The Lost Diary of Kastur, My Ba
Author:
Tushar Gandhi, Sonali NavangulPublisher:
Manovikas Prakashan LLPLanguage:
MarathiCategory:
Historical-fiction0 Reviews
Price: ₹ 319.2
₹
399
Available
तिच्या सोबतीवाचून अहिंसा आणि आत्मशिस्तीच्या
माझ्या प्रयत्नांमध्ये मला यश मिळालं नसतं,
हे सत्य मी मान्य करायला हवं.
इतर कुणाच्याही तुलनेत
ती मला अधिक चांगलं समजून घेऊ शकायची.
तिची निष्ठा अद्वितीय होती.
आयुष्याचा निरोप घेताना ती कुणाच्या मांडीवर,
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माझ्या मांडीवर डोकं ठेवून अखेरचा श्वास घेतला.
अशी होती बा!
तिच्यासारखी निर्दोष श्रद्धा, नि:स्वार्थ भक्ती आणि
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आमचं लग्न झाल्यापासून ती माझ्या आयुष्यातील
सर्व संघर्षांमध्ये अतूट निष्ठेनं माझ्या पाठीशी उभी राहिली.
शरीर-आत्म्यासह आपलं सर्वस्व अर्पून
तिनं स्वत:ला माझ्या जीवनकार्याला वाहून घेतलं.
अशा प्रकारच्या समर्पणाचं दुसरं उदाहरण क्वचितच सापडेल.
महात्मा गांधी
कस्तुरबांच्या तिसऱ्या स्मृतिदिनानिमित्त बोलताना
22 फेब्रुवारी 1947, नोआखाली.
The Lost Diary of Kastur, My Ba | Tushar Gandhi
Translated by : Sonali Navangul
द लॉस्ट डायरी ऑफ कस्तुर, माय बा । तुषार गांधी
अनुवाद : सोनाली नवांगुळ
ISBN: 9789363746077
Pages: 336
Avg Reading Time: 11 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Vinayak Damodar Savarkar
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- Description: नहीं-नहीं, राष्ट्र कभी मरते नहीं । ईश्वर पीड़ितों का रक्षक है । उसने मनुष्य को स्वाधीनता में साँस लेने के लिए उत्पन्न किया है । यदि तुम ठान लो तो समझो, देश स्वतंत्र हो ही गया । इससे अधिक प्रोत्साहक राष्ट्रमंत्र अन्य कौन सा है? एक बार मनुष्य ने ठान लिया कि मैं स्वाधीनता, स्वदेश और मानवता का परम भक्त हूँ फिर उसे स्वाधीनता, स्वदेश और मानवता के लिए लड़ना ही होगा, निरंतर आजीवन लड़ना होगा ।'' '' मेरी इटली की जनसंख्या दो करोड़ है । यदि इन दो करोड़ लोगों ने मन में निश्चय किया तो विदेशियों के वे पचहत्तर हजार सिपाही उन्हें दबा थोड़े सकते हैं! दो करोड़ लोग और उनका सहायक ईश्वर! ऐसी स्थिति में इटली पलक झपकते ही विदेशी सत्ता को चूर-चूर कर देगी । '' - जोसेफ मैझिनी उपर्युक्त कथन 22 जून, 1805 को इटली में जनमे महान् क्रांतिकारी जोसेफ मैझिनी के हैं, जिन्होंने अपनी प्रखर देशभक्ति से इटली के स्वाधीनता आंदोलन को अनुप्राणित किया । प्रस्तुत पुस्तक ऐसे महान् राष्ट्रभक्त का भारत के महान् क्रांतिकारी स्वातव्यवीर विनायक दामोदर सावरकर द्वारा रचित जीवन-चरित्र है । इसमें इटली के स्वातंत्र्यवीर, देशभक्त मैझिनी का आत्मचरित्र और कुछ राजनीतिक लेख संकलित हैं । इन लेखों ने दो करोड़ लोगों में चेतना भर दी । इन लेखों से यूरोपीय सिंहासन उलट-पुलट हो गए । इन लेखों से इटली स्वतंत्र हुआ । इन लेखों में सभी पराधीन देशों को स्वतंत्र करने की शक्ति ठूस-ठूसकर भरी हुई है । मैझिनी के तत्त्व केवल इटली के लिए ही लागू नहीं होते, इटली केवल निमित्त बना है । राजनीति-शास्त्र के ये महत् सत्य उस महात्मा ने अखिल मानव-जाति के लिए प्रकट किए हैं । इस स्वतंत्रता-सुधा का मिष्टान्न सभी संतप्त भूमिकाओं की ओर मुड़ गया है ।
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