Haashiye Par Padi Duniya
Author:
Balkrishna GuptaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 480
₹
600
Available
‘हाशिए पर पड़ी दुनिया’ बहुआयामी व्यक्तित्व-कृतित्व के धनी बालकृष्ण गुप्त पर केन्द्रित अनूठी पुस्तक है। डॉ. राममनोहर लोहिया और बालकृष्ण गुप्त की राजनीतिक सहभागिता एक इतिहास निर्मित कर चुकी है। अध्ययन, अनुभव, सक्रियता व प्रतिबद्धता का ऐसा उदाहरण दुर्लभ है। प्रस्तुत पुस्तक की भूमिका में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रवि राय लिखते हैं : ‘आप यदि लोहिया पर लिखेंगे तो बालकृष्ण जी छाया बन जाएँगे और बालकृष्ण जी पर लिखेंगे तो लोहिया की देह बनना तय है। वैसे लोहिया मेरे राजनीतिक गुरु रहे हैं जबकि बालकृष्ण जी मेरे गुरु के गुरुत्व होने की शक्ति, यानी कि वह वजह, जिससे लोहिया थे, उस शक्ति पर लिखना निश्चित ही आसान काम नहीं है।’</p>
<p>स्वाभाविक है कि बालकृष्ण गुप्त पर लिखे गए संस्मरणों एवं स्वयं उनके महत्त्वपूर्ण आलेखों से समृद्ध यह पुस्तक अपने समय का ज्वलन्त साक्ष्य है। सम्पादक द्वय सारंग उपाध्याय व अनुराग चतुर्वेदी ने पुस्तक का संयोजन पाँच खंडों में किया है। खंड-1 में आत्मीयजनों के संस्मरण बालकृष्ण गुप्त के कर्मठ जीवन का व्यवस्थित विवेचन करते हैं। खंड-2 (हाशिए पर पड़ी दुनिया), खंड-3 (बुद्धिजीवी नेहरू, लोहिया और वामपंथ) तथा खंड-4 (बिड़ला, गोयनका और अंधी योजनाएँ) में बालकृष्ण गुप्त के विपुल लेखन से चुने गए कुछ महत्त्वपूर्ण आलेख हैं। समाज, राजनीति, अर्थनीति, लोकतंत्र, विदेशनीति, प्रशासन और विश्व परिदृश्य आदि विविध विषयों से सम्बद्ध ये लेख गुप्त की लेखन क्षमता का अकाट्य प्रमाण हैं।</p>
<p>इन आलेखों की प्रासंगिकता स्वयंसिद्ध है। समकालीन राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय सन्दर्भों को समझने में इन विचारों से बहुत प्रकाश मिलता है। यह भी पता चलता है कि राजनीति में सक्रिय रहने के लिए कितने अध्ययन व विवेक की आवश्यकता होती है। ‘लोहियावाद’ को मूर्तिमान करनेवाले बालकृष्ण गुप्त का लेखन प्रेरणा प्रदान करता है।</p>
<p>खंड—5 (दस्तावेज़) में कुछ ऐतिहासिक महत्त्व के प्रसंग सँजोए गए हैं। पुस्तक में अनेक चित्र हैं जो स्वयं में एक दस्तावेज़ हैं। समग्रत: यह सुसम्पादित व विचार-समृद्ध पुस्तक प्रत्येक जागरूक पाठक के लिए अनिवार्य है।
ISBN: 9788126724598
Pages: 372
Avg Reading Time: 12 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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- Description: एक दलित आइकॉन के रूप में कांशीराम (1934-2006) की प्रतिष्ठा, आज के समय में आंबेडकर के बाद के एकमात्र नेता के रूप में है। यह किताब उनकी पूरी यात्रा पर रोशनी डालती है। कांशीराम के शुरुआती वर्ष ग्रामीण पंजाब में बीते और पुणे में आंबेडकरवादियों के साथ मिलकर ‘बामसेफ’ की नींव डाली, जो व्यापक स्वरूप वाला ऐसा संगठन था जिसने पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को एकजुट किया और अन्ततोगत्वा 1984 में ‘बहुजन समाज पार्टी’ बनाई। अनगिनत मौखिक और लिखित स्रोतों का सहारा लेकर बद्री नारायण ने दिखाया है कि कैसे कांशीराम ने अपने ठेठ मुहावरों, साइकिल रैलियों और विलक्षण ढंग से स्थानीय नायकों और मिथकों का इस्तेमाल करते हुए व उनके आत्मसम्मान को जगाते हुए दलितों को गोलबन्द किया और कैसे उन्होंने सत्ता पर कब्जा करने के लिए ऊँची जाति की पार्टियों से अवसरवादी गठबन्धन कायम किए। यह किताब कांशीराम की मृत्यु तक मायावती के साथ उनके असाधारण रिश्ते की कहानी भी कहती है। साथ ही उनके सपने को पूरा करने के लिए उनके जीवित रहते और उनकी मृत्यु के बाद मायावती की भूमिका को भी रेखांकित करती है। दो लोगों के बीच के विरोधाभासी नज़रिए को आमने-सामने रखते हुए, नारायण रेखांकित करते हैं कि कैसे कांशीराम ने आंबेडकर के विचारों को भिन्न दिशा दी। जाति का उच्छेद चाहनेवाले आंबेडकर से उलट, कांशीराम ने जाति को दलित पहचान को उभारने के एक आधार और राजनीतिक सशक्तीकरण के एक स्रोत के रूप में देखा। प्राधिकार और पैनी दृष्टि सृजित यह दुर्लभ शब्दचित्र उस आदमी का है, जिसने दलित समाज का चेहरा बदलकर रख दिया और वाकई भारतीय राजनीति का भी।
Smritishesh
- Author Name:
Shivpujan Sahai
- Book Type:

