1000 Veer Savarkar Prashnottari | Revolutionaries And Pioneer Of Hindutva
Author:
Anita GaurPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
यह धरा मेरी यह गगन मेरा, इसके वास्ते शरीर का कण-कण मेरा' - इन पंक्तियों को चरितार्थ करने वाले क्रांतिकारियों के आराध्य देव स्वातंत्र्य-वीर विनायक दामोदर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। वे न केवल स्वाधीनता संग्राम के एक तेजस्वी सेनानी थे अपितु महान् क्रांतिकारी, चिंतक, सिद्धहस्त लेखक, कवि, ओजस्वी वक्ता तथा दूरदर्शी राजनेता भी थे।
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ISBN: 9789392573705
Pages: 184
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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Description:
किसी लेखक की दुनिया कितनी विशाल हो सकती है, इस संग्रह के लेखों से उसे समझा जा सकता है। ये लेख विशेषकर तीसरी दुनिया के समाज में एक लेखक की भूमिका का भी मानदंड कहे जा सकते हैं। अरुंधति रॉय भारतीय अंग्रेजी की उन विरल लेखकों में से हैं जिनका सारा रचनाकर्म अपने सामाजिक सरोकार से उपजा है। इन लेखों को पढ़ते हुए जो बात उभरकर आती है, वह यह कि वही लेखक वैश्विक दृष्टिवाला हो सकता है जिसकी जड़ें अपने समाज में हों। यही वह स्रोत है जो किसी लेखक की आवाज को मजबूती देता है और नैतिक बल से पुष्ट करता है। क्या यह अकारण है कि जिस दृढ़ता से मध्य प्रदेश के आदिवासियों के हक में हम अरुंधति की आवाज सुन सकते हैं, उसी बुलन्दी से वह रेड इंडियनों या आस्ट्रेलिया के आदिवासियों के पक्ष में भी सुनी जा सकती है। तात्पर्य यह है कि परमाणु बम हो या बोध का मसला, अफगानिस्तान हो या इराक, जब वह अपनी बात कह रही होती हैं, उसे अनसुना-अनदेखा नहीं किया जा सकता। वह ऐसी विश्व-मानव हैं जिसकी प्रतिबद्धता संस्कृति, धर्म, सम्प्रदाय, राष्ट्र और भूगोल की सीमाओं को लाँघती नजर आती है। ये लेख भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान से लेकर सर्वशक्तिमान अमरीकी सत्ता प्रतिष्ठान तक के निहित स्वार्थों और क्रिया-कलापों पर समान ताकत से आक्रमण करते हुए उनके जन विरोधी कार्यों को उद्घाटित कर असली चेहरे को हमारे सामने रख देते हैं। एक रचनात्मक लेखक के चुटीलेपन, संवेदनशीलता, सघनता व दृष्टि-सम्पन्नता के अलावा इन लेखों में पत्रकारिता की रवानगी और उस शोधकर्ता का-सा परिश्रम और सजगता है जो अपने तर्क को प्रस्तुत करने के दौरान शायद ही किसी तथ्य का इस्तेमाल करने से चूकता हो।
यह मात्र संयोग है कि संग्रह के लेख पिछली सदी के अन्त और नई सदी के शुरुआती वर्षों में लिखे गए हैं। ये सत्ताओं के दमन और शोषण की विश्वव्यापी प्रवृत्तियों, ताकतवर की मनमानी व हिंसा तथा नव-साम्राज्यवादी मंशाओं के उस बोझ की ओर पूरी तीव्रता से हमारा ध्यान खींचते हैं जो नई सदी के कन्धों पर जाते हुए और भारी होता नजर आ रहा है। अरुंधति रॉय इस अमानुषिक और बर्बर होते खतरनाक समय को मात्र चित्रित नहीं करती हैं, उसके प्रति हमें आगाह भी करती हैं : यह समय मूक दर्शक बने रहने का नहीं है।
–पंकज बिष्ट
Azadi
- Author Name:
Arundhati Roy
- Book Type:

- Description: आज़ादी—कश्मीर में आज़ादी के संघर्ष का नारा है, जिससे कश्मीरी उस चीज़ की मुख़ालफ़त करते हैं जिसे वे भारतीय क़ब्ज़े के रूप में देखते हैं। विडम्बना ही है कि यह भारत की सड़कों पर हिन्दू राष्ट्रवाद की परियोजना की मुख़ालफ़त करनेवाले लाखों अवाम का नारा भी बन गया। आज़ादी की इन दोनों पुकारों के बीच क्या है–क्या यह एक दरार है या एक पुल है? इस सवाल के जवाब पर ग़ौर करने का वक़्त अभी आया ही था कि सड़कें ख़ामोश हो गईं। सिर्फ़ भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की सड़कें। कोविड–19 के साथ आई आज़ादी की एक और समझ, जो कहीं ख़ौफ़नाक थी। इसने मुल्कों के बीच सरहदों को बेमानी बना दिया, सारी की सारी आबादियों को क़ैद कर दिया और आधुनिक दुनिया को इस तरह ठहराव पर ला दिया जैसा कभी नहीं देखा गया था। रोमांचित कर देनेवाले इन लेखों में अरुंधति रॉय एक चुनौती देती हैं कि हम दुनिया में बढ़ती जा रही तानाशाही के दौर में आज़ादी के मायनों पर ग़ौर करें। इन लेखों में, हमारे बेचैन कर देनेवाले इस वक़्त में निजी और सार्वजनिक ज़ुबानों पर बात की गई है, बात की गई है क़िस्सागोई और नए सपनों की ज़रूरत की। रॉय के मुताबिक़, महामारी एक नई दुनिया की दहलीज़ है। जहाँ आज यह महामारी बीमारियाँ और तबाही लेकर आई है, वहीं यह एक नई क़िस्म की इंसानियत के लिए दावत भी है। यह एक मौक़ा है कि हम एक नई दुनिया का सपना देख सकें। आज के समय में जब समाज को बाँटने और नफ़रत की राजनीति मज़बूत हो रही है, ऐसे में लेखिका विचार करती हैं कि क़िस्सागोई और भाषा की भूमिका कितनी अहम है। किताब का ख़ास हिस्सा नए नागरिकता क़ानून (सीएए) और एनपीआर-एनसीआर के बारे में है, और इनके ख़िलाफ़ आंदोलनों के बारे में भी। लेखिका ने इस राजनीति और बँटे हुए समाज में कोरोना महामारी के मायने और प्रभाव को एक गहरी नज़र से देखने की कोशिश की है। एक उपन्यासकार के रूप में लेखिका ने अपने दोनों उपन्यासों को सोचने और उन्हें लिखने की प्रक्रिया पर विस्तार से लिखा है। साथ ही एक निबंध लेखक के रूप में अपने काम पर भी एक निगाह डाली है। अनुवाद ऐसा जैसे किताब मूल हिन्दी में लिखी गई हो।.
Pal : Kal, Aaj aur Kal
- Author Name:
Rajendra Shekhar
- Book Type:

- Description: हमारी नियति कई आयामों में विचरने के बाद अपने सत्त्व पर वापसी करती है, क्योंकि अंततः जन्मस्थान और पैदायशी खंडकाल ही उसके निर्धारक हैं एवं जो पल हमारे जीवन को दिशा देते हैं, अधिकतर असाधारण न होकर सामान्य और व्यक्तिगत होते हैं। इस जीवन-गाथा की क्रमबद्ध प्रस्तुति में एक अपवाद जरूर है—मस्कट (ओमान राज्य की राजधानी), जिसका जिक्र बार-बार किया गया है और जिसका मुख्य आकर्षण है, मेरे ज्येष्ठ पुत्र संजीव का वहाँ व्यवसाय संबंधित अस्थायी आवास। इसके अलावा संयोगवश ओमानी सुलतान का चाचा फाहर और मैं मेयो कॉलेज में स्कूली पढ़ाई के दौरान सहवर्ती शिक्षार्थी थे एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक अध्ययन काल का एक घनिष्ठ मित्र यशपाल भारद्वाज मस्कट में इंडियन स्कूल का प्रधानाध्यापक था और मैंने उसके साथ कई अंतरंग लम्हे बिताए। एक हादसे के कारण मेरे दुर्घटनाग्रस्त होने पर यशपाल का संकटमोचक सिद्ध होना मस्कट के दौर का मुख्य बिंदु साबित हुआ। संस्मरण में पाठक से निजी तौर पर संप्रेषण स्थापित करने के प्रयास में ‘संवाद’ और ‘चरित्र चित्रण’ का सहारा लिया है, क्योंकि ये दोनों तत्त्व मार्मिक संपर्क के सशक्त माध्यम हैं। चरित्र-चित्रण में सामान्य अथवा विशेष हस्तियों के सशक्त और दुर्बल पहलुओं को वर्णित करने का प्रयास किया गया है एवं घटनाओं में व्यक्तिगत और व्यवसाय संबंधी रोचक अथवा पेचीदे मामले उद्धृत किए गए हैं।
Investonomy
- Author Name:
Pranjal Kamra +1
- Book Type:

- Description: गुंतवणुक गुरू आणि शेअर बाजारावर प्रभाव टाकणारे भारताचे लाडके लेखक प्रांजल कामरा हे त्यांचे सर्वोत्तम खपाचे पुस्तक ‘ इन्व्हेस्टोनॉमी’ याची नवीन आवृत्ती घेऊन आले आहेत. तुम्हाला शेअर बाजारात पैसे गुंतवायला भीती वाटते का? गुंतवणूक सुरू करण्याआधी आपण त्यात तज्ज्ञ असले पाहिजे असे तुम्हाला वाटते का? हा सगळा प्रकार म्हणजे बेटींग, जुगार आणि नशीब यांचा आहे असे वाटते का? असे प्रश्न तुम्हाला पडत असतील तर हे पुस्तक तुमच्यासाठीच आहे म्हणून समजा आधुनिक मूल्यात्मक तत्वे काय आहेत एवढेच इन्व्हेस्टॉनॉमी समजावून सांगत नाही तर ते शेअर बाजारातील बरीच गुपितेही आपल्यासमोर उघड करते. पीके म्हणतात की, ‘एखादा मॅट्रीक पास झालेला माणूसही शेअर मार्केटमध्ये जोरदार गुंतवणूक करत असतो.’या सगळ्याला तशी मानसिकता लागते. तशी मानसिकता जोपासण्यासाठीच तर या पुस्तकाचा घाट घालण्यात आला आहे. जेवढे जेवढे तुम्ही जास्त शिकाल तेवढे तेवढे तुम्ही त्यात चक्रवाढ व्याजाने तरबेज बनाल हे सांगणे नलगे. Investonomy / Pranjal Kamara, Transleted by – Savita Damale इन्व्हेस्टॉनॉमी । प्रांजल कामरा, अनुवाद – सविता दामले
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