Sach, Pyar Aur Thodi Si Shararat
Author:
Khushwant SinghPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 399.2
₹
499
Available
अंग्रेज़ी के प्रसिद्ध पत्रकार, स्तम्भकार और कथाकार खुशवंत सिंह की आत्मकथा सिर्फ़ आत्मकथा नहीं, अपने समय का बयान है। एक पत्रकार की हैसियत से उनके सम्पर्कों का दायरा बहुत बड़ा रहा है। इस आत्मकथा के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन के राजनीतिक, सामाजिक माहौल की पुनर्रचना तो की ही है, पत्रकारिता की दुनिया में झाँकने का मौक़ा भी मुहैया किया है। भारत के इतिहास में यह दौर हर दृष्टि से निर्णायक रहा है। इस प्रक्रिया में न जाने कितनी जानी-मानी हस्तियाँ बेनक़ाब हुई हैं और न जाने कितनी घटनाओं पर से पर्दा उठा है। ऐसा करते हुए खुशवंत सिंह ने हैरत में डालनेवाली साहसिकता का परिचय दिया है।</p>
<p>खुशवंत सिंह यह काम बड़ी निर्ममता और बेबाकी के साथ करते हैं। ख़ास बात यह है कि इस प्रक्रिया में औरों के साथ उन्होंने ख़ुद को भी नहीं बख़्शा है। वक़्त के सामने खड़े होकर वे उसे पूरी तटस्थता से देखने की कामयाब कोशिश करते हैं। इस कोशिश में वे एक हद तक ख़ुद अपने सामने भी खड़े हैं —ठीक उसी शरारत-भरी शैली में जिससे ‘मैलिस’ स्तम्भ के पाठक बख़ूबी परिचित हैं, जिसमें न मुरौवत है और न संकोच।</p>
<p>उनकी ज़िन्दगी और उनके वक़्त की इस दास्तान में ‘थोड़ी-सी गप है, कुछ गुदगुदाने की कोशिश है, कुछ मशहूर हस्तियों की चीर-फाड़ और कुछ मनोरंजन’ के साथ बहुत कुछ जानकारी भी।
ISBN: 9788126714841
Pages: 388
Avg Reading Time: 13 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Book Type:

- Description: इस पुस्तक की प्रसव-पीड़ा ने मुझे दुख भी दिया है और अपार सुख भी। दुख इस बात का कि अतीत के वे सुनहरे पल अब पुन: लौटकर नहीं आने वाले। और सुख इस बात का कि थोड़े दिनों के लिए ही सही, उन मनहर सुनहरे क्षणों को मैंने ज्यों का त्यों इस कृति में जिया है। जीने का मजा लिया है। इसमें कुछ प्रसंग तो ऐसे आये हैं, जिन्हें उरेहते समय मैं सिर्फ सुखी ही नहीं, आनन्द विभोर हो उठा हूँ, यथा 'कथा कन्या कलावती की', 'हम नाहीं जइबें गवनवाँ हे रामा', 'जब देवी बनी दिदिया', 'एक लड़कीनुमा लड़के की अजीब दास्तान', 'जब मान्य मुरली मनोहर सनिचरी से मिले' तथा 'मेरे शुभेच्छु शिवशंकर गौरीशंकर' आदि और भी कुछेक प्रकरण। इस किताब में कुछ ऐसी बातें आ पायी हैं, जिन्हें मैं देना चाहता था। मसलन बलिया (खासकर गुदड़ी बाजार) की नाचने-गाने वाली मशहूर तवायफों का इतिहास, मानीखेज भाँड़ (नाच) मंडलियों का इतिहास, विभिन्न प्रकारीय लोक नर्तकों-गायकों, स्वाँग सर्जकों का इतिहास, कुछ करतबी किन्नरों का इतिहास, जो मेरी जानिब सिकन्दर पुर में ज्यादा पाये जाते हैं। इसी तरह देश के लिए प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों, उच्च स्तरीय खिलाडिय़ों, वैज्ञानिकों तथा तबला, पखावज, बेंजू, पिस्टीन (बैण्डवादक), बाँसुरी आदि के वादकों का नामोल्लेख तक मैं नहीं कर सका हूँ। पुस्तक के प्राय: प्रसंग जाने, सुने, देखे, समझे तथा भोगे हुए यथार्थ पर आधारित हैं। कहीं-कहीं इन्हें मैंने कल्पना और अनुमान की आँखों से भी आँकने-झाँकने की कोशिश की है, मसलन 'नफवा चला ददरी देखने' या 'किस्सा-ए-कोलकाता' आदि। (इसी किताब से)
Guru Nanak Dev : Jivan Aur Darshan
- Author Name:
Jairam Mishra
- Book Type:

-
Description:
डॉ. जयराम मिश्र ने इस पुस्तक में गुरुमत दर्शन को गुरुनानक देव जी की जीवन-घटनाओं द्वारा प्रकट किया है। स्थान-स्थान पर गुरुदेव के उच्चारित शब्दों की व्याख्या की गई है, ताकि साधारण पाठक गुरुमत सम्बन्धी ठीक-ठीक परिचय प्राप्त कर सकें। घटनाओं के आन्तरिक तथ्य को लेखक ने विस्तारपूर्वक प्रकट किया है।...डॉ. मिश्र की लेखनी में बल है। उनका गुरुमत का शान विषद् और निर्दोष है।...इस पुस्तक का स्रोत चाहे हमारी जन्म साखियाँ क्यों न हों, परन्तु जिस सुयोग्य ढंग से घटनाओं का वर्णन किया गया है, वह लेखक की मौलिकता का परिचायक है।...पुस्तक के अन्त में दो अध्याय व्यक्तित्व एवं दर्शन सम्बन्धी अलग दिए गए हैं।...मैं इस मनोहर रचना के लिए डॉ. जयराम मिश्र को बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि यह रचना हिन्दी पाठकों के लिए कल्याणकारी सिद्ध होगी।
—डॉ. सुरेन्द्रसिंह कोहली
वरिष्ठ प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष, पंजाबी विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़।
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