Yes Mr. Finance Minister
Author:
Prakash BiyaniPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Management0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
Awating description for this book
ISBN: 9788126710553
Pages: 174
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: संयुक्त परिवार की जगह एकल परिवार की अवधारणा ने घर के मायने ही बदल दिए हैं। पहले हम ज़्यादातर कामों के लिए घर के दूसरे सदस्यों पर निर्भर रहते थे, अब हमें स्वयं अपनी व्यवस्था करनी पड़ती है। ऐसे में अनेक छोटी-मोटी बातों का ध्यान रखना ज़रूरी हो जाता है, घर का सही प्रबन्धन न हो तो कभी-कभी छोटी-छोटी चीज़ों के लिए भी आपको पूरा दिन तनाव में गुज़ारना पड़ सकता है। दूसरी तरफ़ घरों में जगह की कमी के चलते भी घर की व्यवस्था करना कठिन होता जा रहा है। अब एक या दो कमरों में ही अपने सामान को व्यवस्थित करना पड़ता है। फिर घर की व्यवस्था करते समय घर के बाक़ी सदस्यों का भी ध्यान रखना होता है। यह पुस्तक हमें बताती है कि देखने में छोटी लगनेवाली इन बड़ी समस्याओं से कैसे निबटा जाए। महत्त्वपूर्ण काग़ज़ात को कैसे, कहाँ सँभालें। कपड़ों की साज-सज्जा, खान-पान का चुनाव, साफ़-सफ़ाई, फ़र्स्ट एड बॉक्स और ऐसी ही तमाम चीज़ों के समुचित प्रबन्धन की जानकारी इससे मिलती है।
Sansar Kayaron ke Liye Nahin
- Author Name:
Ramesh Pokhariyal 'Nishank'
- Book Type:

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Description:
स्वामी विवेकानन्द 'योद्धा संन्यासी' थे। करुणा, निर्भयता, कर्मठता, ज्ञान और सेवा आदि महत्तर गुणों से विभूषित उनका जीवन प्रेरणा का महाग्रन्थ है। कठिन से कठिन परिस्थिति का सामना करने और उससे विजयी होकर निकलने का आदर्श स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाओं का सार है।
स्वामी जी ने अपनी अमृत वाणी से पूरे विश्व को नवजीवन का सन्देश दिया था। वे व्यावहारिक वेदान्त के अग्रणी व्यक्तित्व थे। उनके जीवन और कृतित्व में एक विराट सत्ता के प्रति आस्था तो है ही साथ ही मनुष्य को निर्भय और कर्मठ बनाने की प्रेरणा भी है।
‘संसार कायरों के लिए नहीं’ एक विलक्षण और प्रासंगिक पुस्तक है। आज जटिल होते समय और समाज में जीने के लिए व्यक्ति को अपने जीवन का नियोजन करना होता है। यह कठिन कार्य है, इसे स्वामी विवेकानन्द के सन्देश और विचार सुगम बनाते हैं। यह पुस्तक स्वामी विवेकानन्द के विचारों, आदर्शों एवं सन्देशों पर आधारित है। जीवन जीने की कला पर प्रकाश डालते हुए स्वामी जी विश्व मानवता के प्रति अपार करुणा से भर जाते हैं।
सहृदय साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने स्वामी विवेकानन्द के विपुल साहित्य से वे सूत्र चुने हैं जो समय और समाज को एक नई दिशा देते हैं। इस पुस्तक को पढ़कर किसी भी व्यक्ति के मन में जीवन को सार्थक बनाने की ललक जाग उठेगी।
Prabandhan Ke Sur Gandhi ke Gur
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

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Description:
गांधी का जीवन आत्म-अनुशासन, नैतिक साहस, मितव्ययिता, दूरदर्शिता, कुशल नेतृत्व, निर्णय-क्षमता तथा कर्म और विचारों के सन्तुलन का अद्भुत उदाहरण है। इस पुस्तक में पहली बार उनके इन जीवन-मूल्यों को आधुनिक प्रबन्धन-प्रणाली से जोड़ने का प्रयास किया गया है।
प्रबन्धन को चालाकी-चतुराई की कला बताने के बजाय यह पुस्तक आन्तरिक सफ़ाई और उस कर्म-निष्ठा के बारे में बताती है जो प्रबन्धन-कार्य को एक सामाजिक तथा सर्वजनहिताय कार्य में बदल सकती है।
गांधी जी के जीवन के प्रेरक घटनाओं का विवरण देते हुए लेखक उनमें छिपी उन शिक्षाओं को रेखांकित करता चलता है जो आज हमें एक अच्छा व्यक्ति, अच्छा कर्मचारी और सक्षम प्रबन्धक बनने में मदद कर सकती हैं। सच्चाई, स्वावलम्बन, सेवाभाव, अनासक्ति, समानता के प्रति आग्रह, सद्-आचरण, मितव्ययिता, किसी भी कार्य की सांगोपांग जानकारी, उपदेश के बजाय कर्म को अहमियत देना, स्पष्ट संवाद, विनम्रता, निर्बलों की पक्षधरता और अनुशासन—ये सभी ऐसे मूल्य हैं जिन्हें अपने व्यवहार में लेकर हम अपनी प्रबन्धन-क्षमता को कई गुणा बढ़ा सकते हैं।
विजय जोशी स्वयं एक सफल प्रबन्धक रहे हैं, और इस पुस्तक को उनके व्यावहारिक अनुभवों का सार भी माना जा सकता है।
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