Kuchh Aur Gadya Rachanayen

Kuchh Aur Gadya Rachanayen

Language:

Hindi

Category:

Language-linguistics

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Book Details

शमशेर जी के ये निबन्ध बरबस इस तथ्य को गहराई से रेखांकित करते हैं कि मात्र कविता में ही नहीं, बल्कि गद्य में भी वे लगातार अपने समकालीनों के कृतित्व से जुड़े रहे हैं। उसको पढ़ते हैं, उस पर सोचते हैं और लिखते भी हैं, बल्कि कहीं न कहीं इसे वे अपना आत्मीय फ़र्ज़ भी मानते रहे हैं। अपने बराबर के साथी अपने ज्येष्ठ व कनिष्ठ समकालीनों पर दिल खोलकर इतना अधिक लिखनेवाले साहित्यकार बहुत कम हैं।&nbsp;‘दोआब’ की ही तरह इस संग्रह में भी उन्होंने अपनी परम्परा के श्रेष्ठ कवियों पर भी लिखा है, जैसे ग़ालिब और रहीम।</p>
<p>यह एक बात ग़ौर करने की है, शमशेर जी के इन निबन्धों में लालित्य किस तरह छिपा है। एकाध निबन्धों को छोड़ प्रायः सभी निबन्धों में शमशेर जी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू नज़र आते हैं। इन निबन्धों के विषय ललित नहीं हैं, पर अपनी प्रस्तुति और प्रभाव में ये बहुत दूर तक ललित हैं।&nbsp;साहित्य से जुड़े अन्य विषयों पर भी शमशेर जी का चिन्तन इस संग्रह में शामिल निबन्धों में देखा जा सकता है। ये वे चिन्ताएँ हैं, जो शमशेर के अन्दरूनी कलाकार को मथती रहती हैं। चाहे वे ‘सामाजिक सत्य और रचना का माध्यम’ हो या ‘अमूर्त कला’ या फिर हल्का-फुल्का लगनेवाला ‘आशु कविता’ जैसा विषय। उनका जागरूक साहित्यकार भाषा और साहित्य पर एक नए दृष्टिकोण की माँग भी करता है।

ISBN: 9788171190904

Pages: 239

Avg Reading Time: 8 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

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