक कवि है। वह प्रयोगशाला में ‘अत्याधुनिक मर्म की सूचनाएँ’ खोजता रहता है। पतनशील आधुनिक सभ्यता के बाज़ार की चीख़-पुकार से असन्तुष्ट...शमशेर आत्मज्ञान से विकसित होती कविता या कला के विज्ञान को टटोलते चलते हैं।
शमशेर का खोजी सौन्दर्य संगीत की स्वच्छ और निर्मल ऊँचाइयों से कभी निराश नहीं होता। शमशेर के लिए नया रूप लेती मानवीय कला, ऊँची कला का आईना है। वे जानते हैं कि कब पूँजीपति या सत्ता उनकी कविता या कला को संरक्षण देते हैं। शमशेर की ख़ामोशी में एक एब्स्ट्रैक्ट पेंटिंग बनती है, जहाँ कलानुभव का इतिहास, भूले-बिसरे मित्रों की यादें, और अपनी मौत का विडम्बना-भरा प्रसंग घुल-मिल जाता है—कोलाज जैसा। घुल-मिल जाने के अनेक कलानुभवों को वे व्यंग्य की शैली में चित्रित करते हैं और कभी रंगमंच पर ‘जात्रा’ या ‘बाउल’ से लीला करते नज़र आते हैं।
‘काल से होड़ लेता शमशेर’ में
—विष्णुचन्द्र शर्मा
Bagh-E-Bedil
- Author Name:
Krishna Kalpit
- Book Type:

- Description: Poems
Kabeer Bani
- Author Name:
Ali Sardar Zafari
- Book Type:

-
Description:
हमें आज भी कबीर के नेतृत्व की ज़रूरत है, उस रोशनी की ज़रूरत है जो इस सन्त सूफ़ी के दिल से पैदा हुई थी। आज दुनिया आज़ाद हो रही है। विज्ञान की असाधारण प्रगति ने मनुष्य का प्रभुत्व बढ़ा दिया है। उद्योगों ने उसके बाहुबल में वृद्धि कर दी है। मनुष्य सितारों पर कमन्दें फेंक रहा है। फिर भी वह तुच्छ है, संकटग्रस्त है, दुःखी है। वह रंगों में बँटा हुआ है, जातियों में विभाजित है। उसके बीच धर्मों की दीवारें खड़ी हुई हैं। साम्प्रदायिक द्वेष है, वर्ग-संघर्ष की तलवारें खिंची हुई हैं। बादशाहों और शासकों का स्थान नौकरशाही ले रही है। दिलों के अन्दर अँधेरे हैं। छोटे-छोटे स्वार्थ और दंभ हैं जो मनुष्य को मनुष्य का शत्रु बना रहे हैं। जब वह शासन, शहंशाहियत और प्रभुत्व से मुक्त होता है तो ख़ुद अपनी बदी का ग़ुलाम बन जाता है। इसलिए उसको एक नए विश्वास, नई आस्था और नए प्रेम की आवश्यकता है जो उतना ही पुराना है जितनी कबीर की आवाज़ और उसकी प्रतिध्वनि इस युग की नई आवाज़ बनकर सुनाई देती है।
—भूमिका से
Sadi Patthron Ki
- Author Name:
Narendra Maurya
- Book Type:

- Description: Book
Shunye ki Awaz Suno
- Author Name:
Ashok Shah
- Book Type:

- Description: इन दिनों प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों का एक छोटा-सा वर्ग है जो जीवन और समाज के अपने विविध अनुभवों को समेटकर गंभीर साहित्य की रचना करने में लगा है। इसे प्रशासन की यांत्रिकता में मानवीय मूल्यों और संवेदना की वापसी की तरह देखा जाना चाहिए। भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी अशोक शाह लंबे अरसे से लिखते रहे हैं - कविताएं भी और पुरातात्विक शोध भी। उनके पिछले सत्रह कविता संकलनों ने उन्हें गंभीर, लेकिन आत्मीय रचनाकर्मी के रूप में पहचान दी है। ऐसा रचनाकर्मी जिसमें पाठकों के साथ एक सहज, आत्मीय रिश्ता बनाने की बेचैनी दिखती है। उनकी चुनी हुई कविताओं का संकलन 'शून्य की आवाज़ सुनो' में कवि को उसकी संपूर्णता में जाना जा सकता है। संकलन की कविताओं में समकालीन जीवन की समस्याओं से सार्थक टकराव भी है, इस अराजक समय में जो कुछ कोमल और मानवीय है उसे बचा ले जाने की चिंता भी, मनुष्य और प्रकृति के सनातन रिश्ते को फिर से स्थापित करने की कोशिशें भी। संकलन की तमाम कविताओं में प्रेम और पारिवारिक संबंधों की आत्मीयता की जो अंतर्धारा हर कहीं मौजूद हैं, वह कविताओं को यांत्रिक नहीं होने देती। कविता दर कविता पाठकों की अंतरात्मा से उनका सीधा संवाद चलता रहता है। कथ्य के अनुरूप कविताओं की भाषा में प्रवाह भी है और साथ बहा ले जाने वाली तरलता भी। उम्मीद है कि बौद्धिक और यांत्रिक होते जा रहे कविताओं के इस दौर में संवेदनाओं से सराबोर अशोक शाह की चुनी हुई कविताओं के इस संकलन 'शून्य की आवाज़ सुनो' का निश्चित तौर पर स्वागत होगा। -ध्रुव गुप्त
Upshirshak
- Author Name:
Kumar Ambuj
- Book Type:

-
Description:
कुमार अम्बुज की ये कविताएँ अभूतपूर्व गहराई के साथ इस महाद्वीप के संकटग्रस्त, दुरभिसन्धि-युक्त जीवन और इसमें जी रहे मनुष्य की मुकम्मल अभिव्यक्तियाँ हैं। जो चीज़ें ओट और अँधेरे में रखी जा रही हैं, उन्हें प्रकाशित करते हुए ये उनकी अचूक पहचान करती हैं। उन सत्ता-शक्ति संरचनाओं और प्रविधियों को भी स्पष्टता से उजागर करती हैं जो नागरिकों को नयी दासता, असहिष्णुता और अमानुषिकता में धकेलने की कोशिश कर रही हैं।
इनमें दैनिक जीवन से उपजा, समकालीन यथार्थ में दूर तक पैठनेवाला एक नया, बहुआयामी शब्द-संसार दिखाई देगा। यहाँ सामाजिक-राजनीतिक चेतना और ऐतिहासिक समझ के साथ एक भविष्य-दृष्टि लगातार सक्रिय है। ये अपनी प्रखर काव्यात्मकता क़ायम रखते हुए, दख़ल और प्रतिरोध की जुझारू ज़मीन तैयार करने का साहस दिखाती हैं। प्राकृतिक और राजनीतिक आपदाओं का फ़र्क़ रेखांकित करती हैं। इनमें लोकतांत्रिक अधिकारों और स्वतंत्रता के पक्ष में एक अथक, असमाप्त जिरह है।
इनमें वंचितजन की हताशा, जिजीविषा और उनके कारणों की अनवरत पड़ताल है। यहाँ रागात्मक, पारिवारिक सम्बन्धों, प्रेम, विस्थापन, अकेलेपन और अस्मिता की मार्मिक कविताओं में भी सभ्यता की अन्वेषी समीक्षा निहित है। अपने दृष्टिसम्पन्न शिल्प से ये, कविता की लिजलिजी, रूमानी और रूढ़ पदावलियों की परिधि तोड़ देती हैं। स्मृति, मृत्यु, संत्रास, न्याय, आशा और अस्तित्व के प्रश्नों को ये किसी विस्मयकारी अलौकिकता से नहीं बल्कि अविस्मरणीय लौकिक ढंग से सम्बोधित करती हैं।
व्यापक आशयों की इन रचनाओं से गुज़रते हुए समाज एवं मनुष्यता के प्रति असीम चिन्ता और लगाव का आवेग महसूस किया जा सकता है और यही इन कविताओं का आख्यान और इनका वास्तविक उपशीर्षक भी है। अर्थगर्भी भाषा का यह आत्मानुशासन बहुआयामी नैतिकता, बौद्धिकता और प्रतिबद्धता से उपजता है।
सहधर्मी कलाओं से संवादरत और विषय-वैविध्य से भरी ये कविताएँ हमारे समय में ‘विडम्बना के नए वृत्तांत’ तथा ‘विचारधारा के सर्जनात्मक उपयोग’ का भी उदाहरण हैं। ये कविता की नई ताक़त, अनन्यता और प्रौढ़ता का सबूत हैं।
Braj Ritusanhar
- Author Name:
Prabhudyal Meetal
- Book Type:

