Chunav Rajneeti Aur Reporting
Author:
Brajesh RajputPublisher:
Shivna PrakashanLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 160
₹
200
Available
This book has no description
ISBN: 9789381520062
Pages: 120
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: "क्रांति का अर्थ उस अवस्था को समाप्त करके, जिसमें रहना ही असहनीय होता जा रहा हो, नई व्यवस्था की स्थापना करना था। अतः जहाँ-जहाँ भी विश्व में क्रांतियाँ हुईं, वहाँ देशकाल और स्थितियों के अनुसार ही इनका सूत्रपात हुआ। दिन-प्रतिदिन बढ़ते साधनों ने क्रांति को नया रूप दे दिया था। हिंसक और अहिंसक दोनों ही रूपों ने इस क्रांति विचारधारा को प्रश्रय दिया और 17वीं शताब्दी के अंत में विश्व ने इस क्रांति से परिचय किया, जो आज 21वीं शताब्दी के घोर आधुनिक युग में भी अपनी आवश्यकता एवं प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। विश्व का यह आधुनिक और विहंगम स्वरूप इन्हीं क्रांतियों की देन है। तानाशाहों, साम्राज्यवादियों, निरंकुश और अयोग्य शासकों के चंगुल से निकलकर जनता ने आधुनिकता की ओर कदम रखे तो इन्हीं क्रांतियों के कारण, जिनमें प्राणों की आहुति दी गई और शत्रुओं को सबक भी सिखाया गया। इस पुस्तक में विश्व की उन महान् क्रांतियों का वर्णन किया गया है, जिन्होंने विश्व का भविष्य तय कर दिया; जैसे— औद्योगिक क्रांति : क्रांतियों का आधार, वैज्ञानिक क्रांति, इंग्लैंड की महान् क्रांति, फ्रांस की गौरवपूर्ण क्रांति, इटली की संघर्ष-क्रांति, भारत छोड़ो आंदोलन, जर्मनी की एकीकरण क्रांति, तिब्बत की धार्मिक क्रांति, जापान की तकनीकी क्रांति।"
Rang-Birangi Kahaniyan
- Author Name:
Ruskin Bond
- Book Type:

- Description: "रंग-बिरंगी कहानियाँ—रस्किन बॉण्ड और फिर एक दिन हमारे हाउस मास्टर मि. फिशर के हाथ मेरी महान् साहित्यिक कृति 'नौ महीने’ लग गई, और वे उसे अपने साथ ले गए। जैसा उन्होंने बाद में बताया कि उन्होंने उसे आद्योपांत पढ़ा। चूँकि उन दिनों कॉरपोरल सजा का रिवाज था। बेंत से मेरी छह बार धुनाई हुई और मेरी पांडुलिपि फाड़कर मि. फिशर की रद्दी की टोकरी के हवाले कर दी गई। ¨ इस माया को तोडऩे के लिए राजकुमार को कुछ करना पड़ेगा, क्योंकि मा एंगे को इस बात से बहुत खीज हो रही थी कि उसका पति दिन में सर्प हो जाता है और रात में एक राजकुमार। उसने कहा कि उसे अच्छा लगता, यदि वह दिन में भी राजकुमार के रूप में रहता। अपनी माता की तरह उसमें भी व्यापार-क्षमता थी। उसी ने इस मायाजाल जादू को तोडऩे में मदद की। ¨ पर वह गलत था। हवाई जहाज बहुत नीचे उड़ रहे थे। जब मैंने ऊपर देखा तो जापानी फाइटर-प्लेन की भयानक छाया सूरज की रोशनी में दिखाई दी। अभी हम मुश्किल से पचास गज गए थे कि हमारे दाएँ हाथ के कुछ घरों के पीछे जोर से धमाका हुआ। इसके धक्के में हम साइकिल पर से सड़क पर चारों खाने चित गिर पड़े। इस धक्के से साइकिल वेग से दीवार से जा टकराई। रस्किन बॉण्ड की लेखनी के कुछ रंग-बिरंगे मोतियों की माला है यह पुस्तक, जिसमें व्यंग्य, रहस्य-रोमांच और हिम्मत की रंगीन छटा सिमटी हुई है। सबको समान रूप से लुभानेवाली रोचक कहानियों का संकलन।"
Kaliyug Mein Itihas Ki Talash
- Author Name:
Om Prakash Prasad
- Book Type:

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Description:
वैदिककालीन धर्म-निर्माताओं का मानना था कि धर्म नहीं तो विश्व नहीं; विश्व का अस्तित्व धर्म पर आधारित था। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र को अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करना ही धर्म था; यही कृत था; यही सत था। धर्म विश्वास पर आधारित था और विश्वास में तर्क की कोई गुंजाइश नहीं होती। वैदिक समाज चार वर्णों—ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में विभाजित था। धर्म के भी चार पैर—सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग बताए गए। कई कारणोंवश ब्राह्मण और वैदिककालीन वर्णव्यवस्था के अस्तित्व पर ख़तरा उत्पन्न हुआ तो चार पैरोंवाले धर्म का एक पैर नष्ट हो गया अर्थात् सतयुग का अन्त हो गया। ब्राह्मणों के साथ क्षत्रियों के परम्परावादी अस्तित्व पर ख़तरा मँडराने लगा तो धर्म के दूसरे पैर (त्रेतायुग) का अन्त हो गया। धर्म के तीसरे पैर (द्वापर) का नाश उस समय हो गया जब वैश्यों ने वैदिक धर्म का पालन करना छोड़ शूद्र-म्लेच्छ का पेशा अपना लिया। अब धर्म मात्र एक पैर पर खड़ा हुआ। इसे कलियुग कहा गया।
कल्पना की गई कि देवतागण जब म्लेच्छों का पूर्ण नाश कर देंगे तो कलियुग का अन्त और सतयुग का सुआगमन होगा। इतिहास चूँकि तर्क, विज्ञान एवं प्रमाण पर आधारित है, इसलिए ऐसे धार्मिक युग-विभाजन को वह नहीं मानता। इस विभाजन के ऐतिहासिक कारणों की खोज करने पर जो तथ्य उभरकर सामने आते हैं, उनका गहरा लगाव किस प्रकार तत्कालीन सामाजिक और आर्थिक दशाओं से रहा—इसी की तलाश कर प्रस्तुत करने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।
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