Sant Ravidas Ratnawali
Author:
Mamta JhaPublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Unavailable
संत रविदास का जन्म वाराणसी के निकट मंडूर नामक गाँव में संवत् 1433 को माघ पूर्णिमा के दिन माना जाता है। उनके विभिन्न नाम हैं—रविदास, रैदास, रादास, रुद्रदास, सईदास, रयिदास, रोहीदास, रोहिदास, रूहदास, रमादास, रामदास, हरिदास। इनमें से रविदास तथा रैदास दो नाम तो ऐसे हैं, जो दोनों ही उनकी रचनाओं में उपलब्ध होते हैं।
बचपन से ही उनकी रुचि प्रभु-भक्ति और साधु-संतों की ओर हो गई थी। बड़ा होने पर उन्होंने चर्मकार का अपना पैतृक काम अपना लिया। जूता गाँठते हुए वे प्रभु भजन में लीन हो जाते। जो कुछ कमाते, उसे साधु-संतों पर खर्च कर देते।
रविदास ने उस समय के प्रसिद्ध भक्त गुरु रामानंद से दीक्षा ली। उन्होंने ऊँच-नीच के मत का खंडन किया। वे अत्यंत विनीत और उदार विचारों के थे। उनकी भक्ति उच्च दर्जे की थी। वे कठौती में ही गंगाजी के दर्शन कर लिया करते थे।
‘संत रैदास की वाणी’ में 87 पद तथा 3 साखियों का संकलन ‘रैदास’ के नाम से हुआ है, जिनमें से लगभग सभी में ‘रैदास’ नाम की छाप भी मिलती है। प्रस्तुत पुस्तक में संत रविदास के आध्यात्मिक जीवन, उनकी रचनाओं, उनके जप-तप और समाज-उद्धार के लिए किए गए कार्यों का सीधी-सरल भाषा में विवेचन किया गया है।
ISBN: 9789350484296
Pages: 144
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Jism Jism Ke Log
- Author Name:
Shazi Zaman
- Book Type:

-
Description:
“जब जिस्म सोचता, बोलता है तो जिस्म सुनता है।”
“आप तो बोलते भी हैं, सुनते भी हैं, लिखते भी हैं...”
“लिखता भी हूँ?” मैंने कहा।
एक कम्पन, एक हरकत-सी हुई तुम्हारे जिस्म में—जैसे मेरी बात का जवाब दिया हो।
“रूमानी शायर जिस्म पर भी जिस्म से लिखता है,’’ मैंने कहा।
“आप जिस्मानी शायर हैं!”‘जिस्म जिस्म के लोग’ बदलते हुए जिस्मों की आत्मकथा है। ‘जिस्म जिस्म के लोग’ में—और हर जिस्म में—बदलते वक़्त और बदलते ताल्लुक़ात का रिकॉर्ड दर्ज है।
“इतने वक़्त के बाद...,” तुमने मुझसे या शायद जिस्म ने जिस्म से कहा।
“कितने वक़्त के बाद?”
“जिस्म की लकीरों से वक़्त लिखा हुआ है।”
“दोनों जिस्मों पर वक़्त के दस्तख़त हैं,” मैंने कहा।
जिस्म पर वक़्त के दस्तख़त को मैंने उँगलियों से छुआ तो तुमने याद दिलाया—
“सूरज के उगने, न सूरज के ढलने से...
“वक़्त बदलता है जिस्मों के बदलने से।’”
दुनिया का हर इंसान अपना—या अपना-सा—जिस्म लिए घूम रहा है। उन्हीं जिस्मों को समझने, उन पर—या उनसे—लिखने और ‘जिस्म-वर्षों के गुज़रने की दास्तान है ‘जिस्म जिस्म के लोग’।
“बहुत जिस्म-वर्ष गुज़र गए...जिस्म जिस्म घूमते रहे!” मैंने कहा।
“तो दुनिया घूमकर इस जिस्म के पास क्यूँ आए?”
“जिस्मों जिस्मों होता आया”,
वक़्त के दस्तख़त पर मेरे हाथ रुक गए,
“अब ये जिस्म समझ में आया।”
Gahri Nadiya Naav Purani
- Author Name:
Ushakiran Khan
- Book Type:

-
Description:
पुनकला को नहीं मालूम कि उसने अपने बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित कर, और लीला को अपने यहाँ शरण देकर कितना बड़ा काम किया। उसका सारा जीवन एक मैनेजर की तरह बीत गया। उसने कर्त्तव्य को टाला नहीं, और प्रेम को भी मन भरकर जिया, लेकिन बस मन में ही भरकर, जो उसे मिला वह ऐसा नहीं था जो सिर्फ उसका हो।
वह दरअसल समय था, अपनी गति से खिलता-बढ़ता समय जिसमें सब शामिल थे : समाज बदलने के अपने बड़े सपने को पूरा करने के लिए उसे छोड़कर गया उसका पति सुधीर हजारी; छीतन हजारी जिसने उसके बाद उसे अपने घर की मालकिन बनाया और अपने बच्चों की माँ; उसके बच्चे जिन्होंने उसे अपनी माँ ही माना; लीला, जिसने उसके आँचल तले ठौर पाया; और वह काल जिस की विराट गोद में बच्चे पल रहे थे, बड़े हो रहे थे, फिर उनके बच्चे; धरती जो धीरे-धीरे थिर हो रही थी, बंजर से उपजाऊ; शिक्षा जो सदियों से पीड़ित-प्रताड़ित जनगण को आगे बढ़ने का रास्ता दे रही थी। यह सब दादी पुनकला का था।
बिहार के देश-काल में अवस्थित इस उपन्यास का जेपी आन्दोलन और आपातकाल का दौर है; लेकिन कथा यह बिहार के पिछड़े दलित समाज की और उसके तेजी से बदलते सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक ढांचे की है। वहाँ बाढ़ है, गरीबी है, गुंडई है, लेकिन सपने भी हैं, बदलाव की आकांक्षा भी है, वे युवा भी हैं जिनमें शिक्षा की, आगे बढ़ने की, और बदलाव की गहरी तलब है, जो अपने सपनों को अपनी ही धरती में बोना चाहते हैं।
दादी पुनकला ने बहुत धीमे समय को भी देखा है, और अब इस वक्त को भी देख रही है। उनके पास सब कुछ है, लेकिन सुधीर हजारी नहीं। और सुधीर हजारी जो पहले नक्सल होते हैं, फिर जेपी के साथ जुड़ते हैं, और आपातकाल के बाद अपने गाँव आकर अपने लोगों को दिशा देते हैं; उनके पास भी सभी कुछ है, लेकिन पुनकला नहीं, जो आठ-नौ साल की उम्र में उनकी पत्नी बनी थी, और जवानी में कदम रखते ही जिसे उन्होंने मुक्त कर दिया था। दोनों के बीच बदलाव का एक बड़ा हलचल-भरा फलक है लेकिन वे दोनों आज भी वहीं खड़े हैं जहाँ अलग हुए थे।
Surajmukhi Andhere Ke
- Author Name:
Krishna Sobti
- Book Type:

-
Description:
रेशम की-सी नरम ठंडी मगर उष्म शैली में प्रस्तुत इस उपन्यास में एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसके फटे बचपन ने उसके सहज भोलेपन को असमय चाक कर दिया और उसके तन-मन के गिर्द दुश्मनी की कँटीली बाड़ खींच दी।
अन्दर और बाहर की दोहरी दुश्मनी में जकड़ी रत्ती की लड़ाई मानवीय-मन की नितान्त उलझी हुई चाहत और जीवन-भरे संघर्ष की दस्तावेज़ है।
‘मित्रो मरजानी‘, ‘डार से बिछुड़ी’ और ‘यारों के यार’ से अलग और आगे इस उपन्यास में कृष्णा सोबती ने गहन संवेदना के स्तर पर कलाकार की तीसरी आँख से पर्त-दर-पर्त तन-मन की साँवली प्यास को उकेरा है।
आधुनिक भाव-बोध की पीठिका पर मनोविज्ञान की गूढ़तम पहेलियों को सादगी से आँक कर सोबती ने एक ऐसे वयस्क माध्यम और शिल्प की स्थापना की है जो एक साथ परम्परागत शिल्प और मूल्यों को चुनौती है।
आदर्शों की भव्यता से अलग हटकर ‘सूरजमुखी अँधेरे के’ यथार्थ और सत्य के निरूपण की वह असाधारण सत्य-कथा है जिसका सत्य कभी मरता नहीं।
Jeevan Gita
- Author Name:
Devmuni Shukla
- Book Type:

- Description: "श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय वाड्मय का पवित्र एवं अत्यंत लोकप्रिय ग्रंथ है। विश्व की अनेक भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है; इसकी अनेक टीका एवं समीक्षाएँ लिखी गई हैं। आदि शंकराचार्य से लेकर विनोबा भावे तक अनेक विद्वानों और संत-महात्माओं ने गीता पर भाष्य लिखे। लोकमान्य तिलक ने गीता को निष्काम कर्मयोग का आधार-ग्रंथ प्रतिपादित किया। गीता का धर्म कर्तव्य का द्योतक है। इसके अनुसार शरीर, इंद्रिय, मन और बुद्धि सभी के कर्तव्य निश्चित हैं। मानव शरीर जीवात्मा का परिधान मात्र है। इसमें निष्काम कर्म और संपूर्ण समर्पण के साथ परमात्मा की शरण में जाने पर जीवन की मुक्ति का मार्ग दिखाया गया है। श्रीमद्भगवद्गीता में आचार की पवित्रता, पाखंड का त्याग, सच्ची निष्ठा, फल की इच्छा न रखते हुए कर्तव्य-पालन तथा अहंकार का त्याग कर उत्कृष्ट नैतिक मूल्यों के अनुपालन का निर्देश दिया गया है। श्री देवमुनि शुक्ल ने सरस और प्रवाहमय भाषा में इसका पद्यानुवाद करके इसे ‘जीवन-गीता’ का रूप दिया है। आशा है, सुधी पाठक गीता को पद्य रूप में हृदयंगम कर इसके आदर्श गुणों को अपनाकर अपने उद्धार का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
Twisted Tales
- Author Name:
Various Authors
- Book Type:

- Description: Authors ink brings to you an unputdownable heady cocktail of 13 short stories that will compel you think about life in a way you have never thought before. Ranging from tales of horror to the tales of the unexpected, from stories of love to stories of irony and self realisation, twisted tales promises to keep you enthralled as each story brings out the vagaries of life and the fickleness as well as the strengths of human emotions and character in a way that each story touches you in a special way and compels you to relate it to your own life and personal experiences. Pick up the book, put your feet up, and make yourself comfortable to embark on a journey full of excitement, thrills and experience the…unexpected.
Hemant Ka Panchhi
- Author Name:
Suchitra Bhattacharya
- Book Type:

-
Description:
क़ामयाब पति, दो-दो बुद्धिमान बेटे और अपनी घर-गृहस्थी में डूबी अदिति, उम्र के चालीसवें के मध्य तक पहुँचते-पहुँचते अचानक महसूस करती है कि वह भयंकर अकेली है। पति अपनी नौकरी में व्यस्त है, दोनों बेटे भी अपने-अपने आकाश में पंख फैलाए उड़ने लगे हैं। अकेली अदिति अब अपने दिन या तो अपने आपसे या पिंजरे की मैना से बातें करती हुई गुज़ारती है। उन्हीं दिनों उसकी ज़िन्दगी में हेमेन मामा दाख़िल होते हैं, उन्हीं की प्रेरणा से जाग उठती है—एक नई अदिति धीरे-धीरे वह अपनी रची-गढ़ी दुनिया में मग्न हो जाती है। ब्याह से पहले वह लेखन के क, ख, ग से परिचित हो चुकी थी। अब वह दुबारा लिखना शुरू करती है। अब जब वह अपने पति, सन्तान और गृहस्थी को नई निगाह से तौलना-परखना शुरू कर देती है, तो शुरू होता है—ज़बर्दस्त टकराव। भयंकर दर्द के काले बादल घिर आते हैं।
अदिति क्या सिर्फ़ सुप्रतिम की पत्नी-भर है? मात्रा बच्चों की माँ है? वह क्या सिर्फ़ ख़ून-मांस की मशीन-भर है, जिससे सिर्फ़ यह अपेक्षित है कि बेहद सहज-स्वाभाविक तरीक़े से गृहस्थी की गाड़ी आगे बढ़ाती रहे? इस दायरे से बाहर क्या अदिति का कोई अस्तित्व नहीं?
सुचित्रा भट्टाचार्य की सशक्त क़लम ने ‘हेमन्त का पंछी’ में औरत के इसी सच की बेचैन तलाश को उकेरा है।
Tamas
- Author Name:
Bhisham Sahni
- Book Type:

