Anveshan
Author:
AkhileshPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Literary-fiction0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
संवेदनशील कथाकार अखिलेश का पहला उपन्यास ‘अन्वेषण’ जीवन-संग्राम की एक विराट् प्रयोगशाला है जहाँ उच्छल प्रेम, श्रमाकांक्षी भुजाओं और जन-विह्वल आवेगों को हर पल एक अम्ल परीक्षण से गुज़रना पड़ता है। सहज मानवीय ऊर्जा से भरा इसका नायक एक चरित्र नहीं, हमारे समय की आत्मा की मुक्ति की छटपटाहट का प्रतीक है। उसमें ख़ून की वही सुर्ख़ी है, जो रोज़-रोज़ अपमान, निराशा और असफलता के थपेड़ों से काली होने के बावजूद सतत संघर्षों के महासमर में मुँह चुराकर जड़ता की चुप्पी में प्रवेश नहीं करती, बल्कि अँधेरी दुनिया की भयावह छायाओं में रहते हुए भी उस उजाले का ‘अन्वेषण’ करती रहती है जो वर्तमान बर्बर और आत्माहीन समाज में लगातार ग़ायब होती जा रही है। ‘अर्थ’ के इस्पाती इरादों के आगे वह बौना बनकर अपनी पहचान नहीं खोता, बल्कि ठोस धरातल पर खड़ा रहकर चुनौतियों को स्वीकार करता है। यही कारण है कि द्वन्द्व में फँसा नायक बदल रहे समय और समाज के संकट की पहचान बन गया है।</p>
<p>‘अन्वेषण’ की भाषा पारदर्शी है। कहीं-कहीं वह स्फटिक-सी दृढ़ और सख़्त भी हो गई है। इसमें एक ऐसा औपन्यासिक रूप पाने का प्रयत्न है, जिसमें काव्य जैसी एकनिष्ठ एकाग्रता सन्तुलित रूप में विकसित हुई है।</p>
<p>सही मायने में ‘अन्वेषण’ आज के आदमी के भीतर प्रश्नों की जमी बर्फ़ के नीचे दबी चेतना को मुखर करने की सफल चेष्टा है।
ISBN: 9788183613514
Pages: 128
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: ‘झीनी-झीनी बीनी चदरिया’ के प्रख्यात रचनाकार अब्दुल बिस्मिल्लाह का यह उपन्यास प्रकाशन-क्रम की दृष्टि से तीसरा किन्तु लेखन-क्रम से पहला है। इसकी कथाभूमि मध्य प्रदेश के एक पूर्वी छोर पर स्थित मंडला अंचल है। वहाँ के ग्रामीण परिवेश में रचे गए इस उपन्यास में ऐसे चरित्रों का निरूपण हुआ है जो आज़ाद हिन्दुस्तान की बड़ी-बड़ी विकास योजनाओं से एकदम अछूते और अपरिचित हैं और ग़रीबी की रेखा के बहुत नीचे का जीवन जी रहे हैं। उनके माध्यम से लेखक ने समाज की विसंगतियों, वर्जनाओं और दारुण विषमताओं को मार्मिक ढंग से उकेरा है। संक्षेप में कहें तो यह उपन्यास रोज़-रोज़ मरकर जीनेवाले अनगिनत पति-पत्नियों, पुत्रों और प्रेमी-प्रेमिकाओं की, उनके दुःख-दर्द की ऐतिहासिक महागाथा है। साथ ही लेखक ने ग्रामीण परिवेश का चित्रण इतनी सशक्त भाषा में किया है कि वह सब आँखों के सामने से गुज़रता हुआ प्रतीत होता है। संवादों में मंडला की बोली के प्रयोग ने पात्रों को सम्भव और विश्वसनीय बनाया है।
Peeli Aandhi
- Author Name:
Prabha Khetan
- Book Type:

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Description:
प्रभा खेतान ने अपने विशिष्ट लेखकीय साहस के साथ स्त्री की सिर्फ़ बाहरी नहीं, उसकी निहायत निजी, आन्तरिक और गोपनीय परतों को भी अपनी रचनाओं में खोला है। उनके यहाँ पुरानी औरत ख़ुद अपने हाथों से अपना सिर काटने वाली और फीनिक्स की तरह पुनः-पुन: अपनी ही आग से एक नए रूप में जन्म लेनेवाली औरत होती है। ‘पीली आँधी’ में तीन-तीन पीढ़ियों की औरतें हैं जो कोई सौ-डेढ़ सौ साल की यात्रा करते हुए, अपनी-अपनी बात कहते हुए हमारे आज तक पहुँचती हैं। शिक्षा, निरन्तर परिवर्तनशील परिवेश के दबाव और बंगाल की सामाजिक जागरूकता के बीच प्रभा खेतान अपने जीवन का चुनाव स्वयं, अपनी तरह से करना चाहती हैं—वह स्वयं अपने आर्थिक स्रोतों की खोज करती है और इस प्रक्रिया में भयावह मानसिक-भावनात्मक रूपान्तरणों से दो-चार होती है। नई-नई चुनौतियों की रचना करने और उन्हें साहसपूर्वक झेलनेवाली इसी औरत की अक्कासी इस उपन्यास में है।
Baniya-Bahu
- Author Name:
Mahashweta Devi
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- Description: ‘बनिया-बहू’ की कथा 16वीं शताब्दी के एक आख्यान पर आधारित है, जिसे तत्कालीन कवि मुकुंदराम चक्रवर्ती ने अपनी कृति ‘चंडीमंगल’ में लिपिबद्ध किया था। महाश्वेता देवी ने यह आख्यान इसी पुस्तक से उठाया है और उसे एक अत्यन्त मार्मिक उपन्यास में ढाला है। महाश्वेता जी का मानना है : “बनिया-बहू सम्भवतः आज भी प्रासंगिक है। क़ानून को धता बताकर आज भी बहुविवाह प्रचलित है।...और ‘बेटे की माँ’ न हो सकने की स्थिति में आज भी स्त्रियाँ ख़ुद को अपराधी मानती हैं...अर्थात् अभी भी हम बीसवीं शताब्दी तथा अन्य बीती शताब्दियों में एक साथ रह रहे हैं।” भूमिका से ‘बनिया-बहू’ बहुविवाह प्रथा की इसी चिराचरित त्रासदी की कहानी है। एक स्त्री के बाँझपन के हाहाकार के साथ उसके द्वारा एक दूसरी अत्यन्त कोमल, कमनीय तथा सरल बालिका पर किए गए अकथ अत्याचार से नष्ट होते पारिवारिक जीवन और सुख-शान्ति का मर्मस्पर्शी आख्यान है यह उपन्यास। अन्ततः दोनों ही स्त्रियाँ सामाजिक कुरीतियों, अन्धविश्वासों के मकड़जाल में फँसकर दम तोड़ देती हैं, जबकि उनका कोई दोष नहीं। लेखिका ने दोनों स्त्रियों के साथ पूरी सहानुभूति के साथ, तन्मय होकर, उन स्थितियों का विश्लेषण तथा उद्घाटन किया है, जिनमें एक भयानक सामाजिक विनाश के बीज निहित हैं। एक सिद्धहस्त कथा लेखिका की क़लम से निकली एक अनुपम औपन्यासिक कृति।
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