Shunya Se Shikhar
Author:
Prakash BiyaniPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Management0 Reviews
Price: ₹ 236
₹
295
Unavailable
देश की अर्थव्यवस्था को लाइसेंसी राज की बेड़ियों से मुक्त कराकर आर्थिक स्वतंत्रता के वैश्विक रास्ते पर ले जानेवाले अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कहते हैं—‘दुनिया में लोग चीन की तरक़्क़ी से आशंकित होते हैं, लेकिन इसके विपरीत भारत की आर्थिक तरक़्क़ी को सकारात्मक नज़रिए से देखते हैं...’</p>
<p>व्हार्टन स्कूल ऑफ़ द यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया के प्रोफ़ेसरों के अध्ययन का निष्कर्ष है—‘वैश्विक आर्थिक मन्दी के दौरान भी भारतीय अर्थव्यवस्था ने बेहतर प्रदर्शन किया, क्योंकि भारतीय उद्योगपतियों के कामकाज का अपना तौर-तरीक़ा है...।</p>
<p>कभी विदेशी उद्योगपति हमारी कम्पनियाँ ख़रीदते थे, आज भारतीय ‘कॉरपोरेट-हाट’ के बड़े सौदागर हैं। यहाँ तक कि कभी भारत पर राज करनेवाली ईस्ट इंडिया कम्पनी के नए मालिक हैं—मुम्बई में जन्में उद्योगपति संजीव मेहता...।</p>
<p>ऐसी सकारात्मक सच्चाइयों से प्रेरित इस पुस्तक ‘शून्य से शिखर’ में इंडियन कॉरपोरेट्स’ में 35 भारतीय उद्योगपतियों की यशोगाथा दोहराई गई है, जो साबित करती है कि भारतीय ठान लें तो कुछ भी कर सकते हैं, वह भी दूसरों से बेहतर।
ISBN: 9788126709106
Pages: 356
Avg Reading Time: 12 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: कूड़ा-कबाड़ जैसी कोई चीज इस दुनिया में है ही नहीं। अगर कुछ कूड़ा-कबाड़ है तो हमारी सोच के चलते। या है कि हम जिन चीजों के इस्तेमाल के बारे में सोच नहीं पाते, उसे बेकार समझ लेते हैं, कूड़ा समझ लेते हैं। हमें उनका इस्तेमाल करना नहीं पता, इसलिए उन चीजों को फेंकना शुरू कर देते हैं। आज बहुत कम लोग हैं, जो दवा-दारू की खाली शीशियाँ और बोतलें फेंकते हैं। लोहे और धातुओं से बने सामान अगर खराब भी हो जाएँ तो ज्यादातर लोग उसे कूड़ेदान में नहीं फेंकते। नालों में नहीं फेंकते। यों? योंकि सबको शीशे और धातुओं की कीमत का अंदाजा है। जिन्हें ज्यादा नहीं पता, वे भी जानते हैं कि कबाड़ी वाला शीशी-बोतल और लोहा-लकड़ अच्छे दाम पर खरीद लेता है। लेकिन ऐसा हम पॉलीथिन, प्लास्टिक की बोतलों, बाल या घरेलू कचरे के बारे में नहीं सोचते, योंकि हमें पता ही नहीं कि इनका भी बहुत कुछ इस्तेमाल हो सकता है। यह इनसानी फितरत का मामला है। हर कोई आसान काम करना चाहता है, जिसमें जोखिम न हो, जबकि हर कोई यह ज्ञान भी बाँटता रहता है कि ‘नो रिस्क, नो गेन’। प्लास्टिक कचरे से पेट्रोल-डीजल बनाने में भी यही मानसिकता आड़े आ रही है। तकनीक मौजूद है, लेकिन उस तकनीक का इस्तेमाल करने का इरादा नदारद है। यह पुस्तक ‘वेस्ट टु वैल्थ’ यानी कूड़े से धन अर्जित करने के व्यावहारिक तरीके बताती है।
Prabandhan Mein 5 Ka Mantra
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