- Description: “हिन्दी की परम्परा और सर्जनात्मक वैभव का बहुत बड़ा हिस्सा ब्रज काव्य है। ब्रज काव्य में भक्ति, शृंगार और प्रकृति पर केन्द्रित कविताएँ अपनी विपुलता, विविधता और काव्य-कौशल के लिए विख्यात रही हैं। उनमें सौन्दर्य को भाषिक सौन्दर्य में रूपान्तरित करने की अद्भुत क्षमता दीख पड़ती है। लगभग सात दशकों पहले मथुरा के एक विद्वान–रसिक श्री प्रभुदयाल मीतल ने ‘ब्रजभाषा साहित्य का ऋतु-सौन्दर्य’ नाम से प्रकृति-काव्य का एक संचयन प्रकाशित किया था जिसकी प्रस्तावना महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने लिखी थी। अपनी परम्परा के स्मृति-लोप के इस अभागे समय में इसे ‘ब्रज ऋतुसंहार’ शीर्षक से पुनर्प्रकाशित कर रहे हैं। रज़ा पुस्तक माला के अन्तर्गत ऐसे गौरवग्रन्थों को फिर से पाठकों के सामने लाने का यह एक उपक्रम है। स्मृति के पुनर्वास की एक चेष्टा।” —अशोक वाजपेयी
Ek Ta Herayal Duniya
- Author Name:
Krishna Mohan Jha
- Book Type:

- Description: Collection of Maithili Poems
Dilli
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:

-
Description:
style="font-weight: 400;">‘दिनकर’ की कविताओं में जो गीतात्मक लयात्मकता है वह ‘दिल्ली’ संग्रह की कविताओं में भी मुखर है। इसमें चार कविताएँ संकलित हैं जो दिल्ली के यथार्थ और निहितार्थ को इतने अनूठे ढंग से प्रकट करती हैं कि यह शहर एक प्रतीक बनकर सामने आता है।
संग्रह की पहली कविता ‘नई दिल्ली के प्रति’ 1929 की है। इसकी पृष्ठभूमि में नई दिल्ली का प्रवेशोत्सव है जो 1929 में मनाया गया था। उसी वर्ष भगत सिंह पकड़े गए और लाहौर-कांग्रेस में पूर्ण स्वाधीनता का प्रस्ताव पास हुआ। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के उस उथल-पुथल भरे दौर में उत्सव और दमन के विरोधाभासों को यह कविता बखूबी मूर्त करती है।
संग्रह की दूसरी कविता ‘दिल्ली और मास्को’ है जिसका रचनाकाल 1945 का है। इसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाजवादी क्रान्ति का जयघोष निहित है जो राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक घटनाक्रमों की प्रभावी भूमिकाओं को दिल्ली के सन्दर्भों में देखे जाने की माँग करती है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व रचित उपरोक्त दोनों कविताओं के विपरीत शेष दो कविताएँ—‘हक़ की पुकार’ और ‘भारत का यह रेशमी नगर’—स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद क्रमश: 1952 और 1954 की हैं। इन दोनों कविताओं में दिल्ली का तत्कालीन यथार्थ तो प्रकट हुआ ही है, वह विलासी रूप भी उजागर हुआ है जिससे राजनीतिक कर्मठता को प्रेरणा नहीं मिलती, उलटे बाधा पड़ती है। दिनकर कहते हैं कि देश के नवनिर्माण का कार्य जो इतनी धीमी गति से चल रहा है, उसका भी मुख्य कारण यही है कि कार्याधिकारी देश की आकुलता से अपरिचित हैं। जबकि दिल्ली हमारी सारी शिराओं का केन्द्र है। इसी ऊहापोह की राजनीतिक स्थिति से जो क्षोभ उठता है, वही इन कविताओं का मूल भाव है।
राष्ट्रीय राजधानी पर लिखी इन कविताओं को एक साथ पढ़ने पर पाठक कवि के उपरोक्त दृष्टिकोण को कुछ अधिक न्याय के साथ ग्रहण कर सकेंगे।
Rangandha
- Author Name:
Alaka Naik
- Book Type:

- Description: The best poetry collection
Deh Ki Bhasha
- Author Name:
Suresh Kumar Vashishth
- Book Type:

- Description: ‘देह की भाषा’ सुरेश कुमार वशिष्ठ का महत्त्वपूर्ण कविता-संग्रह है। गाँव और माटी से जुड़े सुरेश सामाजिक अन्तःकरण रखनेवाले कवि हैं और इसी दायरे में रिश्तों की तलाश करते हैं। वे अपनी परिस्थिति और अपनी काव्यवस्तु से प्रगीतात्मक रिश्ता बनाकर जीवन के अनुभव की अखंडता और भाव-जगत की सच्चाई को शब्दों में समेट लेते हैं। वे प्रेम के चित्र उकेरते हुए जीवन से एक अपूर्व सांगीतिक लय बनाए रखने में सफल साबित होते हैं। ‘देह की भाषा’ में कवि का विनम्र मानववाद जीवन के राग-रंग और रति के अलावा समय से जुड़े संकट, व्यक्ति की पीड़ा, उसके रुदन-चिन्ता और आघात से रागात्मक लगाव रखने में सफल साबित होता है। रवीन्द्रनाथ टैगोर कहते हैं, ‘संसार की वास्तविकता मनुष्य की भावनात्मक और कल्पनात्मक पृष्ठभूमि में ही तो प्रकट होती है!’ प्रथमद्रष्ट्या सुरेश बेहद बेपरवाह नज़र आते हैं मगर कभी देह की परिधि में बँधकर प्रेम की सत्ता को स्वीकार करते हुए ख़ुद को उससे दूर नहीं जाने की ज़िद करते दीखते हैं और कभी दूर रहकर भी सहज नहीं रह पाते बल्कि उसके मंगल में अपना मंगल ढूँढ़ते हैं। उसके राग में ही जीवन के रंग ढूँढ़ते हैं...जिन रंगों में रिश्तों की ख़ुशबू है। सुरेश की कविताओं में भाषाई सहजता है, जिनमें उनके स्वभाव का भोलापन है, जिसके बूते उन्होंने प्रेम के हर पक्ष को समझा है...पूर्णता के साथ, पूर्वग्रह से परे। प्रेम को वे इतना सघन मानते हैं कि पूछो मत...जैसे फ़र्श पर पसरे पानी से लकीरें खींची जाएँ....रेट पर कुछ लिखा जाए, थोड़े क्षणों के लिए ही सही। फिर जैसे सब कुछ धुल जाए, बिसर जाए और रह जाएँ मात्र स्मृतियाँ...हज़ारों स्मृतियाँ अतीत के दामन में। शान्त-स्थिर मगर निरन्तरता के साथ।
Pratinidhi Kavitayen : Faiz Ahmed 'Faiz'
- Author Name:
Faiz Ahmed 'Faiz'
- Book Type:

- Description: v data-content-type="html" data-appearance="default" data-element="main"><p>फूलों की शक्ल और उनकी रंगो-बू से सराबोर शायरी से भी अगर आँच आ रही है तो यह मान लेना चाहिए कि फ़ैज़ वहाँ पूरी तरह मौजूद हैं। फ़ैज़ की शायरी की ख़ास पहचान ही है—रोमानी तेवर में भी ख़ालिस इंक़िलाबी बात। कारण, इनसान और इनसानियत के हक़ में उन्होंने एक मुसलसल लड़ाई लड़ी है और उसे दिल की गहराइयों में डूबकर, यहाँ तक कि ‘ख़ूने-दिल में उँगलियाँ डुबोकर', काग़ज़ पर उतारा है। इसीलिए उनकी नज़्में तरक़्क़ी पसन्द उर्दू शायरी की बेहतरीन नज़्में हैं और नज़्म की सारी ख़ासियतें और भी निखर-सँवरकर उनकी ग़ज़लों में ढल गई हैं। ज़ाहिरा तौर पर इस पुस्तक में फ़ैज़ की ऐसी ही चुनिन्दा नज़्मों और ग़ज़लों को सँजोया गया है। आप पढ़ेंगे तो इनमें आपको दुनिया के हर ग़मशुदा, मगर संघर्षशील आदमी की ऐसी आवाज़ सुनाई देगी जो क़ैदख़ानों की सलाख़ों से भी छन जाती है और फाँसी के फन्दों से भी गूँज उठती है।</p>
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...