Janane ki Batein (Vol. 5)
Author:
Deviprasad ChattopadhyayPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 396
₹
495
Available
राजा राममोहन राय से लेकर उत्पलेन्दु चक्रवर्ती तक बंगाल में निरन्तर नये विचारों के प्रसार के माध्यम से जिन महापुरुषों ने नवजागरण की धारा को मजबूत, किया है, उनमें एक देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय भी हैं। भारतीय दर्शन की भौतिकवादी धारा को रेखांकित करने के लिए इन्हें पूरी दुनिया में आदर के साथ याद किया जाता है।
देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय ने एक तरफ भौतिकवाद को मज़बूत करने के लिए लोकायत जैसी पुस्तक लिखी तो दूसरी तरफ अन्धविश्वासों और रूढ़ियों में फँसे भारतीय समाज के बच्चों में समय, समाज और प्रकृति को देखने-परखने की वैज्ञानिकी समझ तथा ज्ञान के विकास के लिए ग्यारह खंडों में इस महत्त्वपूर्ण पुस्तकमाला का सम्पादन किया, जो किसी बाल विश्वकोश से कम नहीं है।
इस श्रृंखला की पुस्तकें केवल बच्चों के ज्ञान का ही विस्तार नहीं करती हैं, बल्कि उन्हें बिल्कुल नई समझ और संसार को देखने की वैज्ञानिक दृष्टि प्रदान करती हैं।
साहित्य और संस्कृति पर केन्द्रित इस पाँचवें भाग में लेखक ने भाषा, संस्कृति और कलाओं के विकास पर प्रकाश डाला है। इसमें लिपियों के विकास की कथा भी बहुत ही रोचक ढंग से बताई गई है।
ISBN: 9788126711536
Pages: 98
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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