Namaste Samthar
Author:
Maitreyi PushpaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
कुन्तल ने चाहा था कि एक साहित्यिक संस्था के ज़िम्मेदार पद पर आई है तो साहित्य को समाज की मशाल बनाने का उद्योग करेगी। कुछ ऐसा करेगी कि उस मँझोले शहर का कोना-कोना साहित्य के स्पर्श से स्पन्दित हो उठे। युवा प्रतिभाओं को वह आकाश मिले जो उनका हक़ है, और मनुष्य को वह दृष्टि जिससे मनुष्यों का यह क्षुद्र संसार भी जीने योग्य हो उठता है। लेकिन उसे पता भी नहीं लगा, और जाने कितने तीरों, कितने आरोपों, कितने सवालों की नोक पर उसे रख दिया गया। उसका सपने देखना, वह भी स्त्री होकर, यही उसका अपराध हो गया। राजनीति की सबसे निकृष्ट चालों से लिथड़ा साहित्य-संसार अचानक उसे एक काली कारा जैसा महसूस हुआ।</p>
<p>अकेले बैठकर वह बस सोचती ही रह जाती कि जिन शब्दों से सृष्टि के संताप को व्यक्त करने, आदमीयत की उलझनों को खोलने का काम लिया जाना था, वे संकीर्ण स्वार्थों के हड़ियल हाथों का खिलौना कैसे बन गए, कब और क्यों! मैत्रेयी पुष्पा का यह उपन्यास इन्हीं सवालों से जूझता हुआ, साहित्य और संस्कृति की दुनिया के उन कोनों से परदा उठाता है, जहाँ शब्दों की बाज़ीगरी अपने निकृष्टतम रूप में दिखाई देती है, और जहाँ एक उत्साहसम्पन्न, विज़नरी स्त्री उस यथार्थ से हार-हार कर लड़ती जाती है, जिस यथार्थ को न्याय के पैरोकारों ने अपनी छिछली स्वार्थपरता से गढ़ा है। सुगढ़ भाषा और सान्द्र स्त्री अनुभव से रचा यह उपन्यास हमारे समय के साहित्यिक समाज, राजनीतिक दिग्भ्रम और मर्दाना वर्चस्व से हर जगह लड़ती औरत की समग्र कथा है।
ISBN: 9789390971558
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Aaina Saaz
- Author Name:
Anamika
- Book Type:

-
Description:
हमारे दौर की राजनीति, समाज, आदमी–सब अपने भीतर से लेकर बाहर तक जाने कैसे तो जंजाल में उलझे हुए हैं, और जब उसे सुलझाने चलते हैं, उस जाल से निकलकर खुली, साफ़ जगह में आने के लिए हाथ-पाँव पटकते हैं तो सुलझते-निकलते नहीं, और उलझ जाते हैं।
क्या नहीं है हमारे पास? जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, अब वह भी है, और भरोसा है कि अब जिसकी कल्पना करेंगे, वह भी कल हो उठेगा।
लेकिन ताला अगर कहीं लग गया है तो वह कल्पना ही पर है; और उसके संगी-साथी दूसरे कई मनोभाव-मनोशक्तियाँ और इनका सरदार एक सूफ़ी मन, उजली कामनाओं, और धरती-आकाश को एक करते धवल सपनों की छतरी; यह सब उस ताले के भीतर कहीं छटपटा-सिसक रहे हैं।
खुसरो एक पैदा हुआ, मध्यकालीन कहे जानेवाले उस साँवले हिन्दुस्तान में जिसकी छतें इतनी ऊँची होती थीं, कि हम बौनों की तिमंज़िला बाँबियाँ उनमें खड़ी हो जाएँ। यह उस ख़ुसरो की आत्मकथा से रचा हुआ उपन्यास है जिसमें ख़ुसरो की चेतना को जीनेवाले आज के कुछ सूफ़ी मनवालों की कहानी भी साथ में पिरो दी गई है।
ख़ुसरो इस कथा में अपना वह सब बताते हैं जिस तक हम उनकी नातों, क़व्वालियों और पहेलियों की ओट में नहीं पहुँच पाते–कि उनका एक परिवार था, एक बेटी थी, बेटे थे, पत्नी थी, और थे निज़ाम पिया जिनकी निगाहों के साए तले उन्होंने वह सब सहा जो एक साफ़, हस्सास दिल अपने ख़ून-सने वक़्तों और बेलगाम सनकों से हासिल कर सकता था।
और इसमें कहानी है सपना की, नफ़ीस की, ललिता दी और सरोज की भी, जो आज के हत्यारे समय के सामने अपने दिल के आईने लिए खड़े हैं, लहूलुहान हो रहे हैं, पर हट नहीं रहे, जा नहीं रहे, क्योंकि वे उकताकर या हारकर अगर चले गए तो न पद्मिनियों के जौहर पर मौन रुदन करनेवाला कोई होगा, न इंसानियत को उसके क्षुद्रतर होते वजूद के लिए एक वृहत्तर विकल्प देनेवाला।
Arkadipt
- Author Name:
Usha Priyamvada
- Book Type:

