Komal Gandhar

Komal Gandhar

Author:

Vilayat Khan

Language:

Hindi

Category:

Biographies-and-autobiographies

0 Reviews

Price: ₹ 280

350

Available

Format:

Quantity

-

1

+
About
Book Details

उस्ताद विलायत ख़ाँ अप्रतिम सितार वादक थे। उनके बजाने-गाने की कई कथाएँ भी किंवदन्तियों की तरह प्रचलित हैं। वह ओज, सरसता, सूक्ष्मतम ध्वनि तरंगों और माधुर्य के धनी थे। जिन्होंने उनको सुना है—आमने-सामने बैठकर—वे तो उनके ‘बजाने की छवि’ को भी याद करते हैं, सिर्फ़ उनके सुरों को ही नहीं। यहाँ हम लेखक और संगीतविद् शंकरलाल भट्टाचार्य द्वारा मूल रूप से बांग्ला भाषा में उस्ताद विलायत  ख़ाँ की आत्मकथा के तैयार किए गए वार्तालेख के साथ उन पर एकाग्र तीन आलेखों को सुपरिचित आलोचक और अनुवादक रामशंकर द्विवेदी के अनुवाद में प्रस्तुत कर रहे हैं। पहले दो आलेख, क्रमश: दो संगीत-पारखियों नीलाक्ष दत्त और आशीष चट्टोपाध्याय के हैं, तीसरा बांग्ला के विख्यात कवि जय गोस्वामी का है। तीनों आलेख अपने-अपने ढंग से विलायत ख़ाँ के सितार के गुणों को तो उभारते ही हैं, उनके व्यक्तित्व की भी एक झलक प्रस्तुत करते हैं। नीलाक्ष दत्त के आलेख में तो स्वयं विलायत  ख़ाँ  के सितार की बनावट-बुनावट, और उसे बजाने की तकनीक की भी चर्चा है। इन आलेखों में उन कई सामान्य श्रोताओं की भी एक मर्मभरी उपस्थिति है, जो मानो उनके सितार के पीछे 'पागल' ही तो थे।</p>
<p>सामान्य श्रोताओं से लेकर गुणी संगीत पारखियों, समीक्षकों, लेखकों-कवियों-कलाकारों, बुद्धिजीवियों तक में संगीत के प्रति यह जो अनुराग रहा है, वह इस आत्मकथा को पढ़कर भी जाना जा सकता है। कहना न होगा कि ‘कोमल गांधार' पठनीय ही नहीं, बल्कि संग्रहणीय पुस्तक भी है।</p>
<p>“उस्ताद विलायत ख़ाँ भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक विभूति थे। उनकी दो सौ अट्ठाइस पृष्ठों में फैली आत्मकथा के साथ-साथ इस पुस्तक में परिशिष्ट के रूप में नीलाभ दत्त, आशीष भट्टाचार्य और प्रसिद्ध बांग्ला कवि जय गोस्वामी द्वारा उन पर लिखे निबन्ध भी शामिल किए गए हैं। यह मूल्यवान उपक्रम प्रयत्नपूर्वक किया है संगीतविद् शंकरलाल भट्टाचार्य ने। हिन्दी में एक महान संगीतकार से सम्बन्धित ऐसी दुर्लभ सामग्री को लाने की ज़िम्मेदारी पूरी की है वरिष्ठ विद्वान, रसिक और अनुवादक डॉ. रामशंकर द्विवेदी ने। आत्मकथा, निबन्ध, लेखन और अनुवाद सभी सृजन और संगीत के गहरे और निश्छल प्रेमवश किए गए हैं। रज़ा पुस्तक माला 'कोमल गांधार' को बहुत प्रसन्नता और कृतज्ञता के साथ प्रस्तुत कर रही है।"</p>
<p>—अशोक वाजपेयी

ISBN: 9789388753234

Pages: 225

Avg Reading Time: 8 hrs

Age : 18+

Country of Origin: India

Customer Reviews

0 out of 5

Book

Hurry! Limited-Time Coupon Code

WORDPOWER
* Terms and Conditions applied.

Offers

Best Deal

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua. Ut enim ad minim veniam, quis nostrud exercitation ullamco laboris nisi ut aliquip ex ea commodo consequat.

whatsapp