Lohia : Ek Pramanik Jivani
Author:
Omkar SharadPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 140
₹
175
Available
डॉ. लोहिया के चालीस साल के राजनीतिक जीवन में कभी उन्हें सही मायने में नहीं समझा गया। जब देश ने उन्हें समझा, लोगों की उनके प्रति चाह बढ़ी और उनकी ओर आशा की निगाहों से देखना शुरू किया तो अचानक ही वे चले गए। हाँ, जाते-जाते अपना महत्त्व लोगों के दिलों में जमा गए।
लोहिया का महत्त्व! उन्हें गए इतना समय बीत गया, देश की राजनीति में कितना परिवर्तन आ गया, फिर भी आज नए सिरे से लोहिया की ज़रूरत महसूस की जा रही है। यह तो भावी इतिहास ही सिद्ध करेगा कि देश में आए आज के परिवर्तन में लोहिया की क्या भूमिका रही है। लगता है कि लोहिया ऐसे इतिहास-पुरुष हो गए हैं, जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, उनका महत्त्व बढ़ता जाएगा।
किसी लेखक ने ठीक ही लिखा है—“डॉ. राममनोहर लोहिया गंगा की पावन धारा थे, जहाँ कोई भी बेहिचक डुबकी लगाकर मन और प्राण को ताज़ा कर सकता है।”
एक हद तक यह बड़ी वास्तविक कल्पना है। सचमुच लोहिया जी गंगा की धारा ही थे—सदा वेग से बहते रहे, बिना एक क्षण भी रुके, ठहरे।
जब तक गंगा की धारा पहाड़ों में भटकती, टकराती रही, किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब मैदानी ढाल पर आकर वह तीव्र गति से बहने लगी तो उसकी तरंगों, उसके वेग, उसके हाहाकार की ओर लोगों ने चकित होकर देखा, पर लोगों को मालूम न था कि उसका वेग इतना तीव्र कि समुद्र से मिलने में उसे अधिक समय न लगा। शायद उस वेगवती नदी को ख़ुद भी समुद्र के इतने पास होने का अन्दाज़ा न था।
यह इस देश, समाज और आधुनिक राजनीति का दुर्भाग्य है कि वह महान चिन्तक इस संसार से इतनी जल्दी चला गया। यदि लोहिया कुछ वर्ष और ज़िन्दा रहते तो निश्चय ही सामाजिक चरित्र और समाज संगठन में कुछ नए मोड़ आते।
—ओंकार शरद
ISBN: 9788180314070
Pages: 232
Avg Reading Time: 8 hrs
Age : 18+
Country of Origin: India
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Description:
बात उन दिनों की है पुस्तक संस्मरण भी है और आत्मीय ग्रामबोध का आख्यान भी। पुस्तक में ग्रामीण जीवन की सहज, सरल और मुक्त प्रकृति का चित्र खींचा गया है। इन चित्रों की रचना में लेखक स्वयं भी सम्मिलित है इसलिए इसकी शैली और शिल्प में एक विशेष प्रकार की चुम्बकीयता है।
पुस्तक में यद्यपि व्यक्तिव्यंजक निबंध अंकित हैं, पर है यह गंवई सहजता का शब्दचित्र। ये शब्दचित्र छोटे-छोटे प्रसंगों में बांध कर रचे गए हैं। गाँव के विद्यालय, मेले, नदी-नाले ये सब पुस्तक में रोचक प्रसंग बनकर उभरे हैं। ग्रामीण खानपान का रसीला चित्र भी मिलेगा - नेनुआ की पनीली तरकारी के साथ गरम-गरम भात, होरहा, गट्टा, भुनी मटर हमें लोक जीवन का असली स्वाद चखाते हैं। कुछ व्यक्ति-चित्र और कुछ अतीत की वस्तुएँ जैसे बाइस्कोप, आनंद की सृष्टि करनेवाले हैं।
आनंद का भाव पूरी पुस्तक में व्याप्त है। वास्तव में यही ग्राम जीवन का स्थायी भाव है। गाँव का यह आनंदी स्वभाव इस पुस्तक की आत्मा है। तीस प्रसंगों में प्रस्तुत यह पुस्तक अत्यंत पठनीय है। लेखक के आत्मीय भाव ने प्रसंगों की संवेदना को दोबाला कर दिया है। इस आत्मीयता के कारण पूरी पुस्तक की शैली कहीं भी शिथिल नहीं होती, बल्कि पाठक को अपने साथ बहाये लिए जाती है। यह प्रवाहमयता इस पुस्तक के गद्य की विशिष्टता है।
Jo Aage hain
- Author Name:
Jabir Husain
- Book Type:

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Description:
दियरा की बलुआही ज़मीन हो या टाल की रेतीली धरती, दक्षिण का सपाट, मैदानी इलाक़ा हो या उत्तर की नदियाई भूमि, बिहार के गाँव का अतीत जाने बग़ैर कैसे कोई बिहार के वर्तमान को समझने का दावा कर सकता है!
न जाने कितने दशक बिहार की मेहनतकश आबादियाँ अपने अधिकारों से वंचित रही हैं। थोड़े-से असरदार लोगों ने सत्ता और समाज को अपनी मुट्ठी में क़ैद कर रखा है। हाशिए पर पड़ी कमज़ोर इंसानी ज़िन्दगियाँ काली ताक़तों से मुक़ाबला करने की हिम्मत जुटाती रही हैं।
बिहार के गाँव की इस तल्ख़ सच्चाई से रू-ब-रू हुए बिना कोई इसकी तक़दीर लिखने की कोशिश करे, तो यह कोशिश कैसे कामयाब होगी!
हाल के वर्षों में, बिहार के गाँव में बदलाव की जो बयार चली है, उसे शीत-भवनों में बैठकर नहीं आँका जा सकता। शीत-भवनों में तैयार किए गए गणित ज़मीन से कटे होने पर, अख़बार की सुर्खियों में या टेलीविज़न के पर्दे पर थोड़ी देर के लिए ज़रूर जगह पा सकते हैं, मगर ये गणित सच्चाई का रूप नहीं ले सकते।
सच्चाई का रूप तो ये तभी लेंगे, जब इसके गणितकार कमज़ोर तबक़ों की हक़मारी का अपना सदियों पुराना राग अलापना छोड़ दें।
जाबिर हुसेन ने जो भी लिखा है, अपने संघर्षपूर्ण सामाजिक सरोकारों की आग में तपकर लिखा है।
Anam Yogi Ki Diary
- Author Name:
Deepak Yogi
- Book Type:

- Description: सत्य और असत्य क्या है, इसको बताया नहीं जा सकता। समय और परिस्थिति के अनुसार यह परिवर्तित होता रह सकता है। ईश्वर का अस्तित्व अनाम है, कोई धर्मशास्त्र या धर्मशास्त्री उसे नहीं जान सका। फिर भी यह खोज चलती रहती है। ऐसी ही एक खोज का नतीजा है यह पुस्तक। एक साधारण व्यक्ति को एक दिन सहसा अपने दैनंदिन जीवन की निरर्थकता का भान होता है और यह हिमालय की यात्रा को चल पड़ता है। मकसद है उस सम्पूर्ण की उपलब्धि जिसके लिए हर युग का मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं को छोड़कर भटका और जो युगों-युगों से हमारे आधे-अधूरे अस्तित्व को आकर्षित करता रहा। अपनी इस यात्रा के मोड़ों, बाधाओं, पड़ावों और उपलब्धियों का लेखा-जोखा लेखक ने अपनी इस डायरी में प्रस्तुत किया है। हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों, घाटियों और कन्दराओं में बसे साधुओं-वैरागियों और इस क्षेत्र के जनजीवन के दृश्यों के साथ अपनी इस डायरी में लेखक ने अपने भीतर के ‘व्यक्ति’ से मुठभेड़ के ब्यौरे भी दर्ज किए हैं। एक भिन्न बोध की पुस्तक।
Kahani Smriti Irani Ki (Hindi Translation of The Smriti Irani Story)
- Author Name:
Kartikeya Tanna
- Book Type:

- Description: कौन कहता है, आसमाँ में सुराख नहीं हो सकता! भारतीय राजनेता, कैबिनेट मंत्री, पूर्व टेलीविजन अभिनेत्री और अब एक लेखिका भी—स्मृति इरानी—ने 23 मई, 2019 को हिंदी की इस लोकप्रिय पंक्ति को ट्वीट किया था। उन्होंने दशकों से गांधी परिवार का गढ़ रहे उत्तर प्रदेश के अमेठी निर्वाचन क्षेत्र में एक चुनावी लड़ाई में नेहरू-गांधी परिवार के वंशज राहुल गांधी को हराया था। इरानी ने 2014 में भी अमेठी से चुनाव लड़ा था, लेकिन तब असफल रही थीं। फिर भी अगले पाँच वर्षों तक वे अमेठी आती रहीं। उन्हें ऐसा करने के लिए किस बात ने प्रेरित किया? 2004 में उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के पद से इस्तीफा नहीं देने तक अनशन करने की धमकी दी थी; और 2014 में अमेठी में एक रैली में भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी ने उन्हें अपनी छोटी बहन कहकर संबोधित किया था। यह परिवर्तन कब और कैसे हुआ? एक टेलीविजन अभिनेत्री के रूप में अपनी सफलता के चरम पर होने के बावजूद उन्होंने राजनीति में कदम क्यों रखा? उन्होंने भाजपा को क्यों चुना? उन्होंने मीडिया और मनोरंजन के क्षेत्र में कॅरियर बनाने की कोशिश क्यों की? उनके बचपन ने उनके दृष्टिकोण और मन की भावनाओं को किस प्रकार आकार दिया? उनकी कमजोरियाँ क्या हैं? क्या है, जो उनके भीतर के रक्षातंत्र को सक्रिय करता है और वे उनसे कैसे निकलती हैं? अमेठी की ऐतिहासिक जीत का उपयोग एक संदर्भ रूप में करते हुए यह पुस्तक मुख्य रूप से एक ऐसी महिला की कहानी को जानने का प्रयास है, जिसने अपने स्त्रीत्व का सहारा नहीं लिया बल्कि अपने शक्तित्व को, अपनी दिव्य स्त्रीऊर्जा को शक्ति के एक अदम्य स्रोत के रूप में व्यक्त किया।
MEGA Life Story of A Death
- Author Name:
Ankur Saxena
- Rating:
- Book Type:

- Description: 15 Minutes! What if you’re told you have just fifteen minutes before being sedated, finally getting relieved of the excruciating pain you’ve endured with every breath for so long? Will you celebrate the end of pain or regret the impending loss of life? How will you face death? How will you spend your last 15 minutes? Happiness, anger, grief, sadness, fear, disgust, guilt, envy, pride, compassion, anxiety, stress, hope, gratitude—which emotion will define your final moments on Earth? What will you ponder about the time you spent on the planet? Rather how will you spend the last 15 minutes of life you are spared with? Do the last 15 minutes really count? Or was life about each second that passed by? Meet MEGHA who had this uncanny ability to live life every moment, an ardent soul that brought smile to every face she met, a bubbly girl that lit up the mood and a persona that personifies life! And as this MEGA life story unfolds, realize that it’s not the years in your life that count. It’s the life in your years that does!
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