Maran Sagar Pare
Author:
ShivaniPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 120
₹
150
Available
कथाकार और उपन्यासकार के रूप में शिवानी की लेखनी ने स्तरीयता और लोकप्रियता की खाई को पाटते हुए एक नई ज़मीन बनाई थी, जहाँ हर वर्ग और हर रुचि के पाठक सहज भाव से विचरण कर सकते थे। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और सम्बन्धगत भावनाओं की इतने बारीक और महीन ढंग से पुनर्रचना की कि वे अपने समय में सबसे ज़्यादा पढ़े जानेवाले लेखकों में एक होकर रहीं।</p>
<p>कहानी, उपन्यास के अलावा शिवानी ने संस्मरण और रेखाचित्र आदि विधाओं में भी बराबर लेखन किया। अपने सम्पर्क में आए व्यक्तियों को उन्होंने क़रीब से देखा, कभी लेखक की निगाह से तो कभी मनुष्य की निगाह से, और इस तरह उनके भरे-पूरे चित्रों को शब्दों में उकेरा और कलाकृति बना दिया।</p>
<p>इस पुस्तक में ‘वंकिम तोमार नाम’, ‘एक श्रद्धांजलि’, ‘केशव कहि न जाय’, ‘पेयेछी छूटी’, ‘दिशा प्रवर्त्तक’, ‘यात्री आमी ओरे’, ‘एक टी शिशिर बिन्दु!’, ‘लोक्खी टी’, ‘अब न आँखि तर’, ‘कहाँ गईलै हो…’, ‘मरण सागर पारे’, ‘डॉक्टर खजानचन्द्र’, ‘गंगा बाबू कौन’, ‘मेरा भाई’, ‘तुभ्यं श्री गुरुवे नम:’ शीर्षक संस्मरण और रेखाचित्रों को संकलित किया गया है। आशा है, शिवानी के कथा-साहित्य के पाठकों को उनकी ये रचनाएँ भी पसन्द आएँगी।
ISBN: 9788183611565
Pages: 102
Avg Reading Time: 3 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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- Description: रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण पुस्तक है 'लोकदेव नेहरू'। पंडित नेहरू के राजनीतिक और अन्तरंग जीवन के कई अनछुए पहलुओं को जिस निकटता से प्रस्तुत करती है यह पुस्तक, वह केवल दिनकर जी के ही वश की बात लगती है। दिनकर जी ने 'लोकदेव' शब्द विनोबा जी से लिया था जिसे उन्होंने नेहरू जी की श्रद्धांजलि के अवसर पर व्यक्त किया था। दिनकर जी का मानना भी है कि 'पंडित जी, सचमुच ही, भारतीय जनता के देवता थे।' जैसे परमहंस रामकृष्णदेव की कथा चलाए बिना स्वामी विवेकानन्द का प्रसंग पूरा नहीं होता, वैसे ही गांधी जी की कथा चलाए बिना नेहरू जी का प्रसंग अधूरा छूट जाता है। इसीलिए इस पुस्तक में एक लम्बे विवरण में यह समझाने की कोशिश गई है कि इन दो महापुरुषों के पारस्परिक सम्बन्ध कैसे थे और गांधी जी के दर्पण में नेहरू जी का रूप कैसा दिखाई देता है। गांधी जी और नेहरू जी के प्रसंग में स्तालिन की चर्चा, वैसे तो बिलकुल बेतुकी-सी लगती है, लेकिन नेहरू जी के जीवन-काल में छिपे-छिपे यह कानाफूसी भी चलती थी कि उनके भीतर तानाशाही की भी थोड़ी-बहुत प्रवृत्ति है। अत: इस पुस्तक में पाठक नेहरू जी के प्रति दिनकर जी के आलोचनात्मक आकलन से भी अवगत होंगे। वस्तुत: दिनकर जी के शब्दों में कहें तो 'यह पुस्तक पंडित जी के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि है।'
Issac Newton
- Author Name:
Dr. Preeti Srivastava
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- Description: "आइजक न्यूटन सर आइजक न्यूटन अपने समय के बड़े एवं प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में थे। उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके बारे में कहा जाता था— प्रकृति अँधेरे में थी, प्रकृति के नियम अँधेरे में थे, तब न्यूटन पैदा हुए और चारों ओर उजाला हो गया। गुरुत्वाकर्षण का प्रसिद्ध सिद्धांत, जिसके अनुसार पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है, न्यूटन ने स्थापित किया था। न्यूटन का महान् ग्रंथ ‘प्रिंसिपिया’ विश्वप्रसिद्ध है, जिसमें उनके गति-नियमों (Laws of Motion) की व्याख्या है। इसके अतिरिक्त उन्होंने और भी अनेक खोजें की थीं। प्रस्तुत पुस्तक में न्यूटन के जीवन से संबंधित अनेक महत्त्वपूर्ण संदर्भों एवं घटनाओं तथा उनके स्वभाव, व्यवहार व प्रवृत्तियों का ब्योरेवार वर्णन है। विश्वास है, इसे पढ़कर पाठकगण सर आइजक न्यूटन के जीवन से संबंधित अनेक तथ्यों एवं संदर्भों को जान सकेंगे। "
Sapnon Ka Saudagar | Hindi Translation of Karma's Child Subhash Ghai: The Story of Indian Cinema's Ultimate Showman
- Author Name:
Subhash Ghai::Shri Suveen Sinha
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- Description: सुभाष घई भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं में से एक हैं। 1976 से 2008 के बीच उन्होंने सोलह फिल्में बनाईं, जिनमें से बारह -कालीचरण, कर्ज, विधाता, हीरो, कर्मा, राम लखन, मेरी जंग, सौदागर, खलनायक, परदेस, ताल और यादें- बड़ी हिट रहीं, जबकि बाकी फिल्मों को भी समीक्षकों की सराहना मिली। घई की फिल्मों की विशेषता उनकी दमदार कहानियाँ, यादगार संगीत और भव्यता थी। उन्होंने अपनी फिल्मों में बड़े सितारों के साथ-साथ नए चेहरों को भी मौका दिया, जो आगे चलकर बॉलीवुड में बड़ा नाम बने। अपने अनोखेपन से उन्होंने दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचा, खासकर उस दौर में जब वीडियो पायरेसी अपने चरम पर थी। वे भारत में पहले फिल्म निर्माता थे, जिन्होंने फिल्म का संगीत ऑडियो सीडी पर रिलीज किया। साथ ही उन्होंने हिंदी सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक साधारण पृष्ठभूमि से आकर उन्होंने सफलता की बुलंदियों को छुआ। उन्होंने यह साबित किया कि मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में हर दिन किस्मत बिगड़ती है तो बनती भी है। आज वे व्हिस्लिंग वुड्स फिल्म संस्थान चलाते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेजने लायक विरासत है। सुवीन सिन्हा की लिखी पुस्तक -'सपनों का सौदागर' एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो सुभाष घई की तरह ही अपनी किस्मत लिखना चाहता है।"
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