Mansukhlal Majidiya
Author:
Labhshankar ThakurPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Ratings
Price: ₹ 32
₹
40
Unavailable
Mansukhlal Majidiya
ISBN: 9788180311994
Pages: 77
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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प्रख्यात नाटककार बर्टोल्ट ब्रेष्ट के बहुचर्चित नाटक ‘कॉकेशियन चाक सर्किल’ का हिन्दी अनुवाद है : ‘खड़िया का घेरा’। अनुवादक हैं हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर।
प्रस्तुत नाटक जिस तरह की, और जिस संक्रान्ति की दुनिया हमारे सामने पेश करता है, उसकी अनुगूँज हमें अपने इतिहास और वर्तमान में मिलने लगती है। इस नाटक में वे सामन्त हैं जो सर्वहारा की क्रान्ति को कुचल देना चाहते हैं...हमारे यहाँ सत्ताधारी राजनीतिज्ञों का वर्ग है, जो जनता के नाम पर अपनी सत्ता को स्थापित कर रहा है। इस नाटक के काज़बेकी, काज़बेकी का भतीजा, डॉक्टर, किसान और स्वयं अजूदक—कहीं-न-कहीं हमें और हमारी स्थितियों को मूर्तिमान करते दिखाई देते हैं।
भ्रष्टाचार, पतन, मूल्यहीनता, अवसरवादिता, पदलोलुपता, जनता के नाम पर जनता का शोषण, न्यायहीनता और अन्धापन—जो इस नाटक में व्याप्त हैं, वे भारतीय प्रजातंत्र के संत्रास को भी उजागर कर रहे हैं। संस्थाओं, वर्गों और व्यक्तियों के नाम दूसरे हैं पर जनता एक ही तरह से अभिशप्त और संत्रस्त है। संक्रान्ति और सन्ताप का जो अनुभव यह नाटक देता है, वही आज के भारतीय का जीवन-अनुभव भी है। अनेक देशों में सदियों से चली आती एक लोककथा को आधुनिक सन्दर्भ दिया है ब्रेष्ट ने। कई भाषाओं में अनूदित और मंचित एक पठनीय नाट्य-कृति!
Chandragupt
- Author Name:
Jaishankar Prasad
- Book Type:

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Description:
हिन्दी के कालजयी रचनाकार जयशंकर प्रसाद का यह नाटक भारत के पहले साम्राज्य-निर्माता चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके मार्गदर्शक तथा महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य को केन्द्र में रखकर लिखा गया है। भारत के इतिहास में यह वह कालखंड है जब एक तरफ़ तो लगातार विदेशी आक्रमण हो रहे थे और दूसरी तरफ़ देशी राजा अपने झूठे अभिमान और क्षुद्र स्वार्थों के लिए आपस में ही लड़ रहे थे। देश की सबसे बड़ी राजशक्ति मगध के सम्राट भोग-विलास में डूबे हुए थे। उन्हें न अपने राज्य की सुरक्षा की चिन्ता थी और न अपनी प्रजा के हितों की। ऐसे समय में आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को साथ लेकर सीमावर्ती राज्यों को संगठित किया और यूनानी आक्रमणकारी सिकन्दर को मुँहतोड़ जवाब दिया। साथ ही, उन्होंने लोगों में ऐसी भावना का संचार किया कि वे मालव और मागध होने के प्रान्तीय अभिमान को भूलकर भारतवासी कहलाने में गौरव का अनुभव करें। इस प्रकार आचार्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त ने पहली बार, खंड-खंड विभाजित भारत को एक सूत्र में पिरोकर, एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया।
‘चन्द्रगुप्त' नाटक में चित्रित स्थितियों की प्रासंगिकता भारत के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में स्पष्ट देखी जा सकती है।
Raja Chamba Aur Char Bhai
- Author Name:
Habib Tanveer
- Book Type:

- Description: ‘राजा चम्बा और चार भाई’ हबीब तनवीर का लिखा और उन्हीं के द्वारा खेला गया ऐसा नाटक है जिसकी अपेक्षित चर्चा नहीं हुई। राष्ट्रीय एकता को ध्यान में रखकर लिखा गया यह ऐतिहासिक दिखनेवाला नाटक, किसी समय या किसी मुल्क के इतिहास से तो ताल्लुक़ नहीं रखता, लेकिन इसकी विषयवस्तु हर दौर और हर जगह के लिए आज भी मौज़ूँ है। राजनीति, जिसका एकमात्र उद्देश्य सत्ता हासिल करना होता है और जिसके लिए वह जन-गण के कल्याण का बहाना करती है, लोगों को बाँटकर ही अपना मनचाहा पाती है। एक काल्पनिक भूगोल में यह नाटक हमारा परिचय कुछ गंभीर वास्तविकताओं से कराता है। हबीब साहब ने अपने नाटकों में अकसर ही सत्ता और ताक़त को आईना दिखाते हुए अवाम की आवाज़ को बुलन्द किया है। यह नाटक उसी अवाम को एक रहने का सन्देश देता है, और बताता है कि आपसी मन-भेद सिर्फ़ विनाश की ओर ले जाता है। तीन अंकों और सत्रह दृश्यों में बँटा यह नाटक आज के समय में ख़ासतौर पर प्रासंगिक है। नाट्य-समूह इसे खेलते हुए जिस सार्थकता का अहसास करेंगे, उतना ही उपयोगी यह पाठकों को पढ़ते हुए भी लगेगा।
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