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Description:
पाँच इन्द्रियाँ हैं जो हमारी देह के जटिलतम तंत्र का संचालन करती हैं, हमारे हाथों में पाँच-पाँच उँगलियाँ हैं जो स्पर्श से लेकर हमारे आसपास की वस्तुओं के परिचालन में हमारी सहायता करती हैं, पांडव पाँच थे जो कुरुक्षेत्र में सौ कौरवों और उनकी सेना को पराजित कर विजय के प्रतीक बने। कहने का तात्पर्य यह कि पाँच अंक का भारतीय दर्शन में भी बहुत महत्त्व माना गया है, और प्रकृति में भी।
यह पुस्तक प्रबन्धन के विस्तृत विषय को पाँच के अंक के साथ जोड़कर इच्छुक पाठकों के लिए एक सरल सूत्रावली प्रस्तुत करती है, ताकि वह अध्यात्म की मूल प्रेरणा को इस भौतिक जगत् में सम्यक् रूप में प्रयोग कर सके। शरीर के संवेदी तंत्र के माध्यम से पाँच इन्द्रियों को यहाँ प्रबन्धन के उपकरणों की तरह देखा गया है, और पाँचों पांडवों की पाँच तरह की प्रकृतियों को किसी भी कॉरपोरेट तंत्र के पाँच स्तम्भों की तरह देखना-सिखाया गया है।
इसी तरह धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और परमात्मा के पाँच को हम अपने आज के आर्थिक जीवन में कैसे बरतें, इसके बहाने भारतीय दर्शन में निहित प्रबन्धन सूत्रों को भी यह पुस्तक स्पष्ट करती है।
लम्बे प्रबन्धकीय जीवनानुभव से प्राप्त ज्ञान को लेखक ने यहाँ संक्षेप में, लेकिन स्पष्टता के साथ इस तरह सँजोया है कि कोई भी पाठक इससे लाभान्वित हो सकता है।
Pachis Global Brand
- Author Name:
Prakash Biyani +1
- Book Type:

- Description: ब्रांड यानी उत्पाद विशेष का नाम...एक ट्रेडमार्क। वेबस्टर्स शब्दावली के अनुसार ब्रांड यानी... A mark burned on the skin with hot iron. हिन्दी में इसका भावार्थ है : व्यक्ति के शरीर पर उसकी पहचान दाग देना। यही इस पुस्तक का सार है। ब्रांड किसी उत्पाद का केवल नाम ही नहीं होता। उसके उत्पाद का पेटेंटेड ट्रेडमार्क भी नहीं होता। ग्राहक जब ब्रांडेड उत्पाद खरीदता है तो वह इस विश्वास का मूल्य भी चुकाता है कि उत्पाद गुणवत्तायुक्त होगा, झंझटमुक्त लम्बी सेवा प्रदान करेगा और उसे वादे के अनुसार बिक्री बाद सेवा मिलेगी। दूसरे शब्दों में, ब्रांडेड उत्पादों के निर्माता केवल वस्तु का मूल्य प्राप्त नहीं करते। वे एक भरोसे, एक विश्वास की क़ीमत भी वसूल करते हैं। वही ब्रांड लम्बी पारी खेलते हैं, जो अपने पर ‘दाग' दी गई ‘पहचान' को एक बार नहीं, बार-बार भी नहीं, बल्कि हर बार सही साबित करते हैं। ऐसे ही शतकीय पारी के बाद ग्लोबल मार्किट में आज भी अव्वल 25 ग्लोबल ब्रांड का इतिहास इस पुस्तक में सँजोया गया है।
Management Seekhen Mahatma Se
- Author Name:
Vijay Joshi
- Book Type:

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Description:
प्रबन्धन आज बाक़ायदा एक शिक्षा-सरणी है जिसके तहत विद्यार्थी को कुछ निश्चित और सीमित अर्थों में प्रबन्धक के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। शायद इसी कारण आज हमारे कॉरपोरेट जगत में व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के होलिस्टक विकास की कोई जगह नहीं रही।
यह पुस्तक प्रबन्धन को उन आधारभूत नैतिक मूल्यों से जोड़ती है जो व्यावसायिक तथा व्यावहारिक कार्यों को भी विराटतर मानवीय हित के बड़े धरातल पर ले जा सकते हैं और इसके लिए इसमें महात्मा गांधी के जीवन तथा विचारों को आधार बनाया गया है।
हम सभी जानते हैं कि गांधी स्वयं एक कुशल प्रबन्धक थे, और उन्होंने अपनी नेतृत्व-क्षमता से अकल्पनीय जनान्दोलनों को सम्भव बनाया। और इसके लिए उन्होंने कुछ ऐसे सूत्रों को अपने दैनिक जीवन में अपनाया, जिन्हें लोग हमेशा से जानते थे लेकिन उन पर उस निष्ठा तथा सच्चाई के साथ अमल नहीं करते थे जैसा महात्मा ने किया।
झूठ से भरसक दूरी, अपनी कमियों को स्वीकार कर उन्हें सुधारना, वचनबद्धता, हर काम को समान भाव से देखना, हर किसी से सीखने को तैयार रहना, श्रम का सम्मान करना, समय के मूल्य को समझना, और जब ज़रूरत हो अकेले चलने की हिम्मत जुटाना—यह कुछ बहुत साधारण मूल्य हैं जिन्हें बापू ने अपनाया। और ये एक अनूठे नेता के रूप में सबसे ज़्यादा चमके।
यह पुस्तक बताती है कि यही बातें व्यवहार में लेकर हम आज अपने प्रबन्धनीय कौशल को प्रभावशाली बना सकते हैं।
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