Mahabrahman
Author:
Trilok Nath PandeyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 239.2
₹
299
Available
भारत के जाति-संजाल की अनूठी विवेचना करता है ‘महाब्राह्मण’। समाज के अब तक अनछुए रहे कई पहलुओं को बड़ी बेबाकी से उभारकर उनकी विडम्बनाओं और त्रासदियों पर प्रकाश डालती है इसकी कहानी।</p>
<p>भारतीय समाज सदियों से जातियों-उपजातियों की चक्की में लोगों को पीसता रहा है। जाति हमारे यहाँ ऊपरी आभासी समरसता के अन्तस्तल में अनिवार्य तत्त्व के रूप में सदैव सक्रिय रहती है और लोगों के निर्णयों और प्राथमिकताओं के निर्धारण में एक बड़ी भूमिका निभाती है। यही कारण है कि लोग मजबूरी में भी अपनी जाति-पहचान से चिपके रहते हैं।</p>
<p>इस उपन्यास का नायक मानवीयता की उदात्त डोर पकड़कर आगे बढ़ने की कोशिश करता है, किन्तु कदम-कदम पर उसे अपमान और प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति के शुभत्व में गहरी आस्था के सहारे नायक अपने संघर्ष की निरन्तरता बनाए रखता है, किन्तु प्राय: हर तरफ से बार-बार मिलती निराशा इसे आत्मघात की ओर धकेल देती है। उपन्यास के अन्य चरित्र मानव-जीवन की विभिन्न विचित्रताओं को चित्रित करते हैं जिससे इसका कथानक बहुआयामी और रोचक बन गया है।</p>
<p>उपन्यास के लेखक ने वर्षों तक निरन्तर शोध और फील्ड वर्क किया है। महाब्राह्मण समाज की गहराई में जाकर लेखक ने अनगिनत इंटरव्यू लिए और अनेक ऐसी विसंगतियों को देखा-समझा जिनके बारे में आमतौर पर हम बिलकुल नहीं जानते। यह पहली कृति है, जो जाति-संरचना के इस पक्ष को इतने अच्छे ढंग से न सिर्फ, चित्रित करती है बल्कि विश्लेषित भी करती है।
ISBN: 9788119028283
Pages: 216
Avg Reading Time: 7 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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इसी बीच रावण द्वारा सीता के अपहरण के बाद राम उन्हें खोजते हुए हनुमान से मिलते हैं। हनुमान सीता की खोज में लंका जाते हैं। सीता से तो मिलते ही हैं, रावण की शक्ति और कमज़ोरियों से भी परिचित होते हैं। फिर राम-रावण युद्ध, सीता को वनवास, लव-कुश का जन्म और पूरे उत्तर कांड की कहानी वही है—बस, दृष्टि अलग है।
लेखक ने पूरी रामकथा में हनुमान की निष्ठा, समर्पण, मित्रता और भक्तिभाव का विलक्षण चित्र खींचा है। उनकी अलौकिकता को भी महज़ कपोल-कल्पना न मानकर एक आधार दिया है। लेखक ने पूरे उपन्यास में उन्हें अंजनी-पुत्र आंजनेय ही कहा है, उनकी मातृभक्ति के कारण उपन्यास में सबसे महत्त्वपूर्ण उत्तरार्ध और क्षेपक है जो शायद किसी राम या हनुमान कथा का हिस्सा नहीं।
यहाँ हनुमान सीता माता के निष्कासन के लिए राम के सामने अपना विरोध जताते हैं और उन्हें राजधर्म और निजधर्म की याद दिलाते हैं। यहाँ यह कथा अधुनातन सन्दर्भों में गहरे स्तर पर राजनीतिक हो जाती है। वैसे, मूल रामकथा में बिना कोई छेड़छाड़ किए लेखक ने आंजनेय के चरित्र को पूरी गरिमा के साथ स्थापित किया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है।
Rokar Jo Mili Nahin
- Author Name:
Bimal Mitra
- Book Type:

- Description: 'रोकड़ जो मिली नहीं' वस्तुत: मनुष्य के भाग्य का इतिहास है। आज के युग में मनुष्य टेक्नोलॉजी के तर्क से पैसे को ही सब कुछ मानकर किस प्रकार के अनैतिक कार्य करता है और अन्तत: सुख उसे समृद्धि से नहीं मिलता है। इस उपन्यास में 'सोने के हार की चोरी' की खोज के माध्यम से मानव की कमज़ोरियों का रहस्य समझने का प्रयत्न किया गया है। ब्लैक प्रिंस का इतिहास पैसे के पीछे पागल लोगों का इतिहास है। जासूसी कथा शिल्प के माध्यम से रचनाकार ने कलकत्ता महानगर के काले पक्ष को उजागर करने का आश्चर्यजनक प्रयत्न किया है। कौतूहल मनोरंजन आदि तत्त्वों से युक्त होने के बावजूद यह ‘रहस्य रोमांच’ से भिन्न एक साहित्यिक रचना है, यही इसका रहस्य है। सुनीति मित्र, झगड़ू और ब्लैक प्रिंस तो सामाजिक व्यवस्था के उस पक्ष के परिणाम हैं जो रोटी के लिए पूँजी की भूख पैदा करता है। अपराधों के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण क्या हैं, यह पुस्तक पढ़कर समझा जा सकता है, क्योंकि अपराध इसमें स्वयं प्रतीक के रूप में प्रयुक्त है। वस्तुत: इन्हीं कारणों से पुस्तक रोचक और कौतूहलपरक ही नहीं, शैली की दृष्टि से भी आकर्षक है।
Murdon Ka Tila
- Author Name:
Rangeya Raghav
- Book Type:

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Description:
भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का इतिहास मुअनजोदड़ो के उत्खनन में मिली सिन्धु घाटी की सभ्यता से शुरू होता है। इस सभ्यता का विकसित स्वरूप उस समय की ज्ञात किसी सभ्यता की तुलना में अधिक उन्नत है। प्रसिद्ध उपन्यासकार रांगेय राघव ने अपने इस उपन्यास ‘मुर्दों का टीला’ में उस आदि सभ्यता के संसार का सूक्ष्म चित्रण किया है। मोअन-जो-दड़ो सिन्धी शब्द है। उसका अर्थ है—मृतकों का स्थान अर्थात् ‘मुर्दों का टीला’।
‘मुर्दों का टीला’ शीर्षक इस उपन्यास में रांगेय राघव ने एक रचनाकार की दृष्टि से मोअन-जो-दड़ो का उत्खनन करने का प्रयास किया है। इतिहास की पुस्तकों में तो इस सभ्यता के बारे में महज़ तथ्यात्मक विवरण ही मिल पाते हैं। लेकिन रांगेय राघव के इस उपन्यास के सहारे हम सिन्धु घाटी सभ्यता के समाज की जीवित धड़कनें सुनते हैं।
सिन्धु घाटी सभ्यता का स्वरूप क्या था? उस समाज के लोगों की जीवन-व्यवस्था का स्वरूप क्या था? रीति-रिवाज कैसे थे? शासन-व्यवस्था का स्वरूप क्या था? इन प्रश्नों का इतिहाससम्मत उत्तर आप इस उपन्यास में पाएँगे। भारतीय उपमहाद्वीप की अल्पज्ञात आदि सभ्यता को लेकर लिखा गया यह अद्वितीय उपन्यास है। रांगेय राघव का यह उपन्यास प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति में प्रवेश का पहला दरवाज़ा है।
Aashcharya Lok Mein Alis
- Author Name:
Lui Cairol
- Book Type:

- Description: संसार की प्रायः सभी भाषाओं में अनूदित ‘एलिस इन वंडरलैंड’ का बाल-साहित्य में एक विशिष्ट स्थान है। लुई कैरोल की यह बहुचर्चित कथाकृति बच्चों और किशोरों के मनोविज्ञान तथा उनकी जिज्ञासु कल्पनाशीलता को जिस तरह उजागर करती है, वह बेहद दिलचस्प और अर्थपूर्ण है। एलिस एक छोटी-सी बच्ची है। खेल-खेल में एक ख़रगोश का पीछा करते हुए वह एक ऐसे आश्चर्यलोक में जा पहुँचती है, जहाँ कुछ भी असम्भव नहीं। वहाँ कौतुक और अपनी आवश्यकता के कारण वह न सिर्फ़ अपना क़द घटा-बढ़ा सकती है, बल्कि अनेकानेक पशु-पक्षियों को बुद्धू या कहें कि ‘उल्लू’ भी बनाती रहती है। दूसरे शब्दों में, एलिस स्वयं पशु-पक्षियों के दु:ख-सुख और उनकी तरह की शैतानियों में शामिल हो जाती है। यही नहीं, ताश के पत्तों—बादशाह-बेगम-ग़ुलाम और दुग्गी-तिग्गी-सत्ते आदि के माध्यम से वह उस न्याय-व्यवस्था की मूर्खताओं पर भी हैरान होती है, जिसमें ‘पहले सज़ा और पीछे फ़ैसला’ सुनाया जाता है। कहने की आवश्यकता नहीं कि बाल-मनोविज्ञान के विभिन्न स्तरों का उद्घाटन करते हुए लेखक वर्तमान देश-काल पर भी टिप्पणी करता है। वस्तुतः इस उपन्यास की इन्हीं विशेषताओं के कारण इसके प्रायः सभी अनुवाद महत्त्वपूर्ण रचनाकारों द्वारा हुए हैं। इस दृष्टि से हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ कवि शमशेर बहादुर सिंह द्वारा किया गया यह अनुवाद भी अपनी रचनात्मक ताज़गी से इस कृति को और अधिक महत्त्वपूर्ण बनाता है।
Aadmi Swarg Mein
- Author Name:
Vishnu Nagar
- Book Type:

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Description:
यह धर्म-कर्म के बल पर अन्तत: स्वर्ग पहुँच गए आदमी की कथा है। वही धर्म-कर्म जिससे हम सब परिचित हैं, यानी अपने स्वार्थों की अमानवीय होने की हद तक हिफ़ाज़त करते हुए पूजा-पाठ का अटूट पालन; आदमी भी वही जिसे हमने अपनी 'सबसे प्राचीन सभ्यता' के काई-शैवाल को छानकर निकाला है, यानी अन्तर्तम से निहायत धर्मविरोधी एक 'धार्मिक' और ईश्वर-आस्था को भौतिक प्राप्तियों के लिए इस्तेमाल करनेवाला एक चालाक प्राणी। और स्वर्ग भी वही जिसकी कामना हिन्दू धर्म के चार पुरुषार्थों में गिनी जाती है।
इस उपन्यास के बहाने विष्णु नागर ने स्वर्ग, मनुष्य और धर्म—इन तीनों की व्याख्या की है। साथ में उस समाज की भी जिसे हमने नरक के सतत भय, ईश्वर की सर्वव्यापी मौजूदगी और तैंतीस करोड़ देवताओं की निरन्तर निगहबानी के बावजूद सफलतापूर्वक रचा। एक स्वभक्षी समाज। उपन्यास के नायक गेंदमल जी स्वर्ग में भी उसी समाज को ढूँढ़ने और बनाने की कोशिश करते हैं और भारतवर्ष की महान परम्पराओं की लाज रखते हुए बनाने में सफल भी होते हैं। यही नहीं, वहाँ के अधिपति का पद प्राप्त करते हैं।
विष्णु नागर ने कवि के रूप में सामाजिक और मानवीय सरोकारों की जो सहज व्याप्ति सम्भव की है, वही उनकी व्यंग्य कथाओं भी अन्यतम विषेषता है। इस उपन्यास में उन्होंने उसे एक बड़े कैनवस पर साधा है। धर्म और ईश्वर, और इनकी सामाजिक राजनीति हमेशा विष्णु जी का प्रिय विषय रही है। इस उपन्यास में उन्होंने इसका पूरा पाठ पेश किया है।
Chaturang
- Author Name:
Dilip Purushottam Chitre
- Book Type:

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Description:
‘चतुरंग’ को बीसवीं शताब्दी के सातवें-आठवें दशक का मुम्बई कॉस्मोपॉलिटन परिवेश एक नया आयाम प्रदान करता है। इसके साथ है दिलीप चित्रे की बिम्बधर्मी अभिव्यक्ति की कई शैलियों को अपनाने वाली सर्जनशील भाषा।
‘चतुरंग’ संग्रह के चारों कथानक अपूर्व, आकर्षक और रहस्यमयी लगते हैं। महानगर की भीड़ में लगातार अपनी पहचान बनाने की जद्दोजहद में भटकते पात्र कहानी में एक अद्भुत नाटकीयता पैदा करते हैं जो लेखक के अपने अनुभवों से निकले हुए प्रतीत होते हैं।
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