Aapsi Madad - Paper Back
Publisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Management0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
पशु-जगत में हमने देखा है कि अधिकांश प्रजातियाँ सामाजिक जीवन जीती हैं तथा साहचर्य उनके लिए संघर्ष का सर्वोत्तम हथियार है तथा यह संघर्ष डारविन के भावानुरूप केवल अस्तित्व-रक्षा के लिए नहीं, बल्कि प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों के विरुद्ध होता है। इस प्रकार उन्हें जो पारस्परिक सुरक्षा उपलब्ध होती है, उससे उनकी दीर्घायु तथा संचित अनुभव की सम्भावना तो बढ़ती ही है, उनका उच्चतर बौद्धिक विकास भी होता है तथा प्रजाति का और अधिक विस्तार भी होता है। इसके विपरीत अलग-थलग रहनेवाली प्रजातियों का क्षय अवश्यम्भावी होता है। जहाँ तक मनुष्य का सवाल है, पाषाण-युग से ही हम देखते हैं कि मनुष्य कुनबों और कबीलों में रहता है; कुल-गोत्रों और जनजातियों में देखा जा सकता है कि किस प्रकार उनमें सामाजिक संस्थानों की एक व्यापक शृंखला पहले से ही विकसित है; और हमने देखा कि प्रारम्भिक जनजातीय रीति-रिवाजों तथा व्यवहार ने मनुष्य को उन संस्थानों का आधार दिया जिन्होंने प्रगति की प्रमुख अवस्थिति का निर्माण किया। विश्वविख्यात लेखक प्रिंस पीटर एलेक्सेयेविच क्रोपोत्किन की इस अत्यन्त चर्चित कृति में यह दर्शाया गया है कि आपसी सहयोग की प्रवृत्ति जो मनुष्य को सुदीर्घ विकास-क्रम के दौरान उत्तराधिकार स्वरूप प्राप्त हुई, उसका हमारे आधुनिक व्यक्तिवादी समाज में भी अत्यन्त महत्त्व है। विश्व की महानतम कृतियों में शुमार यह कृति हमेशा ही समाजवैज्ञानिकों और विचारकों की दिलचस्पी का विषय रही है। आज भी इस पुस्तक की लोकप्रियता उतनी ही है जितनी लगभग एक सदी पहले थी, जब यह पहली बार पाठकों के सामने आई थी।
ISBN: 9788126717873
Pages: 196
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Saphal Prabandhan Ke Gur
- Author Name:
Suresh Kant
- Book Type:

-
Description:
प्रबन्धन आत्म-विकास की एक सतत प्रक्रिया है। अपने को व्यवस्थित-प्रबन्धित किए बिना आदमी दूसरों को व्यवस्थित-प्रबन्धित करने में सफल नहीं हो सकता, चाहे वे दूसरे लोग घर के सदस्य हों या दफ़्तर अथवा कारोबार के। इस प्रकार आत्म-विकास ही घर-दफ़्तर, दोनों की उन्नति का मूल है। इस लिहाज़ से देखें, तो प्रबन्धन का ताल्लुक़ कम्पनी-जगत के लोगों से ही नहीं, मनुष्य मात्र से है। वह इनसान को बेहतर बनाने की कला है, क्योंकि बेहतर इनसान ही बेहतर कर्मचारी, अधिकारी, प्रबन्धक या कारोबारी हो सकता है।
‘सफल प्रबन्धन के गुर’ में कार्य-स्वीकृति यानी ‘वर्क कल्चर’, ‘बिक्री, विपणन और नेगोशिएशन’ तथा ‘नेतृत्व-कौशल’ शीर्षक उपखंडों में ईमानदारी, दफ़्तरी राजनीति, सहकर्मियों के पारस्परिक सम्बन्धों, व्यक्तिगत कार्यकुशलता, कार्य के प्रति प्रतिबद्धता, ग्राहक से सम्बन्ध, मार्केटिंग और व्यावसायिक साख आदि बिन्दुओं पर विचार करते हुए नेतृत्व-कौशल के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला गया है।
आत्मविकास और प्रबन्धन की एक व्यावहारिक निर्देशिका।
Yes Mr. Finance Minister
- Author Name:
Prakash Biyani
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Unchi Udan
- Author Name:
Kusum Lunia
- Book Type:

