Shudrak

Shudrak

Language:

Hindi

Category:

Biographies-and-autobiographies

0 Reviews

Price: ₹ 64

80

Available

Format:

Quantity

-

1

+
About
Book Details

शूद्रक एक सफल और लोकप्रिय साहित्‍यकार तथा नाटककार थे। उनकी आम जनता की अभिरुचि और पहचान की पकड़ मज़बूत थी। इसीलिए वे संस्‍कृत हो या प्राकृत—उनकी लोकसमझ की आवश्‍यकता पर विशेष बल देते दिखते हैं।</p>
<p>शूद्रक के नाटकों में समाज को हू-ब-हू प्रस्‍तुत करने का सफल प्रयास है। उसके गुण-दोषों को उजागर किया गया है। चोर, जुआरी तथा निम्‍न वर्ग के लोग बुरे ही नहीं होते, उनमें अच्‍छाइयाँ भी होती हैं और अच्‍छा बनने की उनमें भी लालसा होती है। वे सब संगठित होकर सत्‍तापरिवर्तन तक कर सकते हैं, यदि उन्‍हें अच्‍छा मार्गदर्शन मिले तो अच्‍छाई का साथ देने के लिए वे सदा तत्‍पर रहते हैं।</p>
<p>शूद्रक के ‘मृच्छकटिक’ और ‘पद्मप्राभृतक’ दोनों नाटकों में विट है। विट गणिका-प्रिय और धूर्त होता है। ‘पद्मप्राभृतक’ में विट नायक ही है। परन्तु ‘मृच्छकटिक’ का विट शकार का पिछलग्गू है। वहाँ शकार की धूर्तता और चालबाजी के सामने विट काफी सीधा और फीका है। ‘पद्मप्राभृतक’ में विट समाज के हर वर्ग को आड़े हाथों लेता चलता है। परन्तु यहाँ भी उससे बढ़कर धूर्ताचार्य बताया गया है मूलदेव को, जिसका वह सहयोगी है। स्पष्ट ही शूद्रक के अनुसार विट धूर्त होने पर भी किसी बड़े धूर्ताचार्य का सहयोगी ही होता है। ये दोनों नाटक गणिका सम्बन्धी होने पर भी व्यापक सामाजिक सरोकार से परिपूर्ण हैं।</p>
<p>इस पुस्तक में ‘पद्मप्राभृतक’ का कुछ अंश, ‘मृच्छकटिक’ के दो अंक और ‘वीणावासदत्‍ता’ का एक अंक प्रस्तुत किया गया है।

ISBN: 9788126724000

Pages: 120

Avg Reading Time: 4 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

Customer Reviews

0 out of 5

Book

Hurry! Limited-Time Coupon Code

WORDPOWER
* Terms and Conditions applied.

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp