Radheya
Author:
Ranjeet DesaiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
‘कर्ण’ के जीवन की विडम्बनाएँ और उसके चरित्र की उदात्तता बार-बार आधुनिक रचनाकारों को आकर्षित करती रही हैं। उसका जीवन-चरित बार-बार नाटकों, खंड-काव्यों और उपन्यासों का विषय बनता रहा है। यह उपन्यास भी कर्ण के जीवन पर आधारित है।</p>
<p>ऐतिहासिक-पौराणिक कथानकों पर प्रभावशाली औपन्यासिक सृष्टि करने में सिद्धहस्त लेखक रणजीत देसाई ने अपनी इस कृति में कर्ण की एक व्यक्ति और एक परिस्थिति, दोनों रूपों में व्याख्या की है। माता-पिता के स्नेह से वंचित, सतत उपेक्षित और अपमानित कर्ण जीवन-भर किसी ऐसे अपराध की सज़ा भोगता रहता है, जिसमें वह कहीं शामिल नहीं था। क़दम-क़दम पर उससे उसकी जातिगत श्रेष्ठता का प्रमाण माँगा जाता है, जो वह नहीं दे पाता, जिसके कारण उसके व्यक्तित्व का प्राकृतिक तेज धूमिल पड़ जाता है। वह अकेला पड़ जाता है। ‘महाभारत’ के इतने विस्तृत फलक पर जिस तरह का अकेलापन कर्ण झेलता है, वह और कोई पात्र नहीं।</p>
<p>प्रस्तुत उपन्यास में गंगा के किनारे जाकर कर्ण को ध्यानस्थ होते देखना सचमुच उसे उस करुणा और सहानुभूति का अधिकारी बनाता है जिसे उसका देश-काल अपनी धार्मिक-सामाजिक सीमाओं के चलते नहीं दे पाया।
ISBN: 9788171198139
Pages: 253
Avg Reading Time: 8 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: यह छोटा-सा उपन्यास उर्दू की क़िस्सागोई की बेहतरीन मिसाल है। इक्कीसवीं, सोलहवीं और अठारहवीं सदियों के अलग-अलग सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मिज़ाज तथा उनके अपने वक़्तों की बोली-बानी में रचा गया है। जो फ़ारूक़ी साहब इस फ़न के उस्ताद लेखकों में एक हैं। कहानी बयान करने पर उन्हें कमाल हासिल है। इस उपन्यास की मुख्य विषय-वस्तु यह क़िस्सा है कि दिल्ली का एक सिपाही जिसका घर जयपुर के किसी गाँव में था, अपनी लड़की की शादी के लिए रुपए-पैसे का बन्दोबस्त करके अपने घर को चला लेकिन रास्ते में उसे डाकुओं ने लूट लिया। ख़ाली हाथ जयपुर पहुँच उसने लोगों से सुना कि वहाँ एक दानी तवायफ़ रहती है जो मदद कर सकती है। सिपाही ने उससे तीन सौ रुपए का क़र्ज़ लिया और जाकर अपनी बेटी की शादी की। वापसी में वह क़र्ज़ लौटाने जब उसके पास गया तो पता चला कि तवायफ़ गुज़र चुकी है और पैसे वापस लेने को कोई वारिस भी नहीं है। यह सोचकर कि मृत आत्मा की क़ब्र पर फ़ातिहा पढ़ता चलूँ, जब पहुँचा तो देखा कि क़ब्र फटी हुई है और उसमें एक दरवाज़ा-सा कहीं जाता दिखाई दे रहा है। वह उसमें अन्दर गया तो वहाँ एक महल में उस तवायफ़ से मिला। उसने पैसे वापस करना चाहा तो यह कहकर कि यह जगह तुम्हारे लिए नहीं है, तवायफ़ ने उसे महल से निकलवा दिया। महल के बाहर एक मैदान था, बाग़ थे। वह वहाँ पर कोई तीन घंटे घूमा और जब बाहर निकला तो देखा कि दुनिया में तीन सौ साल का अरसा बीत चुका है। यह उपन्यास उसके इन दोनों वक्तों की दुनियाओं की उनके अपने मिज़ाज में दिलचस्प अक्काशी करता है और क्योंकि यह सारा क़िस्सा बयान किया है इक्कीसवीं सदी के एक शख़्स ने तो हमारा यह वक़्त भी इसमें आ गया है। इस तरह इस छोटे से उपन्यास की काया में तीन बड़े ज़मानों को समेट दिया गया है... “मालूम होता है कि अल्लाह ताला अपने किसी शख़्स के लिए लम्बे ज़माने को भी मुख़्तसर कर देता है जबकि वह दूसरों के लिए तवील ही रहता है।’’
Lopamudra
- Author Name:
K. M. Munshi
- Book Type:

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Description:
गुजराती के सुविख्यात उपन्यासकार के.एम. मुंशी के इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास में गाधिपुत्र विश्वरथ (जो बाद में ऋषि विश्वामित्र के रूप में विख्यात हुए) के जन्म और बाल्यकाल की मुग्धकारी कथा वर्णित है। उनका अगस्त्य ऋषि के पास विद्याध्ययन, दस्युराज शंबर द्वारा अपहरण, शंबर-कन्या उग्रा से प्रेम-सम्बन्ध, फलस्वरूप एक लम्बा विचार-संघर्ष और इस समूचे घटनाक्रम में अत्यन्त तेजस्वी, अनिंद्य सुन्दरी तथा ऋषि-पद प्राप्त लोपामुद्रा की रचनात्मक भूमिका का इसमें प्रभावी अंकन हुआ है। साथ ही महर्षि अगस्त्य से लोपा का प्रेम, जो समूची कथा में अन्तःस्रोत की तरह प्रवाहित है, पाठक को कुछ नए मूल्य भी सौंपता है।
वस्तुतः आर्यावर्त्त की महागाथा का यह एक ऐसा कीर्तिमान अध्याय है जिसमें हमारी सभ्यता और संस्कृति के कितने ही दुर्लभ रत्न बिखरे पड़े हैं। इसमें जो एक ताप विद्यमान है, उसमें हमें निरन्तर एक नया युग ढलता दिखाई देता है। दूसरे शब्दों में, यह कथा आर्यजाति के महोत्कर्ष के उन प्रतीकों की है, जो आज भी परिवर्तनशील दौर से गुज़रते इस महादेश के सन्दर्भ में एकदम प्रासंगिक हैं। वीरता और शौर्य, साधना और संघर्ष, प्रेम और बलिदान के वे सारे प्रसंग और जीवन-मूल्य, जो लोपामुद्रा और विश्वामित्र का प्रभामंडल बनाते हैं, आज की भी सर्वोच्च प्राथमिकता बनकर उभरते हैं। निश्चय ही, मुंशी जी की यह कथाकृति इतिहास को तीव्र राग की तरह और जिजीविषा को गंध-समान प्रस्तुत करती है।
Ek Hathi Ka Safarnama
- Author Name:
Jose Saramago
- Book Type:

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Description:
दो साल से लिस्बन में रह रहे हाथी सोलोमन को अब एक लम्बे सफ़र पर जाना है। राजा डोम जुआँऊ तृतीय वियना के हैप्सबर्ग के एक आर्चदुक को उसे शादी के तोहफ़े के रूप में भेंट करना चाहता है। अपने नए ठिकाने तक पहुँचने के लिए हाथी को पैदल ही पहुँचना है। इस तरह शुरू होता है वह दिलचस्प सफ़र जो इस बहादुर हाथी को कास्टील के धूल-भरे मैदानों से होते हुए समुद्र पार जेनोआ और उत्तरी इटली तक ले जाएगा। वहाँ उसे बर्फीले आल्प्स को पार करना होगा जैसे सदियों पहले हानिबल के योद्धा हाथियों ने किया था।
यह उपन्यास एक सच्ची घटना पर आधारित है जिसमें लेखक ने तथ्यों, किंवदन्तियों और कल्पना का अद्भुत मिश्रण किया है।
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