Neel Chhavi
Author:
Mahashweta DeviPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
आधुनिक नागर समाज एक तरफ सुख-सुविधा के नाना संसाधनों से सम्पन्न हुआ है तो दूसरी तरफ बौद्धिक-सांस्कृतिक रूप से अपने लिए उसने अनेक संकट भी खड़े किए हैं। साधनों तक पहुँच की बदौलत नैतिक और मानवीय स्तर पर बेहतर बनने के बजाय वह विलासिता को ही अपना चरम लक्ष्य मानने लगा है।</p>
<p>ड्रग्स हो या कि ब्लू फिल्म उपभोग की निर्बन्ध आकांक्षा ने इस समाज के लोगों को निरा उपभोक्ता बनाकर छोड़ दिया है। ऊपर से चाक-चौबन्द और जगर-मगर नजर आता यह समाज वस्तुत: आन्तरिक खोखलेपन का शिकार बन चुका है। सबकुछ नियंत्रित करने वाली सियासत हो याकि स्वप्न देखने के लिए प्रेरित करने वाली कला, कोई भी इस संकट से अछूता नहीं है।</p>
<p>‘नील छवि’ निरन्तर पतन की इसी त्रासद सचाई का बेचैन करने वाला आख्यान है, जिसमें कथित उच्च वर्गीय जीवन का आपराधिक दोहरापन और नैतिकता व मानवीयता के घोषित मान्यताओं के निरुपाय होते जाने का चित्रण, ठहरकर सोचने के लिए विवश करता है।
ISBN: 9788183611862
Pages: 198
Avg Reading Time: 7 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Jheeni-Jheeni Beeni Chadariya
- Author Name:
Abdul Bismillah
- Book Type:

- Description: बनारस के साड़ी-बुनकरों पर केन्द्रित अब्दुल बिस्मिल्लाह का यह उपन्यास हिन्दी कथा-साहित्य में एक नये अनुभव-संसार को मूर्त करता है और इस अनुभव-संसार में साड़ी-बुनकरों की जिस अभावग्रस्त और रोग-जर्जर दुनिया में हम मतीन, अलीमुन और नन्हें इक़बाल के सहारे प्रवेश करते हैं, वहाँ मौजूद हैं रऊफ चचा, नजबुनिया, नसीबुन बुआ, रेहाना, कमरुन, लतीफ, बशीर और अल्ताफ़ जैसे अनेक लोग, जो टूटते हुए भी साबुत हैं–हालात से समझौता नहीं करते, बल्कि उनसे लड़ना और उन्हें बदलना चाहते हैं और अन्ततः अपनी इस चाहत को जनाधिकारों के प्रति जागरूक अगली पीढ़ी के प्रतिनिधि इक़बाल को सौंप देते हैं। इस प्रक्रिया में लेखक ने शोषण के उस पूरे तंत्र को भी बारीकी से बेनकाब किया है जिसमें एक छोर पर है गिरस्ता और कोठीवाल, तो दूसरे छोर पर भ्रष्ट राजनीतिक हथकंडे और सरकार की तथाकथित कल्याणकारी योजनाएँ। साथ ही उसने बुनकर-बिरादरी के आर्थिक शोषण में सहायक उसी की अस्वस्थ परम्पराओं, सामाजिक कुरीतियों, मजहबी जड़वाद और साम्प्रदायिक नज़रिये को भी अनदेखा नहीं किया है।
Pahchan
- Author Name:
Anwar Suhail
- Book Type:

-
Description:
इस उपन्यास की पृष्ठभूमि में भारतीय समाज का वह सीमान्त इलाक़ा है जहाँ के बच्चों की शिक्षा सिनेमा–हॉलों, गैरेजों और चाय–पान की गुमटियों में होती है, जिन्हें भूगोल का ज्ञान ट्रक चालकों से, इंजीनियरिंग का ज्ञान गैरेजों में खटकर, ड्रेस डिजाइनिंग का हुनर दर्जी की दुकान से और ब्यूटीशियन का डिप्लोमा नाई की दुकान से मिलता है। यूनुस इसी धरती पर उगा हुआ एक पौधा है, जिसे अपने लिए एक पहचान की तलाश है।
लेकिन उसके साथ चिपकी हुई एक पहचान उसका मुसलमान होना भी है, पर वह उसे हर कहीं उजागर नहीं करता, कम–से–कम अपने सलीम भाई की तरह तो नहीं जिसे गुजरात में ऑटो में बैठे–बैठे ज़िन्दा जला दिया गया; उसके लिए उससे ज़्यादा मायने अपनी वह छवि रखती है जिसे वह सनूबर की आँखों में देखता है। सनूबर जो उसकी महबूबा है और जो उसे मुहम्मद यूनुस नहीं, अंग्रेज़ी में संक्षेप करके ‘एम–वाई’ अर्थात् ‘माई’ बुलाती है।
एक आदमी की पहचान क्या होती है उसका धर्म, उसका पेशा या उसका हृदय? यह उपन्यास अपने नायक यूनुस के माध्यम से यही सवाल हमारे सामने रखता है। यूनुस निम्न मध्यवर्गीय भारतीय मुस्लिम समाज का एक प्रतिनिधि चरित्र है, और अपने बनने की प्रक्रिया में हमें अपनी स्मृतियों के साथ उस पूरे परिदृश्य से परिचित कराता है जिसमें साम्प्रदायिक ताक़तों की राष्ट्रीय राजनीति में घुल–मिल जाने के बाद, आज भारत का ग़रीब मुस्लिम तबका रह रहा है।
Phir Subah Hogi
- Author Name:
Balwant Singh
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत उपन्यास ‘फिर सुबह होगी’ में पीड़ा का दबा-दबा स्वर गूँजता है जो एक पीढ़ी से शुरू होता है और इसका अन्त दूसरी पीढ़ी में जाकर होता है।
इस उपन्यास में कुछ पात्रों को लेकर कथानक का ताना-बाना तैयार किया गया है, जो मध्यम वर्ग से सम्बन्ध रखते हैं।
सभी पात्र पाठकों के सुपरिचित व्यक्तियों में से लिए गए हैं, परन्तु कहानी की रोचकता व सजीवता में कोई कमी नहीं महसूस होती।
विश्वास है, यह उपन्यास पाठकों को शुरू से अन्त तक बाँधे रखने में सक्षम सिद्ध होगा।
Maa: Ek Beti Ke Ehsaas Ki Kahani
- Author Name:
Naazrin Ansari
- Book Type:

- Description: मैं नाज़रीन अंसारी एक लेखिका के रूप में आप सबके समक्ष फिर से पहली पुस्तक ‘माँ’ एक बेटी के अहसास की कहानी, माँ से मेरे रिश्ते के अनुभव की कुछ और कड़ी आपसे जोडऩे आई हूँ। माँ के निश्छल प्रेम को, अथाह परिश्रम को, माँ के त्याग और बलिदान का थोड़ा और बखान करने की खातिर मैं इस पुस्तक में अपने दिल की कुछ और मर्मस्पर्शी यादों को जोडक़र आप सबसे बाँटने आई हूँ। माँ के लिए जितना भी लिखूँ, कम ही है। इस पुस्तक में मैंने पिछले सारे अहसासों के साथ कुछ और जज़्बातों को जोड़ा है। यह मेरी पहली पुस्तक से ही जुड़ा हुआ भाग है। माँ के लिए बहुत-कुछ कहना है, माँ के लिए और क्या-क्या महसूस करती हूँ, आप सबसे साझा करना है। मेरे दिल की बातें, मेरे जज़्बातों के बहाव की रवानी आपको जरूर प्रसन्नचित्त करेगी। मेरे अहसास आपकी आँखों को पुरनम कर जाएँगे। माँ की ममता की गरिमा का अहसास दिलाएँगे और आपके हृदय को एक मार्मिक स्पर्श का अनुभव कराएँगे। आप सब पाठकों को मेरी पुस्तक पसंद आएगी, बस यही कामना करती हूँ। बहुत सारी कविताओं और यादों के कुछ और पन्ने अपनी इस पुस्तक में जोड़ रही हूँ। आपसे अनुरोध है कि आप इस पुस्तक को पढ़ें, यह पुस्तक आप सबको अपने माता-पिता के और करीब ले जाएगी, क्योंकि माता-पिता के प्रेम से सुंदर अनुभूति इस दुनिया में और कुछ नहीं है। आप सब लोग यह मत सोचिएगा कि फिर से इस पुस्तक को क्यों पढ़ा जाए, क्योंकि इस पुस्तक में आपको बहुत-कुछ अलग पढऩे को मिलेगा। माँ से जुड़े अपने कुछ और विचारों से मैं आप सबको अवगत कराना चाहती हूँ। कृपया इस पुस्तक को अपना प्यार ज़रूर दीजिएगा। माँ हम सबकी जहान, माँ खुशियों का मकाम। माँ हौसलों का गुमान, माँ हमारे वजूद की पहचान। माँ हमारे गमों की निदान, माँ हर घर की शान। माँ हमारे घर की बागबान, माँ का हमेशा रहे मान।
Log
- Author Name:
Giriraj Kishore
- Book Type:

-
Description:
‘लोग’ सुप्रसिद्ध कथाकार गिरिराज किशोर का चर्चित उपन्यास है। इसमें एक संक्रमणशील समय का अत्यन्त प्रभावी व रोचक चित्रण है। लेखक के शब्दों में, “देश का स्वतंत्र होना लगभग निश्चित हो गया था। नई सामाजिक प्रवृत्तियाँ और शक्तियाँ अपना स्थान बना रही थीं। उस समय का अभिजात वर्ग अपने-आपको डूबता हुआ महसूस करने लगा, आर्थिक स्तर पर ही नहीं, सामाजिक एवं मान्यताओं के स्तर पर भी। उस वर्ग से सम्बद्ध हर एक वर्ग के ‘लोग’ अपने-आपको ‘छूट-गया’ हुआ-सा महसूस कर रहे थे। उन लोगों के मन में इस नए परिवर्तन के प्रति अरक्षा, मूल्यहीनता, संस्कार-हीनता, उच्छृंखलता, विघटन आदि सब प्रकार की आशंकाएँ थीं। अंग्रेज़ों का जाना उस ‘पूरे' वर्ग के व्यक्तिहीन हो जाने की सूचना थी। उनमें से कुछ बदलते हुए सन्दर्भों के अनुरूप अपने को ढाल पाने में असमर्थ रहे। वे ही ‘लोग’ यहाँ
हैं।”यह उपन्यास वस्तुत: आत्ममूल्यांकन और सामाजिक विश्लेषण की समेकित प्रक्रिया को रेखांकित करता है। कथारस और पठनीयता के गुणों से ओत-प्रोत एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास।
<
Khali Jagah
- Author Name:
Geetanjali Shree
- Book Type:

-
Description:
संवेदना और गहरी दृष्टि से भाषा के अनोखे खेल की रचना करता है गीतांजलि श्री का उपन्यास—‘ख़ाली जगह’। इस उपन्यास में लेखिका ने नैरेटिव की चिन्दियों को विस्फोट की तरह फैलने दिया है—बार-बार सत्यता के दावों में छेद करते हुए। ‘ख़ाली जगह’ में मूल तत्त्व वह हिंसा है जो हमारे, रोज़मर्रे की ज़िन्दगी में समा गई है। ‘बम’ इसका केन्द्रीय रूपक है जो ज़िन्दगियों के परखचे उड़ा देता है।
एक अनाम शह के अनाम विश्वविद्यालय के सुरक्षित समझे जानेवाले कैफ़े में एक बम फटता है—और उन्नीस लोगों की शिनाख़्त से शुरू होती है—‘ख़ाली जगह’ की कहानी। उन्नीसवीं शिनाख़्त करती है एक माँ—अपने राख हुए अठारह साल के बेटे की और यही माँ ले आती है बेटे की चिन्दियों के साथ एक तीन साल के बच्चे को, जो सलामत बच गया है, न जाने कैसे, ज़रा-सी ख़ाली जगह में...!
गीतांजलि श्री ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव यथार्थ के बीच जो तालमेल बिठाती हैं वह स्पष्ट, तार्किक क्रम को तोड़ता है। वह उसमें लेखकीय वक्तव्य देकर कोई हस्तक्षेप नहीं करतीं। पात्रों की भावनाएँ, उनके विचार और कर्म, अस्त-व्यस्त उद्घाटित होते हैं, घुटे हुए, कभी ठोस, कभी ज़बरदस्त आस और गड़बड़ाई तरतीब में हैरानी से भिंचे हुए। पूछते से कि क्या यही है जीवन, यही होता है उसका रंग-रूप, ऐसा ही होना होता है? ‘ख़ाली जगह’ गीतांजलि श्री के लेखन की कुशलता का सबूत है, वह कल्पना और यथार्थ के अभेद से बनी ज़िन्दगी बटोर लाती हैं और ‘ख़ाली जगह’ पाठकों के मन पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ जाता है।
Devrani Jethani Ki Kahani
- Author Name:
P. Gauridutt
- Book Type:

- Description: Awating description for this book
Naya Ghar
- Author Name:
Intizar Hussain
- Book Type:

- Description: नया घर एक परिवार की दास्तान है जिसका सफ़र अतीत में इस्फ़हान के घर से शुरू होता है और हिजरत करता हुआ क़ज़वीन, हिन्दुस्तान और अंत में पाकिस्तान पहुँचकर भी ज़ारी रहता है। इंतिज़ार हुसैन सीधी-सादी ज़बान में आपबीती सुनाते हैं। इनसानी मुक़द्दर, इनसानी जीवन और ब्रह्मांड से सम्बन्धित मूल प्रश्नों पर सोच-विचार के वक्श्त भी इस सहज स्वभाव को क़ाइम रखते हैं। विभाजन के नतीजे में प्रकट होनेवाली सांस्कृतिक, भावात्मक, मानसिक समस्याएँ; एक सर्वव्यापी और साझा इतिहास और उस इतिहास के बनाए हुए सामाजिक संघटन का बिखराव; देशत्याग, साम्प्रदायिक दंगे, सत्ता की राजनीति का तमाशा, पाकिस्तान में तानाशाही, राजनीतिक दमन और मूलतत्ववाद के परिणामस्वरूप सामाजिक स्तर पर प्रकट होनेवाली घुटन और सामूहिक मूर्खताओं का एहसास; फिर विरोध और अभिव्यक्ति-स्वातंत्रय की वह लहर जो वैयक्तिक सत्ता के विरुद्ध सामूहिक नफ़रतों को अभिव्यक्त करती है - नया घर में इन सारी घटनाओं का रचनात्मक चित्रण मिलता है। पिछले चालीस बरसों (‘नया घर’ 1987 ई. में प्रकाशित हुआ था) में होनेवाली हर वह राजनीतिक घटना जिससे सामूहिक दृष्टि प्रभावित हुई है, इंतिज़ार हुसैन की रचनात्मक प्रक्रिया और प्रतिक्रिया में उसकी गूँज सुनाई देती है। इंतिज़ार हुसैन ने एक बहुत बड़े कैनवस की कहानी को यहाँ ‘मिनिएचर’ रूप में प्रस्तुत किया है। कहानी का हर पात्र और हर घटना चित्रण में इस तरह गुँथा हुआ है कि सारे घटक एक दूसरे की संगति में ही अपने अर्थ तक पहुँचते हैं। अतीत की धुंध को चीरती हुई कहानी वर्तमान का भाग इस तरह बनती है कि दोनों कहानियाँ अपने अलग-अलग स्तरों पर भी जीवित रहती हैं। ‘नया घर’ एक सिलसिला भी है और विभिन्न मूल्यों, रवैयों, परम्पराओं और दो ज़मानों के बीच एक संग्राम भी।
Honi Anhoni
- Author Name:
Balwant Singh
- Book Type:

-
Description:
प्रस्तुत पुस्तक में हिन्दी जगत के मूर्धन्य उपन्यासकार बलवन्त सिंह ने मानवीय मनोविज्ञान से युक्त आधुनिक परिवेश में रची-बसी कहानी प्रस्तुत किया है, जो युवा हृदय में हलचल पैदा करने में सक्षम है।
इस उपन्यास में आधुनिक मनोभूमि का विराट चित्र प्रस्तुत किया गया है। जनजीवन के सामाजिक यथार्थ की ऐसी विश्वसनीयता विरल है। इस रचना में संवेदना का सरल प्रवाह विद्यमान है, यह उपन्यास बेजोड़ ही नहीं क्लासिक है जिसे पाठक जब पढ़ना शुरू करेंगे तो अन्त तक पढ़ने को विवश हो जाएँगे।
Sookha Bargad
- Author Name:
Manzoor Ehtesham
- Book Type:

-
Description:
सुपरिचित कथाकार मंज़ूर एहतेशाम का यह महत्त्वपूर्ण उपन्यास वर्तमान भारतीय मुस्लिम समाज के अन्तर्विरोधों की गम्भीर, प्रामाणिक और मूल्यवान पड़ताल का नतीजा है और यही कारण है कि इस उपन्यास को हिन्दी की कालजयी रचनाओं में गिना जाता है।
सामाजिक विकास के जिन अत्यन्त संवेदनशील गतिरोधों पर क़लम उठाने और उन्हें छूने-भर का साहस भी बहुत कम लोग कर पाते हैं, उन्हें इस उपन्यास में न सिर्फ़ छुआ गया है, बल्कि सबसे बड़े ख़ुदा—इंसान की ज़रूरतों, आशा-आकांक्षाओं और अस्तित्व के सन्दर्भ में उनकी गहरी छानबीन की गई है। धर्म, जातीयता, क्षेत्रीयता, भाषा और साम्प्रदायिकता के जो सवाल आज़ादी के बाद हमारे समाज में यथार्थ के विभिन्न चेहरों में उभरे हैं, उनकी असहनीय आँच इस समूची कथाकृति में मौजूद है।
यही सारे सवाल आज भी हमारे आसपास एक ऐसे बरगद की झूलती जड़ें बनकर फैले हुए हैं, जिसके नीचे किसी भी कौम की तरक़्क़ी और ख़ुशहाली असम्भव है। लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण है यह जानना कि इस त्रासदी के पीछे किसका हाथ है और इसका हल क्या है? कहना न होगा कि इस प्रश्न का उत्तर देते हैं वे तमाम लोग जो इस समाज में शोषित, पीड़ित, अपमानित और लांछित हैं, लेकिन आज भी टूटे नहीं हैं।
Shri Shriganesh Mahima
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

-
Description:
यह बिहार के एक गाँव की कहानी है, जो बीसवीं सदी में नहीं, अभी भी मध्ययुग के बीहड़ अँधेरों में जी रहा है और जहाँ आज भी भारत सरकार का नहीं, बल्कि ऊँची जाति के राजपूत मालिकों का प्रभुत्व चलता है। वही निरंकुश यह तय करते हैं कि नीची जातियों के मर्द–औरतों की भूमिका कब ज़रख़रीद ग़ुलाम, कब बँधुआ मज़दूर, कब उजड़े किसान और कब रखैल की होगी।
भूमि–अधिपति श्री श्री गणेश है, इस बर्बर और हिंस्र व्यवस्था का निरंकुश शासक जिसकी महिमा का बखान जन्म से लेकर उसके पिताश्री की रखैल और उसकी धाय माता लछिमा के हाथों मारे जाने तक बड़ी सशक्त शैली में किया गया है। लेकिन फ़िलहाल हारी जानेवाली इस लड़ाई में शामिल लोगों की चित्र–वीथी में हैं हर जगह और हर युग में अत्याचारी के विरुद्ध चिनगारी फूँकने वालों की परम्परा में राँका दुसाध, गांधीवादी अभय महतो, नक्सली जुगलकरन और बस्तियों से जंगलों में भागकर आई अनाम भीड़।
उपन्यास में हरेक की छवि बड़ी ही सहज और सशक्त रंगों में उभारी गई है। मध्यवर्ग की नई पीढ़ी की यौवन पल्लवी शाह की बौनी सहानुभूति पर किया गया कटाक्ष इस उपन्यास के पाठक कभी भूल नहीं पाएँगे। लेकिन बीहड़ अँधेरे में किरण है सरसतिया की आवाज़, जो अपनी कोख से राँका दुसाध जैसी उद्धत सन्तान को टेर रही है, यही है इस उपन्यास में उपन्यासकार की आस्था का उद्घोष।
Patan (Raj)
- Author Name:
Albert Camus
- Book Type:

-
Description:
अल्बैर कामू का ‘पतन’ उपन्यास उनकी अन्य कृतियों से कुछ भिन्न है। वह इसलिए कि इसमें घटनाओं के वे घात-प्रतिघात देखने को नहीं मिलते जो कथा को नाटकीय अन्त प्रदान करते हैं।
इस उपन्यास का नायक एक सैलानी है जो न सिर्फ़ दो-दो विश्वयुद्धों के विश्वव्यापी प्रभावों के दौर से गुज़र चुका है, बल्कि वर्तमान सभ्यता के भविष्य को लेकर भी वह आशंकित है। वह देखता है कि अन्तहीन विसंगतियों और जड़ताओं ने मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने दिया है और मानवीय मूल्यों का खोखलापन जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित कर रहा है।
पतन के कगार पर पहुँची हुई इस सभ्यता के एक प्रेक्षक, भोक्ता और प्रवक्ता के रूप में वह घटना-स्थितियों और मनःस्थितियों को आँकता है और उन्हें जिस तीखेपन के साथ सामने रखता है उससे पाठक के मन में बहुत कुछ जागने लगता है।
नायक की आशंकाएँ और चिन्ताएँ उपन्यास में इतनी प्रामाणिक हैं कि इससे गुज़रते हुए हम महसूस करने लगते हैं कि कथानायक कहीं स्वयं लेखक ही तो नहीं!
Manushya Ke Roop
- Author Name:
Yashpal
- Book Type:

-
Description:
“लेखक को कला की महानता इसमें है कि उसने उपन्यास में यथार्थ से ही सन्तोष किया है। अर्थ और काम की प्रेरणाओं की विगर्हणा उसने स्पष्ट कर दी है। अर्थ की समस्या जिस प्रकार वर्ग और श्रेणी के स्वरूप को लेकर खड़ी हुई है, उसमें उपन्यासकार ने अपने पक्ष का कोई कल्पित उपलब्ध स्वरूप एक स्वर्ग, प्रस्तुत नहीं किया...अर्थ सिद्धान्त की किसी अयथार्थ स्थिति की कल्पना उसमें नहीं। समस्त उपन्यास का वातावरण बौद्धिक है। अत: आदि से अन्त तक यह यथार्थवादी है।...मनुष्यों की यथार्थ मनोवृत्ति का चित्रांकन करने की लेखक ने सजग चेष्टा की है।...यह उपन्यास लेखक के इस विश्वास को सिद्ध करता है कि परिस्थितियों से विवश होकर मनुष्य के रूप बदल जाते हैं।
‘मनुष्य के रूप' में मनुष्य की हीनता और महानता के यथार्थ चित्रण का एक विशद प्रयत्न किया गया है।”
—डॉ० सत्येन्द्र
Adab Mein Baaeen Pasli : Afro-Asiayi Laghu Upanyas : Vol. 3
- Author Name:
Nasera Sharma
- Book Type:

-
Description:
उर्दू भाषा का जन्म हिन्दुस्तान में हुआ। मातृभाषा जो भी हो मगर लिखनेवाले उर्दू में लिखते रहे। इसलिए जहाँ उर्दू का विस्तार बढ़ा, वहीं पर उसके पढ़नेवालों की दिमाग़ी फ़िज़ा भी रौशन और खुली बनी। भाषा पर किसी धर्म और विचारधारा की हुकूमत नहीं हो सकती है, जो ऐसा सोचते हैं वे अपना ही नहीं, अपनी भाषा के विकास का भारी नुक़सान करते हैं।
अपनी ऐतिहासिक धरोहर को वक़्ती सियासी मुनाफ़े का मोहरा बनाकर उनका व्यक्तिगत लाभ हो सकता है, मगर बड़े पैमाने पर हम उर्दू साहित्य का ख़ज़ाना खो बैठेंगे और साथ ही हिन्दी भाषा साहित्य का भी नुक़सान करेंगे। अनेक लेखकों की हिन्दी भाषा लिपि में लिखी कहानियों में उर्दू शब्द नगीने की तरह जड़े नज़र आते हैं, जो भाषा को नया सौंदर्य देते हैं। उनको हटाकर वहाँ हिन्दी भाषा के ख़ालिस शब्द लगाने की मुहिम चलाएँगे तो उस गद्य का क्या बनेगा?
हमारे बुज़ुर्गों ने औरतों के इतने शानदार चरित्र गढ़े हैं, जो आज भी ज़िन्दा महसूस होते हैं, जिनमें ज़िन्दगी अपने सारे परिवेश के साथ धड़कती है और हर रंग में हमारे सामने अहसास का पिटारा खोलती है और इस विचार को पूर्णरूप से रद्द कर देती है कि औरत के बारे में सिर्फ़ औरत ही ईमानदारी से लिख सकती है। यह सौ फीसदी सच है मगर कला इस तथ्य से आगे निकल कर हमें यह बताती है कि कफ़न की दुनिया औरत-मर्द क़लमकारों के इस फ़र्क़ को न मानती है न स्वीकार करती है। सबूत इन कहानियों के रूप में सामने है। इन कहानियों में पूरी एक सदी का समय क़ैद है, जो हमारे बदलते ख़यालात, समाज, माहौल और इंसान को हमारे सामने एक सनद की शक्ल में पेश करते हैं। यह अलग बात है कि कुछ किरदार हमें बिलकुल नए और वर्तमान में साँस लेते लगेंगे।
Ve Aankhen
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

-
Description:
इस संसार में कोई भी ऐसा नहीं है जो पूरे विश्वास के साथ कह सके, कि वह सुखी है। जो ऐसा कहता है, वह या तो जान-बूझकर झूठ बोलता है या फिर उसे समझ ही नहीं है कि सुख क्या होता है।
इस कथा-पुस्तक की केन्द्रीय विषयवस्तु यही है। अविनाश दा की कविताओं से शब्द की महत्ता का पाठ पढ़कर कथानायक जीवन की कथा कहने बैठता है जिसमें उसके पास-पड़ोस से लेकर दिल्ली-मुम्बई तक फैले पात्रों के दु:ख-कर्म शामिल हैं। इतिहास जिस तरह आगे बढ़ता है, आदमी का जीवन भी छोटे रूप में उसी तरह ऊपर-नीचे होता हुआ बढ़ता रहता है। उसमें तरह-तरह के बदलाव आते हैं, कई बार तो ऐसे कि कुछ अन्तराल के बाद उनसे मिलो तो जैसे पहचानना ही मुश्किल हो जाता है।
अलग-अलग कथा-सूत्रों के माध्यम से बिमल मित्र यहाँ जीवन और साहित्य के रिश्ते पर, मनुष्य की विचित्र नियति पर, समाज के मुखौटों पर अलग-अलग कोणों से दृष्टिपात करते हैं। अविनाश दा, सत्य सुन्दर और मिसेज राय, अशेष दत्त, मुकुल राय जैसे पात्रों की इन कहानियों में जीवन के कई चित्र ऐसे हैं जो इस संसार के प्रति प्रेम भी जगाते हैं, मोह भी और वितृष्णा भी।
Irawati
- Author Name:
Jaishankar Prasad
- Book Type:

-
Description:
शुंगकालीन ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह अधूरा उपन्यास ‘इरावती’ कौतूहल, जिज्ञासा, रोमांस और मनोरंजन आदि तत्त्वों के कथात्मक इस्तेमाल की दृष्टि से ही महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि मनुष्य की जैविक आवश्यकताओं की निरुद्धि से उत्पन्न विकृतियों और कुंठाओं के परिणामों की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। इरावती, कालिन्दी, अग्निमित्र, पुष्यमित्र, वृहस्पति मित्र और ब्रह्मचारी आदि चरित्र केवल कथा की वृद्धि नहीं करते हैं या केवल रहस्य को घना करके उपन्यास को रोमांचक ही नहीं बनाते हैं, बल्कि मानव मन का उद्घाटन करके यथार्थ के चरणों की ओर संकेत भी करते हैं।
बौद्ध धर्म की जड़ता और रसहीनता के साथ ही साथ इसमें अहिंसा और करुणा की प्रतिवादिता से उत्पन्न उन समस्याओं की ओर संकेत किया गया है, जो सत्याग्रह आन्दोलन से पैदा हो रही थीं। मूल्यों के रूढ़ि में बदलने की प्रक्रिया के संकेत के साथ प्रसाद जी इसमें सामाजिक रूढ़ियों और विकृतियों के प्रति विद्रोह को रेखांकित करते हैं। सामन्ती मूल्यों के साथ ही साथ इसमें उस सामाजिक परिवर्तन का संकेत किया गया है जो वर्ग और जाति की दीवारों को तोड़कर उपजता है और नए समाज में रूपान्तरित हो जाता है।
उपन्यास इतिहास और कल्पना, आदर्श और यथार्थ, अतीत और वर्तमान, आन्तरिक और बाह्यता की द्विभाजिकताओं के बीच से मनुष्य की रसधारा को सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करता है।
Raat Ke Gyarah Baje
- Author Name:
Rajesh Maheshwari
- Book Type:

-
Description:
‘रात के ग्यारह बजे’ नारी के विविध रूपों को काले और सफ़ेद खानों में रखकर देखने के बजाय ‘ग्रे एरिया’ में अलग-अलग शेड्स दिखाता है। बहुत ही विश्वसनीय प्रसंगों के ताने-बाने में। राजेश माहेश्वरी के इस उपन्यास की स्त्रियाँ शिक्षित हैं और आत्मविश्वास से भरी हुई हैं। कठिनाइयों के अथाह दुर्गम को पार कर वे अस्तित्व के संघर्ष में निरन्तर आगे बढ़ती हुई नज़र आती हैं।
उपन्यास के किरदार मानसी, राकेश, आनन्द, गौरव और पल्लवी के बीच रिश्तों की परतें बहुत उलझी हुई हैं। ये सभी किरदार ज़िन्दगी की गाड़ी में सवार सहयात्री से लगते हैं जिनके जीवन की घटनाएँ कहीं न कहीं हमारे अपने जीवन की सच्चाई से हमें अवगत कराते हुए प्रतीत होते हैं। 'विश्वास’ का वास्तविक अर्थ हम तब समझ पाते हैं जब हमारे साथ विश्वासघात होता है। और तभी पता चलता है कि विश्वास का धागा जितना सच्चा होता है, उतना ही कच्चा भी होता है। लेखक ने इस अनुभव को बहुत कारगर ढंग से चित्रित किया है।
इस उपन्यास को पढ़ते हुए एक बात अलग से ध्यान खींचती है कि स्त्री-स्वतंत्रता और स्वावलम्बन के समर्थक पुरुष उनके हित में चाहे जो करते हों, लेकिन उनके हँसी-मज़ाक़ में भी उसी तरह की बातें होती हैं जो किसी सामान्य पुरुष के। उपन्यास की भाषा कथा-प्रवाह को गतिशील बनाए रखनेवाली है तथा कथानक की बुनावट ऐसी कि लगे, जैसे कोई फ़िल्म देख रहे हों!
आज के दौर में स्त्री और पुरुष के बीच के रिश्तों को समझने के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपन्यास।
I Finally Got It
- Author Name:
Sakib Chowdhury
- Book Type:

- Description: Everyone is searching for true love Saurabh is no different but surprisingly he found it pretty easily but is it true? Did he truly found the love he was looking for? Find out in the book.
Bas Yu Hi
- Author Name:
Parul Tyagi
- Book Type:

- Description: Hindi Poetry Book
Aligarh Muslim University
- Author Name:
Rajkumar Fulwariya +1
- Book Type:

- Description: Aligarh Muslim University is among the prestigious Central University of our nation but unfortunately there has been a never ending controversy over its minority characteristic right from its establishment till date. In fact, right from its very establishment it has always been considered as a Central University by the Constituent Assembly, Parliament as well as the Judiciary; Apart from this, even its founders too always accepted the fact that the University is open to the people of all the section and religion of the nation. One of the object of this booklet is also that because Aligarh Muslim University is the national heritage of our nation i.e. India, therefore because of the fact that it is a Central University SC/ST/OBCs should get reservation under the National Reservation Policy in the University. This University must have a vital role in nation building and social justice. Reservation to SC/ST/OBCs is provided in all the Central Universities and it should also be given in the Aligarh Muslim University. This is the ultimate object of this book.
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.