Nangatalai Ka Gaon
Author:
Vishwanath TripathiPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Unavailable
‘नंगातलाई का गाँव’—इस ‘स्मृति-आख्यान’ में डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी अपने दो लेखकीय रूपों में उपस्थित हैं। पहला—अपनी जीवनी के क़िस्सागो अर्थात् नंगातलाई और दूसरा—इस आख्यान के सजग लेखक यानी बिसनाथ। इस विलक्षण जुगलबन्दी के कारनामे में ‘आत्म’ लेखक का है और ‘कथा’ बिस्कोहर के बहाने भारतीय ग्रामीण जीवन सभ्यता की। ‘आत्म-व्यंग्य’ के कठिन शिल्प में दु:ख को मज़े लेकर कहने का करिश्मा जिस निरायास ढंग से सम्भव हुआ है उससे निराला, परसाई और नागार्जुन का स्मरण हो आता है।</p>
<p>दस अध्यायों में बमुश्किल समाहित बिस्कोहर कथा में लेखक ने पं. जगदम्बा पांडे जगेश, लक्खाबुआ, बल्दी बनिया, जनक दुलारी, सुग्गनजान, नदवी साहब, कृष्ण मोहम्मद, नैपाले, माने, अम्मा-दादा से लेकर अनेक अविस्मरणीय पात्रों का जो यथार्थ पुनर्सृजन किया है और उसमें उपस्थित-जागृत आम कुँजड़ा, बेड़नी, बनिया, मौलवी, भंगी, ठाकुर, ब्राह्मण आदि वर्ग के जय-पराजय, दु:ख-सुख, हास-परिहास, प्रेम-घृणा, मान-अभिमान, क्रोध-प्रसन्नता, विनम्रता-अहंकार आदि का सजीव उद्घाटन जिस निर्वैयक्तिता में किया है, वह आत्मकथा के आभिजात्य से मुक्ति का ऐसा बिन्दु है जिसमें नंगातलाई की यह कथा महाकाव्यात्मक गाथा के क़रीब पहुँच जाती है।</p>
<p>इस कालजयी आख्यान में लोक-सौन्दर्य के स्वाभिमान से पगी ऐसी सजल भाषा है जो शोख़, तीखी, मीठी, चोट खाई, लचीली और विदग्ध है। शब्द यहाँ अनेक अदेखी अनूठी भंगिमाओं में अर्थों का नया संसार रचते हैं। शब्दों की विपन्नता के रुदन के बीच यह किताब एक ऐसे आधार ग्रन्थ की तरह है जिसमें पूरबी अवधी का अजाना समृद्ध भाषा-संसार है।</p>
<p>प्रस्तुत कृति चूँकि लेखक के दो रूपों (जीवनीकार, आत्मकथा-लेखक) से बने प्रयोगधर्मी शिल्प में अपना कथा-विन्यास पाती है, अतः उसमें अतीत से लेकर भूमंडलीकरण तक के प्रभावों का यथार्थ इन्दराज है।</p>
<p>डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने स्मृति आख्यान की विधा के गौरव को जिस तरह पुनर्स्थापित किया है, वह हमारे समय की अनूठी और अप्रतिम साहित्यिक उपलब्धि मानी जाए तो कोई आश्चर्य नहीं।</p>
<p>—लीलाधर मंडलोई
ISBN: 9788126723331
Pages: 143
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
Recommended For You
Lokdeo Nehru
- Author Name:
Ramdhari Singh Dinkar
- Book Type:

- Description: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तक है 'लोकदेव नेहरू'। पंडित नेहरू के राजनीतिक और अन्तरंग जीवन के कई अनछुए पहलुओं को जिस निकटता से प्रस्तुत करती है यह पुस्तक, वह केवल दिनकर जी के ही वश की बात लगती है। दिनकर जी ने 'लोकदेव' शब्द विनोबा जी से लिया था जिसे उन्होंने नेहरू जी की श्रद्धांजलि के अवसर पर व्यक्त किया था। दिनकर जी का मानना भी है कि 'पंडित जी, सचमुच ही, भारतीय जनता के देवता थे।' जैसे परमहंस रामकृष्णदेव की कथा चलाए बिना स्वामी विवेकानन्द का प्रसंग पूरा नहीं होता, वैसे ही गांधी जी की कथा चलाए बिना नेहरू जी का प्रसंग अधूरा छूट जाता है। इसीलिए इस पुस्तक में एक लम्बे विवरण में यह समझाने की कोशिश गई है कि इन दो महापुरुषों के पारस्परिक सम्बन्ध कैसे थे और गांधी जी के दर्पण में नेहरू जी का रूप कैसा दिखाई देता है। गांधी जी और नेहरू जी के प्रसंग में स्तालिन की चर्चा, वैसे तो बिलकुल बेतुकी-सी लगती है, लेकिन नेहरू जी के जीवन-काल में छिपे-छिपे यह कानाफूसी भी चलती थी कि उनके भीतर तानाशाही की भी थोड़ी-बहुत प्रवृत्ति है। अत: इस पुस्तक में पाठक नेहरू जी के प्रति दिनकर जी के आलोचनात्मक आकलन से भी अवगत होंगे। वस्तुत: दिनकर जी के शब्दों में कहें तो 'यह पुस्तक पंडित जी के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि है।'
Atal Jeevangatha
- Author Name:
Dr. Rashmi
- Book Type:

- Description: राजनीति के क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों में एक महत्त्वपूर्ण गुण होता है—उनकी नेतृत्व क्षमता। जननायक ‘भारत रत्न’ अटलजी में यह गुण अद्भुत था, उनके भीतर नेतृत्व की क्षमता कूट-कूटकर भरी हुई है। ग्वालियर के साधारण अध्यापक के घर जनमे अटलजी अपनी प्रतिभा के दम पर विश्व भर में विख्यात हुए। उन्हें माँ सरस्वती का अपार आशीर्वाद प्राप्त था, यह उनकी वाणी का ही प्रताप था कि सभी मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुना करते थे। एक बहुत बड़ा जन समुदाय उनकी वाणी को सुनने के लिए खिंचा चला आता था। अटलजी बहुविधि प्रतिभा के धनी रहे हैं। उनमें विदेश-नीति की जबरदस्त समझ रही है। वे एक बेजोड़ राजनेता हैं, जो हर आनेवाली पीढ़ी के लिए स्तुत्य एवं अनुकरणीय रहेंगे। अटलजी पर केंद्रित अनेक पुस्तकें आ चुकी हैं और भविष्य में भी आती रहेंगी। किंतु यह पुस्तक अटलजी के जीवन पर केंद्रित पहला आत्मकथात्मक उपन्यास है। इस पुस्तक में अटलजी का अब तक का जीवन और उनकी उपलब्धियाँ उनकी ही विशेष रोचक भाषा शैली में प्रस्तुत की गई हैं। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर प्रखर राष्ट्रवाद की अलख जलानेवाले श्रद्धेय अटलजी के प्रेरणाप्रद जीवन और कर्तृत्व की विहंगम अंतर्दृष्टि देनेवाला आत्मकथात्मक उपन्यास।
Vatayan
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

-
Description:
घर के झरोखे से बैठे-बैठे देखते रहिए, जाने कितने दृश्य आँखों के आगे चलचित्र की तरह गुज़रते जाते हैं, तरह-तरह के लोग, तरह-तरह की घटनाएँ। शिवानी जी के इस ‘वातायन’ से भी बहुत विस्तृत और रंग-बिरंगे दृश्य-पट दिखाई देते हैं। बिना पैसा-कौड़ी लिए हड्डी बिठानेवाला, चमचमाती मोटरों पर पोश होटलों में महँगे डिनर खाते लोग, और बाहर एक-एक दाने को तरसते भिखारी। न जाने कितनी पुरानी यादें, कितने कड़वे-तीते अनुभव, जो हमें रोज़ होते हैं, और इनके पीछे हैं लेखिका की गहरी संवेदना और अप्रतिम वर्णन शैली।
ऊँचे अधिकारी अपने इन्द्रासन से हटते ही किस प्रकार नगण्य हो जाते हैं, छोटे-छोटे दफ़्तरों के छोटे-छोटे अधिकारियों के हाथों किस प्रकार प्रताड़ना सहते हैं, मृत पति की पेंशन लेने किस प्रकार एक महिला को क़दम-क़दम पर हृदयहीन लालफ़ीताशाही का सामना करना पड़ता है, ये सब अनुभव मार्मिकता के साथ शिवानी के ‘वातायन’ में मिलते हैं। इनको निबन्ध की संज्ञा देने से इनका ठीक परिचय नहीं मिलता। ये झाँकियाँ हैं—केवल बाहरी नहीं, अन्तर की भी। लखनऊ के दैनिक ‘स्वतंत्र भारत’ में प्रति सप्ताह ‘वातायन’ को पढ़ने के लिए लोग कितने लालायित रहते हैं, इनको पढ़ने के बाद कितने फ़ोन और पत्र आते हैं लेखिका और सम्पादक दोनों के पास, यह इनकी लोकप्रियता का प्रमाण है।
शिवानी की प्रतिभा का यह नया आयाम है। इनमें गहरी पकड़ है जो उनकी कहानियों व उपन्यासों में मिलती है। साथ ही इनमें लेखिका के प्राचीन संस्कृत साहित्य के ज्ञान और सुसंस्कृत व्यक्तित्व का भी पुट है। इनसे हिन्दी पत्रकारिता में स्तम्भ-लेखन का स्तर ऊँचा हुआ है। अंग्रेज़ी में चार्ल्स डिकेंस, मार्क ट्वेन, रडयार्ड किपलिंग, चेस्टर्टन आदि के उत्कृष्ट निबन्ध और कथाएँ समाचार-पत्रों के माध्यम से ही पहली बार प्रस्तुत हुई थीं। हिन्दी की पत्र-पत्रिकाएँ विविध और विशाल पाठक वर्ग तक पहुँचती हैं और लेखक को नियमित और रेडीमेड श्रोता-मंडल देती हैं, परन्तु पत्र-पत्रिकाएँ एक बार पढ़कर फेंक दी जाती हैं, जबकि पुस्तकें साथ रहती हैं। ‘वातायन’ में शिवानी ने साहित्य-निधि दी है।
—अशोक जी
Sant Raidas
- Author Name:
Yogendra Singh
- Book Type:

-
Description:
सन्त रैदास का मध्यकालीन हिन्दी भक्ति साहित्य के सर्वाधिक ख्यातिप्राप्त शीर्ष कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। सन्त प्रवर की रचनाओं में जो स्फुट पद, साखियाँ तथा एक प्रबन्धात्मक रचना ‘प्रह्लाद चरित’ उपलब्ध हुए हैं, उन्हें पुस्तक में देने की चेष्टा की गई है।
सन्त रैदास को अपने समय में पर्याप्त सम्मान तथा ख्याति मिली, किन्तु उनका अन्त्यज वर्ग में जन्म लेना उनको लगातार सामाजिक यातना भी देता रहा। उनके जन्म के समय कुछ दन्तकथाएँ प्रचलित करके उनको पूर्व जन्म में ब्राह्मण सिद्ध करने की चेष्टा की गई। यह प्रयास भी उनके मूल कर्तव्य तथा सम्पूर्ण विचारधारा का प्रत्यावर्त्तन ही था। प्रस्तुत ग्रन्थ में लेखक ने इन सम्पूर्ण बिन्दुओं पर विचार प्रस्तुत करते हुए जहाँ सन्त रैदास के साहित्य की समाजेतिहासिक सन्दर्भों में समीक्षा प्रस्तुत की है वहीं इस ग्रन्थ में सन्त रैदास का साहित्यिक दृष्टि से मूल्यांकन भी प्रस्तुत किया है।
सामग्री को संकलित करने में लेखक को विभिन्न मठों, सम्बन्धित सम्प्रदाय के स्थलों, पुस्तकालयों तथा हस्तलिखित प्रतियों के संकलनकर्ताओं से सम्पर्क करना पड़ा और अनेक पाठ–भेद भी मिले। पाठ–भेदों को यथाशक्ति पाद–टिप्पणियों में देने की चेष्टा की गई है। छात्रों, अध्येताओं के लिए एक ज़रूरी पुस्तक।
Jeete Jee Allahabad
- Author Name:
Mamta Kaliya
- Book Type:

- Description: जीते जी इलाहाबाद सिर्फ संस्मरणात्मक कृति नहीं है, एक यात्रा है जिसमें हमें अनेक उन लोगों के शब्दचित्र मिलते हैं जिनके बिना आधुनिक हिंदी साहित्य का इतिहास नहीं लिखा जा सकता और जो उस समय के इलाहाबाद के मन-प्राण होते थे।
APRATIM NAYAK DR. SYAMA PRASAD MOOKERJEE (PB)
- Author Name:
Tathagat Roy
- Book Type:

- Description: डॉ. श्यामाप्रसाद मुकर्जी (1901-1953) सर आशुतोष मुकर्जी के द्वितीय पुत्र एक बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी ही नहीं, एक महान् शिक्षाविद्, देशभक्त, राजनेता, सांसद, अदम्य साहस के धनी और सहृदय मानवतावादी थे। बावन वर्षों से भी कम के जीवनकाल में और उसमें से भी राजनीति में सिर्फ चौदह साल में वे स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के पद तक पहुँचे; जिसे उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान में हुए अल्पसंख्यक हिंदुओं के नरसंहार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से गंभीर मतभेद होने पर ठुकरा दिया। इससे पहले वे जिन्ना के पाकिस्तान से छीनकर बनाए गए पश्चिम बंगाल और पूर्वी पंजाब के अस्तित्व में आने के पीछे एक सक्रिय ताकत रहे। कैबिनेट मंत्री के पद को ठुकराने के बाद उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जिसकी परिणति आज की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रूप में हुई। यह पुस्तक भलीभाँति शोध की हुई मातृभूमि के उस महान् सपूत की समग्र जीवनी है, जो उनके प्रेरणादायी जीवन का ज्ञान कराती है।
Narayana Murthy: A Complete Biography of Indian Businessman
- Author Name:
Dinkar Kumar
- Book Type:

- Description: This book takes you on an inspiring journey through the life of a visionary who transformed the global business landscape. From his modest beginnings in a small town to becoming the co-founder of Infosys, this is the story of how one man's determination and values reshaped India's IT industry. Discover how Murthy's bold decisions, unwavering ethics and innovative thinking propelled Infosys from a fledgling startup to a global powerhouse. Explore the challenges he faced, the milestones he achieved and the leadership philosophies that made him a revered icon in the corporate world. Beyond the boardroom, this biography delves into Murthy's personal life, his enduring partnership with Sudha Murthy and their shared commitment to giving back to society. It captures the essence of a man who believes in the power of simplicity, hard work and compassionate capitalism. Told with authenticity and insight, this book is not just a biography it's a testament to the transformative power of vision and values
Delhi Ke Chatkhare
- Author Name:
Shahid Ahmed Dehalvi
- Book Type:

- Description: "दिल्ली के चटख़ारे" शाहिद अहमद देहलवी की उन मज़ामीन का मज्मूआ है जिनमें गुज़रे ज़माने के दिल्ली शहर को बड़े ही दिलचस्प तरीक़े से बयान किया गया है। इन मज़ामीन में दिल्ली के बाज़ार, कटरे, मुहल्ले की खिड़कियाँ, फेरी वालों की सदाएँ, देग़ों और भट्टियों से उठने वाली महक का ऐसा बयान है कि पढ़ते हुए सारा मंज़र आँखों के सामने आ जाता है।
Yahi Tum The : Smaran "Viren Dangwal"
- Author Name:
Pankaj Chaturvedi
- Book Type:

-
Description:
किसी भी मृत्यु के शोक से हर कोई अपनी तरह उबरता है। कई बार तो इस प्रक्रिया का भान नहीं होता और हम उस व्यक्ति को अपने भीतर से भी खो देते हैं, जिसे दैहिक तौर पर पहले खो चुके हैं। हिन्दी के विलक्षण कवि वीरेन डंगवाल के निधन के बाद अवसन्न छूट गई हिन्दी की दुनिया भी जब अपने ढंग से इस शोक से उबरने की कोशिश कर रही थी, तब कवि और आलोचक पंकज चतुर्वेदी कवि के साथ अपनी स्मृति को पुनर्जीवित कर रहे थे। इसी का परिणाम है यह सुविचारित और संवेदनसिक्त किताब यही तुम थे; जिसके ज़रिए हम कुछ अचरज के साथ दो कवियों के बीच अंतर्गुम्फित उस संसार को देख सकते हैं, जो अपनी तरह से बेहद अर्थपूर्ण और तहदार था।
पंकज चतुर्वेदी की यह किताब दो लोगों के सम्बन्धों के बारे में ही नहीं है, यह इस बात के बारे में भी है कि हम अपने सम्बन्धों को किस तरह देखें और महसूस करें। फिर कहने की ज़रूरत है कि यह काम कोशिश करके सम्भव नहीं है; यह रिश्तों की उस संलग्नता, ऊष्मा और तीव्रता से ही सम्भव है, जो इस किताब के दोनों किरदारों—पंकज चतुर्वेदी और वीरेन डंगवाल के बीच बनती रही और दोनों को बनाती भी रही।
मूलतः स्मृतिविन्यस्त होने के बावजूद यह किताब शास्त्रीय या प्रचलित अर्थों में संस्मरण नहीं है। यह किताब अपने छोटे-छोटे प्रसंगों में हमें साहित्य, कविता, विचार और ज़िन्दगी के बारे में सोचने पर मजबूर तो करती ही है, लेकिन सबसे ज़्यादा इस बात की तरफ़ ध्यान खींचती है कि दो मनुष्य कैसे एक-दूसरे को देख और सिरज सकते हैं।
—प्रियदर्शन
Karpuri Thakur
- Author Name:
Dr. Ranjana Kumari
- Rating:
- Book Type:

- Description: जननायक कर्पूरी ठाकुर की ख्याति मुख्यमंत्री के रूप में कम और 'विपक्ष के प्राण' के रूप में ज्यादा थी। समाजवादी धारा के अग्रणी नेता के रूप में कर्पूरीजी भारतीय राजनीति में प्रतिष्ठित रहे हैं। संसदीय मर्यादा और विधाओं के भरपूर पालन तथा संसदीय व्यवस्था में कर्पूरीजी की अटूट आस्था थी। बिहार विधानसभा तथा लोकसभा में उनकी भागीदारी अत्यन्त उच्चकोटि की रही है। इस पुस्तक में विभिन्न संसदीय विधाओं, राज्यपाल के अभिभाषण, प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, बजट, वाद-विवाद, लोक महत्त्व के विषयों, प्रस्तावों तथा अविश्वास प्रस्ताव आदि में नेता विपक्षी दल के रूप में कर्पूरीजी की भागीदारी का निरूपण किया गया है। इसके अतिरिक्त विभिन्न संसदीय विधाओं के सैद्धान्तिक पक्ष का अनुशीलन करते हुए उन सिद्धान्तों की कसौटी पर कर्पूरीजी की भूमिका का परीक्षण किया गया है। कर्पूरीजी की सदन के अन्दर नेता विपक्षी दल के रूप में निभाई गई भूमिका का विस्तृत विवरण देनेवाली यह पुस्तक भारतीय राजनीति के कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं की सूचना भी देती है।
Virat Kohli : A Complete Biography | An Indian International Crickter
- Author Name:
Pushkar Kumar
- Book Type:

- Description: This book takes you into the extraordinary Life of a cricketer who redefined the spirit of the game and captured the hearts of millions. From his early days as a determined boy in Delhi to becoming one of the greatest icons in international cricket, this is the story of grit, passion and relentless pursuit of excellence. Follow Virat's journey through his record-breaking performances, fearless leadership and unwavering commitment to fitness that revolutionised modern cricket. Witness the highs of his remarkable centuries, the challenges he faced both on and off the field and his transformation into a global superstar. But there's more to Virat than the fiery batsman we see on the pitch. This biography explores his personal triumphs, his deep bond with family and his inspiring transition from a cricketing prodigy to a symbol of resilience and determination. Packed with inspiration and riveting detail, this book paints a vivid portrait of a legend who continues to inspire, both in sport and in life.
Bharat Se Pyar
- Author Name:
R.M. Lala
- Book Type:

-
Description:
जमशेत जी नुसीरवान जी टाटा का जन्म 1889 में हुआ था। उनके जीवनकाल में भारत अंग्रेज़ों के शिकंजे में कसा रहा। फिर भी उनके द्वारा परिकल्पित परियोजनाएँ देश के आज़ाद हो जाने पर उसके विकास का आधार बनीं। अपनी प्रकृति से असाधारण होते हुए भी ये संस्थान अपने-अपने क्षेत्रों में दूसरों के लिए आदर्श बने हुए हैं। उनकी ढेर सारी उपलब्धियों में देश के कुछ बेहतरीन वैज्ञानिकों को तैयार करनेवाला बेंगलूर का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस; जमशेदपुर स्थित टाटा इस्पात संयंत्र, जो कि देश के व्यापार से विनिर्माण में संक्रमण करने का द्योतक है; उनकी पथ-प्रदर्शक पनबिजली परियोजना और दुनिया के लाजवाब होटलों में से एक मुम्बई का ताजमहल होटल शामिल है।
अपने हाथ में लिए अन्य कामों की भाँति जमशेत जी ने इन परियोजनाओं में एक ऐसे व्यक्ति की अमोघ नैसर्गिक वृत्ति को प्रकट किया जिसे पता था कि पराधीन राष्ट्र के गौरव की बहाली कैसे की जाए। उन्होंने देश की आज़ादी के बाद उसे दुनिया के अग्रणी राष्ट्रों में स्थान पाने में मदद की।
ये परियोजनाएँ जिस बड़े पैमाने की थीं, उसके लिए बहुत दम-गुर्दे की आवश्यकता थी। कुछ मामलों में तो बस लगे रहने की ज़िद थी जो कि रंग लाई—जैसे कि इस्पात परियोजना के लिए उपयुक्त जगह की तलाश करने का मामला असीम धैर्य के कारण हल हुआ। दूसरे मामलों में, जैसे—इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस में मान-मनुहार करने का उनका लाजवाब कौशल और धैर्य ही था जिसने आख़िरकार शंकालु वाइसराय लॉर्ड कर्जन से उन्हें मंजूरी दिलवाई।
‘भारत से प्यार’ में आर.एम. लाला ने जमशेत जी और उनके समय के जीवन्त चित्रण के लिए लन्दन की इंडिया ऑफ़िस लाइब्रेरी और दूसरे अभिलेखागारों की नवीन सामग्री के साथ-साथ उनके पत्रों का उपयोग किया। यह एक महत्त्वपूर्ण लेखा-जोखा है जो स्पष्ट कर देता है कि जशमेत जी की उपलब्धि वाक़ई मानीखेज़ थी और उनकी मृत्यु के सौ साल बाद भी ऐसा क्यों जान पड़ता है कि वे अपने समय से बहुत आगे थे।
Jab Jindagi Muskura Di
- Author Name:
K. D. Singh
- Book Type:

-
Description:
बहुपठित युवा व्यंग्यकार के.डी. सिंह की यह किताब दरअसल जीवन की गुज़री राहों से कुछ यादगार टुकड़े समेटती है, जो लेखक के तो हैं ही, इसमें आप और हम भी होंगे। इन्हीं टुकड़ा-टुकड़ा स्मृतियों को सहेजती हुई ये किताब 'जब ज़िन्दगी मुस्कुरा दी' लेखक के चालीस वर्षों के सिंहावलोकन के कुछ पुंज, कुछ अपने, कुछ अपनों के अनुभव...अच्छे-बुरे लोगों के सानिध्य और कच्चे पक्के दुनियावी रास्तों से गुज़रते हुए, जीवन के कुछ अनमोल और न भूलनेवाले चित्रों का संकलन है, जो जीवन की स्मृतियों को सार्वजनिक तौर पर साझा करते हैं। ये संस्मरण हैं, स्मृति चित्र हैं...बीती ज़िन्दगी के, पर जिनकी रोशनी आगे के जीवन-पथ को भी आलोकित करती है...
जाने कितना जीवन,
पीछे छूट गया अनजाने में
अब तो कुछ क़तरे हैं बाक़ी,
साँसों के पैमाने में...
इतना जान लिया तो यारो,
कैसी बन्दिश उनवाँ की
अपना-अपना रंग भरेगा,
हर कोई अफ़साने में....!!
Smritiyon ke Indradhanush
- Author Name:
Sharda Shukla
- Book Type:

- Description: अतीत बड़ा सम्मोहक होता है, और अगर अतीत की यादें अपने पिता की हों तो वह उनकी उंगली पकड़कर गुजरे वक्त को दोबारा जीने जैसा होता है। इस पुस्तक पर काम करते हुए मैंने कुछ ऐसा ही अनुभव किया। हर एक संस्मरण के साथ अनेक छोटी-बड़ी कहानियाँ मेरे आगे परत-दर-परत खुलती चली गईं। इन कहानियों से जुड़े पात्र मेरे जेहन में अनायास ही जीवंत हो उठते। इनके जरिए मैंने उस कालखंड को जिया, उस वक्त के इतिहास, भूगोल, सामाजिक परिदृश्य और राजनीति को समझा। वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति का जीवन एक उपन्यास की तरह होता है, जिसका हीरो वह स्वयं होता है। शेष सभी रिश्ते-नाते सहायक पात्रों की तरह आते और जाते रहते हैं। मेरे इस चरितात्मक उपन्यास के हीरो मेरे पापा हैं। हीरो भले ही एक हों पर नजरिए दो हैं। वो जो उन्होंने बताया या लिखा, दूसरा वो जो मैंने समझा या पाया। इस तरह यह पुस्तक एक सह प्रयास भी है। (इसी पुस्तक से)
Van Tulasi Ki Gandh
- Author Name:
Phanishwarnath Renu
- Book Type:

-
Description:
रंग-बिरंगी ज़िन्दगियों की पृष्ठभूमि में छिपे मनुष्य के अविरत संघर्ष, उसके दु:ख-सुख और उसकी करुणा को रेणु ने जिस गहन तल्लीनता से अपने कथा-साहित्य में चित्रित किया है, वह निश्चय ही हिन्दी साहित्य की अमिट उपलब्धि है। किन्तु इस उपलब्धि तक पहुँचने में रेणु ने जिन व्यक्तियों के जीवन से प्रेरणा ग्रहण की है, उनके बारे में रेणु क्या सोचते थे। यह जिज्ञासा रेणु के पाठकों के मन में वर्षों से रही है और इस बात की गहरी आवश्यकता महसूस की जा रही थी कि इधर-उधर बिखरे उनके रेखाचित्रों का व्यवस्थित संग्रह प्रकाशित हो। ‘वन तुलसी की गन्ध’ इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आपके हाथों में है।
इस संग्रह के पहले खंड में यशपाल, अज्ञेय, अश्क, जैनेन्द्र, उग्र, कामताप्रसाद सिंह ‘काम’ और त्रिलोचन पर लिखे रेखाचित्र हैं। ये सभी रेणु से वरिष्ठ हिन्दी लेखक हैं। दूसरे खंड में बालकृष्ण ‘सम’, सुहैल अजीमाबादी, रवीन्द्रनाथ अंकुर, हंग्री जेनेरेशन के कवियों एवं सतीनाथ भादुड़ी पर लिखे रेखाचित्र हैं। ये क्रमश: नेपाली, उर्दू एवं बांग्ला के लेखक हैं। तीसरे खंड में उन रेखाचित्रों को रखा गया है, जो साधारण पात्रों पर लिखे गए हैं। साथ ही इस खंड में रेणु की पहली कहानी के ‘बट बाबा’ भी उपस्थित हैं—जटाजूट लटकाए...‘योगी वृक्ष’—ठीक रेणु की तरह—‘एक महान महीरुह’...ऋषितुल्य, विराट...!
Kisne Mera Bhagya Likha
- Author Name:
Sushil Kumar Shinde
- Book Type:

-
Description:
यह केवल किताब नहीं है, हीरों का पुंज है। जितना आप कसोगे, उतना ही ये खरा उतरेगा।
— वाई.एस. राजशेखर रेड्डी (पूर्व मुख्यमंत्री, आन्ध्र प्रदेश)
यह अवरोध के ख़िलाफ़ शिंदे की लगातार लड़ने की जीवनगाथा है। कठिन और विषम परिस्थितियों में भी अपने आपको आगे ले जाने का उनका आशावादी दृष्टिकोण यहाँ दिखाई देता है।
—‘द हिन्दू’, दैनिक समाचार-पत्र
एक राष्ट्रीय नायक की यह जुझारू जीवनगाथा है, जिसको पढ़ने से हर एक को आगे बढ़ने की अदम्य इच्छा स्वतः ही प्राप्त होती है। शिंदे का यह व्यक्तित्व भारत के हर ग़रीब के व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। किन्तु सब लाचार और ग़रीब बच्चे शिंदे की ऊँचाई तक उड़ नहीं पाते। लेकिन यह पुस्तक पढ़ने के बाद उनमें इस ऊँचाई तक उड़ने की अदम्य इच्छा जाग्रत् होती है।
—आर.आर. गिरीश कुमार (आई.पी.एस. डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस, आन्ध्र प्रदेश)
Yatrik
- Author Name:
Shivani
- Book Type:

-
Description:
कथाकार और उपन्यासकार के रूप में शिवानी की लेखनी ने स्तरीयता और लोकप्रियता की खाई को पाटते हुए एक नई ज़मीं बनाई थी, जहाँ हर वर्ग और हर रुचि के पाठक सहज भाव से विचरण कर सकते थे। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और सम्बन्धगत भावनाओं की इतने बारीक और महीन ढंग से पुनर्रचना की कि वे अपने समय में सबसे ज़्यादा पढ़े जानेवाले लेखकों में एक होकर रहीं।
कहानी, उपन्यास के अलावा शिवानी ने संस्मरण और रेखाचित्र आदि विधाओं में भी बराबर लेखन किया। अपने सम्पर्क में आए व्यक्तियों को उन्होंने क़रीब से देखा, कभी लेखक की निगाह से तो कभी मनुष्य की निगाह से, और इस तरह उनके भरे-पूरे चित्रों को शब्दों में उकेरा और कलाकृति बना दिया।
इस पुस्तक में ‘चरैवेति’ और ‘यात्रिक’ शीर्षक रचनाएँ सम्मिलित हैं। आशा है, शिवानी के कथा-साहित्य के पाठकों को उनकी ये रचनाएँ भी पसन्द आएँगी।
Tendulkar ki Kahani, Unhin ki Zubani
- Author Name:
Sachin Tendulkar
- Book Type:

- Description: मेरे पिता ने मुझे 11 साल की उम्र में ही आजाद पंछी की तरह छोड़ दिया और मुझसे बोले, ‘‘अपने सपनों का पीछा करो, लेकिन यह शर्त है कि तुम उनको पाने के लिए शॉर्टकट नहीं ढूँढ़ोगे।’’ अपने 24 साल के लंबे कॅरियर के दौरान शायद ही ऐसा कोई क्रिकेट रिकॉर्ड होगा, जो सचिन तेंदुलकर से अछूता रहा हो। टेस्ट और एक दिवसीय मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाने के अलावा वे पहले और एकमात्र ऐसे बल्लेबाज बने, जिसने 100 अंतरराष्ट्रीय शतक लगाए और 200 टेस्ट मैचों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। उनकी स्ट्रोक खेलने की विशिष्ट शैली ने उनको ऐतिहासिक हस्ती बना दिया, क्योंकि यह उनकी ही विलक्षण क्षमता थी कि वह दुनिया के किसी भी हिस्से में और मैदान के किसी भी कोने पर गेंद मार सकते थे। बंबई में एक मध्यवर्गीय परिवार में जनमे सचिन ने, जो कि एक शरारती बच्चे थे, बड़े हुए तो दिखाया—एक खिलाड़ी और कप्तान के रूप में कैसे लक्ष्यों को हासिल किया जाता है और कैसे सपनों को सच किया जाता है! हैरत की बात नहीं, खेल के प्रति उनका जुनून, देश के लिए उनके मन में सम्मान और मैदान एवं उससे बाहर उनका शानदार व्यवहार ही वे बातें रहीं, जिन्होंने उनको करोड़ों लोगों का चहेता और आनेवाली पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बनाया था। सचिन तेंदुलकर के शिखर को छूने की रोचक और प्रेरणाप्रद यात्रा, उन्हीं की जुबानी। यह पुस्तक न केवल पठनीय है, वरन् असंख्य युवाओं और खेल-प्रेमियों के लिए प्रेरणा का खजाना है।.
Banda Singh Bahadur
- Author Name:
Maj Gen Suraj Bhatia
- Book Type:

- Description: "बंदा बहादुर ने अपना प्रारंभिक जीवन एक वैरागी के रूप में बिताया। यह लगभग सत्रह वर्ष चला। अधिकांश समय उन्होंने दक्षिण भारत में गोदावरी नदी पर स्थित नंदेड़ नामक नगर में अपने आश्रम में तपश्चर्या करते बिताया। उन्होंने हिंदू शास्त्रों तथा योग एवं प्राणायाम विद्याओं का गहन अध्ययन किया। कुछ लोग मानते हैं कि वे तंत्र विद्या के भी ज्ञाता थे। गुरु गोविंद सिंह ने उन्हें गले से लगाया, उन्हें अमृत छकाकर सिख बनाया, उनका नाम बंदा सिंह बहादुर रखा और उन्हें पंजाब से मुगल राज्य की जड़ें उखाड़ फेंकने की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद उन्होंने पंजाब में मुगलों के शहर, गढ़ और किले आक्रमण करके अपने अधीन करने का कार्यक्रम शुरू किया। बंदा ने ऐलान किया कि वे जमींदारों को हटाकर सभी जमीन खेतिहर गरीब किसानों में बाँटेंगे। महमूद गजनी और मुहम्मद गौरी के दिनों के बाद इतनी सदियाँ बीत जाने के बाद पहली बार उत्तर भारत में किसी गैर-मुसलमानी शक्ति ने एक बड़े और बेशकीमती भू-भाग पर अपना आधिपत्य जमाया। अंततः मुगलों ने बंदा बहादुर को पकड़कर बेडि़यों में डाल लोहे के पिंजड़े में बंद कर दिया गया। हथकडि़यों और पाँव की साँकलों में बंदा को महीनों तक जेल में बंद रख, मुसलमान जल्लादों के हाथों जो अमानवीय यातनाएँ दी गईं, वे अनुमान और कल्पना से परे हैं। वीर, क्रांतिकारी, हुतात्मा, धर्मपारायण, राष्ट्रनिष्ठ वीर बंदा सिंह बहादुर की जाँबाजी और पराक्रम का गौरवगान करती यह पुस्तक हर राष्ट्राभिमानी के लिए पढ़नी आवश्यक है। "
Rahul Vangmaya Jeevani Aur Sansmaran Part-2 (4 Vols)
- Author Name:
Rahul Sankrityayan
- Book Type:

- Description: राहुल जी ने जो जीवनियाँ लिखीं, उनमें से अधिकांश के चरित नायक उनके घनिष्ठ रहे हैं। इस नाते वे उन चरित नायकों के जीवन के क्रमिक विकास, उनके बचपन, शिक्षा, व्यक्तिगत विशेषताओं, सामाजिक-राजनीतिक सम्बन्धों आदि का तथ्यपरक विवेचन प्रस्तुत कर सके हैं। दूसरी ओर ऐसे जननायकों की जीवनियाँ हैं, जिनके विचारों और चारित्रिक विशेषताओं से प्रभावित होकर, उनके विषय में विशेष रूप से पढ़-पढ़कर उन्होंने लिखा। इस भाग में संकलित ‘स्तालिन’ साम्यवादी व्यवस्था को आर्थिक रूप से मज़बूत करने और उसे फासिस्टवाद के घातक संकट से पार कराने का महत्त्वपूर्ण कार्य करनेवाले व्यक्ति स्तालिन की जीवन-कथा है। स्तालिन का जीवन पुराने युग के विनाश और नए युग के विकास की कहानी है। सर्वहारा के दृढ़ वर्ग-संघर्ष, सर्वहारा की वर्गीय पार्टी के गठन, पार्टी के नेतृत्व में सर्वहारा वर्ग, किसानों तथा अन्य मेहनतकश जनता की एकता, रूस में पूँजीवाद और साम्राज्यवाद के अन्त, खेती के सामूहिकीकरण आदि स्तालिन के जीवन के महत्त्वपूर्ण कार्यों के साथ ही रूस की राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक परिस्थितियों का सजीव अंकन राहुल जी ने इस कृति में किया है। ‘माओ-चे-तुंग’ चीन के राष्ट्रनायक, जनवादी चीनी गणतंत्र के संस्थापक एवं जननेता की जीवनी है। माओ ने 'लांग मार्च’ करके, अनेक कष्ट सहन करके अन्त में चीन को निरंकुश शासक के अत्याचारों से मुक्त कराया। इस चरित-नायक के देश-प्रेम, क्रान्तिकारी जीवन-दर्शन, त्याग एवं बलिदान को राहुल जी ने घटनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। माओ-चे-तुंग के जन्म, उनके बचपन, तरुणाई में ही राजनीतिक सक्रियता, चीन की क्रान्तिकारी सेना में प्रवेश, मंचू राजवंश के विरुद्ध विद्रोह, कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना का अत्यन्त सटीक वर्णन इस पुस्तक में हुआ है।
Customer Reviews
0 out of 5
Book
Be the first to write a review...