Ghuspaithiye
Author:
Omprakash ValmikiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Short-story-collections0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
ओमप्रकाश वाल्मीकि के इस संग्रह की तमाम कहानियाँ दलित सन्दर्भों से जुड़ी हुई हैं। यह दलित जीवन का यथार्थ है जिसे कहानीकार ने इन कहानियों में निहायत ही संजीदगी से, यथार्थ के प्रति वस्तुनिष्ठ रहते हुए, कहानी के रचना-विधान की संगति में दृष्टिकोण के समूचे खुलेपन के साथ चित्रित किया है। ये बेधक और मार्मिक कहानियाँ हैं।</p>
<p>व्यवस्था के प्रति गहरा आक्रोश, कथा-विन्यास के अनुरूप तर्क और विचार, अनुभवजन्य ये कहानियाँ दलितों के सुख-दुःख, उनकी मुखरता और संघर्ष की कहानियाँ हैं।</p>
<p>वस्तुगत यथार्थ की संगति में जिस रचनात्मक कौशल के साथ इन कहानियों को ओमप्रकाश वाल्मीकि इस बिन्दु तक लाए हैं, वह उनके कहानीकार की ताक़त का साक्ष्य है। इन कहानियों में दलित और स्त्री की पीड़ाएँ मिलकर एक हो गई हैं। ओमप्रकाश वाल्मीकि में विवश, आन्तरिक घृणा का यह विस्फोट सृजनात्मक ऊर्जा का स्रोत है।</p>
<p>ये कहानियाँ सिर्फ़ दलित लेखन के दायरे की ही कहानियाँ नहीं हैं, बल्कि उनमें उनकी रचना-सामर्थ्य और उनकी सोच के जो पहलू उभरे हैं, वे उन्हें हिन्दी की यथार्थवादी कहानी की परम्परा का कहानीकार सिद्ध करते हैं।</p>
<p>ओमप्रकाश वाल्मीकि कहानी के शिल्प, अन्तर्वस्तु, सौन्दर्य तथा पाठक पर उसके समग्र प्रभाव का ध्यान रखनेवाले रचनाकार हैं।
ISBN: 9788183618236
Pages: 99
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Dhimi Wali Fast Passenger
- Author Name:
Mark Tully
- Book Type:

-
Description:
पचास से अधिक वर्षों तक भारतीय राजनीति और समाज को बेहद क़रीब से देखने-समझने वाले यशस्वी पत्रकार मार्क टली की दूसरी कथाकृति है—धीमी वाली फ़ास्ट पैसेंजर। इस किताब की कहानियों के लिए वह एक बार फिर अपनी मशहूर बेस्टसेलर, द हार्ट ऑफ़ इंडिया के इलाक़े में लौटते हैं, और हमें बीती सदी के आठवें दशक के उस दौर में ले जाते हैं, जब भारत चौराहे पर था और आर्थिक उदारीकरण की बयार बहने वाली थी।
पूर्वी उत्तर प्रदेश की ग्रामीण दुनिया को रेखांकित करती ये कहानियाँ तमाम अविस्मरणीय लोगों की ज़िन्दगी का ख़ाका हैं—ऐसे साधारण लोग जो ढुलमुल हुकूमत, बेईमानी, भ्रष्टाचार और समाज में ऊँच-नीच जैसी ख़ामियों से पार पाने के तरीक़े खोजते हैं। सन्त रविदास का मन्दिर बनाने के लिए एक दब्बू दलित बुज़ुर्ग परम्पराओं को चुनौती देता है; एक किसान की साफ़गो और चतुर पत्नी अपने परिवार को अपने पति की मूर्खताओं से बचाती है; एक ख़त्म हो रही रेलवे लाइन का वजूद बचाने के लिए एक पूर्व प्रधानाध्यापक आम लोगों की लड़ाई का नेतृत्व करती है; एक राजनेता का बेटा इस सच से वाकिफ होता है कि राजनीति कुल मिलाकर पारिवारिक पेशा नहीं है। एक शान्तिप्रिय और निरुत्साही पुलिस सब-इंस्पेक्टर हत्या के एक हाई-प्रोफाइल मामले को सुलझाकर सबको चौंका देता है; एक अनीश्वरवादी शख़्स भिक्षु बन जाता है।
धीमी वाली फ़ास्ट पैसेंजर उत्तर भारत के गाँवों में लोगों की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की हलचलों के बारे में जोश और ज़हानत, संवेदना और करुणा के नज़रिये से दर्ज की गई कहानियों का बेहद दिलकश संग्रह है।
Jeena Seekha Dengi
- Author Name:
Dr.Abrar Multani +1
- Book Type:

- Description: This Books doesn’t have a description
Dharohar Kahaniyaan : Bhuvaneshwar
- Author Name:
Bhuvneshwar
- Book Type:

- Description: कहानी के वस्तु-तत्त्व को इस तरह से झीना और प्रगाढ़ करके उसे पारम्परिक कथालेखन से अलगाने का काम उस तरह से किसी ने नहीं किया जैसे कि भुवनेश्वर ने अपनी पाँच-सात कहानियों में कर दिखाया। उनकी संक्षिप्ति और सांकेतिकता हिन्दी कहानीकारों के लिए एक मिसाल है। भुवनेश्वर को मानवीय चरित्रों की अद्भुत पहचान है, और फिर उन्हें रचते वक्त वे हल्के-हल्के ब्रश-स्ट्रोक्स से जिस तरह से कहानी के वातावरण का सृजन करते हैं, उसमें तो उन्हें कमाल हासिल है। —दूधनाथ सिंह
Usha Kiran Khan Ki Lokpriya Kahaniyan
- Author Name:
Ushakiran Khan
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत संग्रह में वरिष्ठ कथाकार उषा किरण खान की छोटी-बड़ी चौबीस कहानियों में नई और लोकप्रिय कथाएँ शामिल हैं। आत्मवंचना के युग में कई अच्छे-भले शिक्षित युवक आतंकवाद की राह में फँसा दिए जाते हैं—‘अम्मा मेरे भइया को भेजो...’ ऐसी ही कहानी है। ‘किसी से न कहना’, ‘लौट आ ओ समय’ तथा ‘गए माघ उनतीस दिन बाकी’ एक कथा-सीरीज है। अपने समय से संवाद करती बाल सखियाँ उम्र के चौथेपन में मिलती हैं। एक-दूसरे को अपने दिल की कहने-सुनने पर चाहकर भी सबकुछ बाँट नहीं पातीं, कि कहीं साथी इसके दुःख से अधिक दुःखी न हो जाएँ। इनमें स्त्री विमर्श इसी प्रकार का है। लेखिका अपने गाँव, महानगरों में बसी गाँव की स्त्रियों के भूख की, सम्मान की, अस्मिता की तनी गरदनवाली स्त्री की कहानी कहती है। उनके सारे पात्र यथार्थ से उपजे हैं, कल्पना से नहीं। सामाजिक संवेदना और मर्म को छूती लोकप्रिय कहानियों का अनूठा संग्रह।
Ek Koi Dooshra
- Author Name:
Usha Priyamvada
- Book Type:

- Description: एक कोई दूसरा उषा प्रियंवदा की इन कहानियों को पढ़ना भाषा की एक समतल, शान्त और काँच-सी पारदर्शी सतह पर चलना है। यह सतह अपनी स्वच्छता से हमें आश्वस्ति देती है। लेकिन यह सब भाषा तक ही सीमित है; भाषा के भीतर जो कहानी होती है, वह बेहद बेचैन कर देने वाली है। इन कहानियों को पढ़ते हुए हम एक ऐसे पाठ से गुज़रते हैं जो हमें लगातार सम्पूर्ण का आभास कराता हुआ, एक अधूरी, अतृप्त ज़िन्दगी की कसक साथ-साथ देता चलता है। एक कोई दूसरा की नीलांजना, झूठा दर्पण की अमृता कोई नहीं की नमिता, सागर पार का संगीत की देवयानी, पिघलती हुई बर्फ़ के अक्षय और छवि, चाँदनी में बर्फ़ पर के हेम और मीरा (मेरी) और टूटे हुए की तंत्री त्रिपाठी उर्फ़ टीटी - ये सब पात्र इस भाषा की बर्फ़ की-सी चमकती सतह के नीचे एक अधूरा और यातनाप्रद जीवन जी रहे हैं। अपने देश की मिट्टी से उखड़कर बाहर किसी सम्पन्न और पराए मुल्क में ‘अकेला’ और ‘अलग होकर’ रहना इस यंत्रणा का एक विशिष्ट पहलू है जिसको ये कहानियाँ लगातार रेखांकित करती हैं।
Manto : Pandrah Kahaniyan
- Author Name:
Saadat Hasan Manto
- Book Type:

-
Description:
‘अगर आप मेरी कहानियाँ बरदाश्त नहीं कर सकते, तो दरअसल ज़माना ही नाक़ाबिले-बरदाश्त है।’ यह कहना था मंटो का जो अपनी कहानियों में वह लिखते थे जो सब आवरणों को हटाने के बाद ज़माने के चेहरे पर नज़र आता है।
उन्होंने मज़लूमों, ग़रीब-गुरबा और उन औरतों की कहानियाँ लिखीं जिन्हें समाज ने हाशिए पर धकेलकर छोड़ दिया था। उन्होंने उन भावनाओं को लेकर भी कहानियाँ लिखीं जिन्हें सफ़ेदपोश समाज खुली रोशनी में स्वीकार नहीं कर पाता। उन्होंने ऐसे-ऐसे अहसासात को ज़बान बख़्शी जिन्हें हम कभी अपनी चालाकी और कभी अल्फ़ाज़ की कमी की वजह से यूँ ही ग़ायब हो जाने देते हैं।
इसलिए आज भी उनकी कहानियाँ हमें अपनी कहानियाँ लगती हैं; वे अपने वक़्त से इतना आगे चल रहे थे कि आज भी हमें अपने आगे ही चलते दिखाई देते हैं।
यह संकलन उनकी कुछ बहुत चर्चित और कुछ ऐसी कहानियों को लेकर बनाया गया है जिनका ज़िक्र बहुत ज़्यादा नहीं होता। संकलन किया है जानी-पहचानी सिने-अभिनेत्री और निर्देशक नंदिता दास ने। उनकी चर्चित फ़िल्म ‘मंटो’ के साथ-साथ प्रकाशित यह किताब क़िस्सागो मंटो की पूरी शख़्सियत को सामने ले आती है। बकौल नंदिता : ‘उनकी कहानियों के पात्र अक्सर वे लोग होते हैं जो समाज के कोनों में रहते हैं और औरतों के लिए सहानुभूति भरी नज़र रखते हैं। यही बात उन्हें और लेखकों से अलग करती है।’
Upnishadon ki kahaniya
- Author Name:
Rampratap Tripathi Shastri
- Book Type:

-
Description:
उपनिषदों का दूसरा नाम ‘रहस्यविद्या’ बतलाया गया है। उपनिषदें वह रहस्यविद्या हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय संस्कृति की सभी विचारधाराओं को जीवन-दान करती हैं। वे इतनी रहस्यमयी हैं कि उनका सर्वस्व जानने का अधिकारी कोई एक व्यक्ति कभी नहीं रहा। यदि कोई एक ऐसा व्यक्ति रहा भी हो तो उसका मत ही सर्वमान्य नहीं रहा। इस ‘रहस्यविद्या' को जानने का अधिकार प्राप्त करने के लिए 'नचिकेता' के समान सर्वस्व त्याग करना पड़ता था। उपनिषदों में उस काल की अध्यात्म एवं दर्शन-सम्बन्धी सामग्रियों के भव्य चित्र ही नहीं सँजोए गए हैं, प्रत्युत भारतीय जीवन-दर्शन के सभी पहलुओं का गम्भीर विवेचन भी उनमें किया गया है। मानव-जीवन में ही नहीं, इस निखिल विश्व में व्याप्त सत्य की जिज्ञासा एवं उसके अन्वेषण के लिए उपयोगी साधन की ऐसी उत्कट उत्कंठा उनमें व्यक्त है, जो विश्व के विस्तृत वाङ्मय में अन्यत्र दुर्लभ है। मानवीय प्रतिभा एवं पहुँच का इनसे बढ़कर कोई दूसरा उदाहरण इस रूप में अभी तक नहीं बन सका है। सचमुच, मानव की उत्कृष्ट कल्पना का ऐसा शाश्वत एवं कल्याणकारी रूप विश्व-साहित्य में अभी तक दूसरा नहीं दिखाई पड़ता। यही कारण है कि आर्य धर्म न माननेवाले भी उन पर तन-मन से निछावर हैं।
उपनिषदों में दी गई शिक्षाओं में वह दिव्य तेज़ है जिसे व्यावहारिक रूप में लाकर कोई भी व्यक्ति, कोई भी समाज अवनति के गर्त में कभी नहीं गिर सकता, प्रचुर दुःख-दैन्य से छुटकारा पा सकता है। विद्वेश और घृणा की आग से उसे कोई भय नहीं हो सकता और न भौतिक अभाव के कारण उसे दर-दर भटकना ही पड़ेगा। काम-क्रोधादि विकारों को दूर करने की इनमें अमोघ शक्ति है, आत्म-ज्योति को पहचानने के लिए इनसे बढ़कर कोई दूसरा साधन नहीं है।
उपनिषदें शाश्वत ज्ञान की अक्षय भंडार हैं। सारे संसार में ऐसा कोई दर्शन नहीं है, विचारधारा
नहीं, जो इनसे प्रभावित नहीं हुई है।
प्रस्तुत पुस्तक में उन्नीस कहानियाँ संगृहीत हैं। इनकी भाषा में सरलता लाने की चेष्टा की गई है तथा कुछ महत्त्वपूर्ण अवतरण बढ़ा दिए गए हैं जिससे पुस्तक की उपयोगिता और बढ़ गई है। आशा है, प्रस्तुत संस्करण छात्रों, शोधार्थियों तथा जिज्ञासु पाठकों का मार्गदर्शन करने में सहायक सिद्ध होगी।
Kahaniyan Sunati Yatrayen
- Author Name:
Kusum Khemani
- Book Type:

-
Description:
यात्राएँ केवल भूगोल का नहीं, वस्तुतः अनुभव का ही विस्तार है और इस तरह हमारी जीवन-दृष्टि का भी।
इस दृष्टि से डॉ. कुसुम खेमानी की ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ पुस्तक यात्रा-साहित्य के मुकुट में एक और मोरपंख की तरह प्रतीत होती है।
पाठक इन यात्रा-निबंधों को पढ़ते हुए अनुभव करेंगे कि ये यात्राएँ जितनी बाहर की हैं, उससे कहीं अधिक भीतर की भी हैं। भौगोलिक धरातल पर लेखिका सौ कदम चलती हैं तो आनुभूतिक धरातल पर हज़ार कदम। भीतर-बाहर की यह उड़ान अपना एक ऐसा अन्तरिक्ष रचती है जहाँ तारे भी हैं, मेघ भी और सात नहीं, अनेक रंगों वाला इन्द्रधनुष भी।
शैली यहाँ बतरस की है और अन्दाज-ए-बयाँ किस्सागो का। यही कारण है कि निबंध, कहानी, संस्मरण जैसी विधाएँ अपनी सरहदों को लाँघकर यहाँ जैसे एकमेक हो गई हैं। यात्रा-साहित्य के चिर-परिचित स्वाद में यह सीधा हस्तक्षेप है और डॉ. कुसुम की सर्जनात्मक मौलिकता का साक्ष्य भी।
हरिद्वार, कश्मीर, उज्जयनी, कोलकाता, शिलांग, हैदराबाद से लेकर उर्बन, रोम, बर्लिन, स्विट्जरलैंड, प्राग, मास्को, मिश्र, मॉरिशस, भूटान और अलास्का तक जैसे समस्त ब्रह्मांड को यहाँ मथ दिया गया है और इस मंथन से जो अनुभव-अमृत निकलता है, वह अब आपके सामने है।
–भूमिका से
Tuti Ki Aawaz
- Author Name:
Hrishikesh Sulabh
- Book Type:

-
Description:
हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ तेज़ी से बदले और बदलते हुए समाज की कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ उन कारकों की गहरी और सघन पहचान करती हैं जिनके कारण, आज के समय में, आदमी तुच्छ और अपदार्थ हुआ है। उनकी कहानियाँ पढ़कर प्राय: ही भीष्म साहनी और अमरकान्त की बहुत-सी कहानियाँ याद आती हैं। हृषीकेश सुलभ की कहानियाँ एक ओर यदि राजनीति में मनुष्य की स्थिति और नियति को परिभाषित करती हैं, वहीं वे एक कारक के रूप में साम्प्रदायिकता के उभार को भी पर्याप्त बेधक दृष्टि से देखती हैं।
ये कहानियाँ उनके तीन संग्रहों में छपकर अब एकाग्र रूप से यहाँ संकलित हैं। यहाँ कहानियों का क्रम आगे से पीछे की ओर है—यानी बाद की कहानियाँ पहले दी गई हैं और पहले की बाद में। लेकिन कहानियों के लेखन-प्रकाशन वर्ष की चिन्ता के बिना भी इनके पाठ में कलागत कोई बड़ा अन्तर सामान्यत: पकड़ में नहीं आता। यहाँ किसी लेखक की अभ्यास के लिए लिखित आरम्भिक कहानियों जैसा कुछ नहीं है। इन कहानियों की रेंज बड़ी और व्यापक है—पत्रकारिता, स्त्री-यातना के प्रसंग, रंगमंच की दुनिया, दलित चेतना का उभार आदि से मिलकर इन कहानियों की दुनिया बनती है।
हृषीकेश सुलभ की कहानियों की भाषा अपने पात्रों और उनके परिवेश से गहरे जुड़ी भाषा का उदाहरण है। बिम्ब, प्रतीक और दूसरे काव्योपकरणों के इस्तेमाल में न सिर्फ़ यह कि वे कोई परहेज़ नहीं बरतते, बहुत सजगता से वे इन्हें सहेजते और सँवारते हैं। किरणें यहाँ फुदकती हुई ओसकणों को चुगती हैं। इसी तरह जाड़े की धूप के टुकड़े पक्षियों की तरह फुदकते हैं। इन कहानियों की भाषा की सबसे बड़ी सफलता संवादों में दिखाई देती है। एक दूसरे में घुलती और एकाकार होती ब्योरों और संवाद की यह भाषा इन कहानियों की पठनीयता को आश्चर्यजनक उठान देती है। बदलते हुए समय का अक्स इन कहानियों में एहतियात से रखे गए साफ़ शीशे में झलकते अक्स की तरह देखा और पढ़ा जा सकता है।
—मधुरेश
Kahani Ki Talash Main
- Author Name:
Alka Saraogi
- Book Type:

-
Description:
अलका सरावगी की कहानी-यात्रा कोई आयोजित भ्रमण नहीं है, यह जानने और जताने की है कि कैसे कोई कहानी के संसार की यात्रा शुरू कर देता है तो उसे पग-पग पर कहानियाँ मिलती रहती हैं। हाँ, इस मिलने में तलाशना जुड़ा है, मिलना सहज संयोग नहीं। लेखिका को सुन्दरता और परिपूर्ण जीवन की तलाश है और उसी की तलाश में वह कहानी पा लेती है—इसमें वह ऐसी सृजनात्मकता का वरण करती है जो सहज है पर जिसमें जटिलताओं का नकार नहीं।
संग्रह की दो कहानियाँ—‘कहानी की तलाश में’ और ‘हर शै बदलती है’ समकालीन हिन्दी कहानी के ढर्रे से कुछ अलग हैं, पर वे जैनेन्द्र कुमार और रघुवीर सहाय जैसे पूर्ववर्ती लेखकों की कहानियों की भी याद दिलाती हैं। इन कहानियों को जीवन की कहानियाँ कहने को मन करता है—रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का मतलब एक पिटी-पिटाई और ढर्रे की ज़िन्दगी नहीं होता, आख़िर हर दिन एक नया दिन भी होता है। यह एहसास कहानियाँ करवाती हैं जो निश्चय ही आज एक अत्यन्त विरल अनुभव है।
कहानियों में कुछ चरित्र-प्रधान हैं, लेकिन उनका मर्म किसी चरित्र के मनोवैज्ञानिक उद्घाटन के बजाय ‘आधुनिकतावादी’ जीवन की संवेदनहीनता और विसंगतियों को उजागर करने में ज़्यादा प्रकट है। ऐसी कहानियों में ‘आपकी हँसी’, ‘ख़िज़ाब’, ‘महँगी किताब’, ‘सम्भ्रम’ की याद आती है।
ये कहानियाँ हिन्दी कहानी की अमित सम्भावनाओं को प्रकट करती हैं और यह कोई कम बड़ी बात नहीं।
Katha Saptak - Jayanti Rangnathan
- Author Name:
Jayanti Rangnathan
- Book Type:

