Woh Safar Tha Ki Mukam Tha
Author:
Maitreyi PushpaPublisher:
Rajkamal Prakashan SamuhLanguage:
HindiCategory:
Biographies-and-autobiographies0 Reviews
Price: ₹ 200
₹
250
Available
मैत्रेयी पुष्पा और राजेन्द्र यादव को लेकर आधुनिक होने का दम भरनेवाले आज के हिन्दी समाज ने जितनी बातें बनाईं, उतनी शायद ही किसी और के हिस्से में आई हों। लेकिन यह किताब उन बातों की सफ़ाई नहीं है। सफ़ाई को लेकर मैत्रेयी जी स्पष्ट हैं कि सफ़ाई वे दें जिनकी दाढ़ी में तिनके हों। यह किताब उन छोटी-छोटी लकीरों के बरक्स जो समकालीनों ने उनके सामीप्य को लेकर खींचीं, एक बड़ी लकीर है। एक बड़े रिश्ते का बड़ा ख़ाका।</p>
<p>आरम्भ में मैत्रेयी पुष्पा बस लेखक थीं और राजेन्द्र जी उनके सम्पादक, फिर अपने सम्पादकीय-लेखकीय कौशल के चलते ग्रामीण अनुभवों से सम्पन्न इस प्रौढ़-मन लेकिन नई लेखिका के कच्चे माल में उन्होंने इतनी सम्भावनाएँ देखीं कि वे उनके मार्गदर्शक, अध्यापक, प्रेरक, आलोचक—सब हो गए। और इस लेखिका में उन्होंने एक समर्थ लेखक के अलावा पाया एक सखा जो उन्हें न अपने साहित्यिक मित्रों में मिला था न प्रतिद्वन्द्वियों में। एक ऐसा सखा जिसके सामने वे अपने मन के अन्तरतम तक को खँगाल कर देख पाते। अपनी कल्पनाओं की पतंगें उड़ा पाते, डींगें हाँक सकते, अपनी प्रेम-कहानियों और लीलाओं का स्मृति रस ले पाते। पूछ पाते, अच्छा बताओ तो डाक्टरनी, उस सौन्दर्य की देवी युवती ने मुझमें ऐसा क्या देखा! यानी वह व्यक्ति हो पाते जो सार्वजनिक छवि में बिंधा कोई भी आदमी कहीं न कहीं, कभी न कभी होना चाहता है। यहाँ यह कहना भी अप्रासंगिक न होगा कि राजेन्द्र यादव निपट इकहरे व्यक्ति न थे, लेखक और सम्पादक के रूप में उन्हें समझना आसान है, व्यक्ति के रूप में उतना नहीं। ऐसे व्यक्ति को एक निष्कलुष और निराग्रही सखा की ज़रूरत और भी ज़्यादा होती है। मैत्रेयी जी का यह वाक्य जो शायद वे अक्सर राजेन्द्र जी को कहती थीं, मन को पुलक से भर देता है कि ‘राजेन्द्र जी, आप तो हमारी सहेली हैं!’</p>
<p>ये संस्मरण न भक्ति से निकले हैं, न श्रद्धा से, अपने पथ-प्रदर्शक वरिष्ठ लेखक के प्रति समुचित आदर के साथ ये उस व्यक्ति को अपनी स्मृतियों में जस का तस मूर्त करने की कोशिशें हैं जिसने जीवन के अन्त तक आते-आते हिन्दी में ही नहीं, पूरे भारतीय साहित्य-जगत में एक आइकॉन का दर्जा पा लिया था, जिसने अपने प्रयासों से दलित और स्त्री-विमर्श को हिन्दी का दैनिक विषय बना दिया, जिसकी तरफ़ हर उम्र की स्त्री जाने क्यों आकर्षित हो उठती थी और जिसे साहित्यिक दुनिया का खलनायक भी कहा गया, यौन-कुंठित भी, और साहित्यिक पत्रकारिता का आधुनिक मुक्तिदाता भी।
ISBN: 9788126729746
Pages: 160
Avg Reading Time: 5 hrs
Age: 18+
Country of Origin: India
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एक वक़्त के बाद कोई भी शहर वहाँ रहने वालों के लिए सिर्फ़ शहर नहीं, जीने का तरीक़ा हो जाता है। जिस तरह हम धीरे-धीरे शहर को बनाते हैं, बाद में उसी तरह शहर हमें बनाने लगता है और हम ‘दिल्ली वाले’, ‘मुम्बई वाले’ या ‘आगरा वाले’ कहे जाने लगते हैं।
सुपरिचित आलोचक निर्मला जैन की यह कृति एक दिल्ली वाले की तरफ़ से अपने शहर को दिया गया उपहार है। बराबर सजग और चुस्त उनकी लेखनी से उतरी हुई यह किताब बीसवीं शताब्दी की दिल्ली के स्याह-सफ़ेद और ऊँचाइयों-नीचाइयों के साथ न सिर्फ़ उसके विकास-क्रम को रेखांकित करती है, बल्कि उन दिशाओं की तरफ़ भी इशारा करती है जिधर यह शहर जा रहा है, और जिन्हें सिर्फ़ वही आदमी महसूस कर सकता है जिसे अपने शहर से प्यार हो।
सांस्कृतिक ‘मेल्टिंग पॉट’ बनी आज की दिल्ली के हम बाशिन्दे, जिन्हें अपने मतलब-भर से ज़्यादा दिल्ली को न देखने की फ़ुरसत है, न समझने की जिज्ञासा, नहीं जानते कि आज से मात्र 60-70 साल पहले यह शहर कैसा था, कैसी ज़िन्दगी पुरानी और असली दिल्ली की गलियों में धड़कती थी। हममें से अनेक यह भी नहीं जानते कि आज जिस नई दिल्ली की सत्ता देश को नियंत्रित करती है उसकी कुशादा, शफ़्फ़ाफ़ सड़कें कैसे वजूद में आईं, और दोनों दिल्लियों के बीच हमने क्या खोया और क्या पाया!
निर्मला जी की यह किताब 40 के दशक से सदी के लगभग अन्त तक की दिल्ली का देखा और जिया हुआ लेखा-जोखा है। इसमें साहित्य और शिक्षा के मोर्चों पर आज़ादी के बाद खड़ा होता हुआ देश भी है, और वे तमाम राजनीतिक और सामाजिक प्रक्रियाएँ भी जिन्हें हमारे भवितव्य का श्रेय दिया जाना है।
Hundred Petalled Lotus
- Author Name:
Gadiyaram Ramakrishna Sarma +1
- Book Type:

- Description: This book is English translation by M V Chalapathi Rao of Gadiyaram Ramakrishna Sarma's Sahitya akademi award winning Telugu Autobiography,Satapatramu, Sahitya Akademi.
C.V. Raman : A Biography
- Author Name:
Uma Parameswaran
- Book Type:

- Description: Celebrated for his groundbreaking discovery, the Raman Effect, C.V. Raman (1888–1970) was the first non-white and the first Asian to receive a Nobel Prize in the sciences in 1930. He also became the first Indian director of the Indian Institute of Science in Bangalore. While Raman’s scientific work is significant and well documented, his personal story is less known. In this thoroughly researched and comprehensive volume, the biographer sheds light on Raman’s personal vision, quirks, and struggles. In her attempt to record his life, she traces the influences and events that shaped Raman into the fascinating man and scientist he was.
Match Point - A Shuttler's Story
- Author Name:
Sanjay Sharma
- Rating:
- Book Type:

- Description: Inside these pages lies the story of a shuttler – but not just any shuttler. A sportsman of true grit, he has faced, fought and overcome unimaginable battles. How did a boy rise to become one of the widely known, ace badminton players of India, and smash down hardships that came his way? How did he protect his well-earned reputation from the wrongdoings of the then sports federation? And how has he, years later, kept the sportsman inside him alive, as he goes on to overcome health battles to unbelievable extents? Every word written to inspire, this is the story of a shuttler who never gives up.
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