Vivekanand
Author:
Romain RollandPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 159.2
₹
199
Available
महान् भारतीय सन्त एवं चिन्तक रामकृष्ण का आध्यात्मिक ज्ञान ग्रहण करके उनके चिन्तन के बीज-कणों को सारे संसार में वितरित करने और अपना कार्य सफलतापूर्वक सम्पादित करनेवाले विवेकानन्द का जीवन निश्चय ही अत्यन्त गौरवपूर्ण एवं प्रेरणादायक है। विवेकानन्द ने अपनी यात्राओं एवं रामकृष्ण मिशन की स्थापना द्वारा पूर्व और पश्चिम के बीच निश्चय ही एक आध्यात्मिक पुल का निर्माण किया है। विश्व-विख्यात फ्रांसीसी उपन्यासकार रोमां रोलां कृत विवेकानन्द की जीवनी का हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत कराकर साहित्य अकादेमी ने एक बड़े अभाव की पूर्ति की है। विवेकानन्द के जीवन, कार्यों एवं विचारों का सम्यक् परिचय तो इसमें है ही, रामकृष्ण के जीवन एवं सिद्धान्तों को भी संक्षिप्त रूप में दे दिया गया है, जिससे इस कृति की उपयोगिता और भी बढ़ गई है।</p>
<div> </div>
<div>दो वर्ष भारत-भर में और अनन्तर तीन वर्ष विश्व-भर में उनका परिभ्रमण उनकी स्वतंत्र स्वाभाविक चेतना और सेवा-भावना का सहज ही यथेष्ट पूरक सिद्ध हुआ। वह घर-समाज के बंधन से मुक्त, स्वच्छंद, ईश्वर के साथ निरंतर अकेले घूमते रहे। उनके जीवन का कोई क्षण ऐसा न था जिसमें उन्होंने ग्राम में, नगर में, धनी के, निर्धन के जीवन-स्पन्दन की वेदना, लालसा, कुत्सा और पीड़ा से साक्षात् न किया हो। वह जन के जीवन से एकाकार हो गए। जीवन के महाग्रन्थ में उन्हें वह मिला जो पुस्तकालय की समस्त पोथियों में नहीं मिला था।<br />पथचारी शिक्षार्थी के रूप में कैसी अद्वितीय शिक्षा उनको मिली!... अस्तबल में या भिखारी-टोले में सो रहनेवाले जगत्-बन्धु ही नहीं थे, वह समदर्शी थे...आज अछूतों के आश्रय में पड़े तिरस्कृत मँगते हैं तो कल राजकुमारों के मेहमान हैं, प्रधानमन्त्रियों और महाराजाओं से बराबरी पर बात कर रहे हैं, कभी दीनबन्धु रूप में पीड़ितों की पीड़ा को समर्पित हो रहे हैं, तो कभी श्रेष्ठियों के ऐश्वर्य को चुनौती दे रहे हैं और उनके निर्मम मानस में दुखी जन के लिए ममता जगा रहे हैं। पंडितों की विद्या से भी उनका परिचय था और औद्योगिक एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था की उन समस्याओं से भी, जो जनजीवन की नियामक हैं। वह निरन्तर सीख रहे थे, सिखा रहे थे और अपने को धीरे-धीरे भारत की आत्मा, उसकी एकता और उसकी नियति का प्रतीक बनाते जा रहे थे। ये तत्त्व उनमें समाहित थे और सारे संसार ने इनके दर्शन विवेकानन्द में किये।</
ISBN: 9788180312274
Pages: 123
Avg Reading Time: 4 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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'यह एक मारक क्षण है। इस बार अधिक सख़्त और बेधक निगाहों के साथ। मैं इसके सामने हूँ। इसके निशाने पर। यह क्षण एक निर्णायक फ़ैसला चाहता है। यह एक अपराजेय क्षण है। मेरे भीतर से ही निकला हुआ। शक्तिशाली और अबोधता से भरा। यह किसी उलझन में नहीं है। यह मैं हूँ जो इसे उलझन में डालने की कोशिश कर रहा हूँ। लेकिन यह भुलावे में नहीं आ रहा है। 'जैसा मैं हूँ और जो मुझे होना चाहिए' को यह तेज़ धार से काटकर, दो टूक और दो भागों में कर देना चाहता है। यह क्रूर होते हुए भी आकर्षक है और अकाट्य भी। यह ख़ुद एक तर्क है, अपने आपमें एक औचित्य। एक स्वयंसिद्ध काया और विचार। इसका सम्मोहन ज़बर्दस्त है। जानता हूँ यह अवसाद नहीं है। निराशा नहीं है। खिन्नता तो क़तई नहीं। यह एक आदिम आकांक्षा है जो अब अपना आधिपत्य चाहती है। यह हरेक सर्जक में प्रसुप्त रहती है। जब वह जागती है तो पूरा जीवन माँगती है। अपना ही रक्त चाहती है।
