I M Possible
Author:
Tarun PithodePublisher:
Prabhat PrakashanLanguage:
EnglishCategory:
History-and-politics0 Reviews
Price: ₹ 280
₹
350
Available
It is a story of a boy, Aditya, who struggles hard to achieve his dreams despite many odds. The novel takes the reader through Aditya's early childhood adventures to success in school and college. The college trekking expedition to the Himalayas takes the reader through beautiful, unique experiences of the Himalayas, where Aditya wins his love.
It describes ways to understand the world differently and even touches on various social issues prevalent in India, like caste, religion, child abuse, corruption and inflation.
The final part talks of the inner voice and mysticism of the universal soul, which is considered a great guiding force for a human being, provided he lowers his defence mechanisms to hear it. It is a philosophical, psychological and motivational story.
This book won't let its reader lose the battle of life. It equips them to understand the world better and never get used by anybody.
A self-motivating novel will provide energy to its readers to excel and succeed in life, especially those searching for their dream.
ISBN: 9788184303452
Pages: 192
Avg Reading Time: 6 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: अफ़ग़ानिस्तान की भौगोलिक संरचना उसकी स्थिति को अनूठा बनाती है। सभ्यता की शुरुआत से ही ये विभिन्न क़ाफ़िलों के आने-जाने का मार्ग रहा है। जो भी सुदूर पूर्व या भारत के जंगलों तथा नदियों की तरफ़ जाना चाहता, उसे अफ़ग़ानिस्तान की घाटियों तथा पहाड़ियों को ज़रूर पार करना पड़ता। एशिया और यूरोप, अरब दुनिया और दक्षिण एशिया और मध्य एशिया एवं पश्चिम एशिया के बीच स्थित होने की वजह से ये हर किसी को लुभाता है। क्या तालिबान के हटने तथा नई सत्ता के आने से ये लोभ-लालच ख़त्म होगा? पाँच साल के तालिबान शासन ने अफ़ग़ानिस्तान को सदियों पीछे ढकेल दिया है। शासकों ने बामियान की बौद्ध मूर्तियों के रूप में अपनी अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर खो दी। ये एक तरह से द्वेष में आकर अपनी ही नाक काट लेने जैसा था, क्योंकि दुनिया ने तालिबान के तौर-तरीक़ों तथा विश्व आतंकवाद के निर्माता के रूप में उसे नामंज़ूर कर दिया था। काबुल के संग्रहालय को प्रसिद्ध गांधार चित्रों तथा प्रतिमाओं से वंचित कर दिया गया। कम्युनिस्ट शासन के दौरान महिलाओं को काम करने की पूरी आज़ादी थी, मगर अफ़ग़ानिस्तान इस स्थिति से उस स्थिति में ले जाया गया जहाँ तालिबान का राज था और जिसमें महिलाएँ दरवाज़ों के पीछे क़ैद कर दी गईं। स्कूल-कॉलेज तथा कामकाज की जगहों से हटाकर उन्हें बलात्कार के लिए छोड़ दिया गया। अपने समूचे ख़ूनी इतिहास में सम्भवतः एक बरबाद समाज ने सबसे ज़्यादा विधवाएँ और अनाथ देखे। इससे भी बुरा ये हुआ कि जो भी पढ़ा-लिखा था और मुल्क से जा सकता था, वो अपनी ज़िन्दगी की हिफ़ाज़त के लिए चला गया। क्या उनमें से कुछ लोग वापस लौटेंगे? उम्मीद करनी चाहिए कि लौटेंगे, मगर कुछ समय के बाद ही क्योंकि आज की हालत डरावनी है। अब इतिहास ने अफ़ग़ानिस्तान को एक और मौक़ा प्रदान किया है। विश्व बिरादरी के लिए भी ये एक अवसर है जब वो अफ़ग़ानिस्तान में एक सामूहिक भूमिका अदा कर सकती है। अफ़ग़ानिस्तान के अतीत और वर्तमान पर एक अनिवार्यतः पठनीय पुस्तक।
Sensex Kshetriya Dalon Ka
- Author Name:
Aaku Shrivastava
- Book Type:

- Description: प्रसिद्ध पत्रकार अकु श्रीवास्तव की यह पुस्तक आजाद भारत की राजनीति के इतिहास में केंद्र के बरक्स राज्यों के बीच अंतर्विरोधों और द्वंद्वो के साथ उपजे क्षेत्रीय दलों के उतार-चढ़ाव का समग्र अध्ययन करती है। ये अंतर्विरोध सबसे पहले पिछली सदी के सत्तर के दशक में तब प्रकट हुए थे, जब सात-आठ राज्यों में स्थानीय राजनीतिक स्पृहाओं ने अपनी संयुक्त सरकारें बनाकर केंद्रवादी कांग्रेस की नीतियों की जगह स्थानीयतावादी विकल्प पेश किए। भाषागत व स्थानीय सांस्कृतिक अस्मिताओं ने इस परिवर्तन को संभव किया केंद्र में भी दो बार गैर कांग्रेसी दलों व स्थानीय स्पृहमाओं ने सरकारें बनाईं। ग्लोबलाइजेशन के दौर में विकेंद्रीकरण की यह वृत्ति और भी ताकतवर हुई। शायद इसीलिए अब जब कांग्रेस के केंद्रवाद की जगह भाजपा ले चुकी है, तब भी बहुत सी स्थानीयतावादी अस्मिताएँ भाजपा के केंद्रवाद से भी टकराती रहती हैं। जम्मू- कश्मीर, तमिलनाड, केरल, बंगाल, ओडिशा, केरल आदि तो केंद्रवाद को अरसे से टक्कर देते ही रहे हैं, महाराष्ट्र पंजाब और दिल्ली भी इसी लाइन में है और सत्ता से बाहर होकर भी बिहार, यू.पी. आदि के स्थानीय दल केंद्रवाद से टकराते रहते हैं । अकु श्रीवास्तव भारतीय राजनीति के इस बुनियादी अंतर्विरोध के विविध आयामों को गहराई में जाकर पकड़ते हैं और बताते हैं कि यह अंतर्विरोध हमारी समकालीन राजनीति का वह अतरंग अंतर्विरोध है, जो प्रत्यक्षतः जनतंत्र के लिए अभिशाप नजर आता है, लेकिन परोक्षतः वही जनतंत्र को जीवित रखनेवाला मालूम होता है । मेरी नजर में यह पुस्तक समकालीन और भावी राजनीति की नब्ज को समझने के लिए एक एकदम पठनीय है। --सुधीश पचौरी
Bharatiya Videsh Neeti
- Author Name:
Jn Dixit
- Book Type:

- Description: प्रस्तुत पुस्तक में भारत के पूर्व विदेश सचिव श्री जे.एन. दीक्षित द्वारा पचास वर्षो की अवधि के विस्तृत फलक पर भारतीय विदेश नीति के विभिन्न चित्र सशक्त तथा प्रभावशाली ढंग से उकेरे गए हैं । लेखक ने 1947 को भारतीय विदेश नीति का आरंभ काल माना है । इन्होंने बताया है कि पं. जवाहरलाल नेहरू ने भारत की विदेश नीति का मूलाधार रखा तथा इसके बाद उनके उत्तराधिकारियों ने इस दिशा में किस प्रकार से व्यापक और महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । इस महत्त्वपूर्ण आख्यान का वर्णन करते समय लेखक ने कालक्रमानुसार भारत की विदेश नीति के विविध पक्षों को उजागर किया है । इसके साथ ही उन पक्षों के राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पड़नेवाले प्रभावों का भी विवेचन किया है तथा ऐसी युगांतकारी घटनाओं को शामिल किया है जिनका भारतीय विदेश नीति की प्राथमिकताओं पर प्रभाव पड़ा है । इसके अतिरिक्त इस पुस्तक में उन घटनाओं के परिणामों तथा प्रतिक्रियाओं का भी विश्लेषण किया गया है । उदाहरण के तौर पर-सन् 1947-48, 1965 तथा 1971 में भारत-पाक युद्ध; संयुक्त राष्ट्र का संदेहास्पद रवैया तथा कश्मीर का मुद्दा; 1962 में भारत-चीन युद्ध; 1979 में अफगानिस्तान पर सोवियत संघ का कब्जा; महाशक्तिशाली सोवियत संघ का विघटन; कश्मीर की समस्या तथा पाकिस्तान की ' परोक्ष युद्ध ' की कार्यनीति; 1991 में खाड़ी युद्ध; मई 1998 में भारत-पाक द्वारा किए गए परमाणु परीक्षण । इस पुस्तक में विश्व के विभिन्न देशों-विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ, चीन तथा पाकिस्तान के साथ भारत के संबंधों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करते हुए घटनाओं के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विशद विवेचन किया गया है । भारतीय विदेश नीति को आधार बनाकर लिखी गई यह पुस्तक निस्संदेह एक उत्कृष्ट कृति है ।
Rashtranayak Narendra Modi
- Author Name:
Usha Vidhyarthi
- Book Type:

- Description: भारत से लेकर वैश्विक स्तर तक ऐसे मनीषियों की लंबी शृंखला है, जिन्होंने अपने विचार, कर्म और सकारात्मक दृष्टि से मानव सभ्यता को शिखर पर आच्छादित कर दिया, लेकिन कुछ व्यक्तियों के कारण राजनीति को पतितों की अंतिम शरणस्थली तक कहा जाने लगा। इसी पतनोन्मुख व्यवस्था में नरेंद्र मोदी के रूप में एक ऐसे महामानव का उदय हुआ, जिन्होंने राजनीति के मर्म को अपना धर्म समझते हुए मानवमात्र के कल्याण को अपना उद्देश्य बना लिया। अपने स्वहित को राष्ट्रहित और समाजहित में समाहित कर दिया। मानव सेवा को अपने जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य बनाते हुए राजनीति के मूलभाव को पुनः स्थापित करने का महान् कार्य किया। श्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व और कृतित्व ने राजनीति को पुनः सेवा, श्रम और त्याग का माध्यम बना दिया। सेवा और त्याग की भावना के बिना राजनीति में संवेदना संभव नहीं। संवेदनशील व्यक्ति ही राजनीति के मर्म और धर्म को समझते हुए राष्ट्र के लिए प्राणोत्सर्ग कर सकता है, जो निश्चित रूप से नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व में निहित है। ‘सबका-साथ, सबका-विकास’ सिर्फ नारा नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी का जीवन दर्शन है, जो उन्हें गांधी, आंबेडकर, दीनदयाल, जे.पी. और लोहिया के विचार सागर से निचोड़ के रूप में प्राप्त हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक हमारे जनप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनोन्मुखी कार्यों को प्रमुखता से चिह्नित करने का एक विनम्र प्रयास है।
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