-
Description:
डॉ. कुसुम लुनिया का नाटक ‘ऊँची उड़ान’ कितना मार्मिक है, इसका अनुमान आप इसी तथ्य से लगा सकते हैं कि इसकी भूमिका लिखने के लिए जब मैंने इसे पढ़ा तो तीन-चार बार मेरी आँखों में आँसू छलक आए। कन्या भ्रूण-हत्या जैसे शुष्क और समाज-सुधार सम्बन्धी विषय पर कोई नाटक हो और उसे भी देखना नहीं, पढ़ना हो तो वह अपने आप में चुनौती भरा काम है लेकिन इस नाटक के कथानक, पात्रों, कथनोपकथनों और जिज्ञासा ने मुझे इस क़दर बाँधे रखा, जैसे किसी महान साहित्यकार की रचना बाँधे रखती है।
मैं सोचता रहा कि यदि ‘ऊँची उड़ान’ का कोई श्रेष्ठ मंचन कर सके तो इस नाटक को देश में लाखों दर्शक मिल सकते हैं। यह अकेला नाटक लोगों को भ्रूण-हत्या से विरत करने में वह भूमिका अदा कर सकता है जो साधु-संतों और समाज-सुधारकों के सैकड़ों-सैकड़ों उपदेश नहीं कर सकते। वास्तव में कुसुम जी ने समाज-सुधारकों के हाथों में एक ब्रह्मास्त्र थमा दिया है।
यह नाटक यों तो भ्रूण-हत्या पर केन्द्रित है लेकिन इसमें स्त्री-शक्ति का चमत्कारी रूप प्रकट हुआ है। संकल्प, संस्कार और चरित्र-बल के आधार पर कोई स्त्री कहाँ से कहाँ पहुँच सकती है, यह इस नाटक से पता चलता है। जिस भ्रूण की हत्या का आयोजन किया जा रहा था, उसकी रक्षा के बाद वही भ्रूण कैसा दिव्य, कैसा भव्य और कैसा काम्य स्वरूप धारण करता है, इसका जीवन्त और प्रेरक चित्रण कुसुम जी ने अपनी कृति में किया है। भ्रूण-हत्या जैसे दुखद प्रसंग को प्रतिभाशाली लेखिका ने सुखान्त नाटक का रूप देने में जो सफलता अर्जित की है, वह दुर्लभ है।
—वेद प्रताप वैदिक
PK Ka Funda English
- Author Name:
Sumit Awasthi +1
- Book Type:

- Description: Carrying a Soul into a New Language To be present during the creation of a book is a rare privilege. To witness a lifetime of experience, wisdom, and conviction being poured onto its pages is a transformative one. During the months Shri Praveen Kakkar was writing PK Ka Funda, I had the profound honor of being that witness. Day after day, I saw that this was not merely a collection of articles being compiled. It was a dialogue—a living, breathing conversation between a seasoned police officer, a dedicated public servant, and the soul of modern India. It was the distillation of a life spent navigating the complex corridors of power while remaining deeply connected to the simple, timeless values of our shared humanity. I didn't just read the words; I felt the spirit behind them as they came into being. When PK Ka Funda was released in Hindi, its impact was immediate and immense. Readers from all walks of life—students, professionals, parents, and leaders—found in its pages not just advice, but a reflection of their own questions and a compass for their own lives. The book became a phenomenon, celebrated for its clarity, practicality, and profound wisdom.
Krishna : The Ultimate Idol
- Author Name:
Girish P. Jakhotiya
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Change Management Aspects
- Author Name:
Dr.Sanjay Rout
- Book Type:

- Description: Change management is an essential aspect of any business or organization. It involves the process of understanding, planning, and implementing changes in order to improve the overall performance and effectiveness of a company. Change management can be used to address various issues including organizational structure, processes, culture, technology implementation and customer service. The book “Change Management Aspects” by Dr. Sanjay Rout provides readers with a comprehensive look at how change should be managed within an organization in order to ensure success and growth over time. The book covers topics such as establishing goals for change initiatives; developing strategies for managing resistance; creating effective communication plans; assessing risks associated with changes; monitoring progress during implementation stages; evaluating outcomes after completion of projects etc., which provide readers with valuable insights on how they can successfully implement change within their own organizations or businesses.. Overall this book is highly recommended for anyone who wants to understand more about successful change management techniques that will help them achieve better results from their efforts while reducing risks associated with making major modifications within their organizations or businesses . This detailed guide also includes case studies from real-world scenarios so readers have a better understanding on what works best when it comes to introducing new ideas into existing structures without causing too much disruption along the way
Nano Car Ki Khani
- Author Name:
Phillip Chacko +2
- Book Type:

