Yes Mr. Finance Minister
Author:
Prakash BiyaniPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Management0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
Awating description for this book
ISBN: 9788126710553
Pages: 174
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Management Mantra
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

-
Description:
कॉरपोरेट की नई दुनिया में एक सन्तुलित प्रबन्धन शैली अपनाना आज बहुत ज़रूरी हो गया है, ताकि उससे जुड़े लोगों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल भी हो सके, और उन्हें उनके योगदान का सन्तोषजनक फल भी प्राप्त हो, और इस सबके साथ कॉरपोरेट निकाय का समग्र विकास भी सम्भव हो।
यह पुस्तक इसी के लिए कुछ साधारण लेकिन अत्यन्त मूल्यवान गुर बताती है। पुस्तक की आधारभूत मान्यता है कि सम्पत्ति-निर्माण का कार्य मानवीय मूल्यों को नज़रअन्दाज़ करके नहीं किया जा सकता और न ही किया जाना चाहिए। कर्ता अपने कर्तव्य को पहले समझे, जिसके तहत ज़रूरी है कि उस समय निकाय का नेतृत्व अपना सब कुछ हासिल कर लेता है, तब उसकी मनोवृत्ति दूसरों के हित की ओर जानी चाहिए। यानी किसी भी प्रकार की प्रगति को केवल अपने तक सीमित नहीं रखना चाहिए। एक नीति निर्धारित करें, जिसका आधार परहित हो। जो अपने सहयोगियों की सुरक्षा की गारंटी दे, दूसरों की ग़लतियों को भूलकर आगे बढ़े और सह-अस्तित्व को अपनी कार्यशैली की पहचान बनाए।
ऐसी ही कुछ आवश्यक बातों को इस पुस्तक के लेखक ने सरल ढंग से, उदाहरणों-क़िस्सों की मदद से समझाते हुए क्रमश: संकलित किया है। विशेष उल्लेखनीय यह है कि लेखक स्वयं एक सफल प्रबन्धक रहे हैं, और यह सब उन्होंने व्यवहारत: आज़माया है।
If They Can Do Why Not You?
- Author Name:
Major J. Kishore
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Nano Car Ki Khani
- Author Name:
Phillip Chacko +2
- Book Type:

- Description: टाटा मोटर्स के चेयरमैन रतन टाटा ने एक सपना देखा था। लाखों भारतीयों के व्यक्तिगत इस्तेमाल और अपना जीवन स्तर सुधारने के लिए एक सुरक्षित और सस्ती कार मुहैया कराना। इसी सपने से नैनो का जन्म हुआ है। इस सपने के साकार होने से ही नैनो इतनी चर्चित और प्रशंसित कार बन गई है। इस पुस्तक में उस स्वप्न को साकार करने की प्रेरणाप्रद कहानी है। यह कहानी है एक लाख रुपए की ‘वंडर कार’ नैनो की, उसके बनने की। नैनो के निर्माण की एक लंबी, संघर्षपूर्ण, कष्टप्रद एवं अत्यंत महँगी परियोजना थी, जिसमें एक-से-एक बड़ी दिक्कतें आईं। यह पुस्तक उस अनूठे और चमत्कारी प्रकल्प के पीछे की शक्ति टाटा मोटर्स की भी कहानी है, जिसने पुरातन तकनीक और पारंपरिक तरीकों में सुधार कर एक ऐसी कार बनाई, जिसने विश्व की तकनीकी रूप से समृद्ध ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को आश्चर्यचकित कर दिया। टाटा मोटर्स के चेयरमैन रतन टाटा ने एक सपना देखा था—लाखों भारतीयों को व्यक्तिगत इस्तेमाल और अपना जीवन स्तर सुधारने के लिए एक सुरक्षित और सस्ती कार मुहैया कराने का। इसी सपने से नैनो की शुरुआत होती है। इस सपने के साकार होने से ही नैनो इतनी चर्चित और बड़ी प्रशंसित कार बन गई है। यह ऐसी कार है जिसमें न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में ऑटोमेटिव उद्योग के मौजूदा प्रतिमान को बदलने की क्षमता है। सफलता की नींव के निर्माण के लिए अनुसंधान आवश्यक है। भारत में लाखों परिवारों का असुरक्षित दोपहिया वाहनों पर सफर करना आम बात है। लेकिन एक दूरदर्शी व्यक्ति ने उनके लिए एक सुरक्षित और आरामदायक विकल्प की कल्पना की। यह अभिनव सोच थी। इस सोच के अनुरूप आकर्षक डिजाइनवाली एक कार बनाई जाने लगी, जिसमें चार व्यक्तियों का परिवार आरामदायक और सुरक्षित यात्रा कर सकता था। इस कार की घोषित कीमत महज 1 लाख रुपए थी। विकासशील दुनिया के लाखों लोगों के लिए टाटा मोटर्स की नई 2,500 डॉलर वाली चार दरवाजों की कार हेनरी फोर्ड के मॉडल टी जितनी बड़ी परिवहन क्रांति ला सकती है। यह दुनिया की सबसे सस्ती कार है। —गोविन राबिनोविल, एसोसिएटेड प्रेस नैनो भारतीय स्टाइल के समाजवाद का महान् प्रतीक है।—रेडिफ.कॉम बिक्री शुरू होने से पहले ही यह विकासशील दुनिया में एक महत्त्वपूर्ण प्रतीक के रूप में उभर चुकी है। यह नवीनता का एक नया ब्रांड है, जो सस्ता लेकिन बहुत उपयोगी है।—टाइम पत्रिका नैनो सस्ते निजी वाहन के युग का पूर्वाभास देती है।—न्यूजवीक यदि आधुनिक राष्ट्र बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षा का कोई प्रतीक हो सकता है तो वह निश्चित रूप से कम कीमत वाली छोटी कार नैनो है। नैनो उन लाखों भारतीयों का सपना पूरा करेगी, जो शहरी समृद्धि का हिस्सा बनना चाहते हैं।—द फाइनेंशियल टाइम्स नैनो ने भारत को दुनिया के नक्शे पर पहुँचा दिया है। जिस काम को करने में जापानियों ने 30 वर्ष लगाए, टाटा मोटर्स ने उसे 4 वर्षों में कर दिखाया।—फिओन्ना प्रिम्स सेगमेंट वाइ के बिजनेस डेवलपमेंट प्रमुख यह बदलाव का वाहन है। यह भारत में समाज का चेहरा बदल देगी।—श्रवण गर्ग, भास्कर प्रकाशन समूह
Ghar Ki Vyawastha Kaise Karen ?
- Author Name:
Ram Krishna
- Book Type:

- Description: संयुक्त परिवार की जगह एकल परिवार की अवधारणा ने घर के मायने ही बदल दिए हैं। पहले हम ज़्यादातर कामों के लिए घर के दूसरे सदस्यों पर निर्भर रहते थे, अब हमें स्वयं अपनी व्यवस्था करनी पड़ती है। ऐसे में अनेक छोटी-मोटी बातों का ध्यान रखना ज़रूरी हो जाता है, घर का सही प्रबन्धन न हो तो कभी-कभी छोटी-छोटी चीज़ों के लिए भी आपको पूरा दिन तनाव में गुज़ारना पड़ सकता है। दूसरी तरफ़ घरों में जगह की कमी के चलते भी घर की व्यवस्था करना कठिन होता जा रहा है। अब एक या दो कमरों में ही अपने सामान को व्यवस्थित करना पड़ता है। फिर घर की व्यवस्था करते समय घर के बाक़ी सदस्यों का भी ध्यान रखना होता है। यह पुस्तक हमें बताती है कि देखने में छोटी लगनेवाली इन बड़ी समस्याओं से कैसे निबटा जाए। महत्त्वपूर्ण काग़ज़ात को कैसे, कहाँ सँभालें। कपड़ों की साज-सज्जा, खान-पान का चुनाव, साफ़-सफ़ाई, फ़र्स्ट एड बॉक्स और ऐसी ही तमाम चीज़ों के समुचित प्रबन्धन की जानकारी इससे मिलती है।
Tata Steel Ka Romance
- Author Name:
R.M. Lala
- Book Type:

-
Description:
‘टाटा परिवार’ की कहानी इतिहास ने ख़ुद अपने हाथों से लिखी। कोई सौ साल पहले जमशेतजी टाटा ने भारत के तत्कालीन राज्य सचिव लॉर्ड जॉर्ज हैमिल्टन से निवेदन किया था कि वे भारत का पहला इस्पात कारख़ाना शुरू करने में ब्रिटिश शासन की ओर से सहायता करें। इधर कुछ ही समय पहले टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी ने अपने पंजीकरण की सौवीं वर्षगाँठ पर एंग्लो-डच इस्पात कम्पनी ‘कोरस’ को खरीदा और इस तरह इतिहास का एक चक्र पूरा हुआ।
आर.एम. लाला ने अपनी इस पुस्तक में टाटा स्टील के सौ सालों के इतिहास का अन्वेषण किया है, जिसमें उन्होंने लौह अयस्क और कोकिंग कोल की तलाश में बैलगाड़ियों में जंगल-जंगल भटकने से लेकर, कम्पनी के मौजूदा विश्वस्तरीय स्वरूप का वर्णन किया है। इस क्रम में लेखक ने उन लोगों के साहस, दृष्टि और प्रतिबद्धता की अभी तक अनचीन्ही भावनाओं को स्वर दिया है जिन्होंने भारत की पहली आधुनिक औद्योगिक इकाई की रचना की। इस कहानी में आर.एम. लाला टाटा स्टील के सामने आई उन तमाम बाधाओं का जिक्र भी करते हैं जिनसे संघर्ष करते हुए कम्पनी ने आख़िरकार जीत हासिल की। इसमें वित्तीय संसाधनों की जद्दोजेहद, सरकारी नियंत्रणों के बावजूद आगे बढ़ने की हिम्मत, मज़दूरों के लिए मानवीय कार्य स्थितियाँ बनाने की कोशिशें, उदारीकरण के दौर में प्रतिस्पर्द्धा में बने रहने का हौसला आदि तमाम पहलुओं को रेखांकित किया गया है।
दुर्लभ तथ्यात्मक सामग्री और चित्रों को समाहित कर लेखक ने इस पुस्तक को संग्रहणीय और पठनीय बना दिया है।
Krishna : The Ultimate Idol
- Author Name:
Girish P. Jakhotiya
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Prabandhan Ki Pathshala
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

-
Description:
प्रेम से सफलता और सफलता का सम्पन्नता से बहुत गहरा रिश्ता है। प्रेम-भाव के बिना सम्पन्नता और सफलता भी मूल्यहीन हैं। जो प्रबन्धक अपने साथियों-सहकर्मियों को प्रेमपूर्वक साथ लेकर चलते हैं, वे कभी असफल नहीं होते।
‘प्रबन्ध की पाठशाला’ शीर्षक यह पुस्तक हमें कुछ ऐसे ही पाठ पढ़ाती है, जो देखने में ऐसे लगते हैं कि उनका न व्यवसाय से कोई सम्बन्ध है और न उद्यम-उद्योग से, लेकिन वास्तव में उनके बिना आप एक छोटी-सी दुकान भी सफलतापूर्वक नहीं चला सकते।
पुस्तक के लेखक को स्वयं प्रबन्धन के क्षेत्र का लम्बा अनुभव रहा है, उन्होंने स्वयं यह देखा है कि वे मानवीय मूल्य, जो परिवार से लेकर समाज तक हर संस्था की आधारशिला साबित होते हैं, व्यावसायिक सफलता भी उन पर बहुत दूर तक निर्भर करती है।
जीवन के दु:ख, कष्ट, तकलीफ़ें यहाँ अपनी कार्यकुशलता को वैसे ही बढ़ाती हैं, जैसे जीवन के किसी अन्य क्षेत्र में। इसी तरह नई चीज़ों के प्रति जिज्ञासा, मन को ताक़त देनेवाली आस्था, परिवर्तनशीलता, अनासक्ति, ईर्ष्या और वैमनस्य से सायास परहेज़, जीवन की अनिश्चितता के प्रति सजगता, उपकार के प्रति ग्रहणशीलता और परोपकार के प्रति तत्परता आदि ये सभी बीज-मंत्र हैं, जिनसे हम न सिर्फ़ अपने प्रबन्धन-कौशल को नई आभा दे सकते हैं, बल्कि अपने आसपास सभी को सकारात्मक माहौल भी मुहैया करा सकते हैं।
Shunya Se Shikhar
- Author Name:
Prakash Biyani
- Book Type:

-
Description:
देश की अर्थव्यवस्था को लाइसेंसी राज की बेड़ियों से मुक्त कराकर आर्थिक स्वतंत्रता के वैश्विक रास्ते पर ले जानेवाले अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं—‘दुनिया में लोग चीन की तरक़्क़ी से आशंकित होते हैं, लेकिन इसके विपरीत भारत की आर्थिक तरक़्क़ी को सकारात्मक नज़रिए से देखते हैं...’
व्हार्टन स्कूल ऑफ़ द यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया के प्रोफ़ेसरों के अध्ययन का निष्कर्ष है—‘वैश्विक आर्थिक मन्दी के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने बेहतर प्रदर्शन किया, क्योंकि भारतीय उद्योगपतियों के कामकाज का अपना तौर-तरीक़ा है...।
कभी विदेशी उद्योगपति हमारी कम्पनियाँ ख़रीदते थे, आज भारतीय ‘कॉरपोरेट-हाट’ के बड़े सौदागर हैं। यहाँ तक कि कभी भारत पर राज करनेवाली ईस्ट इंडिया कम्पनी के नए मालिक हैं—मुम्बई में जन्में उद्योगपति संजीव मेहता...।
ऐसी सकारात्मक सच्चाइयों से प्रेरित इस पुस्तक ‘शून्य से शिखर’ में इंडियन कॉरपोरेट्स’ में 35 भारतीय उद्योगपतियों की यशोगाथा दोहराई गई है, जो साबित करती है कि भारतीय ठान लें तो कुछ भी कर सकते हैं, वह भी दूसरों से बेहतर।
Beema Prabandhan Evam Prashashan
- Author Name:
M. N. Mishra
- Book Type:

-
Description:
‘बीमा प्रबन्ध एवं प्रशासन’ बीमा व्यवसाय के सफल संचालन की एकमात्र पुस्तक है। इसे गहन शोध और विस्तृत अध्ययन के बाद लिखा गया है। बीमा व्यवसाय का प्रबन्धन एवं निर्देशन कैसे किया जाए, इस पुस्तक के अध्ययन से पता लग सकता है।
इस पुस्तक में सात खंड हैं जो विभिन्न कार्यक्षेत्रों के संचालन में सहायक हैं। बीमा परिचय, प्रबन्ध एवं प्रशासन को प्रथम खंड में दिया गया है, जिसमें बीमा की परिभाषा एवं स्वभाव, बीमा का विकास एवं संगठन, बीमा प्रसंविदा, प्रबन्ध, प्रशासन एवं संगठन, जीवन बीमा निगम संगठन का रूप, सामान्य बीमा निगम, जीवन बीमा प्रसंविदा, सामुद्रिक बीमा प्रसंविदा और अग्नि बीमा परिचय एवं प्रसंविदा का वर्णन है। द्वितीय खंड में कार्यालय संगठन और प्रबन्ध की विवेचना है, जिसमें कार्यालय अभिन्यास एवं कार्य-दशाएँ, कार्यालय फर्नीचर, उपकरण एवं मशीनें, कार्यालय पद्धति, कार्यालय संगठन और कार्यालय प्रबन्ध का वर्णन है। कायिक प्रबन्ध का विश्लेषण तृतीय खंड में है जिसमें कार्यालय कार्यकर्त्ता प्रबन्धन, विक्रय संगठन एवं प्रबन्ध, अभिकर्त्ता की नियुक्ति, अभिकर्त्ता का प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण एवं प्रेरणा और अभिकर्त्ता का नियंत्रण बताया गया है। चतुर्थ खंड विपणन का है जिसमें विक्रय-कार्यकर्त्ताओं का संगठन, कार्यक्षेत्रीय कार्यकर्त्ताओं के गुण, बीमा विक्रय विधि, प्रचार एवं तर्क, आक्षेपों का उत्तर, बीमा जब्ती नए व्यापार का अभिगोपन, बीमा कराने की विधि एवं चुनाव, बीमापत्र की शर्तें, नवकरण विधियों के प्रबन्ध का वर्णन है। पंचम खंड बीमापत्रधारियों की सेवा का है जिसमें बीमापत्रधारियों की सेवा, अध्यर्थन का भुगतान का वर्णन है। वित्तीय प्रबन्ध का वर्णन षष्ठम खंड में है जिसमें प्रव्याजि निर्धारण, कोष का प्रबन्ध, मूल्यांकन, संचय, कोष का विनियोग, लागत नियंत्रण, अंकेक्षण एवं परीक्षण का विवरण है। सप्तम खंड में बीमा अधिनियम एवं प्रसंविदा, जैसे—बीमा अधिनियम, 1938, जीवन बीमा अधिनियम, 1956, सामुद्रिक बीमा अधिनियम, 1963, सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972, बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, 2000 का विशद विश्लेषण है।
यह पुस्तक वर्तमान अर्थव्यवस्था के विकास और विस्तृतीकरण में मील का पत्थर है। यह पुस्तक आनेवाले समय में बीमा की विभिन्न समस्याओं के समाधान की गीता है जिसके विभिन्न सिद्धान्तों का उपयोग करके कठिन-से-कठिन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
Unchi Udan
- Author Name:
Kusum Lunia
- Book Type:

-
Description:
डॉ. कुसुम लुनिया का नाटक ‘ऊँची उड़ान’ कितना मार्मिक है, इसका अनुमान आप इसी तथ्य से लगा सकते हैं कि इसकी भूमिका लिखने के लिए जब मैंने इसे पढ़ा तो तीन-चार बार मेरी आँखों में आँसू छलक आए। कन्या भ्रूण-हत्या जैसे शुष्क और समाज-सुधार सम्बन्धी विषय पर कोई नाटक हो और उसे भी देखना नहीं, पढ़ना हो तो वह अपने आप में चुनौती भरा काम है लेकिन इस नाटक के कथानक, पात्रों, कथनोपकथनों और जिज्ञासा ने मुझे इस क़दर बाँधे रखा, जैसे किसी महान साहित्यकार की रचना बाँधे रखती है।
मैं सोचता रहा कि यदि ‘ऊँची उड़ान’ का कोई श्रेष्ठ मंचन कर सके तो इस नाटक को देश में लाखों दर्शक मिल सकते हैं। यह अकेला नाटक लोगों को भ्रूण-हत्या से विरत करने में वह भूमिका अदा कर सकता है जो साधु-संतों और समाज-सुधारकों के सैकड़ों-सैकड़ों उपदेश नहीं कर सकते। वास्तव में कुसुम जी ने समाज-सुधारकों के हाथों में एक ब्रह्मास्त्र थमा दिया है।
यह नाटक यों तो भ्रूण-हत्या पर केन्द्रित है लेकिन इसमें स्त्री-शक्ति का चमत्कारी रूप प्रकट हुआ है। संकल्प, संस्कार और चरित्र-बल के आधार पर कोई स्त्री कहाँ से कहाँ पहुँच सकती है, यह इस नाटक से पता चलता है। जिस भ्रूण की हत्या का आयोजन किया जा रहा था, उसकी रक्षा के बाद वही भ्रूण कैसा दिव्य, कैसा भव्य और कैसा काम्य स्वरूप धारण करता है, इसका जीवन्त और प्रेरक चित्रण कुसुम जी ने अपनी कृति में किया है। भ्रूण-हत्या जैसे दुखद प्रसंग को प्रतिभाशाली लेखिका ने सुखान्त नाटक का रूप देने में जो सफलता अर्जित की है, वह दुर्लभ है।
—वेद प्रताप वैदिक
Pachis Global Brand
- Author Name:
Prakash Biyani +1
- Book Type:

- Description: ब्रांड यानी उत्पाद विशेष का नाम...एक ट्रेडमार्क। वेबस्टर्स शब्दावली के अनुसार ब्रांड यानी... A mark burned on the skin with hot iron. हिन्दी में इसका भावार्थ है : व्यक्ति के शरीर पर उसकी पहचान दाग देना। यही इस पुस्तक का सार है। ब्रांड किसी उत्पाद का केवल नाम ही नहीं होता। उसके उत्पाद का पेटेंटेड ट्रेडमार्क भी नहीं होता। ग्राहक जब ब्रांडेड उत्पाद खरीदता है तो वह इस विश्वास का मूल्य भी चुकाता है कि उत्पाद गुणवत्तायुक्त होगा, झंझटमुक्त लम्बी सेवा प्रदान करेगा और उसे वादे के अनुसार बिक्री बाद सेवा मिलेगी। दूसरे शब्दों में, ब्रांडेड उत्पादों के निर्माता केवल वस्तु का मूल्य प्राप्त नहीं करते। वे एक भरोसे, एक विश्वास की क़ीमत भी वसूल करते हैं। वही ब्रांड लम्बी पारी खेलते हैं, जो अपने पर ‘दाग' दी गई ‘पहचान' को एक बार नहीं, बार-बार भी नहीं, बल्कि हर बार सही साबित करते हैं। ऐसे ही शतकीय पारी के बाद ग्लोबल मार्किट में आज भी अव्वल 25 ग्लोबल ब्रांड का इतिहास इस पुस्तक में सँजोया गया है।
Prabandhan Ke Sur Gandhi ke Gur
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

