Hazariprasad Dwivedi : Samgra Punravlokan
Author:
Chauthiram YadavPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Language-linguistics0 Reviews
Price: ₹ 320
₹
400
Available
पाँच अध्यायों में विभक्त यह पुस्तक हजारीप्रसाद द्विवेदी के साहित्य, उपन्यास, निबन्ध, आलोचना, इतिहास, उनके व्यक्तित्व और चिन्तन के विविध आयामों को समग्रता में पेश करती है। स्वयं लेखक के अनुसार इस कृति के केन्द्र में रचना, आलोचना और मूल्यांकन से जुड़े वे अनिवार्य प्रश्न हैं जिनका अधिक विश्वसनीय हल, द्विवेदी जी के साहित्य से गुज़रकर पाया जा सकता है। लेखक पूरी ज़िम्मेदारी के साथ आचार्य द्विवेदी और आचार्य शुक्ल की स्पष्टत: भिन्न प्राथमिकताओं, दृष्टियों, विश्वासों और उपकरणों की व्याख्या करते हैं। यहाँ लेखक की दृष्टि स्वाभाविक रूप से दोनों आचार्यों की दृष्टिगत समानता के साथ-साथ उनके अन्तर्विरोधों और उनकी सीमाओं पर भी जाती है।</p>
<p>लेखक के सामने दूसरी चुनौती वे प्रगतिशील आलोचक हैं जो अपने दृष्टिरोध के कारण द्विवेदी जी को लेकर लगातार दुविधा और असुविधा में पड़े हुए हैं। यही कारण है कि कहीं-कहीं द्विवेदी जी के निष्कर्ष वस्तुवादी आलोचकों की अपेक्षा कहीं ज़्यादा ठोस और प्रामाणिक प्रतीत होते हैं। इन मुद्दों को पूरी सावधानी से देखता हुआ लेखक अपना निष्कर्ष प्रस्तुत करता है कि आचार्य द्विवेदी के चिन्तन का मुख्य आयाम समाजवादी मानवतावाद है।
ISBN: 9788180317279
Pages: 217
Avg Reading Time: 7 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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