- Description: टाटा मोटर्स के चेयरमैन रतन टाटा ने एक सपना देखा था। लाखों भारतीयों के व्यक्तिगत इस्तेमाल और अपना जीवन स्तर सुधारने के लिए एक सुरक्षित और सस्ती कार मुहैया कराना। इसी सपने से नैनो का जन्म हुआ है। इस सपने के साकार होने से ही नैनो इतनी चर्चित और प्रशंसित कार बन गई है। इस पुस्तक में उस स्वप्न को साकार करने की प्रेरणाप्रद कहानी है। यह कहानी है एक लाख रुपए की ‘वंडर कार’ नैनो की, उसके बनने की। नैनो के निर्माण की एक लंबी, संघर्षपूर्ण, कष्टप्रद एवं अत्यंत महँगी परियोजना थी, जिसमें एक-से-एक बड़ी दिक्कतें आईं। यह पुस्तक उस अनूठे और चमत्कारी प्रकल्प के पीछे की शक्ति टाटा मोटर्स की भी कहानी है, जिसने पुरातन तकनीक और पारंपरिक तरीकों में सुधार कर एक ऐसी कार बनाई, जिसने विश्व की तकनीकी रूप से समृद्ध ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को आश्चर्यचकित कर दिया। टाटा मोटर्स के चेयरमैन रतन टाटा ने एक सपना देखा था—लाखों भारतीयों को व्यक्तिगत इस्तेमाल और अपना जीवन स्तर सुधारने के लिए एक सुरक्षित और सस्ती कार मुहैया कराने का। इसी सपने से नैनो की शुरुआत होती है। इस सपने के साकार होने से ही नैनो इतनी चर्चित और बड़ी प्रशंसित कार बन गई है। यह ऐसी कार है जिसमें न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर में ऑटोमेटिव उद्योग के मौजूदा प्रतिमान को बदलने की क्षमता है। सफलता की नींव के निर्माण के लिए अनुसंधान आवश्यक है। भारत में लाखों परिवारों का असुरक्षित दोपहिया वाहनों पर सफर करना आम बात है। लेकिन एक दूरदर्शी व्यक्ति ने उनके लिए एक सुरक्षित और आरामदायक विकल्प की कल्पना की। यह अभिनव सोच थी। इस सोच के अनुरूप आकर्षक डिजाइनवाली एक कार बनाई जाने लगी, जिसमें चार व्यक्तियों का परिवार आरामदायक और सुरक्षित यात्रा कर सकता था। इस कार की घोषित कीमत महज 1 लाख रुपए थी। विकासशील दुनिया के लाखों लोगों के लिए टाटा मोटर्स की नई 2,500 डॉलर वाली चार दरवाजों की कार हेनरी फोर्ड के मॉडल टी जितनी बड़ी परिवहन क्रांति ला सकती है। यह दुनिया की सबसे सस्ती कार है। —गोविन राबिनोविल, एसोसिएटेड प्रेस नैनो भारतीय स्टाइल के समाजवाद का महान् प्रतीक है।—रेडिफ.कॉम बिक्री शुरू होने से पहले ही यह विकासशील दुनिया में एक महत्त्वपूर्ण प्रतीक के रूप में उभर चुकी है। यह नवीनता का एक नया ब्रांड है, जो सस्ता लेकिन बहुत उपयोगी है।—टाइम पत्रिका नैनो सस्ते निजी वाहन के युग का पूर्वाभास देती है।—न्यूजवीक यदि आधुनिक राष्ट्र बनने की भारत की महत्त्वाकांक्षा का कोई प्रतीक हो सकता है तो वह निश्चित रूप से कम कीमत वाली छोटी कार नैनो है। नैनो उन लाखों भारतीयों का सपना पूरा करेगी, जो शहरी समृद्धि का हिस्सा बनना चाहते हैं।—द फाइनेंशियल टाइम्स नैनो ने भारत को दुनिया के नक्शे पर पहुँचा दिया है। जिस काम को करने में जापानियों ने 30 वर्ष लगाए, टाटा मोटर्स ने उसे 4 वर्षों में कर दिखाया।—फिओन्ना प्रिम्स सेगमेंट वाइ के बिजनेस डेवलपमेंट प्रमुख यह बदलाव का वाहन है। यह भारत में समाज का चेहरा बदल देगी।—श्रवण गर्ग, भास्कर प्रकाशन समूह
Aadarsh Prabandhan Ke Sookta
- Author Name:
Suresh Kant
- Book Type:

-
Description:
प्रबन्धन आत्म-विकास की एक सतत् प्रक्रिया है। अपने को व्यवस्थित-प्रबन्धित किए बिना आदमी दूसरों को व्यवस्थित-प्रबन्धित करने में सफल नहीं हो सकता, चाहे वे दूसरे लोग घर के सदस्य हों या दफ़्तर अथवा कारोबार के। इस प्रकार आत्म-विकास ही घर-दफ़्तर दोनों की उन्नति का मूल है। इस लिहाज़ से देखें, तो प्रबन्धन का ताल्लुक़ कम्पनी-जगत के लोगों से ही नहीं, मनुष्य मात्र से है। वह इंसान को बेहतर इंसान बनाने की कला है, क्योंकि बेहतर इंसार ही बेहतर कर्मचारी, अधिकारी, प्रबन्धक या करोबारी हो सकता है।
‘आदर्श प्रबन्धन के सूक्त’ में संकलित आलेखों को पाँच खंडों में विभाजित किया गया है—व्यक्तित्व-विकास, कैरियर निर्माण, औद्योगिक सम्बन्ध, समय-प्रबन्धन और कौशल-विकास। इस पुस्तक से आप अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं की लगातार जाँच-परख और आशावाद की उपयोगिता को समझ सकते हैं। साथ ही ख़ुश रहने, अपनी भीतरी शक्तियों के विकास, अपनी सामर्थ्य के भरसक उपयोग और सटीक लक्ष्य-निर्धारण की व्यावसायिक उपादेयता का आकलन कर सकते हैं। इसके अलावा संघर्षों की महत्ता, पेशा बदलने से सफलता, सलाहकार व कार्यपालक के आपसी रिश्तों, और साख आदि विषयों पर भी इसमें प्रकाश डाला गया है।
प्रबन्धन और आत्मविकास के क्षेत्र में वर्षों से अध्ययन व लेखनरत लेखक की एक महत्वपूर्ण पुस्तक।
Kuda Dhan
- Author Name:
Deepak Chaurasia
- Book Type:

- Description: कूड़ा-कबाड़ जैसी कोई चीज इस दुनिया में है ही नहीं। अगर कुछ कूड़ा-कबाड़ है तो हमारी सोच के चलते। या है कि हम जिन चीजों के इस्तेमाल के बारे में सोच नहीं पाते, उसे बेकार समझ लेते हैं, कूड़ा समझ लेते हैं। हमें उनका इस्तेमाल करना नहीं पता, इसलिए उन चीजों को फेंकना शुरू कर देते हैं। आज बहुत कम लोग हैं, जो दवा-दारू की खाली शीशियाँ और बोतलें फेंकते हैं। लोहे और धातुओं से बने सामान अगर खराब भी हो जाएँ तो ज्यादातर लोग उसे कूड़ेदान में नहीं फेंकते। नालों में नहीं फेंकते। यों? योंकि सबको शीशे और धातुओं की कीमत का अंदाजा है। जिन्हें ज्यादा नहीं पता, वे भी जानते हैं कि कबाड़ी वाला शीशी-बोतल और लोहा-लकड़ अच्छे दाम पर खरीद लेता है। लेकिन ऐसा हम पॉलीथिन, प्लास्टिक की बोतलों, बाल या घरेलू कचरे के बारे में नहीं सोचते, योंकि हमें पता ही नहीं कि इनका भी बहुत कुछ इस्तेमाल हो सकता है। यह इनसानी फितरत का मामला है। हर कोई आसान काम करना चाहता है, जिसमें जोखिम न हो, जबकि हर कोई यह ज्ञान भी बाँटता रहता है कि ‘नो रिस्क, नो गेन’। प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल-डीजल बनाने में भी यही मानसिकता आड़े आ रही है। तकनीक मौजूद है, लेकिन उस तकनीक का इस्तेमाल करने का इरादा नदारद है। यह पुस्तक ‘वेस्ट टु वैल्थ’ यानी कूड़े से धन अर्जित करने के व्यावहारिक तरीके बताती है।
Bharat Ki Shatabdi
- Author Name:
Kamalnath
- Book Type:

-
Description:
विगत कुछ वर्षों में भारत एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है और आज वह अपने नागरिकों और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अरबों की सम्पत्ति का सृजन कर रहा है। प्रश्न है कि भारत ने ग्लोबल मार्केट में यह निर्णायक स्थिति कैसे हासिल की? इतना ही अहम सवाल यह भी है कि भारत की व्यावसायिक सम्भावनाओं और विभिन्न उद्योगों में उल्लेखनीय वृद्धि क्षमता का उपयोग पश्चिमी विश्व कैसे कर सकता है और कैसे वह दुनिया के इस विशालतम लोकतंत्र के साथ एक लाभदायक रिश्ता क़ायम कर सकता है? इन सवालों के जवाब भला श्री कमलनाथ से बेहतर कौन दे सकता है। देश के भीतर और बाहर विश्व में इक्कीसवीं सदी के भारत का चेहरा कहे जानेवाले और भारत के आर्थिक सुधारों के प्रमुख शिल्पकार कमलनाथ का पूरा जीवन सत्ता के गलियारों में बीता है और जिन नीतियों ने भारत को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, उनके निर्माण में भी उनकी अहम भूमिका रही है।
‘भारत की शताब्दी’ पुस्तक में श्री कमलनाथ भारतीय आर्थिक चमत्कार की जड़ों तक पहुँचने के लिए ‘फ़्लैट वर्ल्ड’ की अवधारणा से आगे जाते हैं और गहन आर्थिक विश्लेषण, राजनीतिक अन्तर्दृष्टि तथा सांस्कृतिक समझ के द्वारा 1947 में औपनिवेशिक शासन के ख़ात्मे से लेकर नियोजित अर्थव्यवस्था के चार दशकों और 1990 के दशक में क्रमबद्ध उदारीकरण से होते हुए एक विश्व-शक्ति के रूप में भारत के उभरने तक की यात्रा का अन्वेषण करते हैं।
इस पुस्तक में श्री कमलनाथ भारतीय जन-गण की ‘जुगाड़’ की क्षमता को रेखांकित करते हुए उसकी सदियों पुरानी उद्यमशीलता की तरफ़ भी संकेत करते हैं जो आज फिर समाज के हर स्तर पर अपने आपको स्वतंत्रतापूर्वक अभिव्यक्त कर रही है। इसी के साथ एक राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में वे व्यवसायियों और विश्व के नीति-निर्माताओं के लिए वह आधारभूत समझ भी उपलब्ध कराते हैं जिसका उपयोग 21वीं सदी में भारत के साथ लाभदायक द्विपक्षीय सम्बन्धों और नीतियों की रचना में किया जा सकता है।
यह पुस्तक व्यावसायिक रणनीतिकारों और सार्वजनिक नीति-निर्माताओं के साथ-साथ हर उस विचार-सम्पन्न पाठक के लिए अनिवार्य है जो विश्व के सबसे विशाल और सबसे गतिशील लोकतंत्र यानी भारत के बारे में जानना चाहता है और उस भूमिका को समझना चाहता है जिसे आनेवाले वर्षों में यह देश विश्व मंच पर निभाने जा रहा है।
Aap Hi Baniye Krishna
- Author Name:
Girish P. Jakhotiya
- Book Type:

- Description: महाभारत के चरित्रों में अकेले कृष्ण हैं, जिनका किसी न किसी रूप में प्रायः सभी चरित्रों से जुडाव रहा। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे सिंहासन पर विराजमान सम्राट से लेकर गली-कूचों में घूमनेवाली ग्वालिनों तक सबसे उनके स्तर पर जाकर संवाद ही नहीं कर लेते थे, उन्हें अपनी नीति और राजनीति का पोषक भी बना लेते थे। बचपन से लेकर प्रौढ़ावस्था तक देश-भर में उन्होंने जो किया और जैसे किया, उनके सिवा और कौन कर सका? अपने हर काम से वे विपक्षी को पस्त-परास्त और निरस्त्र ही नहीं कर देते थे, उसे अपना अनुरक्त भी बना लिया करते थे। अपने कारनामों के औचित्य के अदभुत-अपूर्व तर्क भी वे जुटा लिया करते थे। धरती के भविष्य को सँवारने और पर्यावरण को बचाने के साथ-साथ सबको प्यार देने और सबका प्यार पाने में कृष्ण पूर्णतः सफल सिद्ध हुए। योगेश्वर कृष्ण की क्रन्तिकारी नीतियों, सफल रणनीतियों, दार्शनिक विचारों और नेतृत्व की अदभुत शैलियों को प्रबन्धन की दृष्टि से विवेचित-विश्लेषित करनेवाली हिन्दी की एक ऐसी पुस्तक, जिसे पढ़कर आप भी अपने जीवन को कृष्ण की तरह एक विजेता के रूप में ढाल सकते हैं।
Upbhokta Vastuon Ka Vigyan
- Author Name:
Ramchandra Mishra
- Book Type:

-
Description:
प्रत्येक व्यक्ति जन्म से लेकर मृत्यु तक अपने दैनिक जीवन में वस्तुतः उपभोक्ता होता है। उपभोक्ता वस्तुओं का प्रयोग सर्वव्यापक और नित्य क्रिया है। खाने-पीने की वस्तुओं और पहनने-ओढ़ने की चीज़ों से लेकर आवास, साफ़-सफ़ाई, सुरक्षा-बचाव, साज-सँवार तथा भोग-विलास से सम्बन्धित अनेकानेक वस्तुओं का दिन-रात निरन्तर प्रयोग किया जाता है।
दैनिक उपयोग की वस्तुओं की गुणवत्ता, संघटन, विश्वसनीयता, उपयोग के लाभालाभ, सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रभाव आदि आवश्यक तथ्यों यानी उपभोक्ता वस्तुओं के विज्ञान से उपभोक्ता प्रायः कम ही अवगत होते हैं। दूसरी तरफ़ बाज़ार की नई प्रवृत्ति ने उपभोक्ता वस्तुओं को नया रूप दिया है। अब उपभोक्ता विज्ञापन की चकाचौंध में घटिया वस्तुओं को भी वरण कर लेता है। इसकी वजह है उपभोक्ता जानकारी और मार्गदर्शन का अभाव।
यह पुस्तक उपभोक्ता वस्तुओं के बारे में कही-सुनी बातों के बजाय हमें ठोस वैज्ञानिक जानकारी देती है जिसके आधार पर हम अपने उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं।
Aapsi Madad - Hard Back
- Author Name:
Prince Peter Alexeyevich Kropotkin
- Book Type:

- Description: पशु-जगत में हमने देखा है कि अधिकांश प्रजातियाँ सामाजिक जीवन जीती हैं तथा साहचर्य उनके लिए संघर्ष का सर्वोत्तम हथियार है तथा यह संघर्ष डारविन के भावानुरूप केवल अस्तित्व-रक्षा के लिए नहीं, बल्कि प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों के विरुद्ध होता है। इस प्रकार उन्हें जो पारस्परिक सुरक्षा उपलब्ध होती है, उससे उनकी दीर्घायु तथा संचित अनुभव की सम्भावना तो बढ़ती ही है, उनका उच्चतर बौद्धिक विकास भी होता है तथा प्रजाति का और अधिक विस्तार भी होता है। इसके विपरीत अलग-थलग रहनेवाली प्रजातियों का क्षय अवश्यम्भावी होता है। जहाँ तक मनुष्य का सवाल है, पाषाण-युग से ही हम देखते हैं कि मनुष्य कुनबों और कबीलों में रहता है; कुल-गोत्रों और जनजातियों में देखा जा सकता है कि किस प्रकार उनमें सामाजिक संस्थानों की एक व्यापक शृंखला पहले से ही विकसित है; और हमने देखा कि प्रारम्भिक जनजातीय रीति-रिवाजों तथा व्यवहार ने मनुष्य को उन संस्थानों का आधार दिया जिन्होंने प्रगति की प्रमुख अवस्थिति का निर्माण किया। विश्वविख्यात लेखक प्रिंस पीटर एलेक्सेयेविच क्रोपोत्किन की इस अत्यन्त चर्चित कृति में यह दर्शाया गया है कि आपसी सहयोग की प्रवृत्ति जो मनुष्य को सुदीर्घ विकास-क्रम के दौरान उत्तराधिकार स्वरूप प्राप्त हुई, उसका हमारे आधुनिक व्यक्तिवादी समाज में भी अत्यन्त महत्त्व है। विश्व की महानतम कृतियों में शुमार यह कृति हमेशा ही समाजवैज्ञानिकों और विचारकों की दिलचस्पी का विषय रही है। आज भी इस पुस्तक की लोकप्रियता उतनी ही है जितनी लगभग एक सदी पहले थी, जब यह पहली बार पाठकों के सामने आई थी।
Udyog Mein Safalta Ke 36 Mantra
- Author Name:
Girish P. Jakhotiya
- Book Type:

- Description: उद्यमकला की नींव मज़बूत हो तभी इमारत मज़बूत होगी। उद्योग और उद्यमकला के लक्ष्य का निर्धारण कैसे किया जाता है यह हम 'प्रैक्टिकली' देखेंगे। मूलतः ‘उद्यमी’ ही होना और सम्पत्ति अर्जित करना है, इस बात का संकल्प करना उद्यमी के लिए जरूरी है। रिलायन्स के कर्ताधर्ता स्वर्गीय धीरूभाई अंबानी का, ‘बड़ा बनने का नशा है।' यह प्रिय घोष वाक्य था। अर्थात् सम्पत्ति कमाने की भी लत लगनी चाहिए। मूलतः उद्यमी होने के लिए पाँच कसौटियाँ हैं। उद्यमी बनने का निर्णय करने पर इन कसौटियों को पार करने के लिए उचित 'अभ्यास' करना आवश्यक है। कौन-सी हैं ये कसौटियाँ? ये कसौटियाँ हैं—सम्पत्ति अर्जित करने के लिए लगन, स्वभाव और आचार में लचीलापन, व्यवसाय प्रक्रिया के रहस्य की जानकारी, उद्योग की शृंखला, परस्पर सम्बन्ध निर्माण करने की तैयारी तथा बिना थके, बिना घबराए, बिना निराश हुए कोशिश करते रहने की मानसिक-शारीरिक-सांस्कृतिक तैयारी।
Prabandhan Mein 5 Ka Mantra
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

-
Description:
पाँच इन्द्रियाँ हैं जो हमारी देह के जटिलतम तंत्र का संचालन करती हैं, हमारे हाथों में पाँच-पाँच उँगलियाँ हैं जो स्पर्श से लेकर हमारे आसपास की वस्तुओं के परिचालन में हमारी सहायता करती हैं, पांडव पाँच थे जो कुरुक्षेत्र में सौ कौरवों और उनकी सेना को पराजित कर विजय के प्रतीक बने। कहने का तात्पर्य यह कि पाँच अंक का भारतीय दर्शन में भी बहुत महत्त्व माना गया है, और प्रकृति में भी।
यह पुस्तक प्रबन्धन के विस्तृत विषय को पाँच के अंक के साथ जोड़कर इच्छुक पाठकों के लिए एक सरल सूत्रावली प्रस्तुत करती है, ताकि वह अध्यात्म की मूल प्रेरणा को इस भौतिक जगत् में सम्यक् रूप में प्रयोग कर सके। शरीर के संवेदी तंत्र के माध्यम से पाँच इन्द्रियों को यहाँ प्रबन्धन के उपकरणों की तरह देखा गया है, और पाँचों पांडवों की पाँच तरह की प्रकृतियों को किसी भी कॉरपोरेट तंत्र के पाँच स्तम्भों की तरह देखना-सिखाया गया है।
इसी तरह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और परमात्मा के पाँच को हम अपने आज के आर्थिक जीवन में कैसे बरतें, इसके बहाने भारतीय दर्शन में निहित प्रबन्धन सूत्रों को भी यह पुस्तक स्पष्ट करती है।
लम्बे प्रबन्धकीय जीवनानुभव से प्राप्त ज्ञान को लेखक ने यहाँ संक्षेप में, लेकिन स्पष्टता के साथ इस तरह सँजोया है कि कोई भी पाठक इससे लाभान्वित हो सकता है।
Saphal Prabandhan Gandhi Darshan
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

-
Description:
कुशल तथा सफल प्रबन्धक उसे कहा जाता है जो अपने साथ काम करनेवाले लोगों के सामने स्वयं एक नैतिक उदाहरण के रूप में खड़ा हो सके। प्रबन्धन लोगों से काम निकालने की ट्रिक नहीं, उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ देने की प्रेरणा है। यह पुस्तक बताती है कि इस लिहाज़ से गांधी जी से बड़ा कोई प्रबन्धन हमारे पास नहीं है।
गांधी ने केवल अपने जीवन-व्यवहार तथा कठोर सिद्धान्त-पालन से लाखों लोगों को प्रभावित किया। न सिर्फ़ प्रभावित बल्कि एक कठिन कार्य में उन्हें स्वयं आगे आकर हिस्सेदार बनने की प्रेरणा भी दी।
इस पुस्तक में हमें गांधी-जीवन तथा दर्शन के ऐसे ही बिन्दुओं से परिचित कराया गया है, जो हमेशा एक सक्षम नेतृत्व के लिए आधार-स्तम्भ का काम करते रहेंगे। लेखक का विश्वास है कि उन सूत्रों को अपनाकर हम आज भी अपने व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक जीवन को सन्तुलन तथा सार्थकता दे सकते हैं।
बापू के जीवन के कुछ दिलचस्प और प्रेरक प्रसंगों के हवाले से यह पुस्तक हमें उन जीवन-मूल्यों का बोध कराती है जिन्हें उन्होंने पुस्तकों से निकालकर सशक्त सामाजिक हथियारों के रूप में बदला।
विजय जोशी की यह पुस्तक भी उनके अपने प्रबन्धकीय अनुभवों पर आधारित है। वे मानते हैं कि गांधी इस सदी के सबसे बड़े मैनेजमेंट गुरु थे। साध्य के बजाय साधन की शुचिता पर ज़ोर देकर उन्होंने प्रबन्धन तथा नेतृत्व की परिपाटी को एक नितान्त भारतीय रूप दे दिया था।
Local se Global
- Author Name:
Prakash Biyani
- Book Type:

-
Description:
हाँ, हम तैयार हैं...
—देश की अर्थव्यवस्था को लाइसेंसी राज की बेड़ियों से मुक्त कराकर आर्थिक स्वतंत्रता के वैश्विक रास्ते पर ले जानेवाले अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं—‘दुनिया में लोग चीन की तरक़्क़ी से आशंकित होते हैं, लेकिन इसके विपरीत भारत की आर्थिक तरक़्क़ी को सकारात्मक नज़रिये से देखते हैं...’
—व्हार्टन स्कूल ऑफ़ द यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया के चार प्रोफ़ेसरों के अध्ययन का निष्कर्ष है—‘वैश्विक आर्थिक मन्दी के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने बेहतर प्रदर्शन किया क्योंकि वहाँ के उद्योगपतियों के कामकाज का अपना तौर-तरीक़ा है...’
—भारतीय अर्थव्यवस्था सन् 2020 में तीन ट्रिलियन डॉलर होगी...
—कभी विदेशी उद्योगपति हमारी कम्पनियाँ ख़रीदते थे, आज भारतीय ‘कॉरपोरेट-हाट’ के बड़े सौदागर हैं। यहाँ तक कि कभी भारत पर राज करनेवाली ईस्ट इंडिया कम्पनी के नए मालिक हैं—मम्बई में जन्मे उद्योगपति संजीव मेहता...
ऐसी सकारात्मक सच्चाइयों से प्रेरित इस पुस्तक ‘लोकल से ग्लोबल : इंडियन कॉरपोरेट्स’ में उदारीकरण के दूसरे दशक (2001-2010) में भारतीय उद्योग जगत की ֹ‘लोकल से ग्लोबल’ बनने की सफल कोशिश दोहराई गई है। यह पुस्तक उन पचास भारतीयों की यशोगाथा है, जिन्होंने साबित किया है कि भारतीय ठान लें तो कुछ भी कर सकते हैं, वह भी दूसरों से बेहतर।
An Endless Travel
- Author Name:
Dewakar Goel
- Book Type:

- Description: It is quite fascinating to conceive an idea "one can always remain young", it is our emotional and psychological state of mind which makes us old. In fact, it is the planning for the life cycles in advance which makes the miraculous difference. In European and many other Asian countries, it is adopted as a natural business. It is essential to realize and recognize the need for emotional and psychological stability. Since our expectations, sensibilities, personalities, sensitivity level, concept of empathy all undergo a sea change, therefore, we need to have proper planning as a matter of mental preparedness for physical, emotional and psychological changes in our thinking process. This wonderful book 'An Endless Travel' by Dewakar Goel is an easy and friendly roadmap towards the long journey on an endless road, which is going to be a landmark because of its unique features of relating each concept with the real life situation where a reader may be able to identify himself.
Bolna To Hai
- Author Name:
Sheetla Mishra
- Book Type:

-
Description:
यदि हमसे कहा जाए कि बोलिए मत, चुप रहिए तो हम कितनी देर तक चुप रह सकते हैं? और चुप होते ही हम पाएँगे कि हमारे अधिकांश काम भी ठप हो गए हैं। यानी, बोलना तो है ही। बोले बिना किसी का काम चलता नहीं। नींद के बाद बचे समय पर ज़रा ग़ौर कीजिए, पाएँगे कि ज़्यादातर वक़्त (75 प्रतिशत से भी ज़्यादा) हम, या तो, बोल रहे हैं या सुन रहे हैं। ज़रा सोचिए, कि जिस काम पर सबसे ज़्यादा समय ख़र्च कर रहे हों, यदि उसे बेहतर कर लें तो हमारे जीवन का अधिकांश भी बेहतर हो जाएगा। यानी, अपने बोलने और सुनने को बेहतर बनाना, जीवन को ठीक करने जैसा काम होगा, क्या नहीं?
दरअसल, चार मौलिक विधाएँ हैं—बोलना, सुनना, लिखना, पढ़ना। इनमें से लिखने-पढ़ने की तो हम औपचारिक शिक्षा पाते हैं, लेकिन बोलना-सुनना, आश्चर्यजनक रूप से, सिर्फ़ नक़ल और अनुकरण के हवाले हैं। बोलना-सुनना औपचारिक तरीक़े से सीखा और सुधारा जा सकता है, और इसी की पहली सीढ़ी है यह पुस्तक।
Beema Prabandhan Evam Prashashan
- Author Name:
M. N. Mishra
- Book Type:

-
Description:
‘बीमा प्रबन्ध एवं प्रशासन’ बीमा व्यवसाय के सफल संचालन की एकमात्र पुस्तक है। इसे गहन शोध और विस्तृत अध्ययन के बाद लिखा गया है। बीमा व्यवसाय का प्रबन्धन एवं निर्देशन कैसे किया जाए, इस पुस्तक के अध्ययन से पता लग सकता है।
इस पुस्तक में सात खंड हैं जो विभिन्न कार्यक्षेत्रों के संचालन में सहायक हैं। बीमा परिचय, प्रबन्ध एवं प्रशासन को प्रथम खंड में दिया गया है, जिसमें बीमा की परिभाषा एवं स्वभाव, बीमा का विकास एवं संगठन, बीमा प्रसंविदा, प्रबन्ध, प्रशासन एवं संगठन, जीवन बीमा निगम संगठन का रूप, सामान्य बीमा निगम, जीवन बीमा प्रसंविदा, सामुद्रिक बीमा प्रसंविदा और अग्नि बीमा परिचय एवं प्रसंविदा का वर्णन है। द्वितीय खंड में कार्यालय संगठन और प्रबन्ध की विवेचना है, जिसमें कार्यालय अभिन्यास एवं कार्य-दशाएँ, कार्यालय फर्नीचर, उपकरण एवं मशीनें, कार्यालय पद्धति, कार्यालय संगठन और कार्यालय प्रबन्ध का वर्णन है। कायिक प्रबन्ध का विश्लेषण तृतीय खंड में है जिसमें कार्यालय कार्यकर्त्ता प्रबन्धन, विक्रय संगठन एवं प्रबन्ध, अभिकर्त्ता की नियुक्ति, अभिकर्त्ता का प्रशिक्षण, पर्यवेक्षण एवं प्रेरणा और अभिकर्त्ता का नियंत्रण बताया गया है। चतुर्थ खंड विपणन का है जिसमें विक्रय-कार्यकर्त्ताओं का संगठन, कार्यक्षेत्रीय कार्यकर्त्ताओं के गुण, बीमा विक्रय विधि, प्रचार एवं तर्क, आक्षेपों का उत्तर, बीमा जब्ती नए व्यापार का अभिगोपन, बीमा कराने की विधि एवं चुनाव, बीमापत्र की शर्तें, नवकरण विधियों के प्रबन्ध का वर्णन है। पंचम खंड बीमापत्रधारियों की सेवा का है जिसमें बीमापत्रधारियों की सेवा, अध्यर्थन का भुगतान का वर्णन है। वित्तीय प्रबन्ध का वर्णन षष्ठम खंड में है जिसमें प्रव्याजि निर्धारण, कोष का प्रबन्ध, मूल्यांकन, संचय, कोष का विनियोग, लागत नियंत्रण, अंकेक्षण एवं परीक्षण का विवरण है। सप्तम खंड में बीमा अधिनियम एवं प्रसंविदा, जैसे—बीमा अधिनियम, 1938, जीवन बीमा अधिनियम, 1956, सामुद्रिक बीमा अधिनियम, 1963, सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972, बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, 2000 का विशद विश्लेषण है।
यह पुस्तक वर्तमान अर्थव्यवस्था के विकास और विस्तृतीकरण में मील का पत्थर है। यह पुस्तक आनेवाले समय में बीमा की विभिन्न समस्याओं के समाधान की गीता है जिसके विभिन्न सिद्धान्तों का उपयोग करके कठिन-से-कठिन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...