-
Description:
गांधी का जीवन आत्म-अनुशासन, नैतिक साहस, मितव्ययिता, दूरदर्शिता, कुशल नेतृत्व, निर्णय-क्षमता तथा कर्म और विचारों के सन्तुलन का अद्भुत उदाहरण है। इस पुस्तक में पहली बार उनके इन जीवन-मूल्यों को आधुनिक प्रबन्धन-प्रणाली से जोड़ने का प्रयास किया गया है।
प्रबन्धन को चालाकी-चतुराई की कला बताने के बजाय यह पुस्तक आन्तरिक सफ़ाई और उस कर्म-निष्ठा के बारे में बताती है जो प्रबन्धन-कार्य को एक सामाजिक तथा सर्वजनहिताय कार्य में बदल सकती है।
गांधी जी के जीवन के प्रेरक घटनाओं का विवरण देते हुए लेखक उनमें छिपी उन शिक्षाओं को रेखांकित करता चलता है जो आज हमें एक अच्छा व्यक्ति, अच्छा कर्मचारी और सक्षम प्रबन्धक बनने में मदद कर सकती हैं। सच्चाई, स्वावलम्बन, सेवाभाव, अनासक्ति, समानता के प्रति आग्रह, सद्-आचरण, मितव्ययिता, किसी भी कार्य की सांगोपांग जानकारी, उपदेश के बजाय कर्म को अहमियत देना, स्पष्ट संवाद, विनम्रता, निर्बलों की पक्षधरता और अनुशासन—ये सभी ऐसे मूल्य हैं जिन्हें अपने व्यवहार में लेकर हम अपनी प्रबन्धन-क्षमता को कई गुणा बढ़ा सकते हैं।
विजय जोशी स्वयं एक सफल प्रबन्धक रहे हैं, और इस पुस्तक को उनके व्यावहारिक अनुभवों का सार भी माना जा सकता है।
Manav Sansadhan Prabandhan Ke Anubhoot Aayam
- Author Name:
Ram Janam Singh
- Book Type:

- Description: H R Management
Sansar Kayaron ke Liye Nahin
- Author Name:
Ramesh Pokhariyal 'Nishank'
- Book Type:

-
Description:
स्वामी विवेकानन्द 'योद्धा संन्यासी' थे। करुणा, निर्भयता, कर्मठता, ज्ञान और सेवा आदि महत्तर गुणों से विभूषित उनका जीवन प्रेरणा का महाग्रन्थ है। कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना करने और उससे विजयी होकर निकलने का आदर्श स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं का सार है।
स्वामी जी ने अपनी अमृत वाणी से पूरे विश्व को नवजीवन का सन्देश दिया था। वे व्यावहारिक वेदान्त के अग्रणी व्यक्तित्व थे। उनके जीवन और कृतित्व में एक विराट सत्ता के प्रति आस्था तो है ही साथ ही मनुष्य को निर्भय और कर्मठ बनाने की प्रेरणा भी है।
‘संसार कायरों के लिए नहीं’ एक विलक्षण और प्रासंगिक पुस्तक है। आज जटिल होते समय और समाज में जीने के लिए व्यक्ति को अपने जीवन का नियोजन करना होता है। यह कठिन कार्य है, इसे स्वामी विवेकानन्द के सन्देश और विचार सुगम बनाते हैं। यह पुस्तक स्वामी विवेकानन्द के विचारों, आदर्शों एवं सन्देशों पर आधारित है। जीवन जीने की कला पर प्रकाश डालते हुए स्वामी जी विश्व मानवता के प्रति अपार करुणा से भर जाते हैं।
सहृदय साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने स्वामी विवेकानन्द के विपुल साहित्य से वे सूत्र चुने हैं जो समय और समाज को एक नई दिशा देते हैं। इस पुस्तक को पढ़कर किसी भी व्यक्ति के मन में जीवन को सार्थक बनाने की ललक जाग उठेगी।
Prabandhan Mein 5 Ka Mantra
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

