Constitution Of India : Brief Introduction
Author:
Subhash KashyapPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 100
₹
125
Available
Awating description for this book
ISBN: 9789394902343
Pages: 126
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: लोकतंत्र कैसे ख़त्म होता है? अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए हम क्या कर सकते हैं? इतिहास हमें क्या सिखाता है? इक्कीसवीं सदी में लोकतंत्र जितना ख़तरे में है, पहले कभी नहीं रहा। समूचे इतिहास से सबक लेते हुए—चिली में पिनोशे की ख़ूनी सत्ता से लेकर चुपचाप ढहते तुर्की में एर्दुआं की सरकार तक—हार्वर्ड के प्रोफ़ेसर स्टीवेन लेवित्सकी और डेनियल ज़िब्लाट यह समझाते हैं कि लोकतंत्र क्यों नाकाम हो जाते हैं, ट्रम्प जैसे नेता कैसे उसे नष्ट करते हैं और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए हम में से हर एक व्यक्ति क्या कर सकता है। विशेषज्ञों की राय जो भी लोकतंत्र के भविष्य को लेकर चिन्तित है उसे यह सहज, सरल किताब पढ़नी चाहिए। जो चिन्तित नहीं हैं, उन्हें तो ज़रूर पढ़नी चाहिए। दारोन एसेमोगलू ‘व्हाई नेशंस फ़ेल’ के लेखक और 2024 के नोबेल पुरस्कार विजेता लेवित्सकी और ज़िब्लाट ने कितनी कुशलता से यह दलील रखी है कि हम सबको इस देश के रुझानों पर चिन्तित होना चाहिए, अमेरिकी संविधान का ज़बर्दस्त प्रशंसक होने के नाते मेरे लिए यह पढ़ना हताशाजनक था। ‘यह यहाँ नहीं हो सकता’ वाली धारणा लेवित्सकी और ज़िब्लाट के विश्लेषण में नहीं टिकती...क्या शानदार लिखा है। डेनियल डब्ल्यू. ड्रेज़नर ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ उत्कृष्ट, विद्वत्तापूर्ण, पठनीय, चिन्ताजनक और सन्तुलित निक कोहेन ‘ऑब्ज़र्वर’
Lok Sanskriti Aur Itihas
- Author Name:
Badri Narayan
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Description:
प्रस्तुत पुस्तक ‘लोक-संस्कृति और इतिहास’ के प्रथम लेख में इतिहासकारों का लोक-संस्कृति से कटाव, बौद्धिक-ज्ञान और जन-ज्ञान के बीच निरन्तर चौड़ी और गहरी होती खाई की समस्या पर विचार व्यक्त किए गए हैं।
दूसरे लेख में पूर्वी लोक-चेतना में राष्ट्रवाद के प्रतिदर्श का अध्ययन और अखिल भारतीय राष्ट्रवाद से इसके सम्बन्धों के स्वरूप एवं द्वन्द्व को भी समझने का प्रयास किया गया है।
तीसरे लेख में दन्तकथाओं को इतिहास की संघटनाओं से जोड़कर देखने का प्रयत्न किया गया है।
बाद के अन्य लेख लोक-कवित्तों, मुहावरों, गीतों, लोकायनों तथा लोक-संस्कृति के विविध रूपों के माध्यम से लोक-चेतना में प्रवेश करने का प्रयास है।
यह पुस्तक इतिहास, सामाजिक विज्ञान, लोक-संस्कृति के अध्येताओं के छात्रों के लिए उपयोगी तो है ही, साथ ही साथ आम पाठकों के लिए भी बेहद महत्त्वपूर्ण है।
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