Aadarsh Prabandhan Ke Sookta

Aadarsh Prabandhan Ke Sookta

Author:

Suresh Kant

Language:

Hindi

Category:

Management

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Book Details

प्रबन्धन आत्म-विकास की एक सतत् प्रक्रिया है। अपने को व्यवस्थित-प्रबन्धित किए बिना आदमी दूसरों को व्यवस्थित-प्रबन्धित करने में सफल नहीं हो सकता, चाहे वे दूसरे लोग घर के सदस्य हों या दफ़्तर अथवा कारोबार के। इस प्रकार आत्म-विकास ही घर-दफ़्तर दोनों की उन्नति का मूल है। इस लिहाज़ से देखें, तो प्रबन्‍धन का ताल्लुक़ कम्पनी-जगत के लोगों से ही नहीं, मनुष्य मात्र से है। वह इंसान को बेहतर इंसान बनाने की कला है, क्योंकि बेहतर इंसार ही बेहतर कर्मचारी, अधिकारी, प्रबन्धक या करोबारी हो सकता है।</p>
<p>‘आदर्श प्रबन्धन के सूक्त’ में संकलित आलेखों को पाँच खंडों में विभाजित किया गया है—व्यक्तित्व-विकास, कैरियर निर्माण, औद्योगिक सम्बन्ध, समय-प्रबन्धन और कौशल-विकास। इस पुस्तक से आप अपनी व्यक्तिगत  क्षमताओं की लगातार जाँच-परख और आशावाद की उपयोगिता को समझ सकते हैं। साथ ही ख़ुश रहने, अपनी भीतरी शक्तियों के विकास, अपनी सामर्थ्य के भरसक उपयोग और सटीक लक्ष्य-निर्धारण की व्यावसायिक उपादेयता का आकलन कर सकते हैं। इसके अलावा संघर्षों की महत्ता, पेशा बदलने से सफलता, सलाहकार व कार्यपालक के आपसी रिश्तों, और साख आदि विषयों पर भी इसमें प्रकाश डाला गया है।</p>
<p>प्रबन्धन और आत्मविकास के क्षेत्र में वर्षों से अध्ययन व लेखनरत लेखक की एक महत्वपूर्ण पुस्तक।

ISBN: 9788183611398

Pages: 19

Avg Reading Time: 1 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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