Cyanide : Rajeev Hatyakand Ki kahani
Author:
Praveen Kumar JhaPublisher:
ESAMAAD PRAKASHANLanguage:
HindiCategory:
General-non-fiction0 Reviews
Price: ₹ 199
Unavailable
मद्रास के निकट श्रीपेरम्बुदूर में एक बम विस्फोट द्वारा राजीव गांधी की हत्या एक रहस्यमय घटना है, जिसके कई तार अब तक सुलझे नहीं हैं। इस हत्याकांड की जाँच जहाँ एक मॉडल की तरह देखा गया, वहीं यह पूरा घटनाक्रम किसी थ्रिलर फ़िल्म की पटकथा की तरह है। भारत की ज़मीन से बाहर हो रहे षडयंत्र की तह तक पहुँचना और देश-विदेश के राजनीतिक मकड़जाल से बचते हुए कदम रखना आसान न था। लेखक प्रवीण कुमार झा ने अपनी क़िस्सागोई अंदाज़ में इस घटनाक्रम को संवादों और दृश्यों में पिरो दिया है। यह कोई नयी अकादमिक पड़ताल या रिपोर्ताज नहीं, बल्कि उपलब्ध दस्तावेज़ों पर आधारित एक रोमांचक कथा है।
ISBN: 9788196316600
Pages: 94
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: निश्छल प्रेम और दुर्निवार जीवन-तृष्णा की अपूर्व गाथा है—‘पहाड़’। राम ने अपनी प्रिया सीता के लिए समुद्र पर सेतु का निर्माण किया था—प्रीत कारण सेतु बाँधल सिया उदेस सिरी राम हो। और दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी पिंजरी के लिए पहाड़ काटकर रास्ता बनाया। राम देवता थे, जबकि दशरथ मांझी बिहार के गया ज़िले के एक साधारण गाँव के अति साधारण निवासी; समाज के सर्वाधिक उपेक्षित, वंचित और अभावग्रस्त समुदाय के एक सदस्य। लेकिन उन्होंने मानवीय प्रेम की ऐसी मिसाल क़ायम की, जिसके बारे में अब तक सिर्फ़ पौराणिक कथाओं-किंवदन्तियों में सुना गया था। इस तरह ‘पहाड़’ में साधारण की असाधारणता मूर्त हुई है। दशरथ मांझी की यह गाथा उनके प्रेम की व्यक्तिगत परिधि तक सीमित नहीं है। इसमें उनके और उनके जैसे अनेक लोगों का जीवन-संघर्ष चित्रित है, जो समाज की सामन्ती शक्तियों के उत्पीड़न का शिकार बनते हैं। लेकिन तमाम प्रतिकूलताओं के बावजूद वे अपनी स्वतंत्रता और मानवीय गरिमा की आकांक्षा से विमुख नहीं होते, बल्कि बार-बार संघर्ष करते हैं। उपन्यासकार ने काफ़ी बारीकी से सामाजिक-राजनीतिक जटिलताओं को प्रस्तुत किया है, जिससे यह कृति और व्यापक हो उठी है। ‘पहाड़’ का एक उल्लेखनीय पक्ष इसमें प्रकृति और पर्यावरण के प्रति प्रस्तुत दृष्टिकोण भी है। यह उपन्यास बतलाता है कि प्रकृति को अपनी लिप्सा-पूर्ति का साधन बनाकर मनुष्य अपने को ही नष्ट कर लेगा, जबकि उसके साहचर्य में उसका अस्तित्व बचा रह सकता है।
Safai Kamgar Samuday
- Author Name:
Sanjeev Khudshah
- Book Type:

- Description: सिर पर मैला ढोने की प्रथा मानव सभ्यता की सबसे बड़ी विडम्बनाओं में से एक रही है। सोचनेवाले सदा से सोचते रहे हैं कि आख़िर ये कैसे हुआ कि कुछ लोगों ने अपने ही जैसे मनुष्यों की गन्दगी को ढोना अपना पेशा बना लिया। इस पुस्तक का प्रस्थान बिन्दु भी यही सवाल है। लेखक संजीव खुदशाह ने इसी सवाल का जवाब हासिल करने के लिए व्यापक अध्ययन किया, विभिन्न वर्गों के लोगों, विचारकों और बुद्धिजीवियों से विचार-विमर्श किया। उनका मानना है कि इस पेशे में काम करनेवाले लोग यहाँ की ऊँची जातियों से ही, ख़ासकर क्षत्रिय एवं ब्राह्मण जातियों से निकले। इसी तरह किसी समय श्रेष्ठ समझी जानेवाली डोम वर्ग की जातियाँ भी इस पेशे में आईं। लेखक ने इन पृष्ठों में सफ़ाई कामगार समुदायों के बीच रहकर अर्जित किए गए अनुभवों का विवरण भी दिया है।
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