-
Description:
अर्कदीप्त अपने आप में डूबा, बहुत थोड़े में सन्तुष्ट, और जीवन को नितान्त अपनी दृष्टि से देखनेवाला बच्चा था; जिसे कुछ नहीं चाहिए था, जो मिलता उसी में सन्तुष्ट।
फिर उसके जीवन में प्रेम आया, जिसने उसके अन्तस को उस ऊर्जा से भरना शुरू किया; जो उसके अस्तित्व की वास्तविक ज़रूरत थी। पूर्ण प्रेम, अकुंठ समर्पण, सर्वांग साहचर्य। सौदामिनी और अर्कदीप्त ने परदेसी भूमि के मुक्त वातावरण में एक दूसरे के मन, आत्मा और देह में वह स्थान पाया जो नियति ने उन्हें उपहार की तरह दिया था। लेकिन सौदामिनी जब अपने अतीत से उत्पन्न कमिटमेंट फ़ोबिया के चलते कुछ पल अज्ञात में विलीन हुई; तो अर्कदीप्त अपने इस पहले प्रेम की टूटन से बिखरा, जला और फिर राख हो गया जिसे परिवार और शुभचिन्तकों ने परम्परा को सौंप दिया। लेकिन उसने दुख के सूरज को बुझने नहीं दिया, उसे अपनी आत्मा के क्षितिज पर अक्षुण्ण रहने दिया और फिर, जैसे ब्रह्मांड के आदेश पर, उसे अपनी खोई दिशा के संकेत मिलने लगे, और वह सब कुछ जहाँ का तहाँ छोड़कर चला गया; सबके लिए विलुप्त।
यह वरिष्ठ कथाकार उषा प्रियम्वदा का नया उपन्यास है। जीवन के सूक्ष्मतम विवरणों से समृद्ध और उन्हीं के बीच आत्मोपलब्धि के निर्णायक पलों को रेखांकित करती हुई एक समर्थ, परिपक्व लेखनी की रचना। यहाँ उपन्यास विधा अपने पूरेपन में घटित होती प्रतीत होती है। भाषा के उदार और सजीव विस्तार में कथा को अपने सम्पूर्ण में खुलने का अवकाश देती हुई। भारत, जर्मनी, डेनमार्क और अमेरिका के कई शहरों में फैली यह कथा प्रेम के विराट को उद्घाटित करती है और अनेकानेक पात्रों के माध्यम से जीवन के तमाम पहलुओं से होकर गुज़रती है।
Odyssey
- Author Name:
Homer
- Book Type:

-
Description:
विश्वप्रसिद्ध ट्रॉय-युद्ध के महान योद्धा ओडिसियस की घर वापसी का वृत्तान्त है—‘ओडिसी’। प्राचीन यूरोप के महान रचनाकार होमर की कथाकारिता का बेमिसाल नमूना है। यह ग्रन्थ जिसकी विशेषताओं की पुनरावृत्ति परवर्ती कथाकारों से सम्भव नहीं हो सकी।
इस ग्रन्थ ने सम्पूर्ण विश्व के कथा साहित्य को प्रभावित किया है। इसका रचनाफलक व्यापक है जिसमें मानवीय सम्बन्ध, क्रिया-कलाप और समाज के सभी पक्षों का समावेश है।
नित परिवर्तनशील विश्व के सुख-दु:ख और संघर्षों के चित्रण के माध्यम से ‘ओडिसी’ में होमर ने जीवन और जगत् के यथार्थ को उजागर करते हुए यह रेखांकित किया है कि साहस, उत्साह और जिज्ञासावृत्ति से ही मनुष्य सफलता के शिखर पर पहुँचता है।
होमर के रचना-कौशल ने दृश्य-जगत् की वास्तविकताओं को कुछ इस तरह सहेजा है कि यह ग्रन्थ साहित्य ही नहीं अपितु इतिहास, पुरातत्त्व, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और मनोविज्ञान के खोजी विद्वानों के आकर्षण की वस्तु बन गया है।
जटिल संरचना के बावजूद ‘ओडिसी’ का कथाप्रवाह पाठकों का औत्सुक्य बनाए रखता है। अपनी इन विशेषताओं के कारण ही ई.पू. 850 के आसपास जन्मे होमर की यह कृति आज भी प्रेरणादायी बनी हुई है।
Ta-Taa Professor
- Author Name:
Manohar Shyam Joshi
- Book Type:

-
Description:
स्वीकृत मानदंडों की दृष्टि से पूरी तरह तर्कसंगत और प्रासंगिक नहीं होने के बावजूद ‘ट-टा प्रोफ़ेसर’ हिन्दी उपन्यासों में विशिष्ट दर्जा रखता है। दरअसल दास्ताने अलिफ़ लैला की शैली में यह ऐसी उत्तर-आधुनिक कथा है, जिसके अन्दर कई-कई कथा निर्बाध गतिमान है, सीमित कलेवर में होने के बाद भी कहानी पूरे उपन्यास का रसास्वादन कराती है। ‘ट-टा प्रोफ़ेसर’ एक पात्र की ही नहीं, एक कहानी की भी कहानी है। ऐसी कहानी जिसका आदि और अन्त, लेखक के आदि और अन्त के साथ होता है।
प्रेम और काम जैसे अति संवेदनशील विषयों को केन्द्र में रखकर लिखा गया यह उपन्यास मज़ाक़ को भी त्रासदी में तब्दील कर देता है। कहीं ‘कॉमिक’ कामुकता में परिवर्तित होता नज़र आता है, लेकिन जीवन और मर्म की धड़कन निरन्तर सुनाई पड़ती रहती है। सत्य, कल्पना और अनुभूति की प्रामाणिकता और भाषा के सहज प्रवाह के चलते कथा पाठक को आद्यन्त बाँधे रखती है। अपने विलक्षण लेखन के नाते जाने जानेवाले मनोहर श्याम जोशी ने एक सामान्य प्रोफ़ेसर को केन्द्र में रखकर रचित इस कृति में अपने कथा-कौशल का अद्भुत प्रमाण दिया है।
Pahala Padav
- Author Name:
Shrilal Shukla
- Book Type:

-
Description:
‘राग दरबारी’ जैसे कालजयी उपन्यास के रचयिता श्रीलाल शुक्ल हिन्दी के वरिष्ठ और विशिष्ट कथाकार हैं। उनकी क़लम जिस निस्संग व्यंग्यात्मकता से समकालीन सामाजिक यथार्थ को परत-दर-परत उघाड़ती रही है, ‘पहला पड़ाव’ उसे और अधिक ऊँचाई सौंपता है।
श्रीलाल शुक्ल ने अपने इस उपन्यास को राज-मज़दूरों, मिस्त्रियों, ठेकेदारों, इंजीनियरों और शिक्षित बेरोज़गारों के जीवन पर केन्द्रित किया है और उन्हें एक सूत्र में पिरोए रखने के लिए एक दिलचस्प कथाफलक की रचना की है। सन्तोषकुमार उर्फ़ सत्ते परमात्मा जी की बनती हुई चौथी बिल्डिंग की मुंशीगीरी करते हुए न सिर्फ़ अपनी डेली-पैसिंजरी, एक औसत गाँव-देहात और ‘चल-चल रे नौजवान’ टाइप ऊँचे सम्बोधनों की शिकार बेरोज़गार ज़िन्दगी की बखिया उधेड़ता है, बल्कि वही हमें जसोदा उर्फ़ ‘मेमसाहब’ जैसे जीवन्त नारी चरित्र से भी परिचित कराता है। इसके अलावा उपन्यास के प्रायः सभी प्रमुख पात्रों को लेखक ने अपनी गहरी सहानुभूति और मनोवैज्ञानिक सहजता प्रदान की है और उनके माध्यम से विभिन्न सामाजिक-आर्थिक अन्तर्विरोधों, उन्हें प्रभावित-परिचालित करती हुई शक्तियों और मनुष्य-स्वभाव की दुर्बलताओं को अत्यन्त कलात्मकता से उजागर किया है।
वस्तुतः श्रीलाल शुक्ल की यह कथाकृति बीसवीं शताब्दी के अन्तिम दशकों में ईंट-पत्थर होते जा रहे आदमी की त्रासदी को अत्यन्त मानवीय और यथार्थवादी फलक पर उकेरती है।
Ek Aag Ka Dariya
- Author Name:
Harsh Ranjan
- Book Type:

- Description: मैं हर्ष रंजन हूँ, आपके लिए सर्वथा अपरिचित। ये किताब मेरा पहला परिचय है। एक सीरीज आपके सामने लाया हूँ, पाँच कहानी-संग्रह, जो एक के बाद एक आपके सामने आएंगी। लिखना कब, क्यों और कैसे शुरू होता है कहना मुश्किल है बस इतना बता सकता हूँ कि पत्रों से शुरुआत की थी। सालों गुजर गए, न आज वो चिट्ठियाँ हैं और ना... बहरहाल मैं अपने जीवन-क्रम से चुनकर दस कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। इसमे गंगा के घाट से लेकर आग के दरिया, जमीन से लेकर आकाश तक का वर्णन है। मैंने इतनी मेहनत की है कि भले ही ये कभी जीने के लिए बहुत कठिन हों लेकिन आज पढ़ने के लिए बहुत सरल हैं। आशा है कि सरलता और सादगी आपको पसंद आएगी। बस इस सीढ़ी पर पहला कदम रखिए और देखिये इस दुनिया को नए नजरिए से। रचना आपको कैसी लगी जरूर बताएं।
Aandharmanik
- Author Name:
Mahashweta Devi
- Book Type:

- Description: सन् साठ के दशक के कई बांग्ला प्रकाशन महत्त्वपूर्ण थे। इसी दौर में ‘आंधारमानिक’ उपन्यास लगभग 1967 में प्रकाशित हुआ था। पहली बार कथावस्तु की तर्जनी जनता के इतिहास की तरफ़ उठी थी। इस उपन्यास में उपयोग किया गया ‘आंधारमानिक’ नाम एक ख़ास केन्द्रबिन्दु है और इसे रूपक ही मानना चाहिए। अठारहवीं सदी में बंगाल के समाज में धनी-मानी, ज़मींदार वग़ैरह वर्गों के मूल्यबोध का तो दिवाला ही निकल गया था। एक तरफ़ जातियों की किचिर-पिचिर, संकीर्णता, अनुदारता, दूसरी तरफ़ ऐश-विलास! इधर समाज में प्रचलित अन्धविश्वास, कुत्सित प्रथाएँ। बंगाल के समाज का इतिहास अनगिनत विचित्रताओं से भरा था। जंगल इलाक़ों के लोग, अपने सामन्त स्वामियों के ख़िलाफ़ काफ़ी अर्से पहले ही बागी हो चुके थे। इस कृति में वर्गीय आक्रमण और उससे जुड़ी कई घटनाओं तथा समाज पर पड़नेवाले उसके प्रभावों का प्रामाणिक चित्रण किया गया है। ‘आंधारमानिक’ प्रमुख रूप से लोकवृत्त का इतिहास है–कलकत्ता से जुड़े मध्यवित्त जीवन की शुरुआत से पूर्व–मुहूर्त का इतिहास! यह उपन्यास किसी अर्थ में समकालीन भी है, क्योंकि वर्ण-श्रेणी शासन की औरतों के प्रति तर्जनी ताने रहने जैसी कितनी बातें हमारे समाज के ऊपरी स्तर तले आज भी विद्यमान हैं। आशा है, इस उपन्यास को पढ़ना पाठकों के लिए एक दिलचस्प अनुभव होगा।
Bihar Main Nilahe Kothiyon Ka Itihas
- Author Name:
Minden Wilson
- Book Type:

- Description: नील फैक्टरियों के किस्से आमतौर पर उत्तर बिहार से जुड़े हैं, वह भी चंपारण और तिरहुत से। इसका मुख्य कारण यह रहा है कि नील की खेती में शोषण पर आधारित तौर-तरीके के खिलाफ और नीलहे रैयतों (नील की खेती करनेवालों) के प्रति हो रहे अत्यधिक आर्थिक उत्पीड़न के खिलाफ चंपारण में सत्याग्रह हुए। इसलिए भारत में उपनिवेशवाद के शोषक चरित्र व साथ ही इसके प्रतिरोध के अध्ययन में रुचि रखनेवालों और इतिहासकारों के लिए उत्तर बिहार में नील की खेती जिज्ञासा के विषय रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक मिंडेन विल्सन रचित ‘History of Indigo Factory in Bihar’ का हिंदी अनुवाद है। यह रिपोर्ट मुख्यतः उत्तर बिहार के क्षेत्रों के नील उद्योगों के संबंध में है। मिंडेन ने उत्तर बिहार की लगभग सभी छोटी-बड़ी नील फैक्टरियों की स्थापना, क्रमिक विकास एवं उनके पतन का कारण सहित विस्तृत विवरण लिखा है तथा उत्तर बिहार के नील एवं चीनी उद्योगों के लिए बेहतर उत्पादन के तरीकों का भी उल्लेख किया गया है। मिंडेन विल्सन एक ब्रिटिश नागरिक थे। उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में नील उद्योग के प्रबंधन क्षेत्र में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान माना जाता है। औपनिवेशिक भारत में प्रमुख समृद्ध नील उत्पादकों की श्रेणी में उनका महत्त्वपूर्ण स्थान था। नील उद्योग के क्षेत्र में मिंडेन विल्सन ने अपना प्रारंभिक जीवन मॉरीशस में बिताया। भारत आने के पूर्व वे मॉरीशस के गन्ना उद्योग से भी जुड़े रहे। बेहतर जीवन की तलाश में मिंडन ने भारत आने का निर्णय लिया, जहाँ उनकेबड़े भाई पहले से ही नील उद्योग से जुड़े थे। वर्ष 1847 में अमेरिकन जहाज ‘अलबाटरोस’ से कलकत्ता पार्ट सिटी पर उनका आगमन हुआ। वहाँ से वे बिहार के नील उत्पादन क्षेत्र में आए। उसके पश्चात् बिहार के अनेक नील फैक्टरियों में सहायक प्रबंधक व प्रबंधक के तौर पर उन्होंने कार्य किया। नील उद्योग क्षेत्र में उनका व्यापक अनुभव था।
Chay Sharab Aur Zehar
- Author Name:
Rohit Michu
- Book Type:

-
Description:
यह उपन्यास कई मायनों में विशेष है। पहली विशेषता इसकी यह है कि यह प्रेम के विषय में है, और आज के उन उपन्यासों से भिन्न है जो केवल आलोचक-सन्तोष और ‘पोलिटिकली करेक्टनेस’ के फेर में पड़कर निहायत ही अप्रामाणिक अनुभवों के विवरणों से भरे होते हैं। यह उपन्यास समाज से, उसकी कटु सच्चाइयों से भी दूर नहीं, बल्कि अपने पाठ में प्रेम और उसकी पीड़ा के सघन, प्रामाणिक और छू जानेवाले बिम्बों को इतनी ईमानदारी से उकेरता है, कि हमें हमारे वर्तमान समाज में प्रेम की असम्भवता स्पष्ट दिखने लगती है।
यही सघनता इसकी दूसरी विशेषता है। यह कथा चमत्कार पर निर्भर नहीं है, न यह चौंकानेवाले स्थिति-संयोजन का सहारा लेती है, बस अपनी पीड़ा को कुरेदते हुए, जीवन के साथ मद्धम गति से बढ़ते हुए हमें अपने साथ बनाए रखती है।
और तीसरी विशेषता इस उपन्यास की यह है कि यह दो लेखकों की संयुक्त रचना है, दोनों युवा हैं और उनकी यह पहली पुस्तक है। इस औपन्यासिक कृति से हम अपने समय की उस युवा रचनात्मकता से रू-ब-रू होते हैं जो अपनी पारम्परिक साहित्यिक संवेदना से भी उतनी ही जुड़ी है, जितनी अपने आधुनिक व्यक्ति-बोध से।
Rinala Khurd
- Author Name:
Ishmadhu Talwar
- Book Type:

-
Description:
‘रिनाला खुर्द’ लेखक ईशमधु तलवार का एक ऐसा उपन्यास है जिसमें भारत विभाजन का दर्द है, जिसमें सरहद के इस पार की हूक सुनाई देती है तो उस पार की सिसकियाँ। लेखक ने लुप्त नदी सरस्वती की तलाश के माध्यम से स्मृतियों का एक ऐसा कोलाज रचा है जो बार-बार भारत विभाजन की निस्सारता की तरफ़ ध्यान दिलाता है।
इसमें ‘चाईजी’ की कहानियाँ हैं जिनमें विभाजन से पहले का दर्द है तो मेवात के बगड़ गाँव की नर्गिस के दिल का टभकता दु:ख है जो शादी के बाद पाकिस्तान चली गई। वहाँ वह सलमा के नाम से एक प्रसिद्ध लोक गायिका बन गई लेकिन न अपने बचपन के गाँव को भूल पाई न ही अपने प्रेमी मधु को जिससे बरसों बाद पाकिस्तान में उसकी मुलाक़ात होती है। दोनों अपने खोये प्यार को याद करते हैं, भविष्य में एक साथ रहने के सपने देखते हैं लेकिन बीच में सरहद आ जाती है। जहाँ अपने-अपने दु:खों को समेटकर वे जुदा हो जाते हैं।
उपन्यास में सूखी नदी के स्रोत की तलाश के माध्यम से प्रेम के उस विलुप्त होते स्रोत की तलाश की कोशिश भी बड़ी शिद्दत से दिखाई देती है जिसके ऊपर नफ़रत की दीवार खींच दी गई। उपन्यास में क़िस्सों के भी अनेक स्रोत हैं जो अन्त तक पढ़नेवाले का ध्यान नहीं हटने देते।
—प्रभात रंजन
Love Me Like You Do
- Author Name:
Akarsh Raker
- Book Type:

- Description: We have been taught that opposites attract but do it apply everywhere? Love is one such feeling in the world which cannot be defined with a set of words. It can neither be created nor be destroyed. Vikram, an engineering student, aspiring to be a writer, has a rough patch with his parents. His only reason to enjoy life was Kriti, hoping things would get better. He meets Dhruv, a filmmaker based in Bangalore who was looking for a writer to make his first feature film. Vikram and Dhruv got along quickly, and with this, Vikram's dream to pursue writing was coming true. He also gave up college for this. But later, life had different plans for him. Two incidents changed his life forever. Incidents he could never forget. One gave him love, while the other took away his life. Can love heal everything? Or everything in the world is love? Love me as you do is a tale of love, friendship, passion and setting yourself free to cross the boundaries of life.
Pinokiyo
- Author Name:
Carlo Collodi
- Book Type:

- Description: पिनोकियो के कारनामेद एडवेंचर्स ऑफ पिनोकियो (इतालवी : ले एडवेंचर डि पिनोकियो; जिसे अक्सर अंग्रेजी में पिनोकियो के रूप में संदर्भित किया जाता है) इतालवी लेखक कार्लो कोलोडी द्वारा छत्तीस अध्यायों का एक बच्चों का कॉमेडी फंतासी उपन्यास है। पहले पंद्रह अध्याय मूल रूप से बच्चों की साप्ताहिक पत्रिका जिओर्नेल प्रति बम्बिनी में 7 जुलाई, 1881 और 18 फरवरी, 1882 के बीच स्टोरिया डि उन बुराटिनो (‘एक कठपुतली की कहानी’) शीर्षक के तहत क्रमबद्ध किए गए थे। उन अध्यायों को 1883 में, इक्कीस अतिरिक्त अध्यायों के साथ, पुस्तक के रूप में फिर से प्रकाशित किया गया। उपन्यास का शीर्षक चरित्र और नायक एक जीवित लकड़ी की कठपुतली है, जिसे गेपेटो नामक एक खिलौना निर्माता ने बनाया है जो उसे अपने दत्तक पुत्र के रूप में लेता है। पिनोकियो प्रारंभ में अवज्ञाकारी और शरारती है। वह अपने पिता को त्याग देता है और रोमांच की तलाश में निकल जाता है। पिनोकियो को उसके कई दुष्कर्मों के लिए फाँसी दिए जाने के साथ ही मूल समाचार पत्र क्रमांकन समाप्त हो गया। विस्तारित उपन्यास संस्करण में, पिनोकियो को सोलहवें अध्याय में एक परी द्वारा बचाया जाता है। परी पिनोकियो को शिक्षित करती है और उसे अपने तरीके बदलने के लिए प्रेरित करती है। अपने अच्छे व्यवहार के पुरस्कार के रूप में, पिनोकियो अंततः एक वास्तविक लड़के में बदल जाता है। उपन्यास का लगभग दो सौ पचास विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है। द एडवेंचर्स ऑफ पिनोकियो के विभिन्न संगीत, मंच, टेलीविजन और फिल्म रूपांतरण हुए हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध वॉल्ट डिज़्नी की 1940 की एनिमेटेड फिल्म पिनोकियो है। झूठ बोलने पर किसी की नाक बढ़ने का विचार, जिसे द एडवेंचर्स ऑफ पिनोकियो में पेश किया गया था, लोकप्रिय पौराणिक कथाओं में शामिल हो गया है।
Bhrashtachar Ka Achar
- Author Name:
Rajesh Kumar
- Book Type:

- Description: "भ्रष्टाचार का अचार—राजेश कुमार आज रंग-मंच को लेकर कम उत्साह है, क्योंकि इनका मंचन व्ययसाध्य है और टिकट खरीदकर नाटक देखने का स्वभाव प्रायः लोगों का नहीं है। ऐसी स्थिति में नुक्कड़ नाटक समाज को आईना दिखाने का सबसे सशक्त माध्यम हैं। इनके माध्यम से अपनी बात लोगों तक पहुँचाना आसान है। प्रस्तुत पुस्तक में सरकार की मनमानी, शोषण, बेगार, असमानता, भ्रष्ट नीतियों के विरुद्ध आक्रोश व्यक्त कर चेतना और जागरूकता लानेवाले नुक्कड़ नाटक संकलित हैं, जो पाठक के दिल में उतरकर मन-मस्तिष्क पर छा जाते हैं। कुल मिलाकर ये नाटक अपनी ही व्यथा-कथा लगते हैं। आम लोगों के दुःख-दर्द एवं भ्रष्टों की पोल खोलता नुक्कड़ नाटकों का रोचक संकलन ‘भ्रष्टाचार का अचार’। "
Facts Fictions Imaginations
- Author Name:
Bhupen N Sarma
- Book Type:

- Description: Truth is that few questions accelerated My beeps of heart are still unanswered. Were those evictions prudent? Why distress come always for most of the innocent commoners after every changing of game?? Are there any remedies??? Who has to take care???? I am still in pursuit and shall remain.
Tirohit
- Author Name:
Geetanjali Shree
- Book Type:

-
Description:
गीतांजलि श्री के लेखन में अमूमन, और ‘तिरोहित’ में ख़ास तौर से, सब कुछ ऐसे अप्रकट ढंग से घटता है कि पाठक ठहर–से जाते हैं। जो कुछ मार्के का है, जीवन को बदल देनेवाला है, उपन्यास के फ्रेम के बाहर होता है। ज़िन्दगियाँ चलती–बदलती हैं, नए–नए राग–द्वेष उभरते हैं, प्रतिदान और प्रतिशोध होते हैं, पर चुपके–चुपके। व्यक्त से अधिक मुखर होता है अनकहा। घटनाक्रम के बजाय केन्द्र में रहती हैं चरित्र–चित्रण व पात्रों के आपसी रिश्तों की बारीकियाँ।
पैनी तराशी हुई गद्य शैली, विलक्षण बिम्बसृष्टि और दो चरित्रों—ललना और भतीजा—के परस्पर टकराते स्मृति प्रवाह के सहारे उद्घाटित होते हैं ‘तिरोहित’ के पात्र : उनकी मनोगत इच्छाएँ, वासनाएँ व जीवन से किए गए किन्तु रीते रह गए उनके दावे।
अन्दर–बाहर की अदला–बदली को चरितार्थ करती यहाँ तिरती रहती है एक रहस्यमयी छत। मुहल्ले के तमाम घरों को जोड़ती यह विशाल खुली सार्वजनिक जगह बार–बार भर जाती है चच्चो और ललना के अन्तर्मन के घेरों से। इसी से बनता है कथानक का रूप। जो हमें दिखाता है चच्चो/बहन जी और ललना की इच्छाओं और उनके जीवन की परिस्थितियों के बीच की न पट सकनेवाली दूरी। वैसी ही दूरी रहती है इन स्त्रियों के स्वयं भोगे यथार्थ और समाज द्वारा देखी गई उनकी असलियत में।
निरन्तर तिरोहित होती रहती हैं वे समाज के देखे जाने में। किन्तु चच्चो/बहन जी और ललना अपने अन्तर्द्वन्द्वों और संघर्षों का सामना भी करती हैं। उस अपार सीधे–सच्चे साहस से जो सामान्य ज़िन्दगियों का स्वभाव बन जाता है। गीतांजलि श्री ने इन स्त्रियों के घरेलू जीवन की अनुभूतियों—रोज़मर्रा के स्वाद, स्पर्श, महक, दृश्य—को बड़ी बारीकी से उनकी पूरी सैन्सुअलिटी में उकेरा है।
मौत के तले चलते यादों के सिलसिले में छाया रहता है निविड़ दु:ख। अतीत चूँकि बीतता नहीं, यादों के सहारे अपने जीवन का अर्थ पानेवाले ‘तिरोहित’ के चरित्र—ललना और भतीजा—अविभाज्य हो जाते हैं दिवंगत चच्चो से। और चच्चो स्वयं रूप लेती हैं इन्हीं यादों में।
Bhartiya Upanyas Kathasaar : Vol. 1 -2
- Author Name:
Prabhakar Machve
- Book Type:

-
Description:
भारतीय वाङ्मय और साहित्य विविध भाषाओं में रचित, लिखित है। संस्कृत को छोड़ अन्य सभी भारतीय भाषाओं में उपन्यास विधा नई है। प्रारम्भ से अब तक प्रत्येक भाषा में सैकड़ों उपन्यास प्रकाशित हुए हैं। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तर-काल से भारतीय समाज-कल्याण की साक्षिणी सामाजिक घटनाओं, चरित्र और समस्याओं का लेखा-जोखा प्रस्तुत करनेवाले इन औपन्यासिक कथानकों पर एक बार नज़र डालते ही पता चलता है कि ऊपर से विभाजित लगनेवाली भारतीय समाज-व्यवस्था के मर्म में भावात्मक बोध और 'इह पर' की अवधारणा एक ही—अविभाजित—है। इसी भावात्मक एकता को अधोरेखित करते हुए भारतीय भाषा परिषद् का यह दूसरा प्रकाशन है ‘भारतीय उपन्यास : कथासार’।
विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रकाशित सैकड़ों उपन्यासों में से कैसे और कितने श्रेष्ठ उपन्यासों का चुनाव किया जाए? परिषद् ने इसके निमित्त यूनेस्को के लिए अनुवाद को सुझाए गए श्रेष्ठ भारतीय उपन्यासों की तालिका, साहित्य अकादेमी तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार-प्राप्त श्रेष्ठ उपन्यास तथा अन्य भाषाओं में अनुवाद के लिए चुने गए श्रेष्ठ उपन्यासों की सूचियाँ एकत्र कर प्रत्येक भाषा के कई विद्वान् आलोचक, श्रेष्ठ उपन्यासकार इत्यादि विशेषज्ञों से पत्र-व्यवहार किया और विचार-विनिमय के बाद इस कार्य के लिए सूची प्रस्तुत की। दो खंडों में प्रकाशित इस बृहद् कथानक पुनर्लेखन कार्य की पूरी पांडुलिपि दो वर्षों में संग्रह किए जाने से ही यह स्पष्ट है कि कितनी गतिशीलता के साथ इस कार्य को पूरा किया गया है।
हिन्दी ही नहीं भारतीय भाषाओं में यह पहला प्रयास है, अंग्रेज़ी में भी ऐसा कार्य नहीं हुआ है। प्रथम प्रयास होने के नाते इसमें त्रुटि-विच्युति का अनुविष्ट होना सहज ही है। परन्तु ऐसे प्रयास को यदि प्रोत्साहन मिला तो प्रत्येक भाषा के श्रेष्ठ उपन्यासों के कथासार अलग-अलग पुस्तकाकार प्रस्तुत किए जा सकते हैं, जिसकी आवश्यकता भी है। परवर्ती होने के कारण वे निश्चय ही इससे उन्नत और विकसित होंगे।
इन कथासारों को पढ़कर पाठकों के मन में मूल उपन्यास पढ़ने की उत्सुकता होगी; फलत: और अधिक अनुवाद हिन्दी में उपलब्ध होंगे, साहित्य का तुलनात्मक मूल्यांकन और अध्ययन की स्वस्थ प्रवृत्ति बढ़ेगी और भारत की सांस्कृतिक एकात्मकता की ओर हम सब अधिक उन्मुख होंगे।
Laat Ki Vapsi
- Author Name:
Jagdish Chandra
- Book Type:

- Description: अच्छे लोगों की अच्छी दुनिया; बड़ी दुनिया जहाँ सब कुछ खुला-खुला हो, बिलकुल प्रकृति की तरह, बिलकुल ईश्वर की तरह हर वक़्त, हर किसी के लिए। ऐसी ही एक दुर्लभ दुनिया का पुनःसृजन यह उपन्यास करता है। इसके पात्र अपनी सादगी, सच्चाई और सीधे हृदय से उठे आवेगों के चलते हमें कुछ ही समय के लिए सही, एक ऐसी दुनिया में खींच लेते हैं जहाँ कोई हद ऐसी नहीं जिसे लाँघा न जा सके, कोई कुंठा ऐसी नहीं जिसे पिघलाया न जा सके और कोई आँसू इतना अड़ियल नहीं कि दिल में कील गाड़कर बैठ जाए—हर आँसू यहाँ आशीर्वाद की तरह बह जाता है। सुनील के पास भी ऐसे अनेक अनबहे आँसू थे, जो न तो तब बहे जब उसके कठोर पिता उस पर तानों के तीर चलाते थे, न तब बहे जब उसकी माँ किसी दूरस्थ अज्ञात जगह नौकरी के लिए जाते बेटे को देख बिलख पड़ी थी और न तब जब दाएँ हाथ से विकलांग होने पर उसका वायलिनवादक बनने का सपना टूटा था। वे सब आँसू सरदारा सिंह के थप्पड़ खाकर बहे; मौलाबख़्श का बनाया नक़ली हाथ पहनकर बहे; और मुद्दतों बाद वायलिन के तार छेड़कर बहे। अपनी सरल, सुगम और यथार्थवादी भाषा के ज़रिए यह उपन्यास हमें रुके हुए आँसुओं के बह जाने के साथ-साथ उन विराट हृदयों से भी मिलवाता है जो उन आँसुओं का सम्मान करते हैं, सरलता और विनम्रता को मनुष्यता की धरोहर की तरह सँजोकर रखते हैं।
The Forgotten Life
- Author Name:
Atul Purohit
- Book Type:

- Description: Have you ever been a part of that spectacular moment which changed your life or the life of someone around you? A moment that was lost in the forgotten lanes of the past? Write youth brings you a wonderful collection of forgotten stories that ought to be remembered. Life is a mire of uncertainty. The more we struggle, the more we get sucked into it. The beautiful memories along the way amalgamate with the turning tracks of our lives and are sometimes lost forever. We wish to overcome the problems we face in our paths to lead a happy and peaceful life, but destiny has something else planned for us. The best way is to face them head-on hoping that things will change for the good. Life will flourish again, and the Ray of hope will arrive brighter than ever. 'The forgotten life' Is a leap to bid farewell to hopelessness, to inspire You to meet new people, explore yourself with positivity and optimism as your guiding powers. We want you to shine again with full enthusiasm and be a bright flower in the world of wild roses. Contributors Surabhi Ghose | Dr. Palak Deshmukh | Akash rumade man VI Singh | Balasubramanian.M | Ravina Kaniyawala | Jaydeep Khot | Prativa Rathi | Sanjay bandooni | Esha sajjanhar | Payal Srivastava | Sharad Mishra | Devyani Balasra | Sri Sai Latha | Priya Vyas | Mukta Warbringer | Amit Rajpurohit.
Media Life : Drama Jhonk Ke, News Rok Ke
- Author Name:
Shashikant Mishra
- Book Type:

-
Description:
मीडिया लाइफ में जो कथा-सन्दर्भ है वो अपनी कल्पनाशीलता के बावजूद न्यूजरूम और कारोबारी मीडिया के उस चरित्र का खाका खींच पाने में पूरी तरह कामयाब है, जिनका समाज का बड़ा वर्ग आकलन तो करता है लेकिन अन्दरखाने की बातें इस तरह उनके सामने नहीं आ पातीं।
उपन्यास में मीडिया और न्यूजरूम की अश्लीलता, फूहड़ता, बेशर्मी और अमानवीय पक्ष मजबूती से उभर आते हैं। भाषा का आकर्षण ऐसा है कि किताब कहीं भी बोझिल नहीं लगती।
यह उपन्यास भविष्य के लिए अब एक सन्दर्भ की तरह है।
—विनीत कुमार
मीडिया लाइफ की शुरुआत काफी मजेदार है। पूरी कहानी मीडिया पर लिखे व्यंग्य को सार्थक करती है। किताब में चैनलों की प्रतिद्वंद्विता, खबरों की तोड़-मरोड़ आदि को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है। कहानी विभिन्न परिस्थितियों में मीडिया द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति और खबरों के मैनिपुलेशन को दर्शाती है।
—नवीन चौधरी
Prasad Ke Sampoorna Upanyas
- Author Name:
Jaishankar Prasad
- Book Type:

-
Description:
इस पुस्तक में छायावादी युग के महत्त्वपूर्ण कवि, कहानीकार, नाटककार और उपन्यासकार जयशंकर प्रसाद के तीनों उपन्यास—‘कंकाल’, ‘तितली’ और ‘इरावती’ संकलित किए गए हैं। भारतेन्दु के बाद जिन लोगों ने हिन्दी गद्य को एक परिपक्व रूप दिया उनमें प्रसाद की भूमिका भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
उनकी सांस्कृतिक अभिरुचि, यथार्थ को अपने ढंग से देखने का उनका तरीक़ा और उसे भाषा में अंकित करने का ढंग उन्हें एक अलग जगह देता है। ये उपन्यास भी इसके साक्षी हैं। उपन्यास ‘कंकाल’ और ‘तितली’ में उन्होंने तत्कालीन युग-बोध को एक भिन्न कोण से पकड़ा था। असहाय स्त्रियों के जीवन की चुनौतियों को दिखाने के लिए उन्होंने इन रचनाओं में यथार्थ के बाह्य रूपों को चित्रित करने के साथ-साथ व्यक्तिमन की आन्तरिक परतों को भी उद्घाटित किया। ‘तितली’ को कथा-शिल्प और वस्तु-विन्यास के दृष्टिकोण से प्रसाद का सर्वाधिक परिपक्व उपन्यास माना जाता है।
‘इरावती’ को वे पूरा नहीं कर सके थे। शुंगकालीन ऐतिहासिक विषय और बौद्धकालीन रूढ़ियों-विकृतियों के प्रति विद्रोह की जिस कथा-वस्तु को लेकर उन्होंने यह उपन्यास आरम्भ किया था, वह निश्चय ही एक बड़ी औपन्यासिक कृति के रूप में फलीभूत होता। यहाँ ‘इरावती’ के उपलब्ध स्वरूप को यथावत् संकलित किया गया है ताकि पाठक प्रसाद की उपन्यास-काल के मर्म को जान सकें।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Hurry! Limited-Time Coupon Code
Logout to Rachnaye
Offers
Best Deal
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.
Enter OTP
OTP sent on
OTP expires in 02:00 Resend OTP
Awesome.
You are ready to proceed
Hello,
Complete Your Profile on The App For a Seamless Journey.