रचनाकार एक तरह की अस्वस्थता में, बुख़ार में और अपने रक्त में कैंसर की कोशिकाएँ लिए ही, सक्रिय और व्यथित रहने के लिए अभिशप्त है। जैसे वह तेज़ गति से मृत्यु की तरफ़ यात्रा कर रहा है लेकिन उसकी चाल में एक उफान है और शमित न हो सकनेवाला उद्वेग। अपने भीतर टाइम-बम को छिपाए हुए, जिसमें लगी घड़ी की टिक-टिक आवाज़ उसे सुनाई देती है लेकिन नहीं पता कि उसके पास कितना समय है। वह बस इतना जानता है कि उसका अन्त एक विस्फोट में होगा। इससे अधिक सांघातिक और क्या हो सकता है। यह पल मुझे साथ लेकर जीवन की किसी नई यात्रा पर ले जाने की ज़िद पर अड़ गया है। इसका बढ़ा हुआ हाथ मेरे सामने है।
—इसी संग्रह से
Sifar Se Shikhar Tak
- Author Name:
A. P. Mishra
- Book Type:

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अपने चेहरे पर अवध के देहातों की मासूमियत और होंठों पर हर वक़्त एक मेहमाननवाज मुस्कुराहट लिये, आँखों में हमेशा इन्तज़ार के चिराग़ जलाए, दोस्तों के क़दमों पर कान लगाए और कविता तथा शायरी को सीने से लगाए हुए शख़्स का नाम है ए.पी. मिश्र।
'सिफ़र से शिखर तक’ एक ऐसे शख़्स की कहानी है जो अपनी तहज़ीबी विरासत, संस्कारों और जद्दोजहद के बल पर अब एक शख़्सियत बन चुका है।
गाँव की धूप-छाँव ने उनके चेहरे की शरीफ़ाना मासूमियत को बरकरार रखा है। ब्यूटीपार्लर कितनी ही तरक़्क़ी क्यों न कर जाए, लेकिन गाँव का अल्हड़पन और सादा-मिज़ाजी उसका मुक़द्दर नहीं बन सकती।
महात्मा-मिज़ाज शायर अंगद जी महाराज की क़ुरबत और सोहबत ने उन्हें उस मासूम बच्चे जैसा बना दिया, जो कभी कुंभ के मेले में खो जाता है और कभी महाकुंभ में मिल जाता है। लेकिन उस बच्चे के हाथ में खिलौने नहीं होते, उसके हाथों में होती है मीर, कबीर, तुलसी और ग़ालिब की अमानत।
अपनी बेपनाह मसरूफ़ियतों के बावजूद ताज़ादम रहना, पराए ग़मों की चादर ओढ़े हुए मुस्कुराते रहना दुश्वार है, लेकिन ‘सिफ़र से शिखर तक’ के शिल्पकार का यही तो हुनर है कि वह जंगली फूलों से शहर को आबाद करना जानता है। अँधेरे से जंग करते हुए उसे कई दहाइयाँ गुज़र गई हैं, लेकिन आज तक न तो उसके हाथों में कँपकँपाहट है और न चेहरे पर थकान। यूँ तो कुछ लोग किताबें लिखते हैं और कुछ ख़ुद किताब होते हैं। उनके जीवन का हर दिन एक वरक़ होता है और हर बरस एक दास्तान।
ऐसे ही लोगों को दुनिया सूफ़ी, सन्त और कलन्दर मान लेती है। ऐसे लोग दूसरों पर अहसान करके भी आँखें नीची रखते हैं। 'सिफ़र से शिखर तक’ एक सन्त-मिज़ाज की जीवनी है, लेकिन इस जीवनी के ढेर सारे पन्नों में ऐसे बहुत से चेहरे शामिल हैं, जो ए.पी. मिश्र को संजीवनी मान लेते हैं। काश, इसी क़तार में कहीं हम भी खड़े दिखाई दे जाएँ—
तेरे अहसान की ईंटें लगी हैं इस इमारत में,
हमारा घर तेरे घर से कभी ऊँचा नहीं होगा।
—मुनव्वर राना
Nelson Mandela - A Complete Biography
- Author Name:
Dr. Gaurav Gupta
- Book Type:

- Description: Nelson Mandela remains an icon politician who led the struggle to replace an apartheid regime in South Africa with a multiracial democracy. He is remembered not so much for being the country's first black President, but for being the first to have galvanize an entire country against colonial oppression. Mandela's life is a lesson to those who fear hardship. He showed nothing worthwhile can be achieved without facing and indeed, surmounting hardships in life. He himself took all the hardships in his stride and saw the struggle through until the oppressive forces were compelled to yield. His charisma, self. deprecating sense of humour and above all, lack of bitterness over the harth treatment he endured are a testament to his towering global appeal. He never tried to take revenge, not even against those who tortured him. This book is a humble effort to trace Nelson Mandela's life, from his childhood and years in jail to his rise as President. It will inspire readers to follow the ideals and values of life cherished by this icon.
Match Point - A Shuttler's Story
- Author Name:
Sanjay Sharma
- Rating:
- Book Type:

- Description: Inside these pages lies the story of a shuttler – but not just any shuttler. A sportsman of true grit, he has faced, fought and overcome unimaginable battles. How did a boy rise to become one of the widely known, ace badminton players of India, and smash down hardships that came his way? How did he protect his well-earned reputation from the wrongdoings of the then sports federation? And how has he, years later, kept the sportsman inside him alive, as he goes on to overcome health battles to unbelievable extents? Every word written to inspire, this is the story of a shuttler who never gives up.
Manto : Ek Badnam Lekhak
- Author Name:
Vinod Bhatt
- Book Type:

- Description: उर्दू साहित्य में मंटो ही सबसे ज़्यादा बदनाम लेखक है। सबसे बड़ा गुनाह यह कि वह समय से पिचहत्तर साल पहले पैदा हुआ। साथ ही उसने समय से पहले मरकर हिसाब बराबर कर दिया। उस समय उसने जो कुछ लिखा, वह अगर आज लिखा होता तो उसकी एक भी कहानी पर अश्लीलता का मुक़दमा नहीं चला होता। उसमें भरपूर आत्मविश्वास था। वो जो कुछ भी लिखता, जैसे सुप्रीम कोर्ट का आख़िरी फ़ैसला। कोई चुनौती दे तो वो सुना देता। उसकी कहानियों में वेश्याओं के दलाल पात्रों के वर्णन के बारे में किसी ने मंटो से कहा— ‘रेडियो के दलाल जैसे आप बनाते हैं, वैसे नहीं होते।’ मंटो ने तीक्ष्ण दृष्टि से देखते हुए कहा—‘वो दलाल खुशिया मैं हूँ।’...और यह जानकर हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार देवेन्द्र सत्यार्थी ने निःश्वास छोड़ते हुए कहा—‘काश मैं खुशिया होता...।’ मंटो की निजी पसन्द-नापसन्द अत्यन्त तीव्र होती थी। मृत व्यक्ति की बस तारीफ़ ही की जानी चाहिए, मंटो ऐसा नहीं मानता था। उसका एक विचार-प्रेरक कथन है—ऐसी दुनिया, ऐसे समाज पर मैं हज़ार-हज़ार लानत भेजता हूँ, जहाँ ऐसी प्रथा है कि मरने के बाद हर व्यक्ति का चरित्र और उसका व्यक्तित्व लांड्री में भेजा जाए, जहाँ से धुलकर, साफ़-सुथरा होकर वह बाहर आता है और उसे फ़रिश्तों की क़तार में खूँटी पर टाँग दिया जाता है।
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