-
Description:
मुझे ठीक से याद नहीं कि कब बम्बई के निकट, भिवंडी नगर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए। पर मुझे इतना याद है कि उन दंगों के बाद मैंने ‘तमस’ लिखना आरम्भ किया था।
भिवंडी नगर बुनकरों का नगर था, शहर के अन्दर जगह-जगह खड्डियाँ लगी थीं, उनमें से अनेक बिजली से चलनेवाली खड्डियाँ थीं। पर घरों को आग की नज़र करने से खड्डियों का धातु बहुत कुछ पिघल गया था। गलियों में घूमते हुए लगता हम किसी प्राचीन नगर के खंडहरों में घूम रहे हों।
पर गलियाँ लाँघते हुए, अपने क़दमों की आवाज़, अपनी पदचाप सुनते हुए लगने लगा, जैसे मैं यह आवाज़ पहले कहीं सुन चुका हूँ। चारों ओर छाई चुप्पी को भी ‘सुन’ चुका हूँ। अकुलाहट-भरी इस नीरवता का अनुभव भी कर चुका हूँ। सूनी गलियाँ लाँघ चुका हूँ।
पर मैंने यह चुप्पी और इस वीरानी का ही अनुभव नहीं किया था। मैंने पेड़ों पर बैठे गिद्ध और चीलों को भी देखा था। आधे आकाश में फैली आग की लपटों की लौ को भी देखा था, गलियों-सडक़ों पर भागते क़दमों और रोंगटे खड़े कर देनेवाली चिल्लाहटों को भी सुना था, और जगह-जगह से उठनेवाले धर्मान्ध लोगों के नारे भी सुने थे, चीत्कार सुनी थी।
कुछेक दिन तक बम्बई में रहने के बाद मैं दिल्ली लौट आया।
आमतौर पर मैं शाम के वक़्त लिखने बैठता था। मेरा मन शाम के वक़्त लिखने में लगता है। न जाने क्यों। पर उस दिन नाश्ता करने के बाद मैं सुबह-सवेरे ही मेज़ पर जा बैठा था।
यह सचमुच अचानक ही हुआ, पर जब क़लम उठाई और काग़ज़ सामने रखा तो ध्यान रावलपिंडी के दंगों की ओर चला गया। कांग्रेस का दफ़्तर आँखों के सामने आया। कांग्रेस के मेरे साथी एक के बाद एक योगी रामनाथ, बख़्शीजी, बालीजी, हकीमजी, अब्दुल अज़ीज़, मेहरचन्द आहूजा, अज़ीज़, जरनैल...मास्टर अर्जुनदास...उनके चेहरे आँखों के सामने घूमने लगे। मैं उन दिनों की यादों में डूबता चला गया।
–भीष्म साहनी (अपनी आत्मकथा ‘आज के अतीत’ में )
A Little Chorus of Love : Love through Ages
- Author Name:
Dipti Menon +4
- Book Type:

- Description: What is love? The question brews a million different answers. Love is not an entity. It is an emotion that embraces several hues and shades within. 'A Little Chorus of Love � Love through Ages' simply follows the same idea and assembles 24 different writers portraying love in a form they acknowledge the best.
Daulati
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

-
Description:
महाश्वेता देवी की रचनाओं की केन्द्रीय चेतना लोकधर्मी है। उनके लेखन का बुनियादी मन्तव्य दलितों की ज़िन्दगी को उभारकर सामने लाना है जो न केवल सामन्ती शोषण के शिकार हैं बल्कि जिन्हें तबाह करने में सरकारी नीतियों की भी बराबर की हिस्सेदारी है।
यह बात साफ़ हो चुकी है कि आदिवासी जन–जीवन की त्रासदी के बीज विषैली राजनीति में हैं और राजनीति की चालाक साज़िशों ने संगठित वर्ग–संघर्ष को विभाजित जाति–संघर्ष में तब्दील कर दिया है। ज़मींदारों ने भूमिहीन आदिवासियों के बीच धर्मों और जातियों के बँटवारे का सहारा लेकर उन्हें संगठित वर्ग की शक्ल में कभी नहीं आने दिया।
महाश्वेता जी के कथानक इन बारीक षड्यंत्रों को बेनक़ाब करते हैं। सरकारी कामकाज के असली चेहरों और ज़मींदारों के साथ सरकारी नुमाइंदों के आर्थिक रिश्तों को देखने–समझने के लिए जिस दृष्टि की ज़रूरत है, महाश्वेता जी की रचनाएँ उस दृष्टि को पैदा करती हैं।
इस पुस्तक के पृष्ठों पर तीन सशक्त उपन्यास छपे हैं। इन उपन्यासों का कथा–केन्द्र आदिवासी स्त्रियों की पीड़ित ज़िन्दगी है। तीन उपन्यासों की तीन प्रतिनिधि स्त्री पात्र हैं, दौलति, बासमती और गोहुअन। समान आर्थिक स्थितियों के बावजूद तीनों की सोच में बुनियादी फ़र्क़ है और यह फ़र्क़ आदिवासी स्त्री के मनोविज्ञान और उसकी संघर्ष–क्षमता को विभिन्न रूपों में उद्घाटित करता है।
स्त्री का क्रय–विक्रय, देह–व्यापार की कसैली विवशताएँ, ‘चुकी’ हुई वेश्याओं की तिरस्कृत वेदनाएँ और उनकी गुमनाम मौत; और इन सबके लिए ज़िम्मेवार सामन्ती व्यवस्था के दाँवपेंच—यह संक्षेप है ‘दौलति’ का।
दूसरा तेज़–तर्रार उपन्यास है ‘पलामौ’। आदिवासियों के शोषण को एक नए कोण से समझने की कोशिश, और आदिवासियों के विकास के सम्बन्ध में सरकारी दावों के खोखलेपन का पर्दाफ़ाश करनेवाला यह उपन्यास आदिवासी–जीवन का प्रतिबिम्ब है।
‘गोहुअन’ की कथा आदिवासी स्त्री के एक भिन्न स्वरूप को सामने रखती है। एक विषैले सर्प ‘गोहुअन’ के प्रतीक के ज़रिए आदिवासी स्त्री का स्वाभिमानी तेवर इस उपन्यास में बहुत गम्भीरता से व्यक्त ह़ुआ है।
Frozen Tears
- Author Name:
Advyth
- Book Type:

- Description: A highly intelligent serial killer is loose in the Metro city in India. His targets are unconnected people from different age groups, the only common element being that he gives his victims a painless death. Dev, a senior police officer who is assigned the case, is struck by the empathetic way in which the killer masterminds his horrific acts. His conventional ways of investigating the case lead nowhere. He is then joined by his daughter, Rudra, who is a psychiatrist and criminologist working for the London police Department. Rudra brings in her novel ways of investigation of getting into the killer mind and has her first breakthrough. As the case proceeds, Rudra is shocked to discover how crimes all over the world are driven by universal passions, and how, with the slight provocation, even seemingly innocent people can be driven to horrendous crimes. But what Rudra does not know is that the killer, who is always one step ahead of her, is much closer to home than she thinks. It takes a terrible tragedy to prove that to her. Join author advyth as he narrates this unique crime investigation thriller that is full of eye-opening insights on the human mind that will shock one and all.
Kissa Pritam Pandey Ka
- Author Name:
Dhirendra Verma
- Book Type:

-
Description:
‘क़िस्सा प्रीतम पांडे का’ धीरेन्द्र वर्मा का एक बहुचर्चित उपन्यास है। विगत सदी में प्रकाशित यह व्यंग्यात्मक कृति अपने समय, समाज की विसंगतियों एवं आधुनिक जीवन में घुस आई स्वार्थपरता का यथार्थ चित्रण करती है। राजनैतिक, सामाजिक, पारिवारिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में व्याप्त अवसरवादिता, अन्धप्रतियोगिता और ऊँचा दिखने की होड़ पर लेखक ने करारी चोट की है।
इस उपन्यास का कथानायक प्रीतम पांडे मानवीय मूल्यों—अर्थात् निष्ठा, परिश्रम, ईमानदारी आदि—के स्थान पर छल, कपट, हरामख़ोरी, धूर्तता जैसे नए जीवन-मूल्यों के बल पर न केवल सफल है, अपितु एकमात्र विजेता भी है। आधुनिकता के नाम पर सारहीन कला की मुक्तकंठ से प्रशंसा पुरस्कारवादी संस्कृति का भंडाफोड़ करती है। यही कारण है कि प्रीतम पांडे आँख मीचकर बनाई गई पेंटिंग्स को मॉडर्न आर्ट के नाम से प्रदर्शित करके सर्वाधिक सम्मानित आर्टिस्ट का ख़िताब भी हासिल कर लेता है। वस्तुत: तीखी व्यंग्यात्मक शैली और सरल-संक्षिप्त संवादों द्वारा धीरेन्द्र वर्मा की यह कृति सफलता के आधुनिक सूत्रों की बखिया उधेड़ने में कहीं कोई चूक नहीं करती है।
अपने प्रवाह में बहा ले जानेवाली भाषा इस उपन्यास की बहुत सारी विशेषताओं में से एक है जिसका एक अलग ही आकर्षण है। निस्सन्देह, अपनी ज़मीन पर जीवन्तता में एक विलक्षण कृति है ‘क़िस्सा प्रीतम पांडे का’।
Zindaginama
- Author Name:
Krishna Sobti
- Rating:
- Book Type:

- Description: लेखन को जीवन का पर्याय माननेवाली कृष्णा सोबती की क़लम से उतरा एक ऐसा उपन्यास जो सचमुच ‘ज़िन्दगी’ का पर्याय है—‘ज़िन्दगीनामा’। ‘ज़िन्दगीनामा’—जिसमें न कोई नायक। न कोई खलनायक। सिर्फ़ लोग और लोग और लोग। ज़िन्दादिल। जाँबाज़। लोग जो हिन्दुस्तान की ड्योढ़ी पंचनद पर जमे, सदियों ग़ाज़ी मरदों के लश्करों से भिड़ते रहे। फिर भी फ़सलें उगाते रहे। जी लेने की सोंधी ललक पर ज़िन्दगियाँ लुटाते रहे। ‘ज़िन्दगीनामा’ का कालखंड इस शताब्दी के पहले मोड़ पर खुलता है। पीछे इतिहास की बेहिसाब तहें। बेशुमार ताक़तें। ज़मीन जो खेतिहर की है और नहीं है, वही ज़मीन शाहों की नहीं है मगर उनके हाथों में है। ज़मीन की मालिकी किसकी है? ज़मीन में खेती कौन करता है? ज़मीन का मामला कौन भरता है? मुजारे आसामियाँ। इन्हें जकड़नों में जकड़े हुए शोषण के वे क़ानून जो लोगों को लोगों से अलग करते हैं। लोगों को लोगों में विभाजित करते हैं। ‘ज़िन्दगीनामा’ का कथानक खेतों की तरह फैला, सीधा-सादा और धरती से जुड़ा हुआ। ‘ज़िन्दगीनामा’ की मजलिसें भारतीय गाँव की उस जीवन्त परम्परा में हैं जहाँ भारतीय मानस का जीवन-दर्शन अपनी समग्रता में जीता चला जाता है। ‘ज़िन्दगीनामा’—कथ्य और शिल्प का नया प्रतिमान, जिसमें कथ्य और शिल्प हथियार डालकर ज़िन्दगी को आँकने की कोशिश करते हैं। ‘ज़िन्दगीनामा’ के पन्नों में आपको बादशाह और फ़क़ीर, शहंशाह, दरवेश और किसान एक साथ खेतों की मुँड़ेरों पर खड़े मिलेंगे। सर्वसाधारण की वह भीड़ भी जो हर काल में, हर गाँव में, हर पीढ़ी को सजाए रखती है।
Shah Aur Maat : Sujata Ki Diary
- Author Name:
Rajendra Yadav
- Book Type:

-
Description:
‘शह और मात’ दूसरे प्यार की जटिल और कटु कहानी है, जहाँ अपराध-भावना से पीड़ित प्रत्येक पात्र अपना पुनरान्वेषण करता है और अन्त में अपने को एक यंत्रणादायक भ्रान्ति और छलना से घिरा पाता है।
उपन्यास की भाषा अपनी ताज़गी, अभिव्यंजना और शक्ति के लिए बार-बार प्रशंसित हुई है। इस उपन्यास को पढ़ना एक अद्भुत—लेकिन बेहद आत्मीय—अनुभव से गुज़रना है, जो अपने को देखने की नई दृष्टि देता है।
‘शह और मात’...एक शुद्ध मनोवैज्ञानिक उपन्यास है, इसमें दो व्यक्तियों के प्रति तीसरे व्यक्तित्व (यानी सुजाता) की प्रतिक्रियाओं का वर्णन है। अचरज की बात यह है कि देशकाल की स्थितियों से प्रायः कोई मदद न लेते हुए भी लेखक इस उपन्यास को इतना नाटकीय और सजीव बना देता है! सुजाता की उदय से सम्बद्ध दिलचस्पी क्रमशः अधिक तीखी और गहरी होती जाती है। यह दिलचस्पी बहुत कुछ बौद्धिक क़िस्म की है, उपन्यास की नाटकीयता भी एक ख़ास तरह का बौद्धिक मनोवैज्ञानिक विनोद करती है। उपन्यास की नाटकीयता और रोचकता का एकमात्र रहस्य उसकी मनोवैज्ञानिक सूक्ष्मता एवं यथार्थ की अनुकारिता है। उपन्यास का प्रत्येक पन्ना रोचक है।
—डॉ. देवराज
Narvanar
- Author Name:
Sharankumar Limbale
- Book Type:

-
Description:
‘नरवानर’ 1956 से 1996 तक के समय पर आधारित यह उपन्यास दरअसल आत्मचिन्तन है। दलित-विमर्श के संवेदनशील विस्फोटक सन्दर्भ का एक साहित्यिक विश्लेषण। लेखक के अनुसार इस आत्मचिंतन या विश्लेषण के मूल में हैं कुछ स्मृतियाँ, कुछ बहसें, कुछ समाचार, कुछ साहित्य-पाठ, समाज की गतिविधियाँ और उनसे उत्पन्न प्रतिक्रियाएँ, बढ़ता हुआ भ्रष्टाचार और व्यभिचार की ओर उन्मुख दैनंदिन नैतिकता, दंगे और हिंसा, राजनीति का अपराधीकरण, अपराधियों को प्राप्त प्रतिष्ठा, राष्ट्रीय नेतृत्व का भ्रष्टाचार, बढ़ती हुई बेरोज़गारी, महँगाई, ग़रीबी और आबादी।
लेकिन मराठी में ‘उपल्या’ नाम से प्रकाशित और चर्चित इस उपन्यास की केन्द्रीय चिन्ता समकालीन दलित आन्दोलन है। पहले अध्याय में एक सनातनी ब्राह्मण परिवार के दलितीकरण का चित्रण है तो तीसरे अध्याय में एक ब्राह्मण परिवार की ही बेटी एक दलित से विवाह करके नया जीवन शुरू करती है। बाकी दो अध्यायों में दलित आन्दोलन के उभार, संघर्ष और विखंडन पर दृष्टिपात किया गया है।
कहना न होगा कि हिन्दी और मराठी में समान रूप से लोकप्रिय लेखक शरणकुमार लिंबाले का यह उपन्यास समकालीन दलित विमर्श के सन्दर्भ में एक ज़रूरी पुस्तक है।
Where Has My Gulla Gone
- Author Name:
Padma Sachdev
- Book Type:

- Description: No Description Available for this Book
Ek Parivartan Aisa Bhi
- Author Name:
Arunimaa
- Book Type:

- Description: Arunima is an 18-year-old teenager who wrote all these poems that many people might relate with. It is not about her life. It is about what she thinks that people feel but can’t express.
Sanskar
- Author Name:
U.R. Ananthamurthy +1
- Book Type:

- Description: यू.आर. अनन्तमूर्ति के इस कन्नड़ उपन्यास को युगान्तरकारी उपन्यास माना गया है। ब्राह्मणवाद, अन्धविश्वासों और रूढ़िगत संस्कारों पर अप्रत्यक्ष लेकिन इतनी पैनी चोट की गई है कि उसे सहना सनातन मान्यताओं के समर्थकों के लिए कहीं–कहीं दूभर होने लगता है। ‘संस्कार’ शब्द से अभिप्राय केवल ब्राह्मणवाद की रूढ़ियों से विद्रोह करनेवाले नारणप्पा के दाह–संस्कार से ही नहीं है। अपने लिए सुरक्षित निवास–स्थान, अग्रहार आदि के ब्राह्मणों के विभिन्न संस्कारों पर भी रोशनी डाली गई है—स्वर्णाभूषणों और सम्पत्ति–लोलुपता जैसे संस्कारों पर भी! ब्राह्मण–श्रेष्ठ और गुरु प्राणेशाचार्य तथा चन्द्री, बेल्ली और पद्मावती जैसे अलग और विपरीत दिखाई देनेवाले पात्रों की आभ्यन्तरिक उथल–पुथल के सारे संस्कार अपने असली और खरे–खोटेपन समेत हमारे सामने उघड़ आते हैं। धर्म क्या है? धर्मशास्त्र क्या है? क्या इनमें निहित आदेशों में मनुष्य की स्वतंत्र सत्ता के हरण की सामर्थ्य है, या होनी चाहिए? ऐसे अनेक सवालों पर यू.आर. अनन्तमूर्ति जैसे सामर्थ्यशील लेखक ने अत्यन्त साहसिकता से विचार किया है, और यही वैचारिक निष्ठा इस उपन्यास को विशिष्ट बनाती है।
Kit Aayun Kit Jaayun
- Author Name:
Shaligram
- Book Type:

-
Description:
‘कित आऊँ कित जाऊँ’ उपन्यास का लम्बा-चौड़ा फलक उत्तर बिहार की नदियों से घिरे गाँव का दृश्य उपस्थित करता...दक्षिण गंगा के कछार को छूता...उत्तर नेपाल के तराई भाग वाली मधेसी संस्कृति को एकीकृत करता हुआ समाज के भिन्न-भिन्न पात्रों की सहजता को बटोरता आगे बढ़ता है। इसमें हमें सुरपत और निरपत जैसे निम्नवर्गीय चरित्रों के संघर्षरत जीवन में अकिंचनता का बोध होते हुए भी; उनके अन्दर छिपे धैर्य, साहस एवं आत्मविश्वास की जिजीविषा का परिचय मिलता है। उपन्यास के सभी पात्र भिन्न-भिन्न रंग में रँगे हुए भी अपनी अस्मिता को बचाते हुए वे उस सादे एवं शाश्वत रंग में अपने को रँगाए रखते हैं जो ‘सब रंग मिटै; मिटे नहीं वह जो अमिट-अविनाशी’।
सुरपत, निरपत से लेकर भुजंगीचा जैसे माँझी-मल्लाह या टम्मन साहू, अनूप लाल, घोटल झा, तीरो सिंह जैसे मध्यवर्गीय चरित्र या कुमार साहब, रानीदाय, टापसी, लॉलीडीन, ठाकुर गरजू सिंह एवं पी.के. मलिक जैसे उच्चवर्गीय चरित्रों का यहाँ शुमार मिलता है जिससे उपन्यास की सार्थकता बनी रहती है। यह उपन्यास लघुता में छिपे अपने उस विराट को हमारे सम्मुख प्रस्तुत करता है जो अदृश्य होते हुए भी दृश्य है।
Firangi Raja
- Author Name:
Rajgopal Singh Verma
- Book Type:

-
Description:
आम इनसानों से लेकर ऋषि-मुनियों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और घुमक्कड़ों के लिए हिमालय का आकर्षण हर काल में रहा है। इनमें से कुछ लोग तो यहाँ आए और यहीं के होकर रह गए। सैन्य जीवन की जटिलताओं से निकल कर आए ईस्ट इंडिया कम्पनी के एक फिरंगी सैन्य अधिकारी फ्रेडरिक विल्सन की कहानी कुछ ऐसी ही थी। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में अदम्य उद्यमशीलता के बलबूते उसने अपनी शरण स्थली गढ़वाल, हिमालय के हर्षिल क्षेत्र को आजीवन कर्मस्थली में परिणित कर दिया था। लगभग चार दशक तक उसके नाम का डंका ऐसे बजा कि तत्कालीन जनसाधारण से लेकर विशिष्ट जनों के मध्य वह ‘हर्षिल का राजा’ के रूप में चर्चित हो गया था। फ्रेडरिक विल्सन की उद्यमी सफलता की कहानियाँ आज भी गढ़वाली समाज में खूब कही और सुनी जाती हैं। गढ़वाल, हिमालय में उन्नीसवीं शताब्दी में एक तरफ वह प्रकृति का क्रूर विदोहक माना गया तो दूसरी ओर सर्वांगीण विकास का नव-प्रवर्तक भी साबित हुआ।
‘फिरंगी राजा’ में राजगोपाल सिंह वर्मा ने गढ़वाल में बीती विल्सन की जीवन-यात्रा को तत्कालीन स्थानीय वन्यता, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, शासन-प्रशासन की कार्यशैली और विकास के विभिन्न पड़ावों के साथ बेहद खूबसूरत अन्दाज में रेखांकित किया है। यह उपन्यास उन्नीसवीं सदी के गढ़वाल का इतिहास नहीं है, पर उस कालखंड के मर्म को बखूबी उद्घाटित करता है। मानवीय साहस-दुस्साहस और उसकी प्रकृति के प्रति व्यवहार की परिणिति को विल्सन के उत्थान और अवसान के जरिये उपन्यासकार ने प्रभावी तथ्यों के साथ सामने रखा है। विल्सन की वेदना के माध्यम से यह उपन्यास हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशील रहने का संदेश ही नहीं देता वरन उससे बढ़कर एक उपयोगी और कारगर नीति की रूपरेखा भी पेश करता है। इन अर्थों में यह उपन्यास नीति नियन्ताओं के लिए एक प्रामाणिक दस्तावेज की तरह है। उपन्यास में लेखक ने गढ़वाल के इतिहास में अकारण ही भुला दिये गए नायक/प्रतिनायक फ्रेडरिक विल्सन के समूचे जीवन और परिवेश को पठनीय रोचकता के साथ रचा है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।
—डॉ. अरुण कुकसाल
Karobare Tamanna
- Author Name:
Rahi Masoom Raza
- Book Type:

-
Description:
समस्या बड़ी हो या छोटी, उसका प्रभाव समाज के छोटे-से हिस्से पर हो या देशव्यापी हो, नियम-क़ानून द्वारा उस पर कितना क़ाबू किया जा सकता है? यह मुद्दा विचारणीय है। यह वास्तविकता है कि समस्या की जड़ में जाकर मूल कारणों की पहचान की जाए तो समस्या से मुक्ति मिल सकती है। इस दिशा में रचनाकार की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। वह समस्या की जड़ में जाकर मूल कारणों की न केवल पहचान करता है, बल्कि उनके विरुद्ध अवाम की मानसिकता का निर्माण करने की ज़िम्मेदारी भी निभाता है।
वेश्यावृत्ति का ज्वलन्त मुद्दा उपन्यास ‘कारोबारे तमन्ना’ के केन्द्र में है। निम्नवर्गीय मुस्लिम समाज की आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि में वेश्यावृत्ति के कारणों की जाँच-पड़ताल की गई है। उपन्यास वेश्याओं की जटिल जीवन-शैली और उस वृत्ति के निर्माण की पूरी प्रक्रिया को यथार्थ के धरातल पर प्रस्तुत करता है। यह रचना अपनी सम्पूर्णता में उसका विरोध भी करती है।
राही मासूम रज़ा के औपन्यासिक कर्म की मुख्यधारा के बरक्स ‘कारोबारे तमन्ना’ की ख़ूबी इसके दिलचस्प होने में है। यह अपने कथ्य के आधार पर विशिष्ट है। हिन्दी साहित्य की मुख्यधारा में लिखे उपन्यासों से इतर राही ने शाहिद अख़्तर और आफ़ाक़ हैदर नाम से उर्दू भाषा में कई उपन्यासों की परम्परा में परिगणित होने के कारण कभी चर्चा के लायक़ ही नहीं समझे गए।
‘कारोबारे तमन्ना’ को डॉ. एम. फ़िरोज़ खाँ ने लिप्यन्तरित कर हिन्दी पाठकों के लिए उपलब्ध कराया है।
राही मासूम रज़ा के असंख्य पाठकों हेतु एक संग्रहणीय पुस्तक।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...