- Description: आचार्य शिवपूजन सहाय की इधर-उधर बिखरी हुई विपुल रचनाओं को एकत्र करके, सुसंपादित रूप में प्रकाशित कराने की योजना का ही एक हिस्सा है ‘स्मृतिशेष’। इसमें आचार्य शिव के पचहत्तर व्यक्तिपरक साहित्यिक संस्मरण संगृहीत हैं और इस विधा में यह उनकी रचनाओं का अंतिम संपूर्ण प्रामाणिक संकलन है। इसमें संस्कृत व्यक्तियों का काल 1839 से 1962 अर्थात् लगभग सवा-सदी का है; अपवाद हैं केवल पं. किशोरीदास वाजपेयी, जिनका निधन 1981 में हुआ। इस प्रकार यह एक ऐतिहासिक संदर्भ-ग्रंथ बन गया है जिसमें हिंदी के अनेक ऐसे साहित्यकारों के बारे में जानकारी उपलब्ध होती है जिन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य के निर्माण में अपना योगदान किया, किंतु हिदी-जगत अब जिन्हें भूल चुका है।
Agniparva : Shantiniketan
- Author Name:
Roza Hajnoczy Germanus
- Book Type:

-
Description:
यह कृति हंगेरियन गृहवधू रोज़ा हजनोशी गेरमानूस की उनके शान्तिनिकेतन प्रवास-काल अप्रैल 1929 से जनवरी 1932 की एक अनोखी डायरी है। इसमें शान्तिनिकेतन जीवन-काल की सूक्ष्म दैनंदिनी, वहाँ के भवन, छात्रावास, बाग़-बगीचे, पेड़-पौधे, चारों ओर फैले मैदान, संताल गाँवों का परिवेश, छात्रों और अध्यापकों के साथ बस्ती के जीवित चित्र और चरित्र लेखिका की क़लम के जादू से आँखों के सामने जीते-जागते, चलते-फिरते नज़र आते हैं। पाठक एक बार फिर विश्वभारती शान्तिनिकेतन के गौरवपूर्ण दिनों में लौट जाएँगे, जब रवीन्द्रनाथ ठाकुर के महान व्यक्तित्व से प्रभावित कितने ही देशी और विदेशी विद्वान और प्रतिभासम्पन्न लोग वहाँ आते-जाते रहे।
रोज़ा के पति ज्यूला गेरमानूस इस्लामी धर्म और इतिहास के प्रोफ़ेसर के पद पर शान्तिनिकेतन में तीन वर्ष (1929-1931) के अनुबन्ध पर आए थे। तब हिन्दुस्तान में स्वतंत्रता आन्दोलन अपने चरम शिखर पर था। गांधी जी का ‘नमक सत्याग्रह’ उस समय की प्रमुख घटना थी। पुस्तक की विषय-वस्तु प्रथम पृष्ठ से अन्तिम पृष्ठ तक शान्तिनिकेतन की पृष्ठभूमि में स्वतंत्रता-संग्राम के अग्निपर्व का भारत की उपस्थिति है। इस पुस्तक की बदौलत रवीन्द्रनाथ ठाकुर, महात्मा गांधी और शान्तिनिकेतन हंगरी में सर्वमान्य परिचित नाम हैं।
एक वस्तुनिष्ठ रोज़नामचा के अलावा, पुस्तक रोचक यात्रा-विवरण, समकालीन राजनीतिक उथल-पुथल, इतिहास, धर्म-दर्शन, समाज और रूमानी कथाओं का बेजोड़ समन्वय है।
हमारे रीति-रिवाज़ों, अन्धविश्वासों और धार्मिक अनुष्ठानों को इस विदेशी महिला ने इतनी बारीकी से देखा कि हैरानी होती है उनकी समझ-बूझ और पैठ पर। प्रणय-गाथाओं के चलते भी यह डायरी एक धारावाहिक रूमानी उपन्यास-सा लगे तो आश्चर्य नहीं।
इस देश से विदा होने के समय वह इसी अलौकिक हिन्दुस्तान के लिए जहाज़ की रेलिंग पकड़कर फूट-फूटकर रो रही थी—‘‘मेरा मन मेरे हिन्दुस्तान के लिए तरसने लगा, हिन्दुस्तान जो चमत्कारों का देश है।’’
Sham' A Har Rang Mein
- Author Name:
Krishna Baldev Vaid
- Book Type:

-
Description:
‘ख़्वाब है दीवाने का’ से आरम्भ हुई कृष्ण बलदेव वैद की डायरी-यात्रा ‘शम’अ हर रंग में’ तक पहुँचकर विराम लेती है। अर्थ स्पष्ट है कि ‘शम’अ हर रंग में’ एक लेखक की डायरी है। एक ऐसे शख़्स की दैनिक आपबीती जिसके लिए लेखक होना कोई बाहरी चुनाव नहीं, आन्तरिक मजबूरी है।
‘शम’अ हर रंग में’ एक ऐसी पुस्तक है जो रेखांकित करती है कि लेखक समाज से उतना नहीं लड़ता जितना कि अपने आपसे। उसका हर दिन, हर लम्हा कल की नोक पर अटका रहता है। उसकी उदासियाँ, ख़ुशियाँ, शक, यक़ीन, ज़िद्द—यानी अपने होने का हर रंग, उसके तख़लीक़ी इरादों और अन्देशों के इर्द-गिर्द बचा हुआ है। बारीक अहसासों से भाषा की हदों को पार कर जाता है और पाठकों का अन्तरंग हो जाता
है।
यह पुस्तक डायरी-लेखन की विशिष्टता की कसौटी बनकर उभरी है और मनुष्य के मानसिक जीवन के उतार-चढ़ावों का रूपायण करती है। बीती सदी के आधे समय और समाज की कुछ बारीक कतरनें और रंगतें भी इसमें मौजूद हैं। हिन्दी रचना-संसार की दुर्लभ झलकियाँ भी इस पुस्तक को महत्त्वपूर्ण बनाती हैं।
An Unsuitable Boy
- Author Name:
Karan Johar +1
- Book Type:

- Description: Karan Johar is synonymous with success, panache, quick wit, and outspokenness, which sometimes inadvertently creates controversy and makes headlines. KJo, as he is popularly called, has been a much-loved Bollywood film director, producer and actor. With his flagship Dharma Production, he has constantly challenged the norms, written and rewritten rules, and set trends. But who is the man behind the icon that we all know? Baring all for the first time in his autobiography, An Unsuitable Boy, KJo reminisces about his childhood, the influence of his Sindhi mother and Punjabi father, obsession with Bollywood, foray into films, friendships with Aditya Chopra, SRK and Kajol, his love life, the AIB Roast, and much more. In his trademark frank style, he talks about the ever-changing face of Indian cinema, challenges and learnings, as well as friendships and rivalries in the industry. Honest, heart-warming and insightful, An Unsuitable Boy is both the story of the life of an exceptional film-maker at the peak of his powers and of an equally extraordinary human being who shows you how to survive and succeed in life.
Vallabhacharya : Jivan Aur Darshan
- Author Name:
Vinamra Sen Singh
- Book Type:

- Description: भारत की सन्त-परम्परा में आचार्य वल्लभ का नाम अद्वितीय तेजस्विता और करुणा से आलोकित है। उन्होंने शुद्धाद्वैत के अद्भुत दर्शन के माध्यम से भक्ति को केवल साधना नहीं बल्कि जीवन का स्वाभाविक और सहज भाव बना दिया। कृष्ण-प्रेम को केन्द्र में रखते हुए उन्होंने 'सेवा' को साधना का सर्वोच्च रूप माना, और वैष्णव भक्तिधारा को नई जीवनदृष्टि प्रदान की। 'वल्लभाचार्य: जीवन और दर्शन' आचार्य वल्लभ के जीवन-प्रसंगों, विचार-यात्रा और दर्शन-सिद्धान्तों का समग्र और सन्तुलित विवेचन प्रस्तुत करती है। लेखक ने ऐतिहासिक स्रोतों, प्रासंगिक ग्रन्थों और परम्परागत वैष्णव-आख्यानों का गहन अध्ययन कर, वल्लभाचार्य के व्यक्तित्व और विचारों को जीवन्त रूप में सामने रखा है। साधकों के लिए यह ग्रन्थ आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत है, और शोधकर्ताओं के लिए प्रामाणिक सन्दर्भ का भंडार। सहज भाषा, प्रामाणिक सामग्री और भावपूर्ण शैली- तीनों का संगम इस कृति को विशेष बनाता है। यह पुस्तक केवल जीवनचरित नहीं बल्कि उस जीवन्त-दर्शन की यात्रा है जो मनुष्य को ईश्वर से, और ईश्वर को अपने भक्त से सहज प्रेम के सूत्र के माध्यम से जोड़ देती है।
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