-
Description:
पाँच इन्द्रियाँ हैं जो हमारी देह के जटिलतम तंत्र का संचालन करती हैं, हमारे हाथों में पाँच-पाँच उँगलियाँ हैं जो स्पर्श से लेकर हमारे आसपास की वस्तुओं के परिचालन में हमारी सहायता करती हैं, पांडव पाँच थे जो कुरुक्षेत्र में सौ कौरवों और उनकी सेना को पराजित कर विजय के प्रतीक बने। कहने का तात्पर्य यह कि पाँच अंक का भारतीय दर्शन में भी बहुत महत्त्व माना गया है, और प्रकृति में भी।
यह पुस्तक प्रबन्धन के विस्तृत विषय को पाँच के अंक के साथ जोड़कर इच्छुक पाठकों के लिए एक सरल सूत्रावली प्रस्तुत करती है, ताकि वह अध्यात्म की मूल प्रेरणा को इस भौतिक जगत् में सम्यक् रूप में प्रयोग कर सके। शरीर के संवेदी तंत्र के माध्यम से पाँच इन्द्रियों को यहाँ प्रबन्धन के उपकरणों की तरह देखा गया है, और पाँचों पांडवों की पाँच तरह की प्रकृतियों को किसी भी कॉरपोरेट तंत्र के पाँच स्तम्भों की तरह देखना-सिखाया गया है।
इसी तरह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और परमात्मा के पाँच को हम अपने आज के आर्थिक जीवन में कैसे बरतें, इसके बहाने भारतीय दर्शन में निहित प्रबन्धन सूत्रों को भी यह पुस्तक स्पष्ट करती है।
लम्बे प्रबन्धकीय जीवनानुभव से प्राप्त ज्ञान को लेखक ने यहाँ संक्षेप में, लेकिन स्पष्टता के साथ इस तरह सँजोया है कि कोई भी पाठक इससे लाभान्वित हो सकता है।
Bolna To Hai
- Author Name:
Sheetla Mishra
- Book Type:

-
Description:
यदि हमसे कहा जाए कि बोलिए मत, चुप रहिए तो हम कितनी देर तक चुप रह सकते हैं? और चुप होते ही हम पाएँगे कि हमारे अधिकांश काम भी ठप हो गए हैं। यानी, बोलना तो है ही। बोले बिना किसी का काम चलता नहीं। नींद के बाद बचे समय पर ज़रा ग़ौर कीजिए, पाएँगे कि ज़्यादातर वक़्त (75 प्रतिशत से भी ज़्यादा) हम, या तो, बोल रहे हैं या सुन रहे हैं। ज़रा सोचिए, कि जिस काम पर सबसे ज़्यादा समय ख़र्च कर रहे हों, यदि उसे बेहतर कर लें तो हमारे जीवन का अधिकांश भी बेहतर हो जाएगा। यानी, अपने बोलने और सुनने को बेहतर बनाना, जीवन को ठीक करने जैसा काम होगा, क्या नहीं?
दरअसल, चार मौलिक विधाएँ हैं—बोलना, सुनना, लिखना, पढ़ना। इनमें से लिखने-पढ़ने की तो हम औपचारिक शिक्षा पाते हैं, लेकिन बोलना-सुनना, आश्चर्यजनक रूप से, सिर्फ़ नक़ल और अनुकरण के हवाले हैं। बोलना-सुनना औपचारिक तरीक़े से सीखा और सुधारा जा सकता है, और इसी की पहली सीढ़ी है यह पुस्तक।
Udyog Mein Safalta Ke 36 Mantra
- Author Name:
Girish P. Jakhotiya
- Book Type:

- Description: उद्यमकला की नींव मज़बूत हो तभी इमारत मज़बूत होगी। उद्योग और उद्यमकला के लक्ष्य का निर्धारण कैसे किया जाता है यह हम 'प्रैक्टिकली' देखेंगे। मूलतः ‘उद्यमी’ ही होना और सम्पत्ति अर्जित करना है, इस बात का संकल्प करना उद्यमी के लिए जरूरी है। रिलायन्स के कर्ताधर्ता स्वर्गीय धीरूभाई अंबानी का, ‘बड़ा बनने का नशा है।' यह प्रिय घोष वाक्य था। अर्थात् सम्पत्ति कमाने की भी लत लगनी चाहिए। मूलतः उद्यमी होने के लिए पाँच कसौटियाँ हैं। उद्यमी बनने का निर्णय करने पर इन कसौटियों को पार करने के लिए उचित 'अभ्यास' करना आवश्यक है। कौन-सी हैं ये कसौटियाँ? ये कसौटियाँ हैं—सम्पत्ति अर्जित करने के लिए लगन, स्वभाव और आचार में लचीलापन, व्यवसाय प्रक्रिया के रहस्य की जानकारी, उद्योग की शृंखला, परस्पर सम्बन्ध निर्माण करने की तैयारी तथा बिना थके, बिना घबराए, बिना निराश हुए कोशिश करते रहने की मानसिक-शारीरिक-सांस्कृतिक तैयारी।
Saphal Prabandhan Ke Gur
- Author Name:
Suresh Kant
- Book Type:

-
Description:
प्रबन्धन आत्म-विकास की एक सतत प्रक्रिया है। अपने को व्यवस्थित-प्रबन्धित किए बिना आदमी दूसरों को व्यवस्थित-प्रबन्धित करने में सफल नहीं हो सकता, चाहे वे दूसरे लोग घर के सदस्य हों या दफ़्तर अथवा कारोबार के। इस प्रकार आत्म-विकास ही घर-दफ़्तर, दोनों की उन्नति का मूल है। इस लिहाज़ से देखें, तो प्रबन्धन का ताल्लुक़ कम्पनी-जगत के लोगों से ही नहीं, मनुष्य मात्र से है। वह इनसान को बेहतर बनाने की कला है, क्योंकि बेहतर इनसान ही बेहतर कर्मचारी, अधिकारी, प्रबन्धक या कारोबारी हो सकता है।
‘सफल प्रबन्धन के गुर’ में कार्य-स्वीकृति यानी ‘वर्क कल्चर’, ‘बिक्री, विपणन और नेगोशिएशन’ तथा ‘नेतृत्व-कौशल’ शीर्षक उपखंडों में ईमानदारी, दफ़्तरी राजनीति, सहकर्मियों के पारस्परिक सम्बन्धों, व्यक्तिगत कार्यकुशलता, कार्य के प्रति प्रतिबद्धता, ग्राहक से सम्बन्ध, मार्केटिंग और व्यावसायिक साख आदि बिन्दुओं पर विचार करते हुए नेतृत्व-कौशल के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया है।
आत्मविकास और प्रबन्धन की एक व्यावहारिक निर्देशिका।
Upbhokta Vastuon Ka Vigyan
- Author Name:
Ramchandra Mishra
- Book Type:

-
Description:
प्रत्येक व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक अपने दैनिक जीवन में वस्तुतः उपभोक्ता होता है। उपभोक्ता वस्तुओं का प्रयोग सर्वव्यापक और नित्य क्रिया है। खाने-पीने की वस्तुओं और पहनने-ओढ़ने की चीज़ों से लेकर आवास, साफ़-सफ़ाई, सुरक्षा-बचाव, साज-सँवार तथा भोग-विलास से सम्बन्धित अनेकानेक वस्तुओं का दिन-रात निरन्तर प्रयोग किया जाता है।
दैनिक उपयोग की वस्तुओं की गुणवत्ता, संघटन, विश्वसनीयता, उपयोग के लाभालाभ, सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रभाव आदि आवश्यक तथ्यों यानी उपभोक्ता वस्तुओं के विज्ञान से उपभोक्ता प्रायः कम ही अवगत होते हैं। दूसरी तरफ़ बाज़ार की नई प्रवृत्ति ने उपभोक्ता वस्तुओं को नया रूप दिया है। अब उपभोक्ता विज्ञापन की चकाचौंध में घटिया वस्तुओं को भी वरण कर लेता है। इसकी वजह है उपभोक्ता जानकारी और मार्गदर्शन का अभाव।
यह पुस्तक उपभोक्ता वस्तुओं के बारे में कही-सुनी बातों के बजाय हमें ठोस वैज्ञानिक जानकारी देती है जिसके आधार पर हम अपने उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।
Vittiya Prabandhan
- Author Name:
R. K. Pandey
- Book Type:

-
Description:
वित्त भौतिक जीवन का आधार स्तम्भ है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसकी उपादेयता निर्विवाद है। वित्त जैसे अमूल्य पदार्थ का कुशलतम उपयोग वित्तीय प्रबन्ध से ही सम्भव हो सकता है। वित्तीय प्रबन्धन आज के वैश्विक परिदृश्य की आवश्यकता है। भूमंडलीकरण के दौर में अर्थव्यवस्था का खुलापन बढ़ती प्रतियोगिता का द्योतक है।
प्रस्तुत पुस्तक ‘वित्तीय प्रबन्धन’ आधुनिक व्यापारिक संगठनों की सम्भाव्य वित्तीय प्रबन्धन सम्बन्धी समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए लिखी गई है। पुस्तक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली द्वारा देश के समस्त विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम को समाहित करने का प्रयास किया गया है। पुस्तक में दीर्घउत्तरीय, लघुउत्तरीय, वस्तुनिष्ठ एवं व्यावहारिक प्रश्नों का समावेश करते हुए पर्याप्त मात्रा में उदाहरणों द्वारा विषय को सरल, सुग्राह्य एवं रोचक बनाने का प्रयास किया गया है।
पुस्तक की सार्थकता के परीक्षण हेतु सुधी पाठकों वित्त विशेषज्ञों, प्रबन्ध विशेषज्ञों, छात्र-छात्राओं एवं विद्वान शिक्षकों के अमूल्य सुझावों का अहर्निश स्वागत रहेगा।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...