Binpatachi Chaukat - yatanamay parikramecha nital aawishkar
Author:
Indumati JondhalePublisher:
Manovikas Prakashan LLPLanguage:
MarathiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 304
₹
380
Available
‘बिनपटाची चौकट' दोन खांबांवर उभी आहे.एक खांब आहे, ऋजुतेचा आणि दुसरा खांब आहे, क्रूरतेचा.या दोन्ही अनुभवांतूनइंदूचे आयुष्य आकाराला आले आहेआणि म्हणून ते विदारक आहे.सरळसोट जगणे असते तर‘बिनपटाची चौकट' उभीच राहिली नसती.पट नसलेली चौकट समाजव्यवस्थेची आहे,मनुष्यसमूहाची आहे आणिआतल्या आत खदखदणाऱ्याआत्मप्रत्ययी अनुभवांची आहे.इंदूमती जोंधळे यांची ‘बिनपटाची चौकट'यातनामय परिक्रमेचानितळ आविष्कार आहे.गेल्या दशकातील मराठी निर्मितीनेज्याचा अक्षरवाङ्मयात गौरवाने समावेश करावाअसे हे आत्मकथन आहे.‘स्मृतीचित्रा'पेक्षाही हे अधिक दाहक आहे.- डॉ. गंगाधर पानतावणे(फेबु्रवारी, 1999)
Binpatachi Chaukat | Indumati Jondhale
बिनपटाची चौकट | इंदुमती जेोंधळे
ISBN: 9788196493738
Pages: 296
Avg Reading Time: 10 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: उन दिनों मैं John Berger की किताब ‘Ways of Seeing’ पढ़ रहा था और इस पढ़ने के दौरान ही मुझे यह विचार आया कि लेखकों, कवियों का देखना बहुत अलग है, साथ ही इस बात पर भी ध्यान गया कि शब्द और चित्र का नाता भी गहरा है तो क्यों न इसे दर्ज किया जाए। जब भी हम कोई शब्द पढ़ते हैं तो उसका एक चित्र मन में उभरता है और जब भी हम कोई चित्र देख रहे होते हैं तब उसे मन के किसी गहरे कोने में शब्द से समझ रहे होते हैं। एक चित्र शब्द तक ले जाता है और एक शब्द चित्र में उभरता है। हर व्यक्ति का देखना विशिष्ट है, किन्तु हर व्यक्ति उसे अभिव्यक्त नहीं कर पाता। अपने इस देखने के प्रति वो इसीलिए इतना जागरूक भी नहीं होता। लेखक चूँकि अपने माध्यम का खिलाड़ी होता है और उसमें यह क्षमता दूसरों से अधिक होती है कि वो अपने देखे को व्यक्त कर सके। यह देखना इतना विशिष्ट है कि उसका सामान्यीकरण किया ही नहीं जा सकता। हर व्यक्ति के पास देखा हुआ रहस्य हमेशा रहस्य की तरह इसलिए भी मौजूद रहता है कि उसे किसी दूसरे माध्यम में कह पाना लगभग असम्भव हो जाता है। फिर भी हम इस कोशिश में रहते ही हैं कि देखा हुआ सच लिखे हुए सच में बदल जाए। यह कितने प्रतिशत हो पाता है, यह कहना मुश्किल है, किन्तु यह लिखा हुआ सच अक्सर देखे हुए सच से ज़्यादा आकर्षक, ज़्यादा सम्प्रेषणीय हो जाता है। इस देखी हुई दुनिया के लिखित उद्घाटन पर इतना ज़रूर हुआ कि जो रहस्य किसी एक के देखने का था, वो अनेक के देखने का कारण बना। —प्रस्तावना से
SAMUND SAMAVE BUND MEIN
- Author Name:
Nitu +2
- Book Type:

- Description: "‘समुंद समावे बुंद में’ केरिपुबल के शूरवीरों केअदम्य साहस और बहादुरी की कथा है जिन्होंने एक पल में नियति अपने नाम कर, भविष्य की लहरों से लड़कर, प्रारब्ध का प्रारूप बदल दिया। यह गाथा केरिपुबल के रणबाँकुरों की वीरता और नेतृत्व क्षमता को बयाँ करती है। ‘‘आँधियों ने गोद में हमको खिलाया है न भूलो, कंटको ने सर हमें सादर झुकाया है न भूलो, सिंधु का मथ कर कलेजा हम सुधा भी शोध लाए और हमारे तेज से सूरज लजाया है न भूलो।’’ "
Arjun Singh : Ek Sahayatri Itihaas ka
- Author Name:
Ramsharan Joshi
- Book Type:

- Description: जीवनी : चुरहट से दिल्ली तक देश के किसी विख्यात व जीवित राजनेता की जीवनी लिखना जोखिम-भरा काम है। जब जीवनी का नायक अर्जुन सिंह जैसा राष्ट्रीय नेता रहे, तब खंडन-मंडन की सम्भावना सतत रहेगी। केन्द्र व मध्य प्रदेश के विभिन्न मंत्री पदों और पंजाब के राज्यपाल पद पर रहनेवाले सिंह नेहरू-इन्दिरा काल के उन चन्द नेताओं में से एक थे जिनकी धर्मनिरपेक्षता, बहुलतावाद और समाजवाद में अभेद्य आस्था थी। वैश्वीकरण व एकलध्रुवीय व्यवस्था के दबावों के बावजूद सिंह ने राष्ट्रीय सम्प्रभुता को सर्वोच्च प्राथमिकता पर रखा। उन्होंने अपनी प्रतिबद्धताओं की राजनीतिक क़ीमत भी चुकाई। वे विवादों और उपेक्षाओं के भी शिकार हुए लेकिन अपने संकल्प-पथ से डिगे नहीं। सिंह ने अपनी विफलताओं व उपलब्धियों के साथ अपना जीवन जिया। यह जीवनी चुरहट से दिल्ली तक की यात्रा तय करनेवाले पथिक अर्जुन सिंह के राजनीतिक बसन्त व पतझड़ की यथार्थपरक कहानी है।
Meena Bazar
- Author Name:
Saadat Hasan Manto
- Book Type:

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Description:
‘मीना बाज़ार’ उर्दू के सुप्रसिद्ध अफ़सानानिगार सआदत हसन मंटो की बहुचर्चित संस्मरण-कृति है, जिसमें उन्होंने फ़िल्म-जगत की कुछ मशहूर हस्तियों का पारदर्शी चित्रण किया है। ऐसा करते हुए उनका लहज़ा आत्मीय होकर भी बेलौस है। इसमें उनका अपना स्वभाव और नज़रिया तो है ही, वे सामाजिक सच्चाइयाँ भी हैं, जब फ़िल्म-कलाकारों को आज के जैसी प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं थी। मंटो ने यहाँ नर्गिस, नसीम, अशोक कुमार, कुलदीप कौर, श्याम, सितारा, बी.एच. देसाई और इस्मत चुगताई जैसी हस्तियों की विशेष रूप से चर्चा की है। इन हस्तियों को वे एक दोस्त की हैसियत से तो देखते ही हैं, कलाकार के नाते भी देखते हैं और उनके निजी तथा व्यावसायिक जीवन को एक ख़ास अदाकारी के साथ हमारे सामने खोलते हैं।
मंटो हिन्दी और उर्दू, दोनों ही भाषाओं की अदबी दुनिया के चहेते रचनाकार हैं। उनके जैसी तरल मानवीय संवेदना और जीवनानुभवों की विविधता बहुत कम लेखकों में दिखाई पड़ती है। निस्सन्देह, ‘मीना बाज़ार’ उनकी उसी संवेदना और रचनात्मक विविधता का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
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