Aadhunik Bharat (1885-1947)
Author:
Sumit SarkarPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 1196
₹
1495
Available
इतिहास पर शोध करनेवालों के लिए राष्ट्रीय अभिलेखागार की सामग्री सुलभ हो जाने और निजी दस्तावेज़ों के अनेक संग्रह सामने आ जाने से उन्नीसवीं शताब्दी के अन्तिम चरण और बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक चरण के भारतीय इतिहास पर शोधपत्रों की बाढ़-सी आ गई है। इन शोधपत्रों में अधिकांशतया विशिष्ट समस्याओं, आन्दोलनों अथवा क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है, और नई सामग्री के संश्लेषण की अथवा नई खोजों को समाहित करते हुए पाठ्य-पुस्तकें लिखने की अपेक्षाकृत कम कोशिश की गई है। प्रो. सुमित सरकार की यह पुस्तक इसका अपवाद है। यहाँ लेखक ने साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष को केन्द्र में रखकर नई सामग्री का संश्लेषण किया है और साथ ही परवर्ती औपनिवेशिक भारत की आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा राजनीतिक घटनाओं के समग्र अध्ययन में उसका उपयोग करने की कोशिश भी की है।</p>
<p>आधुनिक भारत और उसके स्वातंत्र्य आन्दोलन का इतिहास-लेखन प्रायः विशिष्ट वर्ग के ही दृष्टिकोण से किया गया है। ऐसे इतिहास-लेखन में विभिन्न क्षेत्रों का नेतृत्व करनेवाले लोगों के कार्यकलाप, आदर्श या दलगत जोड़-तोड़ केन्द्रीय विषय रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने, स्वयं अपने ही शोध के आधार पर, उन प्रचुर सम्भावनाओं का उद्घाटन करने की कोशिश की है, जो इतिहास को समाज के निचले तबके की दृष्टि से देखने के लिए विद्यमान हैं। आधुनिक भारतीय इतिहास की हमारी पूरी समझ पर लगे महत्त्वपूर्ण आरोपों का अध्ययन करने के लिए लेखक ने विशिष्ट वर्ग के बजाय जनजातियों, किसानों और कामगारों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है।</p>
<p>आधुनिक भारत में उन लोगों के अध्ययन के लिए ग्रन्थ-सूची भी दी गई है, जो इस विषय पर हुए प्रचुर शोधकार्यों की स्वयं छानबीन करना चाहते हैं। यह पुस्तक आधुनिक भारतीय इतिहास के अध्ययन में रुचि रखनेवाले हर व्यक्ति के लिए, ऑनर्स और स्नातकोत्तर कक्षाओं के छात्रों, प्राध्यापकों और सामान्य पाठकों के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी। आदि
ISBN: 9788126705177
Pages: 51
Avg Reading Time: 2 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: भारत के 2014 के आम चुनावों को 1977 के बाद भारतीय इतिहास का सबसे महत्त्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। इस चुनाव में देश ने सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को समेटते हुए, भारतीय जनता पार्टी को शानदार जीत दिलाई। साथ ही, चुनाव प्रचार की एकदम नई तरह की शैली देखी गई, जिसने राजनीतिक खेल के सारे नियम तोड़ डाले। लेकिन यह कैसे और क्यों मुमकिन हुआ? इस दिलचस्प पुस्तक में प्रसिद्ध पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने राजनीति के सभी प्रमुख खिलाडि़यों और बड़ी खबरों के जरिए चुनावी कहानी पर नजर रखने का प्रयास किया है। इसकी शुरुआत 2012 से होती है, जब नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार गुजरात में राज्य विधानसभा के चुनाव में विजय हासिल की, लेकिन साथ ही एक बड़े मिशन पर अपनी निगाहें गड़ाईं। मनमोहन सिंह और संप्रग-दो के घोटालों, टीम मोदी की परदे के पीछे की रणनीतियों, राहुल गांधी की अभूतपूर्व चूकों और चुनाव वर्ष के राजनीतिक ड्रामे से होते हुए वे साल 2014 की उस शानदार जीत को रेखांकित कर रहे हैं, जिसने भारत को बदल दिया।
Ram Prasad Bismil Ko Phansi V Mahavir Singh Ka Balidan
- Author Name:
Malvender Jit Singh Waraich
- Book Type:

- Description: शताब्दियों की पराधीनता के बाद भारत के क्षितिज पर स्वतंत्रता का जो सूर्य चमका, वह अप्रतिम था। इस सूर्य की लालिमा में उन असंख्य देशभक्तों का लहू भी शामिल था, जिन्होंने अपना सर्वस्व क्रान्ति की बलिवेदी पर न्योछावर कर दिया। इन देशभक्तों में रामप्रसाद बिस्मिल का नाम अग्रगण्य है। संगठनकर्ता, शायर और क्रान्तिकारी के रूप में बिस्मिल का योगदान अतुलनीय है। ‘काकोरी केस’ में बिस्मिल को दोषी पाकर फ़िरंगियों ने उन्हें फाँसी पर चढ़ा दिया था। इस प्रकरण का दस्तावेज़ी विवरण प्रस्तुत पुस्तक को ख़ास बनाता है। शहीद महावीर सिंह साहस व समर्पण की प्रतिमूर्ति थे। तत्कालीन अनेक क्रान्तिकारियों से उनके हार्दिक सम्बन्ध थे। इनका बलिदान ऐसी गाथा है, जिसे कोई भी देशभक्त नागरिक गर्व से बार-बार पढ़ना चाहेगा। पुस्तक पढ़ते समय रामप्रसाद बिस्मिल की ये पंक्तियाँ मन में गूँजती रहती हैं—‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है/देखना है ज़ोर कितना बाज़़ू-ए-क़ातिल में है।’ एक महत्त्वपूर्ण और संग्रहणीय पुस्तक।
Corona Kaal
- Author Name:
Akash Mathur
- Book Type:

- Description: This book has no description
Singhbhum Ka Itihas: Pracheen Se Purv-Aupniveshik Kaal Tak
- Author Name:
Lalita Sundi
- Book Type:

- Description: औपनिवेशक पराधीनता झेल चुके समाजों का इतिहास जाने-अनजाने औपनिवेशक दृष्टिकोण के बोझ से दबा नजर आता है। भारत के आदिवासियों के सन्दर्भ में यह समस्या दोहरी रही है क्योंकि उनके सामने ब्रिटिश पराधीनता के साथ-साथ वर्चस्वशाली गैर-आदिवासी तबके का शोषण भी रहा है। दरअसल आदिवासियों का इतिहास भी अब तक ज्यादातर गैर-आदिवासी ही लिखते रहे हैं जिसमें उन्हें देखने के दो प्रमुख दृष्टिकोण रहे हैं। पहला, सब-आल्टर्न परिप्रेक्ष्य जिसमें इतिहास को नीचे से देखने अर्थात उपेक्षित-वंचित तबकों का इतिहास में समुचित उल्लेख करने और उन्हें वाजिब श्रेय देने पर जोर रहा है। और दूसरा, राष्ट्रवादी परिप्रेक्ष्य जिसमें मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन में आदिवासियों की भूमिका को रेखांकित किया जाता रहा है। ये दोनों दृष्टिकोण भी आदिवासी समुदायों को अन्य और विशिष्ट सांस्कृतिक समूह मानने की औपनिवेशिक भ्रान्ति से मुक्त नहीं रह पाए। इसलिए इन दोनों तरह के इतिहासकारों के लेखन में प्राचीन और मध्यकालीन आदिवासी राजवंशों और गणराज्यों की प्रभावी उपस्थिति का जिक्र या आकलन न के बराबर मिलता है। ललिता सुंडी की यह पुस्तक उपरोक्त सीमाओं को लाँघकर आदिवासी इतिहास को बहुआयामी स्वरूप प्रदान करती है। इसमें सिंहभूम की भौगोलिक स्थिति, प्राचीन इतिहास, राजवंशों का उदय, राजनीतिक परिदृश्य, सामाजिक-सांस्कृतिक परम्पराएँ, पारम्परिक शासनप्रणाली, क्षेत्र के प्रमुख आदिवासी समुदायों का महत्व और उनका परस्पर सम्बन्ध आदि तमाम विषयों को समाहित किया गया है। इस ऐतिहासिक विवेचना में सिंहभूम के अर्थशास्त्रीय पक्ष को भी शामिल किया गया है। वस्तुतः यह पुस्तक सिंहभूम के हवाले से आदिवासियों के प्रति रूढ़ दृष्टिकोण को नकारने की एक शोधपरक पहल है जिसमें उन्हें सिर्फ जंगल और पिछड़ेपन से जोड़कर देखे जाने के विपरीत उनके समृद्ध इतिहास को प्रस्तुत किया गया है। इसका दस्तावेजी महत्त्व असंदिग्ध है।
Vasundhara Raje Aur Viksit Rajasthan
- Author Name:
Vijay Nahar
- Book Type:

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Gandhi Kyon Nahin Marte!
- Author Name:
Chandrakant Wankhede
- Book Type:

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Description:
गांधी को गोली मार दी गई, उनका शरीर मर गया लेकिन गांधी नाम की जिस आभा ने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान जनसाधारण के हृदय में आकार लिया था, वह न मर सकी। वह आज तक जीवित है और सक्रिय भी।
यह किताब इसी पहेली को सुलझाने की कोशिश करती है कि वह क्या चीज थी जो गोलियों से भी बच निकली और गोलियों के पीछे खड़ी नफरत की मानव-विरोधी आँधी को आज तक चकमा देती आ रही है।
लेखक के मन में इस किताब के बीज उस समय पड़े जब वे संघ की शाला में पढ़ने गए थे। यहाँ आकर उन्हें गांधी के विषय में वह सुनने को मिला जो उनके अब तक के सीखे हुए से एकदम उलट था। घर-परिवार और समाज में उन्हें गांधी का आदर करना सिखाया गया था, और शाला में उन्होंने देखा कि गांधी का मजाक उड़ाया जाता है। उन्हें कायर, कमजोर और व्यभिचारी कहा जाता है। होश सँभालने के बाद से अब तक जिसे वे नायक मानते रहे थे, यहाँ उन्हें खलनायक बताया जा रहा था।
यहीं से उन्होंने गांधी को जानने का निश्चय किया। उन्होंने उनकी आत्मकथा पढ़ी और हैरान हुए कि कैसे कोई व्यक्ति प्रसिद्धि और लोकप्रियता के शिखर पर जाकर अपने बारे में वह लिख सकता है जो गांधी ने लिखा। उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास को पढ़ा और जाना कि स्वतंत्रता की अवधारणा को देश के अन्तिम व्यक्ति से जोड़ने का चमत्कार गांधी ने कैसे किया; कैसे उन्होंने धर्म के अनुशासन को दूसरों के बजाय अपनी तरफ मोड़कर धर्म के अर्थ ही बदल दिए।
यह पुस्तक गांधी के जीवन और स्वतंत्रता आन्दोलन के इतिहास पर बराबर नजर रखते हुए हमें बताती है कि गांधी हमारे आज और आनेवाले समय के लिए क्यों जरूरी हैं; और यह भी कि उनके विचारों की दीप्ति को समाप्त करना सम्भव भी नहीं है।
Namo Sarkar Ke Teen Varsh
- Author Name:
Praveen Gugnani
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