San 2025
Author:
Piyush MishraPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Plays0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
दो पात्रों का यह नाटक एक लेखक के रहस्यमय जीवन और लेखन से एक-एक कर कई पर्दे उठाता है। गड़गड़ सूफ़ी एक जासूस है, जो उसके चर्चित-पुरस्कृत उपन्यासों की सच्चाई की तस्दीक अख़बारी कतरनों से करता चलता है और एक दिन आकर लेखक को बताता है कि मुझे मालूम है कि आपने जो भी हत्या-कथाएँ लिखी हैं, वे आपने स्वयं की हैं; और लेखक उसके इस आरोप को स्वीकार कर लेता है और कहता है कि हाँ, वे सब हत्याएँ मैंने ही की हैं। इससे पहले कि जासूस लेखक से कुछ हासिल करने के लिए अपनी शर्तें मनवाता लेखक पिस्तौल के इशारे पर उसे बाल्कनी से गिरकर मरने पर बाध्य कर देता है।</p>
<p>तुर्की-ब-तुर्की संवादों के माध्यम से आगे बढ़ता यह छोटा-सा नाटक दर्शक के सामने सच और झूठ का एक तिलस्म रचता है जिसमें हमें यथार्थ का एक नया चेहरा दिखाई देता है।
ISBN: 9789389577495
Pages: 80
Avg Reading Time: 3 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
बांग्ला के प्रख्यात नाटककार और रंगकर्मी व्रात्य बसु से हिन्दी के पाठक अपरिचित नहीं हैं। वर्षों पहले ‘चतुष्कोण' शीर्षक से उनके चार नाटकों का संग्रह हिन्दी में अनूदित होकर आ चुका है, जिसे नाटक-प्रेमी पाठकों के साथ-साथ रंगकर्मियों ने भी बहुत उत्साह के साथ स्वीकार किया।
इस संग्रह में उनके तीन नाटक संकलित हैं—‘लाक्षागृह’, ‘संध्या की आरजू में भोर का सरसों फूल’ और ‘बम’ (बोमा)। व्रात्य बसु का नाटककार अपने समय को लक्षित होता है लेकिन जहाँ से वे अपने वर्तमान को देखते हैं, वह एक वृहत् दृष्टि-बिन्दु है। इस संग्रह में शामिल नाटक भी इसके अपवाद नहीं हैं। ‘लाक्षागृह’ में यदि वे महाभारत की एक घटना को आधार बनाकर मनुष्य की चिरन्तन प्रवृत्तियों की पड़ताल करते हैं तो, ‘संध्या की आरजू...’ के अपने पात्रों को आज के कॉरपोरेट तंत्र में स्थित करते हैं और इधर उभरी नई विडम्बनाओं पर प्रकाश डालते हैं। समय के इस बड़े अन्तराल के बीच ‘बम' की पृष्ठभूमि आज़़ादी के पहले का अविभाजित बंगाल है जिसमें हमें अरविन्द घोष मिलेंगे—ऋषि के रूप में नहीं, क्रन्तिकारी के रूप में...!
इसके अलावा इन नाटकों का सबसे बड़ा आकर्षण इनका भाषा-सौष्ठव और मंचीयता है जो इन्हें एक तरफ़ अभिनेय बनाती है तो दूसरी तरफ़ पठनीय भी। कथ्य स्वयं एक तत्त्व है जिसके लिए इन्हें पढ़ा ही जाना चाहिए।
Barff
- Author Name:
Saurabh Shukla
- Book Type:

-
Description:
सही और ग़लत के बीच किसी राह की तलाश की तरह है–सौरभ शुक्ला का ‘बर्फ़’।
–‘द हिन्दू’
‘बर्फ़’ नाटक जैसा देखने में है, जितना दिखता है, उससे कहीं ज़्यादा अनुभव के स्तर पर नाटक है।
–‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’
सच की बेहतरीन नाट्य-प्रस्तुति।
–‘सन्डे गार्डियन’
‘बर्फ़’ जितना भयानक है उतना ही मानवीय भी है। सौरभ ने एक पतली रस्सी पर चलने जैसा ख़तरनाक काम किया है, जिसमे वे पूरी तरह सफल हुए हैं। रंगमंच की दुनिया का यह चकित करनेवाला काम है।
–सुधीर मिश्रा
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