Agnibeej
Author:
MarkandeyPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 240
₹
300
Available
'अग्निबीज' में प्रस्तुत कथा-योजना का समय स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद का है। उत्तर भारत के सामाजिक-राजनैतिक जीवन और यहाँ की असह्य वर्ण व्यवस्था का उस पर प्रभाव इस उपन्यास का मुख्य विचार तत्व है। इसी कारण इसके नायक तीन ऐसे पात्र बनाए गए हैं जो अल्पवय हैं और पिछड़ी तथा निचली जातियों से आते हैं। श्यामा, जो एक विक्षिप्त स्वतंत्रता सेनानी की कन्या है, इन बाल पात्रों में सर्वाधिक जागृत है। श्यामा के पिता को, स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान पुलिस की लाठियों और यातनाओं गूँगा बना दिया है। उनका भाई उनकी कृति और त्याग का पूरा फ़ायदा उठाता है और राजनीति तथा सामाजिक जीवन में निरन्तर लन्द-फन्द करके एक महत्त्वपूर्ण कांग्रेस नेता बन जाता है। 'अग्निबीज' का सत्य उत्तर भारत के ग्रामीण जीवन का ऐसा मुखर सत्य है जिसके कारण उच्च जातियों के बुद्धजीवियों और आलोचकों ने इस उपन्यास के विचार तत्व को एक रूप तले दबाने का प्रयत्न किया लेकिन इसके व्यापक प्रभाव को रोक पाना, उनके लिए सम्भव नहीं हो पाया। उपन्यास सारे देश में पढ़ा एवं सराहा गया और उसे अनेक विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रमों में पढ़ा रहे हैं। 'अग्निबीज’ की मुख्य उपलब्धि उसमें वर्णित उत्तर भारत के गाँवों का सामाजिक जीवन है। पिछड़ी जातियों और हरिजनों के दुःखद और यातनामय जीवन की जैसी झाँकी 'अग्निबीज' में चित्रित है, उसका दर्शन प्रेमचन्द को छोड़कर किसी अन्य कथाकार के यहाँ उपलब्ध नहीं है। ख़ुशी की बात तो यह है कि ‘अग्निबीज’ का सत्य स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्षों बाद पुन: उजागर हो रहा है। समाज के उपेक्षित वर्ण जागृत होकर देश की मुख्यधारा में शामिल हो रहे हैं। उन्होंने सामाजिक-राजनीतिक जीवन में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है।
ISBN: 9788180319853
Pages: 187
Avg Reading Time: 6 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: प्रस्तुत पुस्तक ‘आनन्दमठ’ में 1770 ई. से 1774 ई. तक के बंगाल का चित्र खींचा गया है। यह उपन्यास या ऐतिहासिक उपन्यास से बढ़कर है। ऋषि बंकिम ने इसमें उस युग का सिर्फ़ फ़ोटो नहीं खींचा, बल्कि राष्ट्र-विप्लब के भँवर में फँसे कुछ ऐसे जीवन्त मनुष्यों के चित्र दिए हैं, जो आज भी हमें बड़े अपने लगते हैं। इनमें सामान्य स्त्री-पुरुष भी हैं और महापुरुष भी। वे आज भी हमें राष्ट्रोत्थान का मार्ग दिखाते हैं। यह मार्ग है संघर्ष का, अन्याय से लोहा लेने का। गीता की जो टेक है—युध्यस्व-युद्ध करो, वही टेक है ‘आनन्दमठ’ की। ‘भगवतगीता’ और ‘आनन्दमठ’, इन दोनों में पलायनवाद नहीं है। इसलिए हमारे स्वतंत्रता-संग्राम के दौरान ‘गीता’ को जो महत्त्व मिला, उससे कम महत्त्व ‘आनन्दमठ’ को नहीं दिया गया। इसीलिए ‘आनन्दमठ’ के सन्तान-व्रतधारियों का गीत ‘वन्दे मातरम’ हमारा राष्ट्रगीत है।
Masooma
- Author Name:
Ismat Chugtai
- Book Type:

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Description:
यह उपन्यास एक मासूम लड़की के बारे में है जिसका नाम भी उसकी माँ ने मासूमा ही रखा था, लेकिन ज़माने ने जिसे बाद में नाम दिया—नीलोफ़र, और जो औरत होने से पहले ही ऐसी कुछ हो गई कि जो ख़ुद उसकी भी समझ से परे था।
इस्मत चुग़ताई की सधी क़लम का यह शाहकार अपने वक़्त की उस औरत की अक़्क़ाशी करता है जिसके पास अगर ख़ूबसूरत जिस्म न हो, उसे चाहनेवाले पतिंगे न हों, तो वह कुछ नहीं रह जाती और अगर हों तो भूखे-भेड़ियों की हवस की गेंद बनकर रह जाती है। इस्मत इस उपन्यास में औरत की यह हौलनाक़ तस्वीर खींचकर जैसे हर युग की औरतों को चेता रही हैं और कहने की ज़रूरत नहीं कि इक्कीसवीं सदी की चमक-दमक से चौंधियाई हमारी असंख्य उदास, नीम अँधेरी गलियों में आज भी ऐसी मासूम रूहें परवान चढ़ रही हैं, जिनको अगर एक मज़बूत चारदीवारी नसीब न हो तो वे जाने किस राह पर लावारिस पत्थर का टुकड़ा होकर जा रहें, जहाँ कोई भी आता-जाता उनसे खेले और ठुकराकर चलता बने।
नीलोफ़र होने के बाद मासूमा जिस मर्द-समाज के हवाले होती है, उसका रवैया औरत को लेकर आज भी वही है जो उत्तर-आधुनिकता और वैश्वीकरण के हड़बोंग से पहले था। इसलिए यह उपन्यास आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना उर्दू में प्रकाशित होने के समय था। इसके अलावा इस्मत आपा की क़िस्सागोई समाज और आदमी की गहरी पहचान, ज़बान की मास्टरी और अपने पात्रों की तस्वीर-निगारी की महारत भारतीय साहित्य की कालजयी विरासत है, जो इस उपन्यास में भी अपने शबाब पर है।
Apsara
- Author Name:
Suryakant Tripathi 'Nirala'
- Book Type:

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Description:
‘अप्सरा’ निराला की कथा–यात्रा का प्रथम सोपान है। अप्सरा–सी सुन्दर और कला–प्रेम में डूबी एक वीरांगना की यह कथा हमारे हृदय पर अमिट प्रभाव छोड़ती है। अपने व्यवसाय से उदासीन होकर वह अपना हृदय एक कलाकार को दे डालती है और नाना दुष्चक्रों का सामना करती हुई अतन्त: अपनी पावनता को बनाए रख पाने में समर्थ होती है। इस प्रक्रिया में उसकी नारी–सुलभ कोमलताएँ तो उजागर होती ही हैं, उसकी चारित्रिक दृढ़ता भी प्रेरणाप्रद हो उठती है।
इस उपन्यास में तत्कालीन भारतीय परिवेश और स्वाधीनता–प्रेमी युवा–वर्ग की दृढ़ संकल्पित मानसिकता का चित्रण हुआ है, जो कि महाप्राण निराला की सामाजिक प्रतिबद्धता का एक ज्वलन्त उदाहरण है।
The Parallel Love
- Author Name:
Sid Crish
- Book Type:

- Description: This is the love story of two girls, Aditi and Zara. One is from Pakistan and other is from India. They meet and fall in love with each other in a foreign land, and they make a promise to fight every demon of society for the sake of their love.But destiny has other plans for their love story. When their love is at its peak, a tragedy befalls Aditi, which forces her to return to her home country and ghost herself. After months of no communication, Zara decides to visit India in search of her love. What happens when Zara lands in aditi’s country to seek her love? Will she be able to find her love in the country of billions of people? Will society ever accept their homosexual relationship? Or will they remain as two parallel lines, moving alongside each other But without a destination and never destined to meet?.
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