- Description: Description Awaited
Nibandh Evam Kahaniyan
- Author Name:
Anjum sharma
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Pratinidhi Kahaniyan : Bhishma Sahni
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

- Description: भीष्म साहनी के कथा-साहित्य से गुज़रना अपने समय को बेधते हुए गुज़रना है। हिन्दी के प्रगतिशील कहानीकारों में उनका स्थान बहुत ऊँचा है। यहाँ उनके सात कहानी-संग्रहों से प्राय: सभी प्रतिनिधि कहानियों को संकलित कर लिया गया है। युग-सापेक्ष सामाजिक यथार्थ, मूल्यपरक अर्थवत्ता और रचनात्मक सादगी इन कहानियों के कुछ ऐसे पहलू हैं, जो हमारे लिए किसी भी काल्पनिक और मनोरंजक दुनिया को ग़ैर-ज़रूरी ठहराते हैं। विभिन्न जीवन-स्थितियों में पड़े इनके असंख्य पात्र आधुनिक भारतीय समाज की अनेक जटिल परतों को पाठकों पर खोलते हैं। उनकी बुराइयाँ, उनका अज्ञान और उनके हालत व्यक्तिगत नहीं, सार्वजनीन और व्यवस्थाजन्य हैं। इसके साथ ही इन कहानियों में ऐसे चरित्रों की भी कमी नहीं, जो गहन मानवीय संवेदना से भरे हुए हैं और अपने-अपने यथास्थितिवाद से उबरते हुए एक सार्थक सामाजिक बदलाव के लिए संघर्षरत शक्तियों से जुड़कर नया अर्थ ग्रहण करते हैं। वे न तो अपनी भयावह और दारुण दशा से आक्रान्त होते हैं न निराश, बल्कि अपने साथ-साथ पाठकों को भी संघर्ष की एक नई उर्जा से भर जाते हैं।
RahmanKhera Ka Bagh
- Author Name:
Utkarsh Shukla
- Book Type:

- Description: ‘रहमान खेड़ा का बाघ’ संग्रह की कहानियाँ और संस्मरण उन वन्य जीवों के हैं जो किसी-न-किसी कारण अपने परिवेश, अपने जंगलों से बिछड़ गए हैं और जंगल से दूर शहरों, गाँवों और कस्बों में भटक गए हैं। यह वन्य जीव सिर्फ अपना खोया हुआ घर ढूँढ़ रहे हैं। जहाँ उन्हें खाने के लिए भोजन, पीने के लिए पानी और सिर छुपाने को जगह मिल जाए। भटकते हुए वन्य जीव, भटक जाने पर अजीब-सा व्यवहार करते हैं हमने इनके बारे में अब तक जो भी सुना, पढ़ा और देखा होता है वो सब बेकार हो जाता है। हर भटका हुआ वन्य जीव एक नई किताब होता है, जिसका अन्त आपको किताब के आखिरी पन्ने पर मालूम होता है। ये कहानियाँ अनुभवों का एक प्रवाह हैं जिसमें कई वर्षों की धारा को एक दिशा देने का प्रयास किया गया है।
Pratinidhi Kahaniyan : Muktibodh
- Author Name:
Gajanan Madhav Muktibodh
- Book Type:

- Description: मुक्तिबोध यानी वैचारिकता, दार्शनिकता और रोमानी आदर्शवाद के साथ जीवन के जटिल, गूढ़, गहन, संश्लिष्ट रहस्यों की बेतरह उलझी महीन परतों की सतत जाँच करती हठपूर्ण, अपराजेय, संकल्प-दृढ़ता। नून-तेल-लकड़ी की दुश्चिन्ताओं में घिरकर अपनी उदात्त मनुष्यता से गिरते व्यक्ति की पीड़ा और बेबसी, सीमा और संकीर्णता को मुक्तिबोध ने पोर-पोर में महसूसा है। लेकिन अपराजेय जिजीविषा और जीवन का उच्छल-उद्दाम प्रवाह क्या ‘मनुष्य’ को तिनके की तरह बहा ले जानेवाली हर ताक़त का विरोध नहीं करता? जिजीविषा प्रतिरोध, संघर्ष, दृढ़ता, आस्था और सृजनशीलता बनकर क्या मनुष्य को अपने भीतर के विराटत्व से परिचित नहीं कराती? मुक्तिबोध की कहानियाँ अखंड उदात्त आस्था के साथ आम आदमी को उसके भीतर छिपे इस स्रष्टा महामानव तक ले जाती हैं। अजीब अन्तर्विरोध है कि मुक्तिबोध की कहानियाँ एक साथ विचार कहानियाँ हैं और आत्मकथात्मक भी। मुक्तिबोध की कहानियाँ प्रश्न उठाती हैं—नुकीले और चुभते सवाल कि ‘ठाठ से रहने के चक्कर से बँधे हुए बुराई के चक्कर’ तोड़ने के लिए अपने-अपने स्तर पर कितना प्रयत्नशील है व्यक्ति? मुक्तिबोध की जिजीविषा-जड़ी कहानियाँ आत्माभिमान को बनाए रखनेवाले आत्मविश्वास और आत्मबल को जिलाए रखने का सन्देश देती हैं—भीतर के ‘मनुष्य’ से साक्षात्कार करने के अनिर्वचनीय सुख से सराबोर करने के उपरान्त।
Konkani Kathavali
- Author Name:
S.M. Krishna Rao
- Rating:
- Book Type:

- Description: Konkani Kathavali
Bhutaliya Aur Anya Kahaniyan
- Author Name:
Nisar Ahmed
- Book Type:

- Description: Hindi Short Story by Nisar Ahmed
Teen Saheliyan Teen Premi
- Author Name:
Aakanksha Pare Kashiv
- Book Type:

-
Description:
हो सकता है कि इधर कहानी कि परिभाषा बदल गई हो, लेकिन मेरे हिसाब से एक अच्छी कहानी कि अनिवार्य शर्त उसकी पठनीयता होनी चाहिए। आतंक जगानेवाली शुरुआत कहानी में न हो, वह अपनत्व से बाँधती हो तो मुझे अच्छी लगती है। आकांक्षा की कहानी 'तीन सहेलियाँ तीन प्रेमी' पढ़ना शुरू किया तो मैं पढ़ती चली गई। यह कहानी दिलचस्प संवादों में चली है। उबाऊ वर्णन कहीं है ही नहीं। सम्प्रेषणीयता कहानी के लिए ज़रूरी दूसरी शर्त है। लेखक जो कहना चाह रहा है, वह पाठक तक पहुँच रहा है। इस कहानी के पाठक को बात समझाने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती। संवादों में बात हम तक पहुँचती है। स्पष्ट हो जाता है कि कहानी कहती क्या है। लेखक क्या कहना चाहता है। एक चीज़ यह भी कि रचनाकार ने कोई महत्वपूर्ण मुददा उठाया है, वह है व्यक्ति या समाज का। आख़िर वह मुददा क्या है। सहज ढंग से, तीन अविवाहित लड़कियों कि कहानी है यह जो तीन विवाहित पुरुषों से प्रेम करती हैं। वहाँ हमें मिलना कुछ नहीं है, यह जानते हुए भी वे उस रास्ते पर जाती हैं। अच्छी बात यह है कि आकांक्षा ने न पुरुषों को बहुत धिक्कारा है, न आँसू बहाए हैं। कहानी सहज-सरल ढंग से चलती है। लड़कियाँ अपनी सीमाएँ जानते हुए भी सेलिब्रेट करती हैं और अन्त में अविवाहित जीवन कि त्रासदी होते हुए भी (त्रासदी मैं कह रही हूँ, कहानी में नहीं है), कहीं यह भाव नहीं है, यह जीवन का यथार्थ है। जो नहीं मिला है, उसे भी सेलिब्रेट करो। आकांक्षा से पहली बार मिलने पर मुझे लगा कि यह लड़की सहज है। फिर एक शहर का होने के नाते निकटता और बढ़ी।
—मन्नू भंडारी
Ek Sau Pachas Premikayen
- Author Name:
Indira Dangi
- Book Type:

-
Description:
इंदिरा दाँगी की भाषा में एक संयत खिलन्दड़ापन है और कथा-विषयों की एक नई रेंज। ये दोनों ही चीज़ें उन्हें अलग से पढ़े जानेवाले कथाकार के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं। भाषा जब पाठक को अपने जादू में ले लेती है तब भी उनका क़िस्सागो सतर्क रहता है कि किस बिन्दु पर कौन-सा क़दम उठाना है, कि कहानी भी आगे बढ़े और पात्र का नक़्शा भी ज़्यादा साफ़ हो। कह सकते हैं कि वे अपने विवरणों में एक नई क़िस्सागोई का आविष्कार करती हैं, शैलीगत चमत्कारों में उलझकर नहीं रह जातीं।
संग्रह की पहली ही कहानी ‘लीप सेकेंड’ को कथाकार के रूप में उनकी क्षमताओं की बानगी के रूप में पढ़ा जा सकता है। एक बिलकुल अछूता विषय, फिर उसका इतना चित्रात्मक ट्रीटमेंट, आदमी की जिजीविषा को ज़िन्दगी की वास्तविक सड़क पर मूर्त करने की क्षमता, सराहनीय है। इसी तरह ‘एक चोरी प्यासी घाटियों के नाम’ कहानी हमें व्यक्ति के आत्मान्वेषण के एक नए इलाक़े में ले जाती है और कहानी के रूप में अत्यन्त स्पष्टता के साथ अपना आकार पाती है। मध्यवर्गीय मन यहाँ अपनी सीमाओं को बहुत महीन ढंग से तोड़ने को व्याकुल दिखाई देता है। ऐसा ही कुछ ‘एक नन्ही तितली आती तो है’ कहानी में देखा जा सकता है जिसकी ज़मीन तो उतनी नई नहीं है लेकिन जिस ढंग से वह अपनी शैली और अपने पात्रों को बरतती हैं, उसमें अपने ढंग का एक अलग आकर्षण है।
उम्मीद है, चर्चित-सुपरिचित इन कहानियों की यह प्रस्तुति पाठकों की प्रसन्नता का कारण बनेगी।
Ghar Bahar Ghar
- Author Name:
Harimohan
- Book Type:

-
Description:
सुपरिचित कथाकार हरिमोहन की कहानियों का यह संग्रह अपनी काव्यात्मक भाषा और सरल-सहज शिल्प के कारण अनायास ही आकर्षित करता है।
व्यक्ति के निजत्व की तलाश, प्रेम में चाँद को छूने की आकांक्षा, समसामयिक राजनीति की विद्रूपताओं व विडम्बनाओं, साम्प्रदायिक डायनासोर के आतंक, रिश्तों की रागात्मकता, प्रेम की मीठी व सुलगती हुई आँच, उपभोक्तावादी जीवन-शैली का एकाकीपन, दफ़्तरी जीवन का छल-छद्म आदि की काली-उजली छायाओं और गतिशील बिम्बों का मोहक कोलाज हैं ये कहानियाँ। भाषा की ताज़गी और कथ्य व विचारों की मौलिकता हरिमोहन की कहानियों की अनूठी विशेषता है।
सुचिंचित सरोकार वाली कथावस्तु, प्रवाहमय भाषा और संवेदनात्मक शिल्प के कारण ये कहानियाँ पाठकों को एक रचनात्मक लोक में ले जाने में सक्षम हैं।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...